११ बैशाख २०८१, मंगलवार
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गजल
गजल
दिपक चौधरी
मोर बुर्हिया अकेली बियार काटट हुइहीं
९ असार २०८०, शनिबार
गजल
सागर कुस्मी
इ भगनवाँफें कैसिन तक्दिर डेहल
५ असार २०८०, मंगलवार
गजल
सन्देश दहित
पानी निबरसक हैरान बा खेट्वा आँखर होके
१ असार २०८०, शुक्रबार
गजल
बलराम चौधरी
काहे ऐसिन मै पहिलबार सोंचलेले रहुँ
३२ जेष्ठ २०८०, बिहीबार
गजल
बलराम चौधरी
अपन ढकढिउरम ढर्ना मन लागल
३१ जेष्ठ २०८०, बुधबार
गजल
बलराम चौधरी
गजल-समाधान खोजटा
२४ जेष्ठ २०८०, बुधबार
गजल
सीता थारु ‘निश्छल’
अधिकार सबके सुनिश्चित रहेक चाहि
१५ जेष्ठ २०८०, सोमबार
गजल
सागर कुस्मी
मै नेता बनम टे सुरुमे पक्की डगर बनैम
१४ जेष्ठ २०८०, आईतवार
गजल
दिपक चौधरी ‘असीम’
यि जिन्गी विधाटक डेहल उपहार हो
११ जेष्ठ २०८०, बिहीबार
गजल
सागर कुस्मी
हरियर बनुवाँ फडानी करुइया खबरदार
४ जेष्ठ २०८०, बिहीबार
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