माघ मनाइ माघी नाही

इन्दु थारु
१० माघ २०८०, बुधबार
माघ मनाइ माघी नाही

माघ मनाइ माघी नाही

माघ लहैली, सुरिक सिकार खैली रे हाँ ।
सखिय हो, माघक पिली गुरीगुरी जाँर ।।

माघ टिहुवारमे थारु समुदाय यि गितसे चमपन रहठ । ‘सखिय हो, माघक पिली गुरीगुरी जाँर’ परम्परासे चल्टि आइल थारु लोक रहान हो । थारुहुक्रे नेपालमे कहियासे बसोबास करलै कना बाट किहुहे पटा नैरहल बाट लेखक डोरमणी विष्ट अपन किताबमे उल्लेख करल बटंै । थारुनके अपन कौनो लिखित इतिहास नैहो । थारुहुक्रे मनइना टरटिहुवारके बारेमे फेन लिखत नैमिलठ । टबेमारे थारुहुक्रे मनइना टमान टरटिहुवारके सवालमे पूर्खाहुकनसे सुन्टि आइल काठा वा किवदंतीमे हम्रे विश्वास करठि ।

पश्चिम तराईके प्रत्येक थारु घर ओ प्रत्येक थारु बस्तीमे मनाजाइठ माघ । पुसके अन्तिम दिन गाउँभरिक मनैन पुग्ना जिटा मरना, रातभर थारु पुरुषहुक्रे जम्मा होके डफ बजइटि ढमार गीत गइना, डोसर बिहान माघ १ गते बिहन्ने लग्गेक लडियामे जाके लहइना, लहाइबेर पानी भिट्टर बुरे परना, घरे आके ढकियामे ढारल चाउर, नोन छुना, जोन भोज हुइल दिदिबहिनियनहे निसराउ डेजाइठ, ओ घरेक सबसे बुरहाइल मनैन ढोग लग्ना, गोटियार ओ रानपरोस सक्कुहुनके घरे जाके सेवाढोग लग्ना ओ ढिक्रि सिन्किक चटनि लगायत परिकार खइना, मघौटा नाच नच्ना परम्परा अनुसार मनइना माघ यिहे होे पश्छिउहाँ थारुनके ।

माघ २ गते खिच्रहुवा मनाजाइठ । यि दिन बजार खेले जइना दिन हो । बजार खेले जाइक लाग लग्गे गाउँमे माघ मेला लग्ना चलन रहे । या टे लग्गेक बजार खेले जइना चलन व्यापक रहे । छिटफुट रुपमे अभिन बा । ‘बजार खेले जैना कलक, मोर बुडि कठि, माघ पठैना हो ।’ अर्थात बजार खेले जइना कलक माघहे बिदाइ करना हो ।

अइसिक थारुहुक्रे मुख्य रुपमे तीन दिन माघ मनइठंै । मने पुरा माघ महिना थारुहुकन लाग विशेष रहठ । थारु गाउँमे भलमन्सा, अघरिया, बरघर, चिरक्या, गुरुवा, केसौका आदि चुन्ना काम माघ महिनमे करजाइठ । गाउँमे का का काम करे परना बा, ओकर योजना बनाजाइठ । टबेमारे थारु माघ महिनाभर माघ मनइठैं कहिके फेन कहिजाइठ । ओम्ने फें जाँर पिउइयनके लाग टे खानपिन करक लाग फेन ‘थारुन्के माघ महिना भर चलट’ कहठैं ।

थारु घर ओ गाउँमे किल सिमित माघ, पहिलचो वि.स.२०५९ मे औपचारिक कार्यक्रम करके मनागिल रहे । काठमाण्डौके नेपाल टुरिज्म बोर्डमे थारु कल्याणकारीणी सभा ओ थारु विद्यार्थी समाजके संयुक्त आयोजनामे कार्यक्रम करगिल रहे । औपचारिक माघ कार्यक्रमहे निरन्तरता डेटि डोसर वरष बानेश्वरके सहकारी भवन, टिसर वरष राष्ट्रिय सभा गृह, चौठा वरष प्रज्ञा भवन, ओकरबाड २०७२ मे रंगशाला ओ ओकरबाड प्रत्येक वरष टुडिखेलमे माघ महोत्सव आयोजना करजाइठ । काठमाण्डौंके कार्यक्रमसे जिल्ला स्तर हुइटि अब्बे स्थानीय तहसम माघ कार्यक्रम करना हौसला ठपगिल बा ।

माघबारे बहस

पहिचान ओ संस्कृतिप्रेमी थारु वृतमे बहसके सतहमे आइल विषय हो थारुहुक्रे माघ मनइठंै कि माघी । वास्तवमे पश्चिम थारु समुदायम मनइना माघ हो । मध्य तराई क्षेत्र (नवलपरासी चितवन) मे माघ १ गतेहे खिचरा कहठैं । पूर्वी तराईके थारुहुक्रे तिला संक्राइट कहठंै । थारु विद्यार्थी समाजके अध्यक्ष चन्द्र प्रसाद चौधरीके अनुसार यि दिन तिलके लड्डु खइना हुइकल ओरसे तिला संक्राइत कहगिल हुइ । नेपालीमे कहजिना पर्वाती समुदाय माघ १ गतेहे माघे मकर संक्रान्ति कहठंै ।

पश्चिम तराई (दांगसे कञ्चनपुर) के थारु पूर्खाहुक्रे कहठंै ‘हम्रे माघ लहइठी, माघ खइठी, माघ मनइठी ।’ बाँचल पुर्खाहुक्रे माघी मनाइल जिकिर कबु नैकरठंै ।

पश्चिम थारुहुकनक माघहे माघी नामाकरण करगिल ढेउर समय नैहुइल हो । ढेउर जहन लागे सेकठ, माघ टे महिनाके नाउँ हो । माघ महिनामे पर्ना हुइकल ओरसे टिहुवार भर माघी हो । मने अइसिन नैहो ।

पश्चिमके थारुहुक्रे माघ मनाइबेर अउरे ठाउँमे तिला माघे वा मकर संक्रान्ति मनइठंै । एकहोर थारुनके माघ, डोसरओर अउरे जहनके माघे वा मकर संक्रान्ति हो कलेसे माघी केकर हो ? बुझ्टि गइलेसे टे माघी केक्रो नैहो । माघी शब्द प्रयोगमे आइल ढेउर समय फेन नैहुइल हो । यि बिल्कुल नयाँ शब्द हो । अइसिक कहे सेकजाइ कि माघी थारुहुकनके माघके भर्खरे करगिल नेपाली रुपान्तरण हो । अब्बे आके माघी शब्द अइसिन राष्ट्रिय शब्द हुसेकल कि थारुहुक्रे माघी नाइ, माघ मनइठि हम्रे कहलेसे अराष्ट्रि«य हुइना बेर नैहुइ ।

माघे संक्रान्ति उच्चारण करक लाग नम्मा हुइना हुइलक ओरसे फेन पाछे सर्टकटमे माघी कहगिल हुइसेकठ । एकठो नेपाली गीत ‘हर साल आउँछ माघी, माघी जान्छ आफ्नै सुरमा’ से फेन माघी शब्द स्थापित कराइल । माघ महिनामे रेडियो, एफएम यि गानाले गुञ्जायमान रहठ । यकर प्रभावले फेन थारुनके माघ, माघीमे रुपान्तरित हुइल हुइसेकठ ।

पहिलचो औपचारिक रुपमे आयोजना करगिले कार्यक्रममे माघी उल्लेख करगिल रहे । ओकरबाड निरन्तर आयोजना हुइना कार्यक्रममे प्रधानमन्त्री, सभामुख लगायतके उच्च ओहदाके व्यक्तित्वसे सम्बोधन करजिना कार्यक्रममे सञ्चार माध्यमके चासो बहरटि गैल । केन्द्रसे गाउँसम माघी लेख्ना ओ कहुइयनके बगाल बहरटि गैल । ओकरे प्रभावमे अब्बे जहाँजहाँ माघके कार्यक्रम करजाइठ, माघी महोत्सव वा माघी मेला लेखल डेखपरठ । माघी लेख्टि किल ओ कहटि किल ढेउर कुछ बिग्रना टे नैहो मने इतिहास मेटजाइ । नेपाली भाषा सड्ड डोमिनेन्ट ओ राष्ट्रिय भाषाके दर्जा पइलकमे, थारु शब्दके नेपालीकरण करलेसे राष्ट्रिय होजाइठ कि कना मानसिकतासे सिमान्तकृतहुक्रे अपन मौलिक शब्दके नेपालीकरण स्वीकार करल हुइहि सायद ।

अपन भाषा, संस्कृति ओ पहिचानके संरक्षण ओ सम्बद्र्धन करकलाग वकालत करुइया बगाल अब्बे माघ ओ माघीबारे बहस चलाइटंै । माघ वा माघे संक्रान्ति मनइना समाजमे माघी कहाँसे पेलल, सोचनिय विषय बा । थारुहुक्रे प्रयोग करना मैलिक शब्द नेपालीकरण करगिल यि पहिलचो नैहो । यि पुराने परिपाटी हो ।

थारुहुकनके मौलिक शब्दके गाउँके नाउँ व्यापक परिवर्तन करगिल बा । जस्टे थारुगाउँके नाउँ घोरीघोराहे घोडाघोडी बनागिल । पिर्ठीपुरहे पृथ्वीपुर, रानामुराहे रानामुडा, खोनपुरहे सोनपुर, भर्रिहे भडरी बनागिल । अइसिन बहुट उदाहरण बा । ओस्टके थारुहुकनके बरघरहे बडघर कहना ओ लिख्ना डोसर उदाहरण हो । डुखक बाट टे का हो कि परहल लिखल हमारे समुदायके कुछ मनै बड्घर कहठाँ ओ लिखठाँ । ओक्रे निरन्तरता हो माघहे माघी बनइना । अइसिक ठेट ओ मौलिक शब्द परिवर्तन करटि जइना कलक थारु भाषा ओ थारु समुदायप्रति बरवार प्रहार हो । हेरेबेर सामान्य लागठ, माघहे माघी कहना, बरघरहे बडघर कहना । मने यि शब्द केवल शब्द किल नैहो । यि शब्द कलक थारुनके पहिचानसंग जोरगिल विषय हो । यि शब्दसंग थारुनके इतिहास जोरगिल बा ।

माघ पश्चिमके थारुनके लावा वरष हो । माघसे थारुहुक्रे ढेउर लावा चिजके सुरुवात करठंै । प्रत्येक माघमे थारु गाउँ लावा भलमन्सा चुन्ठंै । चिरक्या, गुरुवा, केसौका यिहे बेला चुनजिठैं । गाउँके विकासके योजना बनइठैं । कहाँ पुल बनइना, बढ्वा बँढ्ना, कुल्वा कोरना जइसिन योजना बनइठंै । कमैयाँ कम्लरही प्रथाके बेला कोइ कमैयाँ बैठल घर छोरे सेकिँट ओ लावा मलिक्वा रोजे सेकिँट ।

सक्कु अवस्थामे अइसिन सम्भव नैरहे । विशेष करके किसानके घरेम कमैयाँ बैठुइयन सहज रहे । जमिन्दारहुक्रे किसानके तुलनामे ढेउर दमनकारी हुइलक ओरसे कमैयाँहुक्रे कैंयो पुस्ता एक्के जिम्डरवकमे कमैयाँ लागे परना बाध्य बनाइँट ।

कुछ मनै माघहे मुक्ति दिवसके रुपमे फेन व्याख्या करट सुनमिलठ । जोन कि बिरकुल गलत बाट हो । नेपाल सरकार १७ जुलाई २००० मे कमैयाँहुक्रे मुक्त हुइल घोषणा करल रहे । पूर्व कमैयाँहुक्रे उ दिनसे प्रत्येक वरषके १७ जुलाईमे मुक्ति दिवस मनइटि आइल बटैं । सरकार कमैयाँ मुक्ति घोषणा करना पहिले कमैयाँहुक्रे केक्रो ना केक्रोमे कमैयाँ लागे परिन जीविकोपार्जनके लाग । माघहे मुक्ति दिवसके रुपमे मनइना कौनो सवाले नैहो ।

फेरगिल माघ

समयसंगै टरटिहुवार मनइना शैली फेन परिवर्तित हुइटि जाइठ । एकर एकठो बरवार उदाहरण हो माघ । माघ अब्बे माघी महोत्सवमे सिमित हुइ पुगल बा । भलहे गाउँघरके थारुहुक्रे मौलिक रुपमे माघ मनइठैं । माघके मौलिकताके चर्चा संचारमाध्यम ओ सामाजिक संजालमे कमे हुइठ । सहि मानके माघ बुझ्ना, बुझइना ओ अब्बेके माघहे प्रचार करना तरिकामे बहुट ढेउर फरक बा । माघमे थारु समुदायमे चुनजिना बरघर, विवाहित दिदीबहिनीयनहे डेजिना निसराउ, डाडाभैया ओ गोचालिन बिच करजिना उँकुवारभेंट, रातभर डफ बजइटि गाजिना ढमार के बारेमे कमे चर्चा हुइठ । माघक गुरीगुरी जाँरके प्रचार अट्रा ढेउर करजाइठ कि माघमे खइना नमक्वा ढिक्रीक बाट काहु नैसुन मिलठ ।

थारुहुक्रे निराश मिश्रित माघ मनाइटैं, अपन राजनीतिक, सांस्कृतिक अधिकारबारे चेतनशिल हुइलबाड । नेपालके जनसंख्याके बरवार हिँस्सा रहल थारुहुकनके मुख्य टिहुवार माघमे सरकारसंग २ दिनके बिदा माग करल ढेउर होसेकल । थारुनके माग सुनुवाई करना टे कहाँ हो कहाँ, उल्टे माघके बिदा फेन कटौती करना काम हुइल । आदिबासी जनजातीहुक्रे बिदा पुनस्र्थापनाके लाग दबाब डेहल पाछे पुनः माघ १ गते बिदा डेना निर्णय केन्द्र सरकार करल रहे ।

प्रदेश ५ मे १५.१८ प्रतिशत थारु बटंै । गइल वरष वहाँके प्रदेश सरकारसे माघ के लाग २ दिनके बिदा घोषणा करल । थारुहुक्रे खुशी हुइलैं । सुदूरपश्चिम प्रदेशम १७.२१ प्रतिशत थारु बटंै । २ दिनके बिदा माग करेबेर प्रदेश सरकारसे माघ १ गते किल एक्के दिनके बिदा डेहठ । ढेउर जहनके बुझाइ बटिन कि, यि बिदा माघके लाग नैहो, माघे संक्रान्तिके लाग हो । ‘अउरे जे माघे संक्रान्ति नैमनइटै कलेसे’, सुदुरपश्चिमके थारुहुक्रे प्रश्न करठंै, थारुहुकनके माघ के लाग यि एक दिन फेन बिदा नैमिल्ना रहे कि ?’ कमसेकम थारु बाहुल्य हुइल क्षेत्रमे माघ जइसिन थारुनके महत्वपूर्ण टिहुवारमे २ दिनके बिदा डेहे परठ कना थारु अगुवाहुकनके बुझाइ बा । अब्बे फेन थारुहुक्रे पुस अन्तिममे जिटा मरना ओ माघ १ गते धुमधामके साथ माघ मनइठंै ।

थारु अगुवा माधव चौधरीके अनुसार, सुदुरपश्चिम सरकार बिदा डेनामे विभेदकारी बा । थारुनहे टिहुवारके लाग बिदा चाहल कहिके जबफे ज्ञापनपत्र बुझाइ जाइ परना । टबो फेन सरकार बिदा नैडेहठ । यि विभेद नैहो ट का हो ? उहाँ प्रश्न करठैं ।

माघके एकओर रौनक, डोसरओर आक्रोश रहठ । थारु भाषाप्रतिके प्रहार ओे माघके बिदाके विषयहे लेके थारुनमे निराशा ओ आक्रोश डुनु बा । यिहे पिरा ओ आक्रोशके बीचमे थारु गाउँमे डफ बजठ, ढमार गाजाइठ, मन्डरा ठोकजाइठ, मघौटाके नचुनियाँहुक्रे फिनफिनसे घुमठैं । टब लागठ पिराके बिचमे फेन राहरंगि करे सेक्ना समुदाय थारु हो ।

मकर संक्रान्तिके नाउँमे एक दिन सरकार बिदा डेहठ । माघके नाउँमे अभिनसम थारुहुक्रे बिदा पाइल नैहुइँट । मकर संक्रान्तिके नाउँमे डेगिल बिदाहे अपन माघके नाउँमे बिदा डेगिल कना भ्रममे बहुसंख्यक थारुहुक्रे बटंै । टब लागठ भ्रममे परके हुइलेसे फेन रमाइ सेक्ना समुदाय थारु हो ।

इन्दु थारु
धनगढी कैलाली

माघ मनाइ माघी नाही

इन्दु थारु