गजल

लब्लिन क्यानभास

हावा हुरी आगी ओ पानी से डराए ना पर

१४ चैत्र २०७९, मंगलवार
संगम कुस्मी

मोर लाग अमुल्य उपहार टुँहि हुइटो

६ चैत्र २०७९, सोमबार
अंकर अन्जान सहयात्री

क ख रा नै पहर्के छावा फें बनल कमैयाँ

२५ फाल्गुन २०७९, बिहीबार
सागर कुस्मी "संगत"

हरेक परगामे आघे बर्हटी जाउ बाबु टुँ

२४ फाल्गुन २०७९, बुधबार
संगम कुस्मी

सैगर मैगर मिट लगैटी आउ

११ माघ २०७९, बुधबार
दिपक चौधरी "असिम"

डुनियाँमे कहुँ नै भेटैबो

२९ पुष २०७९, शुक्रबार
संगम चौधरी

असलि थारुक् विर पुटुवा

१२ माघ २०७८, बुधबार
संगम चौधरी

ढोटि ओ भेगुवा फारके

११ माघ २०७८, मंगलवार
संगम चौधरी

झँक्याके हेरे डेउ

१० माघ २०७८, सोमबार
तुलाराम सनम

नेपालके भारी भारी बन्वाँ कहाँगैल

२८ मंसिर २०७८, मंगलवार