मुक्तक

संगम कुस्मी

संगीतके मिठ धुनहस लगठो

११ जेष्ठ २०८०, बिहीबार
काजल थारु

मुक्तकः लावा संसार सजैना बा

२८ बैशाख २०८०, बिहीबार
सागर कुस्मी

लावा साल लावा गजल टोहाँर लाग

१ बैशाख २०८०, शुक्रबार
संगम कुस्मी

देशमे सुख शान्ति छर्टी आउ लावा साल

१ बैशाख २०८०, शुक्रबार
महेश राम थारु

आउ नारी पुरुष मिलके पुरा काम करी

२५ फाल्गुन २०७९, बिहीबार
अंकर अन्जान सहयात्री

छप्रमफें पहिचान बिल्गाइठ

१८ पुष २०७९, सोमबार
हिराकुमारी चौधरी

चार मुक्तक

१२ आश्विन २०७८, मंगलवार
कलापती चौधरी

यी बन्द आँखी भर सपना सजाइटुँ

२० भाद्र २०७८, आईतवार
शुशील चौधरी

जिन्गी जियक् लाग काम करेक् परल

१३ श्रावण २०७८, बुधबार
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