थारु अनलाइन रेडियो
मुक्तक
यी बन्द आँखी भर सपना सजाइटुँ ।बेदना मन भिट्टर आँखीमसे बहाइटुँ ।खै किहि सुनाउँ खाली मनके डरड यहाँ,विकल्प ओहे बा मुस्कुराके पिरा भगाइटुँ ।
कलापती चौधरीकृष्णपुर २ डेखटभुली कंचनपुर