गजल: गुरही बिसेस
इ गुरही इ खुशी आइल फेनसे ।
घर घरमे चम्पन छाइल फेनसे ।
रंगबिरंग लावा गुरही मेरमेराइक,
कहुँ हड्यार कहुँ काइल फेनसे ।
दिदिबहिनीयन लहंगा बिलोजमे,
चुरिया गुरियामे सजाइल फेनसे ।
केराउ चाना मकैक लवारैलवारा,
भुजागुडा सक्हुन खवाइल फेनसे ।
बरस भरिक रोगबिरोग खाटीखुटा,
खान्जखिन्ज पुरा हटाइल फेनसे ।
पुर्ख्यानी संस्कार पुरान बातचित,
लावा लर्कन बात बटाइल फेनसे ।
गाउँघर सहर बजार चम्पन कैके,
थारुनके इतिहास रचाइल फेनसे ।
सागर कुस्मी