गजल: जिनगी लम्मा हो कि कहानी बुझे नैसेक्नु

कोपिला शर्मा
३० असार २०८०, शनिबार
गजल: जिनगी लम्मा हो कि कहानी बुझे नैसेक्नु

गजल
जिनगी लम्मा हो कि कहानी बुझे नैसेक्नु ।
आँखीमे जोंजा हाे या पानी बुझे नैसेक्नु ।

पिरके मुल फुटल मैयाँके पियास नैमेट्टी,
भुलबस् डुखल या जानजानी बुझे नैसेक्नु ।

अरब हुइटी लाखौंके याेजना सयमे निप्टल,
कहाँ कत्रा हुइल खै लगानी बुझे नैसेक्नु ।

सँच बाेलठ, सोझे मागठ, अघाइल कुकुरा,
उ पागल लाेभी रहे या दानी बुझे नैसेक्नु ।

सिँराइल काठी नैबरठ सजिव मन बरल कैसिक,
झरगैल काेपिला बनके खरानी बुझे नैसेक्नु ।
कोपिला शर्मा

गजल: जिनगी लम्मा हो कि कहानी बुझे नैसेक्नु

कोपिला शर्मा