कहाँसे अइली गोचाली कहाँ जाइक लग

विन्ति राम महतो
९ चैत्र २०८०, शुक्रबार
कहाँसे अइली गोचाली कहाँ जाइक लग

कहाँसे अइली गोचाली कहाँ जाइक लग

जब घरमे केक्रो मौट हुइठ टब छोटछोट ल्का पुछठैं कि बाबा हमार बुडी या बुडु मुके कहाँ चलगैल कैहके ? टब घरके बुजुर्ग मनै कहठैं कि टोर बुडु या बुडी मुके उप्पर चलगैनै टोंरैंमे । यी बात सुन्के ल्का अचम्म मन्टी चिपचाप होजैठैं । का यी बात, हम्रे लरकन ओस्टे फुस्लाइक लग कैहगैल हो या जात्तिसे हम्रे मुके उप्पर चलजैठी टोंरैंमे ? सवाल गहिर ओ जटिल बा । आब तर्क करि कि मनैनके जनम् कैसिके हुइठ कैहके ? जनमसे पैहले हम्रे कहाँ रहि ? जनमसे पैहले ओ पाछेक बात करि ओ जन्ना कोसिस करि कि यी सवाल हम्रहन ठोंरैंसम पुगाइठ कि नाइ ?

सबसे पैहले एक बच्चाके जनमके बात करि । कोइफें प्राणीके जनम बीजके शुरुवातसे हुइठ । बीज उपयुक्त वातावरणमे जनम लैके बारहठ् पौहरठ् ओ अपन जीवन लिला पुरा कर्टि मरजाइठ । यी बात हम्रे सबजहन पटै बा । आब बात आइल कि, यी बीज आइल कहाँसे ? जवाफ आइठ बीज हमार खानपिनसे बनठ । हम्रे जा जैसिन खैठी पिठी उहेसे हमार बीज (Sperm) बनठ । आब बात आइल हमार खानपीन कहाँसे आइठ टो ? सिधा जवाफ बा हमार खानपिन, धर्तीमे फरल फुलल अनाज पानीसे मिलठ । अस्टेके सवाल कर्टी जैबी टो ढर्टी काँसे आइल कना सवालफं आइठ ? यानिकी मिट्टीके सवाल आइठ । मिट्टी कैसिके बनल कना ?

मिट्टी यानिकी धर्ती हमार लग्गेक टोंरैयाँ, सुरजके एक अंश हो । हमार धर्ती दिन यानिकी सुरजके एक टुकरा हो । हमार धर्ती कौनो समय बर्ठि रहल दिन मसे उछिट्के आइल हो । यी समय अन्सार ढिरेढिरे ठन्डा हुइटी गैल । ठन्डा हुइना दौरानमे पानीक बाफ छोरटी सबसे पहिले खरानी बनल । उ खरानी पाछे माटी बनल । टब जाके उहे माटीमे बनस्पति जगतके जन्म हुइल । उ बनस्पति जगतमे फलफुल खेलल ओ उहे फलफुलहे खाइक लग कीरा काँटीन्के जन्म हुइल । उहे कीराकाँटी मन्सेक हम्रे मनुश्य प्राणीफे एक हुई । कीराकाँटी जाजा खैठैं, हम्रे फे उहे उहे खैठी ओ पिठी । फरक अत्रै बा कि हमारठे हुक्रन्से ढेर चेतना बा । हम्रे अपन दाना पानी जोगाइ जन्ठी ओ कीराकाटीन मारे जन्ठी ।

दिन यानिकी हमार सुरज एक टोंरंैया हो । आकाशमे रहल अरबौं खरबौ टोरैंमन्से हमार दिन, एक मध्यम आकारके टोंरैयाँ हो । उहे टोंरैयाँमसे हम्रहन चहना हरमेरके शक्ति (Energy) मिलठ । पेडपौढाहे चहना पानी, (H2O) यानिकी हाईड्रोजन ओ अक्सिजनके समिश्रण उहे टोरैयामे बनठ ।पेडपौढााहे खाना बनाईक लग चहना प्रकाश उहे दिनमसे आईठ । अपन चहना चीजहे पेडपौधाहुक्रे तोरैमसे लेहठै ओ फलफुलके रुपमे संचित शक्तिहे हम्रे अपन खानाके रुपमे लेहठी । अइसिके हमार आधार शीला टोंरैयमसे शुरुवात हुइल बिल्गठ । उहेमारे अपने हम्रे सबजे टोंरैयाके एक अंश हुइ ।

आइ आब डोसर तर्क करि एक विज्ञान रिसर्ज आर्टिकल का कहठ कि हमार मनैन्के जन्म टोंरंैमसे हुइल हो । आकाशमे रहल दिन, जोनह्याँ, टोंरै टुरुगंन ओ हमार शरीर ९७ प्रतिशत एक जैसे बा । ९७ प्रतिशत हम्रे अक्के चीजसे बनल बाटी । हमार शरीर ६५ प्रतिशत भाग अक्सिजन, १९ प्रतिशत भाग, कार्वन १० प्रतिशत हाईड्रोजन ओ ३ प्रतिशत भाग नाईट्रोजनसे बनल बा । टोंरंै हाईड्रोजन ग्यासके तातुल गोला हो । वहाँ हाईड्रोजन, हिलियम, लिथियम नाउँक हलुक ग्याँस दिन रात बर्टि बटंै ओ हलचल मचैटी बटंै । टोरैमसे निक्रल हलुक ग्याँस ढिरेढिरे ठण्डा हुइटी गरु ग्याँस अक्सिजन, कार्वन, नाईट्रोजन, फस्फोरसके रुपमे बन्टी गैनै ओ जटिल रुप लेहटी हमार शरीरके रचना हुइल । हमार खुनमे चहना आईरन तत्वके निर्माण उहे टोरैन्के गर्भमे हुइठ । फोक्साहे चहना अक्सिजन, मासमे रहना कार्वन, हमार हड्डीमे पाजैना क्यालसियम, यी सब टोरैन्के भिटटर बन्ना चीज हुइटंै । हमार सुर्य टो लोहराके एक गरम भट्ठी जैसिन बा । जैसिके एक लोहरा अपन गरम भट्ठीमे लोहाहे पिघाल्के मेरमेरिक औजार बनाइठ, ओस्टेके हमार सुर्य ओ टोंरैंन्के बीचमे जर्टि रहल आगीमे हमार शरीरहे चहना मेरमेरिक तत्वके निर्माण हुइठ ।

हमार शरीर आगी ओ पानी बीचके एक खेल हो । यी दुई चीजके संघर्षके क्रममे हम्रे उत्पन्न हुइल हुइ । सृष्टिके शुरुवातसे यी दुई तत्व बीच संघर्ष जारी बा । जहाँ जेकर अनुपात ढेर बा वहाँ ओकरे जीत हुइठ । आगीहे पानी बुझाइठ, पानीहे आगी भाप बनाके उराडेहठ । हमार शरीर यी डुनु चीजके सहि सहि मात्रा मिल्के बनल एक मेशिन हो । हमारमे ढेर आगी रही टो हम्रहन जारजुरी आजाइ ओ पानीक मात्रा ढेर रहि टो, हम्रहन सर्दी खोंकी लागके हम्रे बेमार परजाब । पानी आगीएके एक रुप हो । जैसिके आगीके एक अंश भाप बन्टी बुट्जाइठ ओस्टेके हमार सुरजफें एक दिन बुट्जाइ ओ धर्तीके स्वरुप ली । वहाँफें धर्ती हस जीवन लिलाके सिलसिला शुरु हुइ । हमारहस प्राणी, वहाँफें जन्म लिहही । वहाँफे सोनचाँदी, हिरामोती ओ खनिज पदार्थके बरे बरे पहार बनी । वहाँफे जनम ओ मृत्युके सिलसिला शुरु हुइ । सृष्टिके चक्र कबु नाइ ओराइ । आझ धर्तीमे, काल्ह दिनमे ओ परांै औरे टोंरैमे कर्टि जीवन आघे बर्हटि रही । फरक अटरै रहि कि ठण्डा ओ गरमके मात्रा काँहा केकर ढेर बा, उहे अन्सार जीवन चक्र आघे बर्हटि रही ।

ठण्डा ओ गरम बीचके संघर्ष हमार चारुओर बा । एक बर्टी रहल आगी बुटजाइठ । एक गरम चायके गिलास ठण्डा होजाइठ । इ क्रम सृष्टीमे अपने आप चलटी बा ओ लगातार चलटी रही । इहे दुई शक्ति बीचके संघर्षसे यहाँ हमार जीवन लिला चालु बा । हम्रे ताप (Heat) उत्पन्न कर्ना एक मेशिन हुइ । जीवन ताप हो कलेसे मृत्यु ठण्डा । हम्रे जिएटसम गरम रहब, मरजाव टो ठण्डा होजाब । इहे तापके बजहसे यहाँ परिवर्तन बा ओ समय बा । जहाँ परिवर्तन नाइ हो वहाँ समयफें नाइ हो । समय परिवर्तन नप्ना एक ईकाई किल हो । एकर अपन अलग्गे अस्तित्व नाइ हो । परिवर्तन खाली जगहमे (आकाश) हुइठ । विना आकाश समयके अस्तित्व असम्भव बा । आकाश ओ समय अक्के चीजके दुई रुप हुइटैं । उहेमारे एकर नाउँ स्पेसटाइम (Spacetime) ढैगैल हो ।

सृष्टीके विनाश ठण्डासे हुइसेकठ काहेकी जीवन कहल परिवर्तन हो । जहाँ परिवर्तन नाइ हो वहाँ जीवन नाइ हो । तापसे कोइ चीजके विस्तार हुइठ यानिकी परिवर्तन हुइठ कलेसे ठण्डासे संकुचन पैदा हुइठ । माइनस २७३ डिग्री सेन्टीग्रेडके तापमे चीज पुरारुपसे जम्के स्थिर होजाइठ । वहाँ कृया पुरारुपसे रुक्जाइठ । विना कृया जीवनफें रुक्जाइठ ।

परिवर्तन सदा गतिशील बा । परिवर्तनहे कोइ रोकेफे नाइसेकी । यी अग्रगामी चरित्रके बा । एकर तीर सदा आघे बर्हटि रहठ । पाछेओर चलना एकर गुण नाइ हुइस । अण्डा फुट्गैल टो फुट्गैल । उ कभी भी जोटके पैहलेक जैसिन हुइही नाइसेकी । बहटु पानी डुबारा लौटके नाइ आइट । उहे पानीमे डुबारा गोरा ढरे नाइ सेक्जाइठ । कोइ दुखद् घट्ना घट्गैल टो घट्गैल । उहिन डुबारा पैहलेक जैसिन कराइ नाइ सेक्जाइ काहेकी समय कहि या परिवर्तन, ओकर तीर सिर्फ आघे बर्हटि रहठ । उ पाछे मुडके नेगे नाइ जानठ । इहे अग्रगामी परिवर्तनके कारण यहाँ जनम ओ मौट बा । जनम ओ मौट सिर्फ परिवर्तन किल हो । इहे परिवर्तन संसारहे चलैटी बा । हमार शरीर बन्ना तत्व लाखौं बरस पहिले परिवर्तन हुइटीहुइटी आझ यी रुपमे आपहुँचल हो । हम्रे टो अणु ओ परमाणुके एक परिमार्जित रुप हुइटी । हम्रे अपन आदिम स्वरुपहे कैसिके जानेसेकब । पहिली बार छुर्पी डेखना मनै, कैसिके जानी कि यी दुध जैसिन नरम चीजसे बनल हो कैहके ?

एक मजबुत कपडा घाँसपात जैसिन नरम रेशादार बनस्पतिसे बनल हो कैहके उ कैसिके जानी, उ नाइ जानल बुझल मनैहे । हम्रेफें अस्टे हुइ । हम्रे अब्बे अपन वर्तमान स्वरुप किल डेखठी । यी स्वरुप कहाँसे आइल ? यहाँ आपुगटसम कौन कौन रुप लेहल कैहके हम्रे कैसिके जाने सेकब । उहेमारे कोइभी चीजहे न्युनतम आधारभुत तहसम हेरे सेक्लेसे किल हम्रे कोइभी चीजहे मजासे बुझे सेकब । हम्रे सुक्ष्म तहसम हेरेबेर हम्रे सब प्राणी ओ बनस्पति जगत एकही तत्वसे बनल बटी अणु ओ परमाणु तत्व । फरक अत्रै बा कि उहे चीज कोइ नरम, कोइ कडा, कोइ आगी, कोइ पानी, कोइ दाल भात तरकारी टो कोइ, अति संवेदनशील हमार हस मानव प्राणी बनगैल । कोइभी वर्तमान चीजहे बुझेक लग ओकर आघे ओ पाछेक स्वरुपहे बुझे सेकेपरठ ।

हम्रे अपने आपहे बुझेक लग हमार भौतिक शरीर निर्माणके साथसाथे हमार चेतना तत्वके सुक्ष्म रुपहे बुझना जरुरी बा । हमार शरीर ओ हमार चेतना निर्माणके स्रोत का का हुइटंै, उ नाइ जानट सम हम्रे सदा कौवाइल पत्ताइल रहबी, दोधारमे रहबी, सदा अलमलमे जीवन जिटि रहबी । परिवर्तन यानिकी मृत्युहे खुद सृष्टि कर्ताफें रोके नाइसेकी काहेकी ईश्वरफें समयसे बाहेर नाइ हो । उ खुद समय संगसंगे आघे बर्हटि बा । उफें समयके धारहे महशुस करटी बा । ईश्वर सृष्टि करे टो जानठ मने सृष्टिहे भंग हुइसे रोके नाइ सेकठ काहेकी परिवर्तन ईश्वरके हाँठसे बाहेरके चीज हो । ईश्वर खुद परिवर्तनसे जुझटी बा । परिवर्तन (समय) ईश्वरके सबसे भारी खोजके विषय हुइसेकठ । यिहे ईश्वरके सवसे भारी चुनौतिफे (समस्या) हुइसेकठ ।

यदि ब्रम्हाण्डमे ठण्डाके मात्रा ढेर बा कलेसे पुरा ब्रम्हाण्ड एकदिन बीग फ्रीज (Big freez) होके फ्रोजन डेथमे (Frozen death नाइ पुगी कैहके कहे नाइसेक्जाइ ओ तापके मात्रा ढेर ठहरी कलेसे हिट डेथमे (Heat death) सृष्टी नश्ट होजाइ । यी दुई तरीकासे सृष्टीके विनाश अवश्य भावी बा । इहिन कोइ शक्ति रोके नाइसेकी ।

वैज्ञानिकन्के एक तर्क आउर आघे आइठ कि यी ब्रम्हाण्डके रचना बहुत भारी धमाकासे हुइलक होे, जिहिन वैज्ञानिकहुक्रे विग व्यांगके (Big Bang) नाउँ डेले बटैं । जस्तेकी एक शक्तिसाली बम फुटठ टो ओकर भिटटरके चीज छिटराके दुरदुरसम पुगठ ओ दुरदुरसम फैलके विनाश करठ । ओस्टेके हमार ब्रम्हाण्डफें एक शक्तिसाली बमके तरह फुटके फैलटी गैल ओ अपन विस्तारके क्रममे आकाश लगायत सबचीजके सृजना हुइटीगैल ओ यी फैलना क्रम अभिनटक जारी बा । विस्फोटसे निक्रल फोर्स (Force) ढिरेढिरे ठण्डा हुइ लागल । ठण्डा हुइटी हुइटी एक दिन वस्तुके स्वरुप लेहे लागल । उ वस्तु गुरुत्वाकर्षण बलके कारण गोल आकारके भारी भारी पिण्ड बने लगनै । कोइ दिन, कोइ जोनहिँया, टोरंै टो कोइ धर्तीके स्वरुप लेहे लगनै । इ क्रम अभिन जारी बा । टोरंै भिटटर फ्युजन प्रकृया हुइठ जिहिसे हाईड्रोजन, हिलियम, लिथियम, बेरिलियम, अक्सिजन, कार्वन, नाईट्रोजन जैसिन तत्व बनठ जौन चीजसे हमार शरीर बनल बा । यहाँ टककी हमार डिएनएके रचनाफें हाईड्रोजन, अक्सिजन, नाईट्रोजन ओ फस्फोरस जैसिन चीजके समिश्रणसे बनल बा । डिएनए हमार शरीर निर्धारणके शुत्र हो ।

टोरंैन्के मौटके बाड यी सारा चीज, ब्रम्हाण्डमे छोरडेजाइठ ओ अपन आघेक सफर शुरु करठ । हम्रहन लागठ, हमार जनम लेनासेही हमार शरीरके निर्माण शुरु हुइल हो । लेकिन बात कुछ औरे बा । असलमे जौन चीजसे हमार शरीरके रचना हुइल बा, उ चीज, आझसे करोडौ बरस पैहले कोइ ना कोइ टोरैन्के गर्भमे बनसेकल रेहे । उ बस अपन यात्रा कर्टि कर्टि हमारठे आपहुचल किल हो । हमार यी दुनियासे जैनाके बाड, फेनसे उ अपन यात्रापर निकरजाइ ओ डोसर चीजके निर्माणमे जुट्जाइ । पदार्थ कभी नश्ट नाइ हुइठ । उ सिर्फ अपन रुप बदलठ । जस्तेकी हम्रे आझ कोइ टोंरंैन्के अंशसे बनल बटी । एक दिन फेनसे हम्रे अपन रुप बदलके कोइ डोसर टोंरंैन्के अंश बनजैबी । सृष्टिमे यी चक्र निरन्तर चल्टी रही ।

विन्ति राम महतो
जानकी-२, खर्गौली, कैलाली

कहाँसे अइली गोचाली कहाँ जाइक लग

विन्ति राम महतो