रमदैयाके अदृश्य कथा

इन्दु थारु
२६ चैत्र २०७९, आईतवार
रमदैयाके अदृश्य कथा

रमदैयाके अदृश्य कथा

रमदैयाके घर पुगेबेर अन्ढार होसेकल रहे । हुँकहान घरक आजरपाजरके घरम बत्ती बरसेकल रहे । रमदैयक् घर भर अन्ढार रहिन । अपन घरक पन्जरे घरक बरल बत्तीक आजरारमे, रमदैया अपन अंग्नम बेरी पकाइटही फुँ फुँ आगी फँुक्टी ।

टीकापुर घटनासे पहिले रमदैयक घर राटीक बेला फें ओजरार रहिन । हुँकहार घरेम फें बत्ती रहिन । काहेकि हुँकहार ठरुवा बत्तीक बिल टिरिन् । मनो टीकापुर घटनाके दोषी करार करटी ठरुवा गिरफ्तार परल बाड हुँकहार घरक बत्तीक तार काटगिलिन । स्कूल परहे जैना हुँकहार तीन छावाछाइ अझकल अन्ढार हुइनासे पहिले होमवर्क ओरवाइ पर्ठिन ।

मोबाइलके टर्च बारके रमदैयक घरक बहरिम बैठ्ली ओ बाट सुरु करली । रमदैयक संग उ बाट हुइल जोन बाट करक लाग कथित सभ्य कहगिल समाजमे बर्जित करगिल बा । यि उहे समाज हो जहाँ आधासे ढेउर जनसंख्या महिलनके बा, मनो उहे महिलनके सत्य कथा पाइपरना ध्यान नैपैठैं । रमदैयक कथा सुनक लाग एक अदम्य साहास चाहठ काहेकि हुँकहान कथा डर लग्टिक बटिन ।

टीकापुरिक आदिबासी थारु महिलाहुक्रे टीकापुर घटनाके बाड दिनरात ओइनके गाउँमे सुरक्षाकर्मीहुक्रे छापा मारेबेर यातना ओ शोषणके सामना करेपरलिन । सुरक्षाके खोजीमे अधिकांश थारु पुरुष भारतओर गैलै टे कोइ आपन नाटपाँटन घर । घरव्यवहार हेरेपरना ओ महिलाके लाग टे सबसे गम्भिर बाट, बालबच्चा स्याहारे परना हुइलक ओरसे महिलाहुक्रे घर छोरे सेक्ना स्थिती नैरहे । घरेम महिला ओ बालबच्चाकिल रहल अवस्थामे, टीकापुर घटनाके अपराधी खोज्ना निहुँमे सुरक्षाकर्मीनके गस्तीके बेला सबसे ढेउर थारु महिला आतंकित हुइलैं ।

सोधपुछके क्रममे अत्यन्त त्रसित ओ आतंककित बनागिल एक पात्र हुइ रमदैया । रमदैया अपन घरक बहरिम ढारल कुठ्ली डेखैटी कहली ओइने (पुलिस) कुठ्ली फुटाडेलंै । कुठ्लीम ढारल ढान, गोहुँ आउर चाउर सक्कु एक्केम मिलाडेलंै । नेपाली बोले अक्को नैजन्ना रमदैया डरैटी अइसिक ना कराडेउ कहिके बिन्ती करली टे ओइनके जवाफ रहिन टोर ठरुवा पुलिस मारल । हतियार कहाँ नुकाइल बा बटा कहटी रमदैयक छातीमे बन्दुक ढरलैं । ओइनके बोलल नेपाली भाषा रमदैया ढेर नैबुझली । मनो ओइने आक्रोश, गरयाइल शब्द, ‘मा तिमी थारुहरु…’ कलक हुकहिन सम्झना बटिन् । रमदैयाके सम्झनामे उ क्षण हुँकहार जीन्गीक सबसे भयानक क्षण हो । ओइने रमदैयाहे ओ हुँकहार लरकन जिन्दा छोरही कना हुँकहिन नैलागल रहिन ।

रमदैयक बाट सुनेबेर आगेक साल बर्दियामे भिख्नीदेवीहे भेट करल याद आइल । उ अक्षर नैचिहिन्ठी, ना नेपाली बोले जन्ठी । माओवादी कलक का हो पटा नैरहिन् । अभिनसमफें एकठो पार्टीक नाउँ हो बाहेक ढेर बाट पटा नैहुइन् । उ टे मजासे माओवादी उच्चारण करेफें नैजन्ठी, ‘माबाडी’ कहठी । मनो हुँकहार श्रीमान माओवादीमे रहिन । टबे हुँकहार घर प्रत्येक बिहान ओ साँझ सरकारी बन्धुकधारीनसे घेरल रहिन । उहिनहे सद्धे पुछजिना प्रश्न रहे टोर श्रीमान खोइ ? हतियार कहाँ नुकाइल बा ? घरभिट्टर हतियार नुकाइल आरोपमे हँुकहार निपल घरेक भुँइया, कोडराले बारी कोरेहस कोरडिइँट । थारु महिलाहुक्रे राज्यके ऐतिहासिक उत्पीडनसंग प्रत्यक्ष सम्बन्ध रहल जीवन्त उदाहरण हुइट रमदैया ओ भिख्नीदेवी ।

रमदैया थारु भाषा बोलेबेर फें ढिरेसे, मलिन स्वरमे बोल्ठि । पुछल प्रशनके जवाफफें ठोरचे वाक्यमे डेठी । हुँकहार बोलीसे ढेर हुँकहार आँश बोल्ठिन । उ अपन भयानक स्मृति सुनाइबेर हँुकहार ढेबर लरबरइठिन् । उ आघात बोकके अभिनसम यातनामे बाँचल रमदैयाहे डेखके मै एकघचिक सोंचमे परगिनु नेपाली बोले नैसेक्ना रमदैया, रातके अन्ढारमे आक्रोश ओ बन्दुकले सपरके आइल पुरुषहुकनसंग कसिक सामना करल हुँइही ?

राज्य प्रायोजित अपराध

२०६२÷ ६३ के जनआन्दोलन पश्चात नेपालके पुर्नसंरचनाके बहस सबसे गहन रुपमे आघे बरहल । गणतन्त्र आइल । धर्मनिरपेक्ष नेपाल बनल । एकिकृत राज्यप्रणालीसे देश संघियतामे गइल । नेपाल बहुत मेरके नयाँ बनल ? थारु महिलनके लाग का नेपाल नयाँ बने सेकल ? नैसेकल ।

शसस्त्र द्धन्द्धके बेलामे भोगल थारु महिलनके भोगाइ ओ टीकापुर घटना बाड भोगल थारु महिलनके भोगाइम का बा असमानता ? रातके समयमे एक महिला केवल पुरुष बन्धुकधारीहुकनसे घेरल बटि ओ उ बन्धुकधारीन आपनहे कुछु फें करे सेक्ना (बलात्कार फें) त्रास उ महिलकमे पैदा हुइठ कलेसे उ (यौन) हिंसा नैहो का ?

२०६२ पहिलेके, विशेष कैके शसस्त्र द्धन्द्धकालके, थारु महिलनके भयानक भोगाइके अन्त्य द्धन्द्ध समाप्तीके हस्ताक्षरसंगे कहाँ हुइ सेकल झे । पुरान राज्य संरचनासे थारु महिला उप्पर करना बर्बरता, २०७२ मे टीकापुरके थारु महिलाके भोगाइमे, बिडम्बना फेनसे जीवित बनके आइल । राज्य प्रायोजित सरकारी बन्धुकधारीनके यातना ओ शोषणसे आधात होके जिटीरहल कैयौं महिलाहुक्रे, उ बर्बर निरन्तरताके गवाही बटंै ।

राज्य अपराधके रुपमे सबसे गम्भीर गैरकानुनी हत्या ओ वेपत्ता परना काम थारु समुदायमे हुइल बा । टीकापुरमे कफर््यु जारी करके उ क्षेत्रके थारु हुकनक घर, पसल, एफ.एम, रिसोर्ट लुटगिल ओ आगी लगागिल । कुछ थारुनके घर जराइबेर, घरक भिट्टर मनैन बन्द करगिल रहे । झ्याल ओरसे भागके वा घर पाछक ढोका ओरसे या अन्य अउरे तरिकासे भागके मनै अपन ज्यान बचैलंै । अइसिक ज्यान बचुइयामे गर्भवती महिलाफें रहिंट । ओहे समयमे डगरिम उपस्थित राज्यके बन्धुकसे सुसज्जित प्रतिनिधहुक्रे मुकदर्शक बन्लंै । सम्भवत मजा लेलंै । मिठ मानके हेरलैं । सायद पुलिसनके हुइल मृत्युके बदला थारुनसे अस्टके लेहे परना सबसे उत्तम उपाय रहिन ओइनके लाग ।

कफर््यु लगाइल अवस्थामे थारुन उप्पर हुइल राज्य आतंकके विषय गैरथारु वृत्तमे सायद बहसके विषय बनल हुइ । थारु समुदाय भिट्रेफें सत्ता समर्थक थारुहुक्रे यि विषय नैउठैनामे ढेर फाइदा डेख्ठैं काहुन, अनौपचारिक भेटघाट बाहेक सार्वजनिक फोरममे यि बाट उठैना हिम्मत नैकरठैं । अभिन आन्दोलनमे करटी बटी कहुइया थारु, थारुनके सम्पत्ति लुटगिल ओ जरागिल विषयमे खुला कार्यक्रम आयोजना करके करिया दिनके रुपमे सम्झना करटी आइल बटैं ।

जात्तिसे थारु महिलनके भोगाइ का रहलिन टे कना बारेमे चासो नगन्य मात्रामे रहल । कफर््यु जारी करके महिलाउप्पर कसिन प्रकारके हिंसा हुइल कना प्रश्नके उत्तर सहजे उपलब्ध नैहो । ना उ महिलनके कथा सार्वजनिक छलफलके रुपमे आघे लानगिल । काहेकि सामाजिक सांस्कृतिक ओ अन्य बहुत कारणसे महिलाहुक्रे अपनउप्पर हुइल उत्पिडनबारे बोले नैसक्ठैं । इज्ऋज्च् के अनुसार ‘सशस्त्र द्धन्द्धके क्रममे बहुत महिला बलात्कृत हुइलैं, तर मुद्धा दर्ता नैकरगिल । यकर मतलब यि नैहो कि यौ हिंसा हुइल नैरहे ।’ ओस्टके बहुत अनुसन्धानले पत्ता लागल बा कि सरकारी लडाकु वा विद्रोही पक्षसे आम महिलनहे दण्ड डेहकलाग यौन हिंसा करना एक सामान्य प्रचलन हो । थारु समुदायके महिला ओ सीमान्तकृत समूहके महिला विरुद्ध राज्य हिंसा लम्मा समयसे बा । ओहे अनुरुप उ महिलाहुक्रे व्यापक ओ लगातार रुपमे प्रभावित हुइटी आइल बटैं ।

द्धन्द्धके अवधिमे हुइल गम्भिर मानवअधिकार उल्लंघनके घटना जस्टे कि हत्या, वेपत्ता पारगिल ओ यातना डेना काम व्यापक रुपमे रिपोर्ट करगिल बा ओ व्यवस्थित रुपमे अभिलेख करगिल बा । यि विषयमे अनुसन्धानफे हुइल बाट । मनो महिलाउप्पर हुइल यौन हिंसाके दस्तावेजके अभाव बा । यिहिनसे यौन हिंसा कबु नैहुइल कना संकेत नैकरठ । राष्ट्रिय तथा अन्तराष्ट्रिय संस्थाहक्रे ओ महिला अधिकार तथा मानव अधिकार जसिन संस्थाहुक्रे बहुत हदसम महिलनके सवालहे वेवास्ता करले बटंै । जबकी महिलाउप्परके यौनहिंसा अभूतपूर्व तहमे रहल रहे । सत्य निरुपण आयोगमे बलात्कार एक सबसे कम रिपोर्ट करगिल अपराध हो । यौन हिंसाके कुछ घटना रिपोर्ट करगिल रलेसेफें, उक्त तथ्यांक यौन हिंसाके महामारीके अनुभवहे समेटे नैसेकल । ओइसिक टे अन्तराष्ट्रिय समुदायसेफे युद्धके यौन अपराधके प्रश्नहे अनुत्तरित परले बटंै । बरु जवाफसे प्रश्न ढेर खडा करल बटैं ।

टीकापुर घटनामे फें थारुनके सम्पत्ति ध्वस्त पारगिल अभिलख ढिरेसे हुइलेसेफें व्यवस्थित करगिल । क्षतिपुर्तिके नाममे कुछ राहत उपलब्ध करागिल । मनो थारु महिलाहुक्रे भोगल कथाव्यथा कहुफे उल्लेख करल नइपाजाइट । यकर मतलब का थारु महिलन्के कौनो भोगाइ नैहो ?

यौन हिंसा विभिन्न रुपमे अनुभव करजाइट, शारीरिक, भावनात्मक वा मौखिक रुपमे । उप्पर कहल जसिन रातके समयमे जब एक महिला केवल पुरुष बन्दुकधारीन्से घेरल रहिहि ओ उ पुरुषहुक्रे अपनहे कुछुफें कराइसेक्ना÷ हुइसेक्ना त्रास उ महिलकमे पैदा हुइट कलेसे उ हर्कत (यौन) हिंसा हो । राज्य प्रायोजित यौन अपराधके चक्रहे टीकापुरसम राज्य निरन्तरता डेहटी रहल । यि किसिमके राज्य आतंक दुर्घटनावश हुइल नैहो । पितृसत्तात्मक संरचना, संस्था ओ पितृसत्तात्मक भ्याल्यूले सम्भव बनागिल राजनीतिक हिंसाके कार्य हो । यकर परिणाम पीडित महिलाहुकनके व्यक्तिगत भोगाइसे ढेर दुरसम जाइट । यि टे पुस्तौंसम हानी पुगाइट ।

द्धन्द्धकालमे राज्य ओ गैर राज्य पक्षसे हुइल गम्भिर अपराधके घटना छानबिन करकलाग बनागिल आयोग सुल्झाइ नइसेकल । सक्कु अपराधके घटना राजनीतिक पृष्ठभूमिके रहे, टबेमारे आयोगफे राजनीतिक तबरले स्वतन्त्र हुय नइसेकल । अपराध उजागर करना पहलमे जो खोट डेखपरल, बरु अपराध नुकैनाओर लग्लंै । अइसिक करेबेर यौन हिंसामे परल महिला सबसे ढेर अन्यायमे परलैं, उ महिला जे आपन उप्पर हुइल हिंसाबारे बोल्ना सहास करल रहंै । राज्य संयन्त्र उ महिलनके अपराधीहे कानूनके दायरामे लाने नैसेकल । अइसिक द्धन्द्धकालके यौन अपराधीहुक्रे पाइल उन्मुक्तिके कारण यौन हिंसाके लाग टीकापुरसम पुगेबेर, राज्यके भूमिका उत्प्रेरकके रुपमे रहल ।

सामाजिक सांकृतिक लान्छाना, असुरक्षा, अपराधी बदला लि कना डर लगायत बहुतसे कारणसे यौन हिंसामे परल महिला कानूनी रुपमे रिपोर्ट करक लाग निरुत्साहित हुइठ । न्याय प्रणाली चलुइयन प्राय यौन हिंसा हुइनामे महिला अपनहे जिम्मेवार रहठैं कना धारणा व्यापक रुपमे ढरले रठैं । यी अवरोधहे पार कैके अपने यौन हिंसाके शिकार हुइल रिपोर्ट महिला का चिजके आडमे करना, जबकी ओइनहे पता बाटिन कि ओइने न्याय नैपइठंै । यी भावना उ बेला आउर भारी विश्वासमे बड्लठ जब हिंसा करनामे सरकारी मनैनके संलग्नता रहठ ।

टीकापुर घटनामे थारु महिलाउप्पर बर्बरता बरसैना काम सुरक्षा बलके कर्मचारी करलंै, जे न्याय प्रणालीके अंश हुइटैं । अइसिन अवस्थामे अपन उप्पर हुइल हिंसाके रिपोर्ट महिलाहुक्रे कहाँ करहि ? जब राज्यके प्रतिनिधिहुक्रे हिंसा करठैं, सर्वसाधारणहुक्रे न्याय मग्ना ठाउँ कहाँ रहठ ? । जब राज्य खास समुदाय लक्षितहोके अपराध करठ, वहाँ कानूनी सुरक्षा प्राप्त करना क्षमता नैरहठ ।

जातीय लिंगीय शक्ति संरचनामेआधारित समाजमे खास समुदाय ओ कमजोर लिंगके रुपमे रहल महिलाउप्पर हो व्यापक अपराध हुइना । द्धन्द्धकालपूर्वके समय हेरना हो कलेसे थारु बस्तीमे जमिन्दार शासकहुक्रे प्रत्यक्ष क्रुर शासन करिंट, ओ थारुनके कमैया कम्लहरी बनाके ढरले रहिंट । उ जमिन्दारी प्रथामे जिम्डरवा थारु गाउँके कौनो फें महिलासंग सुटे (बलात्कार करे) सेके । जिम्डरवक घरम कमैया रहल थारु पुरुष भोज करल पहिल रात अपन जन्नीहे जिम्डरवकसंग सुटे पठाइपरिन् । ओइसिक नैकरलेसे ठरुवाहे सजाय भोगे परिन्, जन्नी जुन बलात्कृत हुइ परिन् । अइसिन नियति भोगुइया थारु कैलाली, बर्दिया लगायतके थारु गाउँमे अभिन जीवित बटंै । तत्कालिन नेकपा माओवादी जनयुद्धके उद्घोष करके जिम्डरवनहे कार्वाही करना सुरु करल बाड जिम्डार शहरबजार (काठमाण्डौ) भागल रहंै । १० वर्षे द्धन्द्धकालमे थारु महिलाउप्पर ओस्टे मेरके निर्मम सरकारी अत्याचार हुइल । टीकापुरमे फेन से ओहे डेखपरल । थारु महिलाउप्पर दण्डहीनताके साथ अत्याचार हुइटी रहल । यि अपमानजनक बाट हो कि राज्य प्रायोजित यौन हिंसामे परल महिलाहुक्रे ओइनहे दुव्र्यवहार करुइयन वा बलात्कार करुइयनहे न्यायके कठघरामे कबुफें ठर्याइल डेखे नैपइलंै ÷नैपइठंै ।

पीडित महिलाहक्रन अट्रा पटा बाटिन कि, पितृसत्तामे आधारित कानून प्रणाली बा, जोन अभिन विद्यमान बा । उ पीडित महिलाहुक्रे अइसिन न्याय प्रणालीमे आपनहे अदृश्य रहल महसुस करठंै ओ बुक्रल बटंै कि ओइनके आवाज सुनुइया कोइ नैहो । ओइनके मुद्धा गम्भिरतापूर्वक सम्बोधन नैकरजाइ । यहाँ विडम्बनाके बाट डोसर का फें बा कलेसे, न्यायके लाग पीडित महिलाहक्रनके मागहे उहे सरकारके सदस्यहुक्रे किल सम्बोधन करे सेकठंै, जे सिपाही परिचालन करले रहे ।

आझ बहुटसे आदिबासी थारु विश्वास करठंै राज्यसंरचना काल्हिक रहे या आझके, यि देशके राज्यसंरचना थारुहक्रनके सुरक्षासे ज्यादा हानि ढेर करठ । थारुहक्रनके राजनैतिक, सामाजिक ओ आर्थिक सीमान्तकरण ओ आदिबासीजनप्रति राज्यके पूर्वाग्रह नीतिके इतिहाससे प्रमाणित करट, टीकापुरसम्म आइपुगटसम सामुहिक रुपमे थारु महिलाहुक्रे हिंसाके शिकार बनल बटैं । समुदाय लक्षित यौन हिंसा अन्य अवसरवादी जस्टे नैरहट कि कि कौनो महिला अक्केली नेंगटी, ओ ओकर फाइदा पुरुष उठाइ सेक्ठंै । राज्य संरचनामे आधारित थारु महिलाउप्परके यौन अपराध राज्य निर्देशित रहे, अपराधमे सहभागी सिपाही टे केवल कर्ता किल रहिंट । महिलाउप्परके अइसिन राज्य आतंक, लैंगिक असमानताहे आउर सुदृढ बनैनामे जोर डेहट ।

टीकापुरके सेलेक्टिभ कथा
राज्य थारुनके आन्दोलनहे आन्दोलनके रुपमे नैलेहल । बरु आन्दोलनकारी थारुनहे आंतककारी कहिके घोषणा करल । आतंककारीनहे परास्त करक लाग डर धम्की, उत्पीडन, गिरफ्तार, यौन हिंसा सक्कु करे बनट । खतरनाक आतंककारी कलह बाड सामाजिक सुरक्षाके लाग खतराके रुपमे खडा करे मिलठ । वर्ग ओ जाती मतभेदके आधारमे पहिलेहेसे सिमान्तकृत रहल व्यक्ति ओ समूहके खुल्लमखुला नियन्त्रण करे मिलठ । थारुनहे आतंककारी घोषणा कैके राजनीतिक भूमिकासे विकृत बनागिल । राजनैतिक सक्कु मागहे आतंकवादीके मागके रुपमे डेखैना प्रयास हुइल । ओ अन्तराष्टिय रुपमे बदनाम करना प्रयास हुइल । काहेकि सत्ता सञ्चालकहुक्रे बुझ्ले बटंै कि आतंकवादी क्रियाकलाप विरुद्ध राज्य आतंकके जसिन कदम उठैलेसे फें वाहवाही मिलठ ।

जस्टे कि,सामाजिक सुरक्षा कायम करना नाउँमे थारु समुदायउप्पर पूर्ण रुपमे सरकारी नियन्त्रण करगिल । सुरक्षाके नाउँमे जातीय लिंगिय कट्टरपन्थी विधिसे राज्य निर्देशित शक्तिशाली आतंक मचागिल । का सुरक्षा कना चिज अन्य केक्रो असुरक्षामे निर्मित हुइना विषय हो ? थारु समुदायहे असुरक्षित बनाके केकर लाग सुरक्षा प्रदान करक खोजगिल रहे ? रमदैया जस्टे कैयौं थारु महिलाहुक्रे सुरक्षाकर्मीसामु असुरक्षित महसुस कहलैं ।थारु महिलानके अनुभवके दृष्टिकोणसे हेरना हो कलेसे सुरक्षाके परिभाषा नैबदले सेकठ ओ ओइनके लाग सुरक्षा, विकृत असुरक्षामे परिवर्तित हइ जाइठ ।

टीकापुर घटनापाछे महिना दिनसम जारी करगिल कफर््युके बेला टे बर्बरता रहे जो, तत्पश्चात लम्मा समयसम थारु समुदाय, सुरक्षा घेराभिट्टर भयभित जीवनयापन करलंै । अट्वारी लग्गे रहे । २०७२ के अट्वारीमे टीकापुर ओ धनगढीके थारु महिलाहुक्रे अग्रासन डेखे समेत नैपइलैं । ओकर बाड डशिया आइल । अन्य समुदाय धुमधामके साथ दशैं मनलंै । उ बरस थारुहुक्रे भर डशिया मनाइ नैसेक्लंै । आन्दोलनकारी थारुहुक्रे ‘करिया डशिया’ कार्यक्रम बनाके एक महिनासम अभियान चलैलंै । टीकापुर लग्गेक कउनो थारु गाउँमे डसियक मन्डरा नैबोलल । थारु महिलाहुक्रे सखिया, झुम्रा नाचे नैपैलंै । घर निपे नैपैलै । मच्छी मारे नैपैलैं । कट्रा महिलाहुक्रे त्रासके कारण घरेम सुटे नैसेकके धान लगाइल खेट्वक बिच्चे रात काटल अनुभव बटिन् । ओइनके अनुभव कहट, ‘अइसिन भयावह स्थिती टे बरु माओवादीके पालामे फें नैरहे । थारुन्के लाग किल कफर््यु टे लगागिल नैरहे ओ छानछानके थारुनके घर टे नै जरागिल रहे ।’

थारु समुदायहे आतंककारी घोषणा करगिलबाड उ (आतंककारी) समुदायके महिलाउप्पर बर्बरता बरसैनाहे वैधानिक बनाइ पाजाइट । सशस्त्र द्धन्द्धके बेला फें माओवादीहे आतंककारी घोषणा करल बाड कुछुफें करना छुट रहे । द्धन्द्धके समयमे थारु कलक आतंककारी (माओवादी) रहिंट राज्यके नजरमे । आतंककारी महिला कहल बाड बर्दियाके गर्भवती सम्झना चौधरी लगायत अन्य बहुट महिलनहे सामुहिक बलात्कार करके गोली ठोकके हत्या करे सेकगिल । राज्य आतंकके अइसिन घृणित कामहे वैधानिक बनाइ सेकगैल ।

सशस्त्र द्धन्द्धके बेला होस् कि टीकापुर घटना, राज्य आतंककारीन्हे खटम करम कहना कलक जातीय ओ लिंगीय राज्यके रक्षा करना कथा किल रहे । यि अभ्यास लावा नैहो । सदियांैसे शासकहुनके युद्ध हिंसा ओ साम्राज्य निर्माणसंग सम्बन्धित अभ्यास रहे । इतिहाससे निरन्तर विरासत बनल शासकहुकनके विभेदकारी नीति महिलाउप्पर अस्टे प्रभाव पारठ ।

कौनो फें समुदायहे आतंककारी बनाइल बाड राज्य आतंकके जसिन फें रुप सम्भव बनाजाइट । थारुहुक्रे प्रहरी मरलंै कहिके हल्ला करटी ओकर बदलामे थारु महिलाउप्पर सरकारी पुरुषत्वके प्रदर्शन का उत्तम विकल्प रहे ? हमार जसिन देशमे जहाँ जातीवाद, सांस्कृतिक रुढिवाद, राजनैतिक साम्राज्यवाद विचारधाराके वेभ वास्तवमे कडा बा । जेकर कारण बहुधु्रव समाज निर्माण हुइट । लिंग, वर्ग ओ जातीय जटिल असमानतामे जडित रहल समाजमे, एकठो समुदायमे राज्यके आतंक प्रयोग हुइटी रहल बेला अभिजात वर्ग ओ समुदाय मुस्कुराइट । अइसिन धु्रवीकृत अन्तरिक्ष बिचके दुरी मेटइना प्रयासरत लराइहे राज्य जबफें आतंककारी डेखट ।

राज्य आतंकसे ग्रसित रमदैया, भिख्नीदेवी, सम्झना ओ ओइनहस कैयौं महिलाहुक्रे भोगल कथा कबुफें पारदर्शी नैहुइल । काहेकि यी महिलाहुकनके कथा, आधिकारिक कहानीहे काउन्टर करठ । यी महिलाहुकनके कथा, घटना वा युद्धके कथामे राज्यके विकृत पहिचान लाने सेक्ना क्षमता ढरठैं ।

महिलाके कथा कबुफें बाहर नैअइना नैहो । महिलनके कथा उ बेला लेखजाइठ, जोन बेला ओइनके कथा राज्यसत्ताहे फाइदा पुगाइठ । राज्यद्धारा समर्थित आतंकहे समर्थन करकलाग ओ ओकर राजनीतिहे वैधता डेहकलाग महिलनके कथा प्रयोगमे लानजाइट ।

महिलाके कथा स्वीकार्य उ बेला हुइठ, जब ओइने देशभक्ति मिशनके सेवा करठैं, जब ओइने राज्यके शक्तिशाली विचारहे सुदृढ परठैं । जब महिलाके कथा ओइसिन करना असफल हुइठ, ओइनके कथा टमान माध्यमसे मौन बनैना प्रयास करजाइठ । ओ उ प्रयास बहुट हदसम सफल बनाजाइठ फें । यि बाट टीकापुरके सन्दर्भसे प्रष्ट हुइठ ।

टीकापुर घटना बाड तयार पारगिल सरकारी कथा, प्राथमिक तरिका बनल थारुनप्रति नाकारात्मक अर्थ उत्पादन करक लाग, थारुन प्रति गलत अभिप्राय ढारक लाग ओ टीकापुर घटना बाड सरकारी कार्यहे वैधानिक बनाइक लाग । उ सरकारी कथा, राजनीतिक शक्तिके प्रतिनिधित्व करठ जोन नितान्त रुपमे शक्तिके आडमे आविष्कार करगिल रहे ।

इतिहाससे चल्टि आइल नेपाली कथाके सम्झना ओ बिसरैना क्रम एकल जातीय पुरुषप्रधान इतिहासहे वैधता प्रदान करठ । ओइनके इतिहासहे वैधता डेहक लाग बिसरागिल सिमान्तकृतहुनके कथा खटरा बनेसेकठ । टबेमारे वास्तविकतासे ठीक विपरित काल्पनिक कथा आविष्कार करगिल । के अभिनेता समावेश करना वा नैकरना ओ किहिनहे कसिक समावेश करना कना बाट बरा कलात्मक रुपमे सम्पादित करगिल ओ टमान माध्यमसे बाहेर लानगिल ।

ओहे अनुरुप टीकापुरके थारु महिलनहे डेगिल यातना वैधानिक बनाइक लाग एकथरि महिलनके आँश छापामे ओ अनलाइनमे व्यापक बनागिल । मानौं महिलनके आँशहे न्याय डेहकलाग थारु महिलनहे यातना डेना आवश्यक रहे । आधिकारिक रुपमे आइल समाचारके कथा, राज्य निकटके महिलनके लाग नयाँ ठाउँ सिर्जना करल कलेसे थारु महिलन्के रोदनहे वेवास्ता ।

राज्य सञ्चालकहुकनके अइसिन गन्दा, विरोधाभासी ओ गोप्य राजनीतिसे मानव अधिकारकर्मी ओस्टके महिला अधिकारवादी हुकनमे समेत हानिकारक प्रभाव परल । नैहो कलेसे, टीकापुरमे कर्पm्युके बेला थारु महिलाउप्पर का का हुइल कना बाट काहे खोजीके विषय बने नैसेकल । युद्ध वा घटनामे हुइना मृत्यु महिलाउप्परके व्यभिचारहे वेवास्ता करलक हो ? सदियौंसे जातीय लिंगिय राज्यके उत्पीडन भोग्टी रहल थारु महिलाहुक्रे अन्वेषणके केन्द्रमे कबु नैपरलैं । ओइनके कथा जन्ना बुझ्ना चेतना ओ इच्छाके अभाव रहे । थारु महिलाउप्पर हुइना राज्य आतंकके कथाबारे सूचना डेना गाह्रो बा काहेकि ओइनके कथा बिरलैं समाचार बनाइठ । बरु ओइनके मृत्युके कथा सुग्घुर सुन मिलठ, तर पीडित महिलाके कथा उपेक्षित होके अभिनसम जीवित बटंै ।

रमदैया ओ हुकारहस कैयौं महिलाहुक्रे अपनउप्पर हुइल व्यभिचारके रिपोर्ट नैकरनामे ओइनके सचेत छनौट से पहुँचके कमीसे ढेउर भुमिका खेल्ले बा । राज्य ओओकर अंग, जस्टे मानव अधिकारवादी संस्था, मिडियासे जइसिक टीकापुर घटना पश्चात थारुन बारे एकपक्षीय गलत प्रचार बाजी हुइल, उहिनसे थारु ओ राज्यहे विपरितार्थ जसिन बनाडेहल । थारुहुक्रे हत्यारा हुइटंै कहटी बहुसख्ंयकके कल्पना शक्तिहे अइसिक पालिस करगिल कि सामाजिक वास्तविकता जन्ना इच्छुकता जागे नैसेकल ।

विडम्बना टे का कलेसे, थारु माहिलाउप्पर का कसिन व्यभिचार हुइल कहनाओर केक्रो ध्याने नैगिल, ध्यान डेना आवश्यक नैठानगिल । दिनभर काम करके परिवारहे खाना खवैना रमदैया ओ हुकारहस कैयौं महिलनक ेश्रीमानके गिरफ्तारीबाड उ महिलाहुक्रे कसिक जीवनयापन करटंै कना बाट खोजीके विषय नैबनल । आँश टे आँश हो, पीडासे निकरना । मनो सजातीयहे समर्थन करना आँश मिडियामे मज्जासे बिक्री हुइल । रमदैया हुकनके आँश ओइनके आँखीमे सुखाइल ।

ज्या होए, औपचारिक कथामे विश्वास करना इच्छुकता राजनैतिक शक्तिहे मजासे चित्रण करठ । औपचारिक कथाके विपरित पर्याप्त ठोस प्रमाणके बाबजुद फेन राज्यके वास्तविक राजनीतिक छलकपट विरुद्ध जइना सहास महिला÷मानवअधिकारकर्मीमे नैहुइलक हो सायद । नैटे ऐतिहासिकतासे थारु महिलाहुक्रे भोग्टी आइल संरचनात्मक हिंसाके विषय विश्लेषणके केन्द्रमे अवश्य पर्ने रहे । ओइसिक हुइ नैसेकल पाछे थारु महिला कौन समयमे का का भोग्लंै ओ कट्रा महिला प्रभावित हुइलैं कना बाटके तथ्यांक हुइना बाटे नैहुइल । महिलावादी साहित्यमे फें थारु महिलाके कथा अटाइ नैसेकल ।

राजनीतिक सम्भ्रान्त ओ पितृसत्तात्मक सम्झौता ः
सुरुसुरुके प्रत्येक भेटमे रमदैया रुइँट । रोइट रोइट आँश फेन सुखाँइट काहुन, अब्बे हुँकार आँखीमसे आँशफे नैझर्ठिन । रमदैया सुनैठी हुँकार ठरुवा साइकिल व्यापार करिन । साइकलमे चिप्स, सुर्ती, चुरोट आदि बोकके गाउँगाउँमे बेचिन् । हँुकार ठरुवा कबुफें आन्दोलनमे नैगैलिन् । ठरुवक् दिनभरके व्यापारसे बिमार रमदैया ओ तीन छाइछावनके पेट भरे परिन् । खेती करकलाग जग्गा नैहुइन । आधा कठ्ठा किल नाउँमे रहल जग्गामे छोट घर बा ओ बँचल ठोरचेमे टिना लगैठैं । रमदैयाके ठरुवा नेपाली भाषा बोले नैजन्ठिन् । हुँकार अत्यन्त सोझ ठरुवा जिहिनहे कबुफें थारुनके आन्दोलनके मतलब नैरहिन्, टीकापुर घटनाके दोषी कहटी गिरफ्तार कैके जेलमे डरलिन् । रमदैया कहठी—‘अन्डोलन करुइयन मन्टरी बनलैं, संसद बनलैं । मोर मनैन जेलम डरलंै ।’

टीकापुरके घटना पश्चात गाउँके थारुहुक्रे दुख पाइबेर, अ‍ेहे समयमे काठमाण्डौंसे आन्दोलनके उद्घोष करुइया थारु नेता मन्त्री बनल ओर रमदैया संकेत करटही । शक्ति आर्जन करकलाग डेमागग नेताहुक्रे थारुन्हे उक्साइल ओ ओकरबाड आन्दोलनके शक्तिहे सर्वाधिक दुरुपयोग करल आन्दोलन हो थरुहट थारुवान, थरुहट थारुवान (टीकापुर) आन्दोलन ।

स्वभाविक रुपमे सामान्य मनै युद्ध करक नैचाहठंै । गरीब ओ मध्यम किसानहुक्रे आपन ज्यान जोखिममे डरनासे फें खेटुवामे काम करक रुचैठैं । मनो नेताहुक्रे हुइटंै जिहिनहे नीति निर्धारण करकलाग जनतनके साथ चहठिन ओ जनतनहे सपना डेखाके अपनहोर टन्ठैं । अब्बेके राजनीतिमे साझा धारणा यि बा कि जनता ओ पार्टीके नाममे राजनीति व्यक्तिगत हइटी गैल बा । ओहे अनुरुप थारु भिट्टरके राजनीतिक सम्भ्रान्तहुँक्रे ग्राउण्डमे रहल थारुनहे कसिक प्रयोग करठंै कहिके एक गतिलो उदाहरण बनल टीकापुर घटना । १० वर्षे जनयुद्धसे यि क्रम निरन्तरता पाइल बा । थारुवान स्वायत्त राज्यके लाग हजारौं थारुहुँक्रे अपने जीवन आहुटी डेलैं, हजारौं वेपत्ता पारगिलैं, कटरा थारु महिला बलात्कृत हुइलैं ओकर कौनो लेखाजोखा नैहो । थारुवान राज्य प्राप्तीके लराइ लरक लाग हौस्यइना युद्ध नायक ओ उहे नायकके कपारिक मोल लगुइयन आखिर कागजी सम्झौतामे हस्ताक्षर करटी मेलमिलाप करलंै । थारुहुकन टुक्राटुक्रा, कैँयौ टुक्रा परलंै । एकपटक सत्ता पुग्ना उद्देश्य पूरा हुइलबाड जनयुद्धमे ‘वीर क्रान्तिकारी’ कहगिल थारु, राजनीतिक क्षमता नैहुइल थारुमे परिणत करगिलैं । टबोफेन थारुहुकनके ऐतिहासिक भूगोलहे विभाजित करुइया नायकहुकनके राजनैतिक कमैया बन्टीरलैं थारु सम्भ्रान्तहँुक्रे ।

१० वर्षे लराइसे प्राप्त करे नैसेकल थरुहट थारुवान प्रदेशके लाग पुन आन्दोलनके उद्घोषकरगिल रहे । उ आन्दोलनमे उल्लेख्य मात्रामे महिलाहुकनके सहभागिता रहे । चरम उत्कर्षमे पुगल थरुहट आन्दोलनमे टीकापुर घटनापाछे केवल मन्त्रीपदके लाग कुछ थारु नेताहुक्रे सम्झौता करलैं । यिहीसे संकेत करट कि राजनीतिक सम्भ्रान्तहुक्रे चाहे जोन दलिय विचार वा जातीय समुदायहे प्रतिनिधित्व करिंट, ओइने रमदैया जसिन निम्नवर्गिय हुकनके सवाल कबुफें उठे नैडेठंै । बरु सारा शक्तिके दुरुपयोग करके ओइनेहे फसैठैंै, रमदैयाके श्रीमानहे फसाइल जसिन ।

केन्द्रसे (काठमाण्डौ) आन्दोलन करे उक्सैना थारु नेतन्मे नैतिकता रटिन कलेसे थारु महिलाउप्पर हुइल दमनके विरुद्ध वकालत करटैं, ओइनके न्यायके लाग आवाज बुलन्द बनैटैं, कुर्सीसंग थारु समुदायके मुद्धा नैसट्ने रहिंट । थारु आन्दोलन डबाइ खोजुइया गैर थारु सम्भ्रान्त ओ थारु आन्दोलनके नेतृत्व करुइया थारु सम्भ्रान्त, आखिर टीकापुर घटनाबाड काठमाण्डांैमे कागजी सम्झौता करलंै । ग्राउण्डके थारुहुकन अपराधी करार करलैं ।

थारुहुक्रे मुक्तिके आश करल सक्कु आन्दोलन सम्झौतामे ओराइल । उ सक्कु सम्झौता पितृसत्तात्मक सम्झौतामे आधारित रहे । ओ उ आन्दोलनके अगुवाई पुरुषहुक्रे नैकरल रहिंट । अभिजात वर्गके (चाहे जोन जातके हुइलेसे फें) पुरुषप्रधान सम्झौतामे जडित सम्झौताके बुदाँमे महिलाके सवाल कबुफें इंकित नैकरगिल । यि प्रकारके सम्झौतासे विपरित गतिशील यात्रा हुइठ ।

इन्टर सेक्सनालिटीमे थारु महिला
राज्यसे कालसे आजसम थारु महिलाउप्पर करटी आइल बर्बरतासे नेपाली राजनीतिके नक्शा क्लियरली परिभाषित करठ । शक्तिमे रहलहुकनके अक्षरसे सजातीयहुकनके कथा किल लेखल ओ बोलल । महिला अधिकारवादी आवाज फें महिलनके विविधताहे सीमान्त बनाइल । थारु लगायत अन्य सीमान्तकृत महिलाहुकनके यौन उत्पीडनके कथा साहित्यमे अदृश्य बनागिल । महिलाबीचके इन्टर सेक्सनालीटी बुझकलाग अपराधी मानसिकताके व्यक्तिले करना अपराध ओ राज्य प्रायोजित अपराधके अनुभवबीच भेद छुटयइना आवश्यक बा । नैटे सीमान्तकृत महिलाहुकनके कथा मौन हुइटी रही, थारु महिलनके कथाहस ।

रमदैया आपने थारु हुइलकमे ओ खस नेपाली बोले नैजन्लकमे बजार गैल बेला हेप्वा पाइल कथा सुनैली । कटरा हो कटरा पटक, उ गने नैसेक्ठी । हुँकार अनुभवमे परम्परागत समाजमे महिला होके जन्मल ओरसे घरेम जबफेन महिलनके काम करेपरलिन । मनो आपने घरेम भर कबुपेंm हेप्वा नैपैली । श्रीमानसंग कबुकाल झग्रा परलेसे फें अउरे कुछ अपशब्द कहल हुइहिन मने ‘टै थारु’ कहिके कबु नैगरैलिन । मने अपने घरभिट्टर पहिल पटक ‘तिमी थारुहरु… मा थारुहरु… ’कहिके टीकापुर घटनाबाड उहिनहे सुने परलिन सिपाहीहुक्रे गस्तीमे आइल बेला । यिहिनेसे उद्द्धत हुइट कि वर्ग, लिंग ओ जातीयताके श्रेणी कटरा उच्चस्तरमे रहल बा ।

अउरे बाट, टीकापुर घटनाबाड थारुनके घरमे किल काहे छापा मारगिल कहिके रमदैया प्रश्न करठी ? उक्त घटनाके कौनो छानबिन बिनानै थारुहुक्रे अपराधी हुइँट कना फैसला कसिक सम्भव हुइल ? थरुहट थारुवान संघर्ष समितिके आन्दोलन रहे, थारुनके किल नैरहे । हो, आन्दोलनमे थारुहुक्रे व्यापक सहभागी हुइलैं । तर कानूनी राज्यमे कानून मिचके ओ थारुहुक्रे जो अपराधी हुइँट कना धारणाके आधारमे किल थारुनहे अपराधीके बिल्ला भिराइ मिलट ? अनि सुरक्षाके नाउँमे थारु समुदायके लाग किल कफर््यु लगाइ मिलट ? रमदैया भले खस नेपाली बोले नैजन्ठी । यकर मतलब उ विभेद महसुस करे नैसेक्ठी कना नैहो । उ प्रश्न करे नैसेक्ठी कना नैहो । हुँकार भिट्टर निहित आदिबासी ज्ञान बटिन् ओ उ महा अर्गानिक बटिन् । राजनैतिक आडमे सम्पादित विकृत समाचारसे बहुत आकर्षक ।

कौनो कथा कसिक विघटन करजाइठ ओ सामाजिक राजनैतिक रुपमे कसिक अयोग्य बनाजाइठ कना वास्तविकताके सबुत हुइट राज्य आतंकसे पीडित थारु महिलाहुँक्रे । छनोटकर्ताके व्यक्तिगत ओ सामूहिक विचलनसे थारु महिलाउप्पर करगिल ज्यादतीके शैली, चरित्र ओ कथानक, कौनो चिजके प्रस्तुती नैकरठ । बरु राजनीतिक शक्तिहे पोष्ना एकल कथा एकढंगिय रुपमे प्रस्तुत हुइल । एकल कथा प्रस्तुती, शक्ति प्रयोगके बलगर उपकारण हो । यि खास कथामे कोन अभिनेताहे कसिक समावेश करना ओ समावेश नैकरना कना बाटहे सीमित बनाइठ । जसिक टीकापुरके घटनाबाड सरकारी कहानी निकट महिलनके जीवनहे गम्भीरताके साथ लेगिल, ध्यानपूर्वक सुनगिल ओ गहिरके लेखगिल । यि प्रकारसे एकल कथामे किल जोर डेना कलक अपनेमे एक प्रकारके हिंसा जो हो ।

टीकापुर घटना (भदौ ७ गते) के चर्चा जोरतोरके साथ हुइल, मनो भदौ ७ आघेक ओ पाछेक घटनाहे सूचना प्रसारके माध्यमहुक्रे महत्व नैडेलंै । जब कि टीकापुर घटनाहे सम्पूर्ण रुपमे बुझक लाग उक्त घटना पूर्व ओ पाछेक घटनाहे बुझ्ना जरुरी बा । ओम्नेफें महिलाके भोगाई एक अत्यन्त छुटाइ नैहुइना सवाल हो ।

रणनीतिक हिसाबले राज्य संचालकहे फाइदा हुइना औपचारिक सरकारी प्रवचनदर्शकसम पुगागिल । तर अपनेहे गठन करल आयोगसे तयार करगिले टीकापुर घटनाके रिपोर्ट अभिनसम नुकाके ढारगिल बा । जट्राफें औपचारिक सरकारी कथा बाहेर सुन्नामे अइलेसे, सक्कु वर्णन स्वभाविक राजनीतिक रहे । कौन वर्णनसे किहिनहे कसिक फाइदा पुगाइठ कनो विशेष संस्करणमे सिर्जना करगिल । जटराफें प्रवचन तयार करगिल रहे, महिलाके भोगाई कहुँ फें समावेश नैकरगिल । कौनो फें घटना÷कथाके एकसे ढेर पोइन्ट हुइ सेक्ना बाटमे कोइफें ध्यान नैडेहल ।

थारु महिलाहुँक्रे अपने समाजके फें शिकार बन्लंै । द्धन्द्ध पश्चात थारु समुदायके शहिद, वेपत्ता, घाइतेके बारे जटरा बहसके विषय बनल, थारु महिलाउप्परके यौन हिंसाके विषय ओटरा ध्यान नैपाइल । टीकापुर घटना पश्चात फें अपराधी खोज्ना नाउँमे राज्यसे थारु महिलाउप्पर बर्सागिले बर्बरताके वेवास्ता ओ कफर््युके बेला थारुके सम्पत्ति जरागिल विषय किल उठाजिना, यि डुनु दृष्टिकोण पुरुषत्व विचारधारासे निर्देशित बटंै ।

अन्त्यमे, थारु महिलाउप्पर हुइल अभिनसमके संरचनात्मक हिंसाहे गम्भिरतापूर्वक लेना ओ पहिचान करना जरुरी बा । काहेकि यि केवल थारु महिलाके मुद्धा किल नैहो । यदि थारु महिलाके सवाल ध्यानपूर्वक नैसुनजाइ ओ समाधान नैकरजाइ कलेसे यि समस्या सक्कु महिलनहे आइसेकी । महिलाउप्पर राज्य आतंक हुइना समाजहे शान्तिमय मन्ना कररा बा । द्धन्द्धकाल पश्चात हुइलेसे वृहत शान्ति सम्झौतासे बन्दुक चुप लग्लेसे फें महिलाउप्पर संरचनात्मक हिंसा जारी रहल । राज्य आतंक भोग्ना अत्यधिक महिलामध्ये वास्तवमे सहासी ठोरचे महिलाहुँक्रे रहठंै जे आपन कथा अउरे जनहन सुनाइ सेक्ठैं रमदैयाहस । ताकि ओइनके कथा राज्य आतंकके गवाही बनेसेके ओ राज्यके विकृत अनुहार चिन्हैनामे सहयोग पुगे ।

महिलाउप्पर हुइना संरचनात्मक हिंसाके एक जल्दोबल्दो उदाहरण हो टीकापुर घटनाबाड थारु महिलाउप्पर हुइल राज्यके बर्बरता । टबेमारे एकल कहानीमे विस्वस्त हुइनासेफें टीकापुर घटनाहे सही ढंगले बुझक लाग महिला दृष्टिकोणसे हेर्ना बहुत आवश्यक बा । यिहिनसे थारु महिलाहुक्रे भोगल आघातहे ठिक परना अवसर ओ नयाँ राजनीतिक अन्तरदृष्टि प्रदान करेसेकठ ।

महिलाउप्पर हुइना संरचनात्मक हिंसामेके व्यक्ति सामेल हुइल, के निर्देशन करल, केकर सरकार रहे कना विषय सहायक बाट हुइल । थारु महिलाउप्पर हिंसा हुइना कलक राष्ट्रिय पूर्वाग्रह हो । द्धन्द्धकालमे आम मनैन उप्पर हुइल बर्बरताके लाग ना टे औपचारिक रुपमे सरकार माफी मागल, ना टे युद्धके नायकहुँक्रे ।

पीडितहुकनहे क्षतिपूर्ति डेना ओ राज्य आतंकके लाग राज्य संचालकहुक्रे माफी मग्ना जो समस्याके आधारभूत समाधानके विकल्प हो । सरकार सञ्चालकहुँक्रे अपनेहे कफर््यु जारी करल बेला थारुनके घर, पसल जरेबेर रमिते होके हेरुइया ओ सुरक्षा प्रदान करना नाउँमे थारु समुदायहे (विशेष महिलनहे) असुरक्षित बनैना कलक सरकारी अपराध हो । अइसिन मेरके सरकारी बर्बरताके लाग राज्य संचालकहुँक्रे थारु समुदायसे आम रुपमे माफी मागे परठ ।
इन्दु थारु
कैलाली

रमदैयाके अदृश्य कथा

इन्दु थारु