‘पुरान गीत हमार संस्कार, भासा, कला, साहित्यसे जुरल बा’

राजु चौधरी
२८ चैत्र २०७९, मंगलवार
‘पुरान गीत हमार संस्कार, भासा, कला, साहित्यसे जुरल बा’

‘पुरान गीत हमार संस्कार, भासा, कला, साहित्यसे जुरल बा’

कैलाली जिल्लाके कैलारी गाउँपालिका वडा नम्बर ३ भररी कैलालीके गायक राजु चौधरी, थारु गायक मध्ये एक हुइँट । सुमधुर स्वर, कला, गला खानी राजु चौधरी ‘राज’ २०३९ साल चैत महिनाके १२ गते बाबा बेचन चौधरी ओ डाइ रामकुमारी चौधरीक् कोखसे इ धर्तीमे गोरा टेकलैं । थारु लोकगीत ओ आधुनिक गीत गाके सांगीतिक क्षेत्रमे चर्चित गायकके रुपमे स्थापित हुइल बटैं ं। अब्बेसम उहाँके ५ दर्जनसे ढेर थारु ओ नेपाली गीत गासेक्ले बटैं । इहे क्रममे सागर कुश्मीसे करल छोटमिठ बातचित यहाँ प्रस्तुत कैल बा ।

१.अप्ने गायन क्षेत्र ओर कहियासे लगली ? गीत गैना आशिर्वाद कहाँसे मिलल ?
मै गायन क्षेत्रमे २०५८ साल ओरसे लागल हुइटुँ । महिन गीत गैना प्रेरणा हमारे गाउँक् संघरिया स्व. गायक पतिराम चौधरीसे मिलल । उहाँक् आशिर्वादसे मै गायन क्षेत्रमे पहुँरटी गैनु ।

२.अप्नेक बाल्यकाल कैसिक बिटल बटा दिना ? जिन्गीमे सबसे यादगार पल कुछ बा, जौन कबुनै भुले सेक्ना ?
मोर बाल्यकाल कलेसे सामान्य रुपमे बिटल । खासे हाइफाइ फें नैरहे । खासे एक्दम कमजोर अवस्था फें नैरहे । जिन्गीमे यादगार पल टे बहुत बा । ओम्मेसे सबसे यादगार सबसे पहिला गीत रेकर्ड करेबेरके याद आइठ । बिसराइ नैसेक्ना कलक मोर घाँतीक अप्रेसन हुइबेर बात महिन ढेर स्मरण कराइठ ।

३.अब्बेसम थारु ओ मिलाके सक्कु कैठोसम गीत गासेक्ली ? कौन कौन एल्बम बजारमे लान सेक्ली ?
अब्बेसम सक्कु कैके बहुत गीत गासेक्ले बटुँ । नेपाली कभर कुल सक्कु गन्लेसे टे ढेरे हुइ । ५० ठो कट्जाइ । अभिनसम मै आवाज डेहल एल्बम असरक डगर, मोर चम्फा फुल्वारे, सोला सिंगार, रोजल दुल्हनियाँ लगायत टमान एल्बममे गीत गासेक्ले बटुँ ।

४.गीत संगीत क्षेत्रमे लागके का पैली ओ का गुमैली ?
गीत संगीतमे लागके मै सबथोक पैनु । दर्शक श्रोता हुकन्के मैंयाँ । ओहे हो मोरिक सबसे भारी कमाइ ओ कुछ गुमाइलहस टे नैलागठ अभिनसम ।

५.अप्ने सक्कु मेराइक गीत गाइल डेख्जाइठ । खास कैके कसिन गीतहे प्राथमिकता डेठी ? खास कैके कैसिन गीत मन परठ ?
हजुर मै सक्कु मेराइक गीत गैठँु । गीत कना सक्कु मेरिक मन परठ । मने मोर सांगीतीक यात्रा सांस्कृतिक गीतसे सुरुवात हुइलेक ओरसे पुरान पुख्र्यानी गीतहे प्राथमिकता डेठँु । काहे कि पुरान गीतमे हमार संस्कार, भासा, कला, साहित्यसे जुरल बा ।

६.अपन गाइल गीत मध्य सबसे मन पर्ना गीत कौन हो ?
मोरिक गाइल गीत टे महिन सक्कु मन परठ । अपन सन्तान सकुहुन्के मैंयाँ लागठ । मने मोर मन छुना लेहंगा फरियम् डेख्ठुँ टुहिन कना गीत हो ।

७.गीत गाके यहाँसम पुगसेक्ली । इ समयमे कैसिन कैसिन दुख, समस्या, बाधा अड्चन आइल ?
गायान क्षेत्रमे यहाँसम पुगक् लाग बहुत दुख कैले बटँु । सुरुवाती दिनमे अब्बेहस प्रविधि नैरहे । गीत गैना सजिल वातावरण नैरहे । आर्थिक रुपमे फें सब्बल नैरहि । महिनाके आठ सौ रुपियामे काम कर करके घरेसे ४÷५ घन्टा साइकिल चलाचला हम्रे गीत रेकर्ड करे अतरिया पुगि । घर परिवारसे खासे सहयोग नैरहे । बहुत दुख कैके आझ यहाँसम पुगल बटुँ ।

८.एक्ठो सफल गायक बनक लाग का का करे परठ ?
एक्ठो सफल गायक बनेकलाग लगनशील, मेहनत, अनुशासन, धैर्य हुइना एक्दम जरुरी बा । हारेस नैखाइ परठ एकदिन जरुर सफलता हाँठ लागठ । हरेक मनैंनमे धैर्यता हुइ परठ ।

९.गायन बाहेक आउर कहोंर समय बिटाइटी ?
गायन बाहेक अझकल मै धनगढी मोतीचोकमे राज सपिङ्ग प्वाइन्ट छोटमोट रेडिमेड कपरा डोकान चलैठुँ । ओ डाइ बाबनहे गाउँमे खेतीपातीमे सहयोग करठुँ ।

१०.मनैंनके जिन्गीमे गीत संगीतहे कैसिक परिभाषित कर्ठी ?
मनैनके जिन्गीमे गीत संगीत एक्ठो मन हल्लुक कैना डवाइके काम करठ । हरेक मनैं जबजब दुख पिरमे रठैं टबटब गीत संगीत सुन्ठैं । मन बहलैना आधार हो । काहेकी मनैनहे खुशीमेफें गीत संगीत चहठिन दुखमेफें गीत संगीत चहठिन ।

११.अब्बे थारु भासा गीत संगीतके अवस्था कैसिन बा ? कौन कौन मेरके गीत बजारमे आइटा ?
अब्बे थारु गीत संगीतके अवस्था बहुत मजा बा । पहिलेसे बहुत आघे बर्हसेकल बा । मने विकासके संगे विकृतिफें बा । संस्कुति नाउँमे गलत गलत गीतफें आइटा । ओ सक्कुजे असिन नैहुइटैं बहुतसे हमार सांस्कृतिक गीतहे नयाँपन फें डेले बटैंै । उ फें मजा बात हो । लकिन आधुनिक जबाना बा कटिकिल हमार पुरान चिजहे पुरा पुरा बिगर्ना मजा नैहो । जस्ते झुम्रा हो टे झुम्रा बनाइ । नैकि झुम्रा के नाउँमे औरे चिज नाही । समग्रमे कहबी कलेसे बहुत आघे बर्हल बा । गाउँ घरमे थारु गीत बाहेक औरे गीत नैसुन्जाइठ ओत्रा । इ हमार गौरबके बात हो ।

१२.अन्तमे कुछ बाँकी बा कि छुटल बात ?
अन्तमे मोर सक्कु कविला हुकन अत्रे कहना बा आझ सम मोर गीत सुनके हेर्के महिन जस्ते मैंयाँ डेटी आइल बटी आब अइना दिनमेफें अस्टे मैंयाँके आस बा । ओ अपनेनके टिम निरन्तरता चल्टी रहे । धन्यवाद ।

‘पुरान गीत हमार संस्कार, भासा, कला, साहित्यसे जुरल बा’

राजु चौधरी