थारु महिलनके अप्रत्याशित बहिष्करण

इन्दु थारु
२८ चैत्र २०७९, मंगलवार
थारु महिलनके अप्रत्याशित बहिष्करण

थारु महिलनके अप्रत्याशित बहिष्करण

महिला असमानताके बारेमे महिला मुक्ति आन्दोलन बहुटसे सिद्धान्त उत्पादन करले बा । ढेउर जइसिन यौनवादके प्रभावके बारेमे किल ध्यान केन्द्रित करले बटंै । हमार समाज यौनवाद ओ जातीवादके मिश्रित जटिल समाज हुइलक ओरसे लैंगिक ओ जातीय डुनु कारणसे हुइना भेदभावके विषय समोटे परना आवश्यक बा ।

यि लेखमे थारु महिलाहुकनके उत्पीडनके दुई धारणाके बारेमे प्रतिबिम्बित करना प्रयास करले बटँु । जम्ने पहिल प्रमुख कारण हो लैंगिकता । जहाँ थारु महिला, महिला हुइलक कारण अपन घर ओ अपन समुदायमे बहिष्करणमे परठंै ÷पारजिठंै ।

डोसर प्रमुख कारण हो जातीयता । यि सत्य हो कि, जातीवादके उत्पीडनमे थारु महिला ओ पुरुष डुनु परठंै । जातीय समाजमे डुनु जनहक संयुक्त बहिष्करणके कारण ओइने संरचनात्मक रुपमे समान अधिनस्थ समूहमे परठंै । यद्यपी महिलाके हकमे, थारु हुइना ओ महिला फें हुइनाके उत्पीडनके अनुभव फरक रहठ । सामाजिक बहिष्करणमे पुरुष जातीवादके सामना करठंै कलेसे महिलाहुक्र जातीवाद ओ यौनवाद डुनुके अवरोधक अधिनमे रहठैं ।

थारु समाज भिट्टर बहिष्करण

थारु महिलनहे, महिला हुइलक कारण घरभिट्टर हुइना सक्कु प्रकारके लैंगिक असमानता भोगक परठिन । परम्परागत समाजमे घरायसी काममे महिला पुरुषके क्रियाकलाप अविभाज्य रुपमे रहठ । जस्टे कि, महिलाकिल खाना पकाइ परना, सक्कुहुनके खाइल डुठाइल भारा ढोइ परना, प्रजननके अधिकार महिलनमे निहित नैरहना ओ बच्चा जन्मैना मशिन बने परना, परिवारके सक्कु सदस्यहुकनक ध्यान ढारे परना आदि इत्यादि । अइसिन परम्परा अन्तर्गत महिलाहुकन विशेषत डाइ ओ गृहिणीके रुपमे ओइनके प्राथमिक भूमिकाहे जोर डेहठ ।

पितृसत्तासे निर्माण कइगिल सक्कु असमान नीति नियम ओ रीतिथितिमे थारु महिला बान्ढगिल रठैं । घर भिट्टरके काममे विशेष ध्यान कन्द्रित कैके एक पितृवादी स्त्री आदर्श दर्शइना, थारु महिलाके नियति बनल रहठ । घरेलु काममे महिलाके प्रतिनिधित्व रहठ, जोन केवल कामचलाउ नैरहठ । शतप्रतिशत रहठ । अट्रा कैके फें घरेम महिला पुरुषके समान हैसियत नैरहठ । केवल पुरुषके प्रभुत्व रहठ । महिलाहुकनके ढेउर घरेलु कर्तव्य हुइलक ओरसे सार्वजनिक क्षेत्रमे ओइनके संलग्नता ओ सहभागिता जटिल बनाइठ ।

बहुसंख्यक महिला, महिला अधिकार ओ स्वतन्त्रताके विषय नैबुझठंै । मनो ओइनके बुझना भाषामे ओइनके स्वतन्त्रताबारे पुछलेसे ओइनके जवाफ रहठ–‘ठरुवा से बिन पुछले लैहर फें जाइ नैसेक्ठी ।’ निर्णय प्रक्रियामे महिलन्के नगन्य भूमिकाके बलगर उदाहरण हो यी जवाफ । पुरुषहुकनके हकमे अइसिन नैहुइठ । पुरुष जहाँ फें निष्फिक्री जाइ सेक्ठंै । कहँु जाइक लाग या नैजाइक लाग महिलाके अनुमति आवश्यक नैरहठ । मनो महिलनके लाग पुरुषके अनुमति अनिवार्य रहठ ।

थारु समाजके सार्वजनिक क्षेत्र पुरुष मामदण्ड अनुसार संगठित बा । जहाँ पितृसत्तात्मक मूल्य प्रणालीसे लैंगिक भूमिकाहे नियन्त्रण करले रहठ । थारु समुदायके सार्वजनिकक्षेत्रमे लैंगिक भूमिका स्पष्ट रुपमे प्रतिबिम्बित हुइल डेखे सेकजाइठ ।

थारु समाजके अगुवाइ करना सक्कु पदमे पुरुषहुकनक हालीमुहाली रहठ । गाँउके अगुवा भलमन्सा ओ बरघर बन्ना अवसर महिलाहुक्रे कब्बु नैपैलैं । भलमन्सा बरघर छन्ना प्रक्रियामे महिलाहुकन सहभागिता नैकराजाए । अब्बेक समयमे थारु गाउँमे महिलाहुक्रे भलमन्साके जिम्मेवारी पैले बटंै । जोन सकारात्मक बाट हो । यद्यपी यी जिम्मेवारी बहन करनामे यी महिलाहुक्र कट्रा स्वायत्त बटैं, उ डोसर खोजके विषय बने सेकठ ।

थारु समाजके सामाजिक सांस्कृतिक विकास पुरुषहुकनके प्रभुत्व रहना मेरके निर्माण हुइल । समाजके हरेक नेतृत्व करना तहमे पुरुष नेतृत्वके किल कल्पना करगिल । जेकर कारण पुरुषहुक्रे किल सम्मान पैलैं । शक्ति ओ अख्तियारमे ओइनके किल पहुच रहे पुगल । डोसरओर महिलाहुकनके सम्मान, शक्ति, श्रोत ओ अधिकारके इन्कार हुइटी गइल । ओक्रे उदाहरण हो, थारु समाजके नेतृत्व करना हरेक पद जस्टे भलमन्सा÷बरघर, चिरक्या, गुरुवा, बैडवा सक्कुमे पुरुषहुकनके एकल वर्चस्व रहल । सार्वजनिक जीवनमे महिला पुरुषके यी मेरके विभेदक सहभागिताके कारण लैंगिक असमानताके मोडेलके विकास हुइटी गइल ।

उप्परके उदाहरणसे स्पष्ट डेखजाइट कि, एकल लिंगिय सत्ता सञ्चालनके लाग ऐतिहासिकतासे बहुट मेराइक व्यायाम चल्टी आइल बा । ज्ञान, शक्ति ओ सक्कु श्रोतमे असमान पंहुच उत्पन्न हुइटी आइल । जेकर कारण लैंगिक समाज निर्माणमे सहयोग पुग्टी गइल । लैंगिक समाजमे महिला ओ पुरुषके सम्बन्ध सहअस्तित्वके नैरहठ । प्रभुत्व ओ अधिनताके रहठ । यि मेराइक सम्बन्धसे थारु समुदाय डुर नैरहे सेकल । जेकर कारण थारु महिलाहुकनक सामाजिक बहिष्करण समाजमे प्रतिबिम्बित हुइटी गइल । अस्टके थारु समाजके प्रत्येक व्यवस्थित सामाजिक व्यवस्थाहुक्रे सार्वजनिक क्षेत्रमे महिलाहुकनक बहिष्करणके निरन्तरताके लाग संस्थागत सहयोग पुगैटी गैलैं ।

थारु समाज बाहेर बहिष्करण

आपने समाजमे विभेद भोगे परल थारु महिलाहुक्रे, बाहिरी समाजमे दोहोरो विभेदके शिकार बने परठ । ‘महिला हुइना उ फें थारु समुदायके हुइना’ के कारण भोगे परल अद्धितीय भोगाइ मेनस्टिम मे रहल महिलावादी साहित्यफें थारु महिलाहुकन समेटे नैसेकल ।
राजनीतिक पार्टीमे थारु महिलाके प्रतिनिधित्व आउर दयनिय अवस्थामे रहल बा । ओट्रा किल नाही, थारु महिलाहुकनक प्रतिनिधित्वके सरोकारके बारेमे सार्वजनिक छलफले नैहुइट कलेसे फें हुइट ।

कौनो फें राजनीतिक पार्टीके निर्णायक तहके भूमिकामे महिलाहुकन डेखे सेकजिना आझसमफें सम्भव नैहुइल हो । टबो फें राजनीतिक अवसर पैना मामलामे कथित पहाडीया मुलके महिलाहुक्रे फ्रन्टलाइनमे रहठैं । बिगतमे टे नैहुइल, मनो संघीय संरचनाके नयाँ नेपालमे फें थारु महिला एक जाने फें स्थानीय तहके प्रमुख हुइ नैसेक्लंै । प्रदेश सभाके लाग फें प्रत्यक्ष ओर थारु महिलाके उम्मेदवारी नगन्य रहल । संघके लाग केवल एक जाने थारु महिला टिकल पैली । मनो उ पराजीत होगैली । आझसम कोइफें थारु महिला फुलमन्त्रीके जिम्मेवारी सम्हल्ना अवसर प्राप्त नैकरल हुइट ।

‘उप’ के दर्जा वा समानुपातिक प्रतिनिधीके रुपमे थारु महिलाके प्रतिनिधित्व हुइबे नैकरल नैहो । यी दर्जाके थारु महिलाके प्रतिनिधित्व बाध्यात्मक हो । सम्पूर्ण महिलाके प्रतिनिधित्वमे चौथो भारी जनसंख्याके थारु महिलाहुकनक प्रतिनिधित्व हठियक डेखइना दाँत जइसिनके किल सहभागिता हो । अइसिन मेरके सहभागितासे निर्णायक रोलप्ले करे नैसेक्जाइठ । थारु महिलाहुकनक सामथ्र्यके पहिचान ओ समर्थन खुला चरणमे नैहुइटसम ओइनके सहभागिता निर्णायक नैहुइ सेकी ।

पक्का फें संख्या किल बराबर राजनीतिक शक्तिके प्रमाण नैहो । मनो संख्या किल फें महत्वपूर्ण माने ढारठ । संख्यात्मक सहभागितासे समानताओरिक चालहे गति डेनामे सहयोग पुगट । टबेमारे थारु महिलाके जनसंख्याके अनुपातके प्रतिनिधित्वि हुइ सेक्ना हो कलेसे ओ उहिनहे निरन्तरता डेना हो कलेसे, राजनीतिक शक्तिके पंहुचमे थारु महिलाके व्यापक बिस्तार हुइनामे फें सहयोग पुग्नारहे ।

राजनीतिक प्रतिनिधित्व हुइक लाग थारु महिलाके राजनीतिक सक्रियता उप्पर प्रश्न उठे सेकठ । जोन जायज बा । टमान कालखण्डमे हुइल आन्दोलन, उ राजनीतिक आन्दोलन होए या टे थारु मुक्ति आन्दोलन, प्रत्येक आन्दोलनमे थारु महिलाके सहभागिता व्यापक मात्रामे रहल । उ सहभागिता कबु सामन्ती जमिन्दारी प्रथा विरुद्ध, कबु राजतन्त्र टे कबु जातीवादके विरुद्ध केन्द्रित हुइलसे फें ओट्रामे किल सिमित नैरहे । उ सहभागिता लैंगिक समान सहभागिताके लाग फें रहे । लैंगिक अन्तरहे अन्त्य करक लाग फें रहे ।

मनो बिडम्बना थारु महिलाके प्रतिनिधित्व ओ सामाजिक राजनीतिक क्षेत्रमे हुइल उपलब्धी खासे उत्साहजनक नैहुइ सेकल । थारुहुकनके हक अधिकार स्थापित करैना मूल ध्येय हुइल थारु संस्थाभिट्रे फें थारु महिलाहुक्रे नेतृत्वमे आइ नैसेक्लै । राजनीतिक क्षेत्रमे महिलाके पंहुच नगन्य रहल । सार्वजनिक राजनीतिक जीवनमे थारु महिलाके समान सहभागिता, नेतृत्व ओ निर्णय लेना तहमे ओइनके सहभागिता शून्य जस्ट बा । अइसिन अभ्यासले थारु महिलाके समान प्रतिनिधित्व ओ लैंगिक समानता हासिल करक लाग लम्मा यात्रा पार करेक परना डेखजाइट ।

महिलाहुकनके सहभागिताके लाग राज्यके हरेक निकायमे ३३ प्रतिशत आरक्षणके व्यवस्था टे करगिल । मनो उहिनहे इन्टरसेक्सनालिटीके आधारमे नैकरगिल । समाज जात व्यवस्थाके आधारमे निर्मित हुइलक ओरसेमहिलाके जातीय इन्टरसेक्नालिटीके आधारमे महिलाके आरक्षण छुट्यइना अनिवार्य हुइपरना रहे । ओस्टके राजनैतिक पार्टीके कोटा ओ लक्ष्यमे कउनो संस्थागत सुधारके लाग पैरवी नैकरगिल । जोन महिलाहुकनके लाग समान सहभागिताके प्राथमिक आधार हुइ सेकट । मनो महिलन उप्परके दृष्टिकोण ओ व्यवहार परिवर्तनमे कौनो फरकपना नैहुइल ।

हमार सामाजिक संरचनासे प्रष्ट हुइट कि, जातीय ओ लैंगिक समाजमे सामाजिक÷राजनीतिक अवसरके संरचना पूर्वाग्रही रहठ । अइसिन समाज महिलनके योग्यता जबफेन अपर्याप्त डेखठ । मार्जिनालाइज्ड समुदायके महिला विरुद्ध टे आउर पक्षपातपूर्ण सामाजिक वातावरण निर्माण करठ ।

जातीयता ओ लैंगिकताले प्रभाव पारल संचार प्रसारके माध्यममे फेन थारु महिला अदृश्य पारजइठैं । थारु महिलन्के भोगाइ, ओइन उप्पर हुइल ज्यादतीके कथा कबुफेन पारदर्शी नैहुइठ । विशेष कैके जनयुद्ध ओ ओकरपाछेक थरुहट थारुवान आन्दोलनमे थारु महिलनके सहभागिता भारी मात्रामा रहल । मनो कहु फेन ओइनके भूमिकाहे सम्मानके साथ कबु नैहेरगइल ।

पुरुषप्रधान समाजमे पुरुषहुकनक इतिहासहे किल वैधता डेजाइठ । केवल पुरुषनके वीरताके कथा लेखजाइठ । अइसिन समाजमे थारु महिला अन्वेषणके केन्द्रमे कबु नैपरलंै । महिलावादी साहित्यमे फें थारु महिला अटाइ नैसेक्लैं । थारु महिलाके संघर्ष ओ प्रतिरोधके कथा कबुफे आर्काइब नैकैगिल । यदि ओइसिन हुइ सेकट टे, राजनीतिक शक्तिके आडमे ओइन उप्पर हुइल बर्बरता ओ राज्यके विकृत पहिचान डेखाइ सेक्ना क्षमता ओइनके कथामे बा ।

जनयुद्ध पहिले थारु गाउँ गाउँमे जमिन्दारी शासन रहे । उ समयमे जमिन्दार ओइनहे ज्या करना मन लागिन ओहे करिंट । जमिन्दार चाहलेसे कौनो फें थारु महिलनसंग सुटे (बलात्कार करे) सेकैं । जमिन्दारकेमे कमुइयाँ लागल व्यक्ति भोज करल पहिल रात आपन जन्नीहे जिम्डरवक संग सुटक पठाइ परिन । कहल नैमनलेसे कमुइयाँहे निर्मम यातना भोगे परिन कलेसे कमुइयँक जन्नी बलात्कृत हुइ परिन । जमिन्दारी प्रथाके अइसिन भयावह समयमे थारु महिलाहुक्रे कौनो प्रकारके कानूनी उपचार नैपैलैं ।

जनयुद्ध सुरु हुइल पाछे तत्कालिन नेकपा माओवादी जिम्डरवन भौतिक कारवाही करे लग्लै टे जिम्डार शहरओर भग्लंै । जिम्डरवनके क्रुर शासनसे ठोर ठोर उन्मुक्ति पाइल थारुहुकन शसस्ञ द्धन्द्धके समयमे राज्य आतंककारी डेखे लागल । द्धन्द्धके समयमे सबसे ढेउर ज्यादती थारु समुदाय उप्पर हुइल । बर्दियाके सम्झना चौधरी लगायत कैयौं थारु महिलाहुकन गर्भवती हुइल अवस्थामे सामुहिक बलात्कार पाछे गोली ठोकके हत्या करगिल ।

जनयुद्धके अन्त्य पश्चात बनल आयोगसे थारु महिलाहुक्रे न्याय नैपलैैं । महिला उप्पर अन्याय करुइया अपराधीहुकन न्यायके कठघरामे उपस्थित नैकरागिल ।

२०६२÷६३ के जनआन्दोलन पाछे नेपालमे राज्यपुर्नसंरचनाके बहस ढेउर गहन रुपमे आघे बरहल । गणतन्त्र आइल । धर्मनिरपेक्ष नेपाल बनल । देश संघियतामे गइल । नेपाल बहुत किसिमले नयाँ बनल । तर का थारु महिलन्केलाग नेपाल नयाँ बने सेकल ? नैसेकल ।

थारु महिला उप्पर निरन्तर भौतिक, सामाजिक, सांस्कृतिक, मानसिक हरेक तवरले राजनीतिक शक्तिके आडमे दमन हुइटी आइल । २०७२ के टीकापुर घटना बाड थारु महिलाउप्पर ओस्टे प्रकारके राजनीतिक हिंसा हुइल । पुरान राज्यसंरचनासे कैजिना बर्बरता फेनसे टीकापुरमे डेखपरल । सुरक्षाके खोजीमे अधिकांश पुरुष भारतओर गइलंै । घरेम बालबच्चा ओ महिलाकिल रहल बेला, अपराधी खोज्ना निँहुमे थारु महिलाउप्पर सरकारी बन्धुकधारीहुक्रे निर्मम ज्यादती करलैं ।

टमान कालखण्ड जमिन्दारी प्रथा, शसस्त्र द्धन्द्ध ओ टीकापुर घटना बाड राज्य प्रायोजित यातना ओ बर्बरता बर्सागिल थारु महिलाउप्पर । उ आघात लेके बँचुइया अनगिन्ती थारु महिलाहुक्रे उ बर्बरताके गवाही बटंै । पुरान होए कि नेपाल नयाँ, थारु महिलाउप्पर दण्डहिनताके साथ अत्याचार हुइटी रहल ।

टबोफेन थारु महिलाउप्पर हुइल राज्य आतंकके विषय सार्वजनिक बहसके बिषय नैबनठ । थारु महिलाउप्पर राज्य हिंसा लम्मा समयसे हुइटी आइल । महिला अधिकार ओ मानवअधिकार संस्था समेत थारु महिलाउप्परके ज्यादती वेवास्ता करटी आइल बटैं । थारु महिलाउप्पर हुइल ज्यादती दुर्घटनावश हुइल नैहो । उ टे पितृसत्तात्मक संरचना, संस्था ओ भ्यालूसे सम्भव बनागिल राजनीतिक हिंसा हो । यि प्रकारके हिंसा व्यक्तिगत भोगाइ किल नैहो । यि टे थारु समुदायमे पुस्तौंसम हानी पुगाइ सेकठ ।

जातीय लिंगीय शक्ति संरचनामे आधारित समाजमे खास समुदाय ओ कमजोर लिंगके रुपमे चित्रण करगिल महिलाउप्पर हो व्यापक अपराध हुइना । अइसिन प्रणालीमे थारु महिलाउप्पर हुइल अपराध फें अदृश्य होजाइठ । काहेकि ओइनके बाट कोइ नैसुनठ । ओइनके मुद्दा गम्भिरताके साथ सम्बोधन नैकैजाइठ ।

ऐतिहासिकतासे थारु महिलाहुक्रे बहिष्करणमे परटी आइल बटैं । ओकर क्षतिपुर्ति राज्य डेहपरठ । थारु महिलाहुकन मेनस्टिम मे लानकलाग ढेउर विकल्प हुइसेकठ । एक प्रमुख उपाय हो, राज्यके प्रत्येक तहमे थारु महिलाहुकनक समान सहभागिता ।

इन्दु थारु
कैलाली

थारु महिलनके अप्रत्याशित बहिष्करण

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