गजल
फुलाहस मुर्झैटी रलो मह्कक निछोर्लो ।
जट्रा डुख्लेसेफें हृदय हाँसक निछोर्लो ।
हरबार सुखके अन्त्य हुइल बावजूदफें,
सृष्टिके श्रृंगारिक लाग फुलक निछोर्लो ।
लागठ यादके अमोख वान टोहाँर मुटुम,
टभुन फेन कबु महिन सम्झक निछोर्लो ।
दर्दके बेंढुवा चिरफार कर्टी बन्के मुसाफिर,
अपन गन्तव्य ओर यात्रा करक निछोर्लो ।
जान जानके फेन अन्जान बन्के टुँ प्रिय,
डुख्यारी जिन्गी कबुफें जियक निछोर्लो ।
निसा नमुवाँ
धनगढी कैलाली