गजल
महिन सखिया झुम्रक टार मजा लागठ ।
नाचेबेर गुरिया गहनक हार मजा लागठ ।
हमार लगाम भेसभुसा बहुत सोहावन बा,
टबे टिकली झोबन्ना सिंगार मजा लागठ ।
कोइ खाइठ चट्नी भात कोइ सरसिकार,
मने सिहरल जिउहे टे माँर मजा लागठ ।
पुरान चिजबरन बुडी बहुत सजाके ढारी,
पुरान चिज घालेबेर हरबार मजा लागठ ।
ढकिया डेलुवा डेख्के सबकोइ लोभाजैठैं,
काहेकी ओकर पनुवाँडार मजा लागठ ।
सागर कुस्मी
कैलाली