परडेसके बठ्ठा

राजु चौधरी ‘राज’
३ जेष्ठ २०७८, सोमबार
परडेसके बठ्ठा

आझसे डस साल पहिलक बाट हो । जब मै अपन ब्यक्तिगट परिस्ठिटि ओ समस्याले बाहर डेस जैना सोच बनैनुँ, उ बेला मनमे बहुट उट्साह रहे बिडेस जाइटु, ढेर सारा पैसा कमाके अइम् । उ बेलाके सोचाइ बिडेस मे ढेर पैसा कमाइ हुइट कना हस लागे ।

हुइना टे नेपालमेफे मोर एक प्रटिस्ठिट कम्पनिमे जागिर रहे । मने उ जागिरसे गुजारा चलाइ सेक्ना अवस्ठा नैहुइलक ओर्से मै खाडि मुलुक साउडि ओर लग्नु । सुरुमे जहाजमे बैठनुटे असिन लागल आब टे छावा कुछ करि कि ? जब साउडि एअरपोर्ट पुग्नुटे बहुट उडास लागल् । बिरानो ठाउँ, अन्जान मनै, ना भासा मिल्ना । जट्रा उडास लाग्लसेफे मोर लाग कुछ उपाइ नैरहे । नेपालसे आइबेर उट्साहके मारे खानाफे मजासे नैखाके आइल रहुँ । टर आठ घन्टा प्लेनके यात्रा ओ ठकाइ ओ भुख्ले पेट साउडि एयरपोर्टमे उट्रलक छे घन्टा बिटगैल, कोइ लेहफे नैआइल् । मेनपावरके डेहल नम्बरमे एक्ठो साउडियनसे इंग्लिसमे फोन लगा डेहक कनु टे भइल फसाड, उहिटे साउडि भासा किल आइस । कुछ नैबुझल ।

बलटलके एक्ठो इन्डियन मनैयाँ आइल ओ मै उहीसे हिन्डिमे कनु– इ नम्बरमे फोन लगाडे कैह्के । ओहे मनैयाँ फोन कैके अरबि मे बट्वाइल टे करिब डुइ घन्टा पाछे एकठो मनैयाँ लेहे आइल् । गन्टब्य स्ठान पुगट राटिक बाह्र बज्गैल रहे, डोकान सब बन्ड होगैल रहे । हमे्र डुइजाने रहि । हमार लाग खैना चिज कुछ नैरहे । साउडिवाला हमार साहु खाना खैना कैख डुइ सय रियाल पैसा डेहल् । एक्ठो भङ्भुठाइल कोठा डेखाइल ओ मै पाछे अइम कैह्के चल्गैल् । कोठा भिट्टर गैलुँ टे छेगरी भेंरिनके घारिसेफे बरा घिनाहुन कोठा रहे । का टे भुखासल, निडासल कुछ समझमे नैआइल् । का कर्ना हो डुनुजाने इ हमारे सुट्ना कोठा हो कैह्के निडासलमे सफा करे भिरलि । सफा करट करट बिहानके राटिक ३ बज्गैल् । डुइठो बेड रहे, डुनुजाने भुख्ल सुट्ली । भुखक्मारे निंडफे मजासे नैपरल् । बिहान होगैल, डोकान खुल्गल रहे । कुछ खैना चिज किन्के लान्के डुनुजे खैलि ओ सुट गइलि ।

डुइ सय रियाल डेके मै काल्ह अइम कैह्के गैल मनैयाँ छ डिन बिटगैल, डेखा नैपरल् । ओकर डेहल पैसा सब खाक ओरागैल । ना कोइ चिन्हल रहे, नाटे भासा पटा रहे । हमार लाग कुछफे खैना चिज नैरहे । डुइ डिन सम हम्रे भुख्ले रहि । हमार डाइ ना बाबा, ना साठि संगि । असिन लागे आब इ ज्यान भुखे मर्जाइ । साटौ डिनमे आइल लेहे अउइया मनैयाँ । हमार साउडि भासा पटा नैरहे, उहि इङ्लिस पटा नैरहिस । ना उ हमार भासा बुझ्ना, ना हम्रे ओकर भासा बुझना । हम्रहिन टालिमके लाग लैगिल टे ओहा एक्ठो इन्डियन रहे । उहिहे हम्रे कलि– डुइ डिनसे हमे्र खाना नैखैले हुइटि । उ साहुहे कहल टे बल्टल खाना लानडेहल् ।

डिन बिट्टिगैल । डुइ महिना टालिमके वाड एकठो लावा साखा खोलके हमेहिन जिम्मा लगैल । टब टक टलुक हल्का अरबि भासा जान चुकल रहुँ । ओहे क्रममे डोकान चालु कर्लक डुइ महिना वाड डोकानमे एकठो हरामि चोर आके महिसे डुइ हजार रियाल छिन्के लैगैल् । साहुहे फोन कैके बटैनु टे पट्यइबे नैकरल् । उ कहल– मै कुछ नैजन्ठँु । महिन पुरा हिसाब चाहि । का कर्ना हो, औरक डेस औरक ठाउँ, औरक कानुन । मै जट्ना कलेसेफे साहु बिस्वास नैमानल् । आखिर मोरे टलबसे उ डुइ हजार रियाल काटल । उ बेलामे मोर टलब जम्मा एक हजार रियाल रहे, टिर्ना जुन डुइ हजार । जस्टे टस्टे कैके उ पैसा डुइ महिनामे टिर्नु ।

घरेसे अइलक चार महिना हुगैल रहे । मने घर एक्के फुटल कौरि नैपठैले रहुँ । सोचल जसिन नैरहट पर्डेसि जिन्गि । एकठो रोटि किल खाके चौबिस घन्टा काम कर परे । काहेकि हमार बाढ्यटा हो अइबो अपन मर्जीसे जैबो मालिकके मर्जीसे । यहाँ काममे जैना क्रममे यहाँके काला साउडि उइने महिन आक्रमणफे करलैं । मै घाइटे होके हस्पिटलफे भर्ना हुइनु, जब प्रडेसमे डुख बिमार पर्बो टे कोइ नैरहट् । संघहर्यान रठैं टे ओइने का करंै बिचारा, ओइनकेफे डिउटि रठिन् ।

चहा जट्रा बिमार रहो डिउटि कर्बो टे टलब मिलि नैटे कहाँ मिलि ? अस्टेक डुख बिमारमेफे काम कर्टि गैलुँ । मलिक्वा मोर कुछ बिस्वास माने लागल ओ टब जाके कामफे ठिक चले लागल ओ सेलरिफे ठिके डेहे । टर बिडेसि भुमिमे बैठना बिचार नैरहे । आब अपने डेसमे जाके कुछ कर्ना बिचार रहे ओ मै पहिलेसे ठारु गिट संगिटमे रुचि रख्ना मनै हुइलक ओरसे ओम्नेहे निरन्टर्टा डेना बिचार रहे । लगभग २०५५ सालसे ठारु गिट संगिटमे लागल रहुँ, अभिन टक टिन चार ठो ठारु गिटि एल्बममे स्वर डेसेक्ले रहँु टर बाढ्यटाले पर्डेसि हुइलक वर्से उहि निरन्टरटा डेहे नैसेक्ले रहँु ।

विदेश बैठलफे ७ बरस हुगैल रहे । अपन भुमिमे जाके अपन डेसमे पसिना बगैना बिचार आइल् । अपन थारु भासक गिटबाँस ओ साहिट्यहे आगे बर्हैना बिचार रहे । २०७५ साल जेठ ४ गटे अपन मातृभूमि नेपाल लौट्नु । लौटनाके बाडमे दुई चार महिना घरपरिवारसंग बिटैनु । ओहे क्रममे फेनसे हमार गिटबाँसहे निरन्टरटा डेना मन लागल । उहे क्रममे विदेशसे अइलक २ महिना पाछे एकठो गिट निकर्नु । ओठेसे फेर मोर गिट संगिटके यात्रा सुरु हुइल ।

मने नेपाल आके गिट गाके किल जिविका चलाइ नैसेक्ना अवस्ठा हुइलक ओरसे कुछ व्यवसाय कर्ना साेंच आइल । धनगढीके मोतीचोकस्ठिट राज सपिङ प्वाईन्ट रेडिमेड कपडा पसलके व्यवसाय सुरु कर्नु । टबफे यहाँक अवस्ठाके बारेमे ओट्रा जानकार नैरहुँ । काकरे कि ढेर बरस होगैल रहे, यि क्षेत्रसे डुर हुइलक । ओहे क्रममे इहे क्षेत्रमे लागल संघरियनहे भेटघाट, छलफल, भलाकुसारी कर्ना गिटबाँसके बारेम् बुझ्टी गैनु । अब्बेक अवस्ठामे विडेससे आके ६÷७ ठो गिटफे रेकर्ड कैसेकले बटँु ।

२०७६ सालमे विन्डास म्यूजिक अवार्डसे सर्वोत्कृष्ट लोकगीत गायन पुरुस ओर अवार्डफे पैनु । मोरिक अग्रज आडर्निय व्यक्ति हुकनके मोरिक डरसक श्रोटा हुकनके मैंयाँ आर्सिवाडसे ढेरठोर सांस्कृटिक कार्यक्रममे सहभागि हुइटि बटँु ओ मोर गिट ओ साहित्य यात्रामेफे निरन्टरटा बा । ओ, संचालन करल राज सपिङ प्वाईन्ट रेडिमेड कपडाके व्यवसायफे चल्टी बा । महिनहे यहाँसम डोर्याके लन्नामे मोर गोसिनियाँ अनितादेवी चौधरीकेफे बहुट हाँठ बटिन । घरपरिवार, संघरियनके सहयोगसे अभिनफे अपन कला संस्कृटि संरक्षणके लाग अपने डेसमे बैठके खास कैके थारु गिटबाँस, साहित्यसे डेस विडेसमे चिरपरिचत करैना विचार बा । अब्बेफे कुछ लावा गिट रेकर्ड कर्ना टयारिमे बटुँ ।

मोर हाल समके रेकर्डिङ हुइलक गिट संगिट असिन बा
(१) पिरना मानो धानी २०५८ साल (एल्बम असरक डगर) (२) लेहंगा फरियम देख्नु तुहिन २०६० साल (एल्बम सोल्ह सिंगार) (३) घुमट फिरट पुग्नु घोडाघोडी तलुवा २०६० साल (एल्बम सोल्ह सिंगार) (४) हाँ हाँ लेहंगा ओ अंगियामे २०६० साल (हिरोल्ना गीत एल्बम सोल्ह सिंगार) (५) सपनामे देख्नु सुन्दर साली २०६० साल (एल्बम सोल्ह सिंगार) (६) लस्कट लस्कट अंगिया जो सोहंै २०६० साल (एल्बम रोजल दुल्हनीयाँ) (७) अरे चलगोरी २०६० साल (एल्बम रोजल दुल्हनीयाँ)
(८) मनमे सोंचु करम लागे आग २०६० साल (एल्वम चम्फा फुलवार) (९) खोलो खोलो मनके बाट २०७५ साल (१०) झिमिक झिमिक झिमकना हो साली २०७६ साल (११) देख्ती की मन लागत तुहिन बोलैना २०७६ साल (१२) धड्कन बनके २०७७ साल ।

ओस्टेके और बहुट रेकर्ड हुइल गिट रिलिज हुइना टयारिमे बा । वास्टवमे प्रडेसि जिन्गि बहुट कस्टकर रहठ, ओहेमारे सेक्लेसे कोइफे विडेस नाजाइ कना सुझाब डेहक चाहटुँ ।

परडेसके बठ्ठा

राजु चौधरी ‘राज’