एकनास नैरहम

सागर कुस्मी
८ जेष्ठ २०७८, शनिबार
एकनास नैरहम

मुक्तक १
मै हर दिन एकनास नैरहम ।
रहम मने केक्रो खास नैरहम ।
जब चलजैम टे उप्पर उ दिन,
जरुर मै सबके पास नैरहम ।

मुक्तक २
समय एहोंर ओहोंर पुगा डेहठ् ।
प्रकृति हेरके जिउ बुझा डेहठ् ।
जब तरंग मचठ इ दिल भित्तर,
टब सुटल मनैंन् फेन उठा डेहठ् ।
सागर कुस्मी
कैलाली

एकनास नैरहम

सागर कुस्मी

लेखक हरचाली साहित्यिक त्रैमासिकके प्रकासक ओ प्रधान सम्पादक हुइँट् ।