बुक्रीभाँरा

सागर कुस्मी
१० जेष्ठ २०७८, सोमबार
बुक्रीभाँरा

बालकविता

बाबु भैया बुक्रीभाँरा खेल्ठी ।
हाँठ जोरके संगे हम्रे नेंगठी ।।
एकर घरसे ओकर घर जैठी ।
घर घर बनाके पहुनी खैठी ।।१।।

घारीक् सन्ढ्री सुन्ढ्रा खेल्ना ।
ओसर्हवामे सुख्खुन मेल्ना ।।
चुनुचुनु बाबु चुनुचुनु भैया ।
रोइठ डेख्के हाँसल डाडु ।।२।।

बाबु कहल चोलो जाइ भैया ।
हमार घर बा दुहानी गैया ।।
भैया बाबु खैठी गैयक् दुध ।
बुक्रीभाँरा खेल्के होजैठी खुस ।।३।।
सागर कुस्मी

बुक्रीभाँरा

सागर कुस्मी