थारु समुडायमे मिर्टु संस्कार

छविलाल कोपिला
२५ बैशाख २०८०, सोमबार
थारु समुडायमे मिर्टु संस्कार

विचार

थारु समुडायमे मिर्टु संस्कार

संसारमे जट्ट फेन प्रानि जन्म ओ मुँठ फेन । यि जिवनके प्रक्रिया हो । मनैनमें आपन ठाउँ ओ जाटिय संस्कार बा । जौन आउर प्रानि जगटसे ढेर विकिसट बा । संस्कार कौनो अलौकिक वस्टु नै हो । यि मनैनसे चलैलक् चाज हो । उहेसे यि मनैनके अनुकुलटामे भर परठ् ओ समयसंगे परिवर्टन हुइट जाइठ् । यि सामाजिक पहिचान ओ प्रभावमे भारि भुमिका खेलठ् ।

विस्वके जट्टा डेस बा, उ डेसमे फेन ओइनके आपन अनुकूलके संस्कार ओ चाल चलन बटिन । नेपालके सन्डर्भमे कना हो कलेसे फेन यहाँ ढेर जाट–जाटिनके मनैं बटाँ ओ ओइने आपन ढर्म, रिटि–रिवाज, संस्कृटि संस्कार अन्सार चल्ठाँ । कला, संस्कृटिमे जाटिय पहिचान झल्कठ् । उहेसे सक्कु जाने आपन मौलिकटा भिट्टर रैह्के टर–ट्युहार मन्ना, पर–पूजा कैना लगाके आउर–आउर काम फेन कैना सामाजिक घेरा बा ।

नेपालके टराइक् २२ जिल्लामे आडिमकालसे बसोवास कैटि अइलक थारु जाट फेन एक हुइट् । थारु जाटिनके फेन आपन मौलिक संस्कार बटिन् । जस्टे जन्म संस्कार, मिर्टु संस्कार लगायटके ढेर मेरके संस्कार बा । यहाँ थारु जाट भिट्टर रहलक मिर्टु संस्कारके बारेमे कुछ बाटके चर्चा करक खोज गैल बा ।

चाल–चलन सक्कुनके लग सुग्घर ओ मजा रहठ् । मुले, ढेर पुरान संस्कार भिट्टर कुछ गलट चलन फेन नुकल रहे सेकठ् । जौन समय अन्सार परिमार्जन ओ परिवर्टन करे सेक्जाइठ् । ओसिक टे यि संस्कार आउर जाटिन नन्हें फरक–फरक रहे हस् थारु जाटिनमे फेन उप–ठर अन्सार अलग–अलग चलन बा ।

मनैं मुँनाके ढेर कारन रहठ् । थारु समुडायमे मनंै मुँलक् कारनके आढारमे फेन संस्कारके निर्ढारन हुइठ् । उमेर समुहमे फेन निर्ढारन हुइठ्, भोज हुइल ओ नै हुइलमे फरक– फरक संस्कार बा । गँर–झुलके मुँअल कि बुर्हे मुँके मुँअल या कौनो डुर्घटनामे मुँअल यकर आढारमे क्रियाकलाप निर्ढारन हुइठ् । यहाँ कुछ सामान क्रियाकलापके बारेमे चर्चा किरल बा ।

सबसे पहिल मँुलक मनैयाँहे पच्छिउँ मुँरि कैके पुरुव–पच्छिउँ कैके सुटाजाइठ् । आपन–आपन चलन अन्सार क्यो बाहर, क्यो बिचका कोन्टि, क्यो पच्छिउँक् फर्कक कोन्टिमे मुर्डा लैजैना चलन बा । कौनो थारुनमे जुन डौंटनके पाटापरमे सुटैना चलन बाटिन । सुटाके मुरि ओ गोराओर डुनु पाँजर झिर गच्का जाइठ् । झिर गच्कैनाके कारन मुर्डा नामठ् कना जनविस्वास बा । उहे ओरसे मुर्डा नामक डरे, थारु समुडायमे झिर गज्कैना अलग्गे चलन बा । मुँअल मुर्डाहे फरिया ओर्हाके छाटिपर चप्पर डिया सुँगाके ढैजाइठ् ।

यहोंर आपन गर–गोटयार, नाट–पाँटनहे मुँह हेरे अइना फेन खबर हुइठ् ओ एक जाने बाभन (थारु जाट भिट्टर मिर्टु संस्कारके सक्कु काजक्रियामे जानकर रहना ओ बिसेस भुमिका खेल्ना बाभन ठरके थारु समुडाय भिट्टरके एक जाट) बला जाइठ् । ओस्टक आझुक डिन गाउँक सक्कु गोट्यार एक जाने जिन्न ओ एक जाने थारु अनिवार्य अइना चलन बा । आउर जाने भर आपन फुर्सड मिलाके अइठाँ । थारु मटियाइ जैना ओ जन्नि मनैं रोइजैना चलन बा । गाउँमे कोइ मुँअल कलेसे ओइनके सहानुभुटिके लग सहभागिटा जनैना चलन थारु समुडायमे पुराने हो । असिके थारु–जिन्न अइना हे ‘लहाइ जैना’ कठाँ ।

मुर्डक अन्टिम बिडाइक लग ‘हिरन’ खवाजाइठ् । हिरन कलक भिजाइल् चाउरमे सोन मिलैनाहे कठाँ । हिरन खवैले मिर्टकके आट्म भगनवँक घरमे जाइ पाइठ् कना विस्वाससे यि खवाजाइठ् । घरक थारु मनंै ओ भोज कैलक सक्कु जाने हिरन खवैठाँ । गाउँक गोट्यार फेन हिरन खवैठाँ ।

भेटघाट हुके मुर्डाहे पच्छिउँ ओरिक डवारि ओरसे निकर्ठां । अँग्नामे निकारके उनाट् खटियामे सुटैठाँ ओ बोकेबेर सक्भर मिर्टकके छावन, छावन नै रलेसे लग्गेक गोट्यार बोक्ठाँ । मुर्डा लैजैनासे पहिले यिड थारु मनैं मुँअल बा कलेसे मुर्डक गोसियक हाँठेमसे चुरिया निकर्ठां । निकरे नै सेक्लेसे फोर्ठां । चुरिया निकिर्ट कि जन्नि मनै ‘रार’ घोसिट हुइठाँ । थारुनहे जुन ‘ठेङ्हा’ कठाँ ।

अँग्ना निकारके पच्छिउँ ओर सोझ डग्गर नै रलसे बेन्वाँ विगारके हुलेसे फेन मुर्डा निकर्ठां । मुर्डा निकारके बभ्ना घरक डवारि पज्रेसे एक मुठ्ठा बँडिया (खर्ह) निकारठ् । संगे साँठ, कोरे भोन्टि, मन्सि, बहिँगामे टँगाके ओगे–आगे जाइठ् ओ पाछे–पाछे मुर्डा बोकुइयन् जैठाँ । पाछे–पाछे आउर मटियाइ जउइयन् रठाँ ।

थारु समुडायमे पहिले माटि डेना चलन रहे । हुइना–खैना या ढनि मनंैभर हिन्डु संस्कार अन्सार ‘राह’ डेठाँ । डेखिक डेखा अस्कल आउर जाने फेन राह डेना चलन डेख परठ् । माटि डेनासे पहिले क्रिया बैठुइया लहाके मटियैना ठाउँक एक पाँजर चुल्हि बारठ् । चुल्हि बारेबेर एकठो भाँडामे भाट बैठैना ओ डोसरमे टिना बैठैना कैह्के सक्कु चाज डारठ् । भाट बैठैना भाँडामे चाउर ढोके ढारठ् ओस्टक टिना बैठैना भाँडामे काटल टिना, नोन, टेल, बेसार डारके डवारिपरसे झिकके लैगैलक बँडियाले आगि बारठ् । जौन अक्केबेर सुन्गाके छोरडेहठ् । चुल्हि बनाइक लग टिनठो चेपा ढैके बनाइपरठ् ।

आगि बारके यहोंर माटि खोन्ना सुरु हुइठ् । खोल्टा उट्टर–डख्खिनके खोँड्जाइठ् । माटि खोन्नासे पहिले मुर्डाक् लहास नप्ना ‘जोखा’ले नापके खोन्जाइठ् । माटि खोंडेबेर कोड्राले काटक डरे बहुट हौस्यारके चलैठाँ । माटि खोंडेबेर कटल कलेसे खटरा हलि नैचोखाइठ् कना विस्वास कैठाँ थारु समुडायमे । उहेसे हौस्यारि अपनाइपरठ् ।

खोल्टा टयार हुइ टे सक्कु जाने गोट्यार लहाइ जैठाँ । किर्या बैठुइया करुवामे पानि फेन लेके आइल् रहठ् कुलुवा मनसे । सक्कु जाने लहाके सेक्हि टे मुर्डाहे गोंडरि सहिंट्टे उठाके ३, ५ या ७ फेरा घुमैठाँ । घुमाइबेर जैफेरा घुमके सेक्हि टै फेरा उट्टर कोनवामे पानि ढर्कैठाँ । ढर्कैना काम जे किर्या बैठठ् उहे मनैयाँ ढँर्काइठ् । उ करुवामे पानि लेले सबसे आगे रहठ् ।

फेरा पुगि टे मुर्डाहे खोल्टामे लैजैठाँ । खोल्टामे उट्टर–डख्खिन कैके सुटैठाँ । सुटाइबेर कपार उट्टर ओ गोर डख्खिन कैके सुटैठाँ । जन्निनहे उनाट ओ ठारु मनैनहे घोप्ट्याके सुटैना चलन बा । मुर्डक घल्लक सक्कु लुग्रा फेन काटे परठ् । बोक्के लैगैलक खटिया, गोंडरि, ढकिया लगाके जट्टा फेन सामान लैगैले रठाँ सक्कु चाज ठोरचे –ठोरचे काट डेठाँ ओ सक्कु जाने साँठ मुर्डाहे डेठाँ । साँठमे ढान, चाउर, बेसार, डाल, मकै, नोन, मर्चा, सिजन अन्सार टिना (मुरै, खिरा, पियाज, लसुन, केरा, आडि) अक्केमे मिलाके डर्ठां । असिक डेनामे मटलब मुर्डाले भगनवँक घर पठाइबेर लक्कु जाने खान खर्च डेलक मानजाइठ् । भगनवँक् घर जाइबेर भूँखे पियासे नमुएँ कैह्के डेठाँ । उहिसे पहिले २० आना गाँठि बँढठाँ । २० आना लाउक भारा हो । भगनवँक घर जाइक लग लडियामे लाउ नाँघे परठ् । उहे लडिया नाघक लग उ भारा कप्फनके एक कोनवामे बाँढल् रहठ् । यडि कबो गाँठि बाँढक छुट्गैल् कलेसे ओइने लडिया नाँघे नै पाके घरे आके रोइना, सपनामे डुःख पाइल, यहोंर–ओहोंर भेटैठाँ कना विस्वास कैठाँ ।

साँठ गोट्यार, इस्टर–मिस्टर, नाट–पाँट सक्कुजाने डरठाँ । साँठ डारके सेक्हिं टब माटि चर्हैठाँ । माटि छहर–छेटा नै कैके बहुट सजोग लगाके ढैठाँ । सकभर पाटेबेर खोल्टि पुरेबेर कम नपरे कैह्के माटि सैंट–सैंट माटिमे चर्हैठाँ । उप्परसे चेपा ढैठाँ । चेपा बोकेरबेर एक जाने एकखेपमे अक्के चेपाकिल बोके पैठाँ । डुनु हाँठ बोके नै पैठाँ । चेपियाके सेक्हिं टे एकठो चेपा बिल्टैठाँ । चेपाबिल्टाइल पाछे आउर चेपा काटे नै मिलठ् । असिके चेपियाके उप्परसे उनाट् कैके खटिया, गाँेडरि ढैठाँ । यडि ठारु मनंै मुहिं कलेसे चुरिया, गुरिया, टिक्लि फेन उहे उनाट् खटियापर ढैजाइठ् । ओस्टक बिरुवा करे बेरिक कौनो विरुवा बा कलेसे सक्कु ओहें बगाडेठाँ ।

भाँठके सक्कु जाने फेनसे लहाइ जैठाँ । लहाकेसे सेक्के डग्रामे एक्ठो ठप्का (ठपक्का) मर्ठां । उहे ठपक्का नाँघके सक्कु जाने जाइक परठ् ओ छिनोनि पानि छिट्के चोखा हुके क्यौ आपन घरे जाइठ् टे क्यौ काम रिठन टे मुँलक् घर जैठाँ ।

जन्नि मनै फेन लहाके अइठाँ । जन्नि लहाइ जैनासे पहिले ‘जाना’ ढैठाँ । जाना कलक मुके गैलक् मनैयाँ डोर जलममे का चाजिक जलम् लेहल् कैह्के हेर्ना एकठो परम्परा हो । मनंै साट जलम लेठाँ कना विस्वास कैठाँ । ‘जाना’ भुवा चानके अँढार मझेरिमे बरावरके छिठ्ठाँ ओ ढकियाले छोपके गैल् रठाँ । आके ढकिया खोलके हेर्ठां । कौन चाजिक पैला बा । जौन चाजिक पैला बिल्गाइ उहे चाजिक जलम् लेहल् कैह्के कठाँ ।

भब्ना घर गोब्राके चुल्हिमे आगि बारठ् । चुल्हिमे गाइक डुढ फेन ढर्काइठ् । असिके डुढ ढँर्कैना ओ चुल्हि बर्ना कामहे ‘डुढ–मार’ लगैना कठाँ । बभ्ना आगि बारके सेकि टे जन्नि भिट्टर भाट, टिना निढठाँ । टब खैठाँ । नै टे घरक सक्कु जाने भुख्ले रठाँ । डुढ–मार लगाके किल खैठाँ ।

उ डिन डालभाट कहर््ना चलन बा । एक–एक कौरा भाट सानके भुइँयाँमे कहर््ठाँ ओ उप्परसे हाँठ ढोइठाँ ओ खैठाँ । उहे डिनसे किर्या बैठ्ना सुरु हुइठ् । किर्या क्यौ समय हेरके टिन डिन, पाँच डिन, साट डिन किल बैठ्ना चलन फेन बा ।

किर्या खास कैके डाइक बेर छुट्कि छावा, बाबकबेर बर्का छावा बैठ्ना चलन बा । आउर जन्हुनके भर ओइनके लग्गेक नाट पर्ना मनै बैठ्ठाँ । किर्या बैठुइया उज्जर पगिया ओ उज्जर चड्रिके सप्कि ओहर््ठाँ । आहर–बाहर नेंग्ना हुइ टे पौवा घालके नेग्ठाँ । ओस्टक आपन रच्छक् लग कुस ओ लोहक हँठियार (छुरिया या कौनो हँसिया लगाके कटार चाज) फेन संगे लेके नेंग्ठाँ ।

ओइनहे कोहि नै छुठाँ । छुलेसे छुट मन्ना चलन बा । किर्या बैठ्ना ठाउँमे आगि ढुनि जरैले रठाँ ओ अप्ने जालक भिट्टर बैठ्ना, सुटना कैठाँ । ओट्रेकिल नै ओइने चोखा नै हुइटसम पहिल परोसन एक कर्छुल भाट, टिना, डाल, साग–सेवार, पानि डोनामे मुँउयँक नाउँमे डग्रेमै ढैठाँ । असिक कैलेसे मुँके जउइया मनैयाँ भूँखे पियासे नै मुइँ कैह्के ढैठाँ । डेके आके बल्ले अप्ने भाट खैठाँ । भाट डुढ, डहिसंगे खैठ डुढ डहि नैरलसे अडुवा मुरैसंगे फेन भाट खैना चलन बा ।

मनंै मुँलक डिनसे अवस्ठा अनुसार ‘रोटि–भाट’ डेठाँ । जेहिहे थारु भासामे ‘भाट डेना’ कठाँ । भाटक डिन किर्या बैठलक मनैं बर्छि गोभके सुवर मर्ठां । यि चलन सक्कु थारुनमे नै हो, क्यौ जिटा कैह्के जे जिसक मर्लेसे फेन हुइठ् । आवस्यकटा अन्सार आउर जिटा फेन मार सेक्ठाँ ।

‘खौरबार’ करे खोल्ह्वा, कुलुवा या घटवामे जैठाँ । खौरबार कलक मुरि खौरैना ओ छँटैना कामहे कैह्जाइठ् । खोल्हवामे बभ्ना सक्हुनके भुटला खौर्ना ओ छँट्ना काम करठ् । यडि उ नै सेकि कलेसे एक कोनवा खौरके डोसर जन्हुनहे पाला डेहठ् । खौरबारमे सक्कु जाने भुटला छँटैना या खौरैना कैठाँ । जेकर सग्गे डाइ–बाबा रहि टे ओइने चुट्टि सहिट भुटला खौरैना चलन बा । आउर जनहुनके भर स्वेच्छिक रिठन् ।

ओहोंर जन्नि घर गोब्राके भाँरा वर्टन सक्कु ढोइठाँ ओ ओइने फेन लहाइ जैठाँ । लहाइ गोट्यार सक्कु ओ गैरगोट्यार लोग स्वेच्छिक रुपमे गैलरठाँ । जब ठारु खौरबार कैके घर अइठाँ ओ सोन–पानि (छिनोनि पानि) पूरा घर–अङ्ना गोठ्वामे छिट्ठाँ । बभ्ना चुल्हिमे आगि बरठ् ।

भोज नै कैल मनैनके ‘भाट’ घरसे बाहेर डेना चलन बा । ओसिक टे गँरझुलके, पानिमे बुरके या कौनो बिनाकाल अठवा आट्महट्या कैके मुँलक मनैनके भाट फेन घरसे बाहेर बगिया या कौनो अनुकुल ठाउँमे डेना चलन बा कलेसे भोज कैके फेन यडि बिना लर्का पाइल अँच्रहि मनैं बिटहिं कलेसे लैहर ओ सस्रार डुनु ठाउँमे भाट डेना चलन बा । आउर जन्हुनके भर घरिभट्टरे डेठाँ ।

बभ्ना आगि बारके सेकि टे भाटभन्सा करठ । यहोंर आपन रिट अन्सार गुरै कैठाँ । गुरै कैनाके कारन छुट हुइल डौंटा चोखा कैना ओ मुलक कारन पट्टा लगैना हो । गुरै करेबेर गुरुवन आपन कालगिट या खाँज बिरोखसे मुलक बटैठाँ । उहे अन्सार विस्वास कैठाँ । गुरै कैके सेक्के डेहुरार पिट्टर घिरियैठाँ । पिट्टर घिरियाइबेर सक्कु गोट्यार ठारु–जन्नि रहे परठ् । यडि कोइ छुटल कलेसे उहिसे खारा (डाँर) टिरे परठ् । पिट्टर घिरियाके सेक्टिकि पिट्टर खैठाँ डेहुरार । सक्कु जाने डेहुरार नै अँटैना नै हुइलक ओरसे उहाँ कुछ मनै किल खैठाँ । आउर जाने अँगना या जहाँ खैना बनाइल् रहठ् ओंहे जाके खैठाँ ।

पिट्टर खाके ओराइ टे गोट्यार मिल्ठाँ । गो्टयार मिलेबेर सक्कु जाने सक्कु गोट्यारहे टेल छुके सेवा सलाम लग्ठाँ । टेल बभ्ना छुवाइठ् । टेल छुना कलक चोखा हुइना हो । टेल नै छुवट्सम चोखा हुइलक नै मान्जाइठ् । बभ्ना उज्जर टोपि ओ झुलुवा घलाइठ् ओ आउर जन्हुनहे फेन सिवाइल टोपि पुग्ना मनैनहे टेल छुवैटि घलाइठ् । आउर जन्हुनहे भर टेल किल छुवाइठ् । ओहोंर यिड ठर्वा मुँअल रहि कलेसे ‘रार’ जन्नि मनै फेन डोसर लुग्गा पेर्ठां । ‘रार’ मनै चुरिया नै घल्ठाँ । ओकर सट्टा बाला लगैठाँ ।

टेल छुवाके डानपुन कैठाँ । डानपुनमे बभ्नाहे खटियामे बैठाके टेल–बुकुवा लगाके सम्मान कैठाँ ओ बैठल् खटिया, गाँेड्रि, डरि, छाटा, चप्पल, झुलवा, चडरि, टोपि डेठाँ । ओस्टके भाडा वर्टनमे एकठो बट्लि, डेक्चि, कर्छुल, डरुवा, लगाके रहठ कलेसे एक ढकिया चाउर, एक ढकिया ढान, मकै, टेल, बेसार, टिना टावन फेन डेना चलन बा ।

टेल छुके ओ डानपुन कैके भाट खैना सुरु हुइठ् । भाट खैनासे पहिले चलाइल् सक्कु चाज एकठो पटियामे कार्हे परठ् । कार्हके टब खैना सुरु हुइठ् । खाके आपन नाटा सोर्हि अन्सार सेवा–ढोग लागके विडा हुइठाँ । असिके थारु समुडायमे मरण संस्कार ओराइठ् ।

छविलाल कोपिला
डेउखर दांग

थारु समुडायमे मिर्टु संस्कार

छविलाल कोपिला