गजल
गरीब घरक छावा हेरो उ बुट गइल ।
आघ परल टठियक भाट लुट गइल ।
टोरैयाँ डेखैना घर फाटल चिँठल लुग्गा,
बलटल जाए मुहम मार छुट गइल ।
भगवान फें जहाँ पाटिर ओहैं फ्वाङ्ग पर्ठा,
जे रह उ जिन्गीक साहारा टुट गइल ।
लगलिस कौन पापिक लजर यी घरम,
सबक आघ निजगना कैख सुट गइल ।
ठाकुर अकेला
बर्दिया