मोर प्रिय मैंगर संघरिया,
सागर कुस्मी मैंगर सम्झना ।
अपनेक हाल खबर कसिन बा । महि पूरा विश्वास बा कि अपने बहुट मजा हुइबि । घर परिवार मे सक्कु जे मजा हुइहि कना आस करले बाटुँ ।
सबसे पहले भेट हमार यहाँ थारू महासम्मेलन श्रावस्ती मे हुइल । अपने बहुट मजा मजा गजल फेन सुनैले रहि । अपनेक् डेहल योगदान हमरे कब्बु फेन नै बिस्रबि । हरपल अपनेक याड आइटि रहठ । अपने नेपाल देश के, मैं पर्नु भारत देश के । टब फेन कुछ फरक नै परना हो । हमरे सक्कु जे थारू के संटान टे हुइटि झे ।
हमार डुसरा भेंट चन्दन चौकी के सांस्कृतिक कार्यक्रम मे हुइल रहे । ओहाँ फेन अपनेक् प्रस्टुटी बहुट मजा रहे । भारत मे जब जब कार्यक्रम हुइ टे मै अओअने हे जरुर सम्झम । अपने फेन नेपाल से सम्झटि रबि ना ।
सागर सर, अपनेक याद महि हर पल हर क्षण सटैटी रहठ । अपनेक सँपार जब फे मिली टे मोर ठेगाना घर मे जरूर आइबि कना बटिया हेरके बैठल बटुँ । अपनेक मैंगर संघरिया ।
कर्मवीर चौधरी ।