बरापुक् सम्झना

वीरवहादुर राजवंशी
३ जेष्ठ २०७८, सोमबार
बरापुक् सम्झना

कृष्णपुर कंचनपुर गुलरिया सिंगपुर निवासी स्वर्गीय ठग्गु डगौराके आझ २०७७ चैत ५ डुपहर ४ बजे बिहीबारके दिन ६९ बर्षके उमेरमे असामहिक निधन हुइल । राजवंशी ठाकुर थर गोत्रनके उहाँके निधनले अपुर्णिय इतिहासके क्षति हुइल बा । उहाँके निधनले यि थरके गोत्रहसकन इतिहासके कालखण्डमे भारी बिक्षेत बनाइल् । गोटियार सम्मेलनके तयारीमे जुटल बेला एकठो इतिहास ढल्के कोनो अंगमे भारीे क्षति हुइ पुगल बा । उहाँके योगदान ओ समर्पण भुले नैसेक्बी । राजवंशी ठाकुर थर ज्ञात रहल सम ५३ घरधुरीके धरोहर गुमाइ पुगली । उहाँसे सिखे पर्र्ना ज्ञान, सीप, अर्टी, बुद्धि ओ अनुभव लिपिबद्वके अंश अधुरा होगैल । अस्टे, अस्टे प्रश्नके बावजुट उहाँके निधन प्रति श्रद्धाञ्जली अर्पण कर्टि शोकाकुल परिवारजन उहाँके डेखाइल सुगम डगरमे लामबद्व हुइना ओ दृढ दरिलोके कामना करटी ।


स्वर्गारोहरणके खबर पश्चात् सक्कु गरगोटियार, नाटपाँ मृतकके अन्तिम भेटघाट ओ महु हेरके केउ फूला, अगरबत्ति, तुल कपडा लेके घरपरिवारके सदस्य सान्त्वाना मनोवल उच्च करे अइलैं । गाउँ घरके सक्कु गाउँ बासि रातभर जाग्राम बैठलैं । बिहानके मृतकहे गोटियारहुँकरे लावा कपडा बडल डेलैं । थारु बाहुनसे साँठ बोकक् लाग रस्सी बनासे तयार करलैं । मृतकहे गोटियारहुँकरे डेहुरार हिरण खवाइ लैगिलिन । मृतकसे जन्मके सहोदर बर्का छावा काली बहादुर डंगौरा डेहुरार शुद्ध पानीसे आँखी, नाक, मुख, हाँठगोरा ढोके करु तेल लगैलैं । कप्फनमे सहोदर जन्मल सुपुत्रहुक्र पैसाके गाँठ पर्लैं । बर्का छावा सोनपानी चाउरके हिरण बनाके खवैना सक्कु महिला पुरुष हँुकरे करलैं ।


ओकर बाद बरटि रहल करुटेलहा बत्ती मृतकके छाटिमे ढारके बाहेर साँठ सहित निकारके पुरबक् अंगनामे ओनाट खटियामे सहोदर छावा, गोटियार हुइटि नाटपाँट गाउँबासि सक्कु जाने पालिकपाला लालझाडी बनुवाँमे बोकके लैगिलैं । बनुवाँ पुग्ना पहिले बलुहा लडियामे नघांन कटौनि पैसा डरली ‘माटिक ओरौना, माटिक बिछौना’ मट्यैना ठाउँमे पुगनै । मट्यैना ठाउँ किनलैं । मृतकके सहोदर बर्का छावा पहिले खटाहा खोड्नै । बाँकी औरेजे क्रमशः खोडटि गैनै । बर्का छावा बलुवा लडियामे लहैनै । दुइठो माटीके भाँरामे बभनासंग मृतकहे एकठो भाँरामे चाउर पानी मिलाके भात पकैलैं । अउरे भाँरामे दाल, तिना नुन, तेल, बेसार मिलाके टिना पकैलैं । खटहा तयार हुइल टे बर्का छावा सहित गोटियार सक्कु लास खटियाहे खटहाके आँजरपाँजर डाहिन किनारसे ५ फेरा घुमैलैं । नागे जन्मलैं, नागे खटहामे ओनाट करके कप्फन ओहराके बर्का छावा माटि डरलैं । टब जाके गोटियार हुइटि मलामि सक्कुजे भठरलैं । पहिल माटिक चेपा सहोदर बर्का छावा खानके, अस्टेक सक्कुजे चेपा, खटिया, झारपाट ढरलैं । माटिक ओहोर, अगरबत्ती सुगाांके बलवाु रहल लडियामे सक्कुजे मलामी गैल लहैलैं । सोनपानि छिट्केफे नघांन काटके गाउँके लग्गेफे सोनपानी छिट्के अपन अपन गाउँबासि घरे घरे लगलैं ।


खाना खाके चाउर, नोन, मिर्चा, बेसार, जाँड, टिना लेके मृतकके घरमे दाल भात डेलैं । सखुवाके पट्टाके डोनामे डारु ढर्काइ पन्पिउवा करलैें । खाना, टिना पकाके सेक्के थारु बभना सखुवक् पट्टाके पत्तरीमे सहोदर बर्का छावा खाना, टिना चलैनैं । खाना टिना एक्केमे सानके सखुवक् पट्टा उप्पर छुट्टे काह्रे, हाँठ ढोके खैना शुरु करलैं । यिहिन दालभात कना चलन बा । प्रारम्भिक दालभातके बाद अठ्वारके दिन बाह्र गते मर्निकर्नि कर्ना कहिके मृतकके तीनठो छावा बर्का काली बहादुर डंगौरा, महन्ला दानबहादुर चौधरी ओ छोटका मानसिंह चौधरी तिनुजहनके बराबर ४०÷४० हजार नगद ओ औरे सामान उहे अनुसार ब्यवस्थापन कैगैल । कलेसे बर्का काली बहादुर डंगौराके ४ छावा बर्का चन्द्र लाल चौधरी, महन्ला गणेशबहादुर चौधरी, सन्लाह रमेश चौधरी ओ छोट्का बलबहादुर चौधरी चार भाइहुँकनके १०÷१० हजार कुल एक लाख बीस हजार लागत स्टीमेट तयारी कैगैल ।


अन्य सरसमान तयारीमे मर्निकर्नीके आघक दिन गाउँ घरके भल्मन्साके नेतृत्वमे काठिपाटा, मछरि मारके नोन, तेल, बेसार मिलाके मच्छी लगायत अउरे टिना सहिट किसन्वन संग सक्कुजे संगोलमे गाउँ घर गोटियार सक्कु जे साँझ ओ रातके खाना खैलि । ओ थारु बभना पौवा ओ कुसक गोंडरि बनैलैं । लगभग रातके ८ः४५ बजे ओहोर बभना ढकियामे सखुवक् पटिया, एक्काइसठो सखुवक् डोनिया, लोटियक पानी, एक बोटल डारु, करुक् तेल, एकठो मार्चिस, सातठो बाटी ओ किरिया बठना काली बहादुर डंगौरासे पौवा (खराउ) गोरामे लगाइ, लटठी, एकठो हँसिया लेके बाँकी सामान बभना अप्पने उठाके पुरबक्के डुवारसे बाहेर निकरके लगभग घरसे ३÷४ सय मिटर डुर सक्कु गोटियार मृतकहे बलाइ गैलैं । उहाँँ पुगके सेक्के बभना ओ किरिया बैठना बर्का छावा हसिया, लट्ठी आघे टिसर डगरमे ढारके ओकर पाछे तीन लाइन क्रमशः मिलाके डोनिया ढरलि । बिच्चेक लाइनमे करु टेलाहा डिया, डख्खिन ओरके लाइनमे छाँकि, उत्तर ओरके लाइनमे जल ढरकैटि नाट लगाके मृतकहे खाइ बलैनैंै । छाँकि सक्कु जहन पुग्ना मेरके प्रसादके रुपमे लेलि । ओ लट्ठी, हँसिया कृया बैठ्ना उठैलैं कलेसे बाँकी लाने मिलना सामान बभना उठाके खाइ बलाके सेक्के किरिया बैठनाहे छुट लागनिन् । उहाँके पाछे औरे सक्कु घरके पुरबक् डुवार होके भित्तर गैलि । घर भित्तर किरिया बैठनाहे जालभित्तर कुसक् गोंडरि, सिरानी लट्ठी, हँसिया ढरके ओकर लाग औरे लुग्गा बिछ्यौना बिछके रातभर सुट्नै । उ रात गोटियार जाग्राम बैठना मनै रात कटैलैं ।


ओकर औरे दिन बिहन्नि उठके खौरबार करक् लाग कुसक गोंडरि, लटठी, हँसिया पोवा छाँकि, जल, कैँची, बिलेट, ऐना लेके बभनाके संग आघे ओ बाँकी गोटियार पाछे्पाछे खौरबार कैना ठाउँ पुग्ली । खौरबारके सुरुमे किरिया बैठना बभना मुण्डन करलैं । ओरे जहनके बभना कैँची, बिलेट छुनै टबजाके क्रमिक रुपमे खौरबार मुण्डन कैगैल । खौरबार कैके छाँकि जल ढरकइलैं । बलुवा रहल लडियामे लहाके सेक्के लडियाके पानी अपन लगैना लुग्गामे छिट्ली ओ लगैलि । सोनपानी छिरक्के चोख्खा होके अपन घर प्रवेश कर्नासे पैले पुनः सोनपानी छिरक्के अइलि । गोटियार, गरगोटियार अपन अपन घरसे ठोरठोर चाउर, नोन, बेसार, मिर्चा लेके मृतकके घर अइलि । ओ गुरुवा केसौका गुरैपाटि ओ काल रातके खाइ बलाइल मृतकहे ठटापिटके पठाइना कैगैल् । सिढापानी लेके गैल मनैनहुकन घरभित्तर पनपिउवा कैगैल ।

घरभित्तर गोटियार, बभना, गुरुवा, केसौका सक्कु जहन पित्तरके नाउँमे (कोल्काहि) सखुवक् पट्टा, डोनियामे एक करैक डारु, सुरिक सिकार खैलि, पिलि । टब सम सुरिक सिकार लगायत खाना, टिना पकाके सेकके बभनाहे डेहे पर्ना दान दक्षिणा सक्कु अँगनामे निकरलैं । बभना मृतकके परिवारहँकन डेहेल लुग्गा लगाके, गोटियारहुँकन उज्जर टोपी लगाडेलैं । अस्टेक करुक तेल सक्कु जहन डेलैं । बभना गोटियारहुँकन सक्कुजे सक्कु जहन ढोग सलाम लेके पुनः अपनअपन ठाउँमे बैठटि अपनिहि गोटियारहँुक्रे किल ढोग सलाम लेनै । सखुवक् पट्टा डोनिया (डारु) छाँकी, टेपरि, भात, सुरिक सिकार, दाल, औरे टिना चलैलैं । बभना घ्यु छिरकलै, सोनपानी छिरकलै, अपनिहि बभना छाँकि, भात काह्रे क्रमिक रुपमे कृया बैठनासे लेके सक्कु काह्रे ओ खाना खाइ शुरु कर्लि । आगन्तुक लगायत सक्कुजे खाके सेक्के चोख्खाके ढोग सलाम लेके बिदाबारि लेलैं ।


अन्तमे मर्निकर्निमे चल्ना विशेष सुरिक सिकार ओ डारु हो । मिलावन अन्य मासु, फलफुल फे चलागैल । नेंउटल् गोटियार, नाटपाँट सक्कुहुन सहानुभूति, प्रेरणा डेहुइयन धन्यवाद डेली । डोसर दिन खानपिन कैके फेनसे ठटापिटके केसौकि कैके मृतकहे बिदाइ कैली । यहे समय मिलाके सक्कु गोटियार अपन पृष्ठभूमि, इतिहास, चालचलन, रीतिरिवाजके खोजविन कैना अनौपचारिक बिशेष छलफल कैके भविष्यमे सामुहिक औपचारिक कार्यक्रम कैना सल्लाह हुइल । जय संस्कृति ।

बरापुक् सम्झना

वीरवहादुर राजवंशी

कृष्णपुर कंचनपुर गुलरिया