कैलाली गोरपासुमे टेंस

सोम डेमनडौरा
३ जेष्ठ २०७८, सोमबार
कैलाली गोरपासुमे टेंस

फागुन मसान्तके समय । बसन्त ऋतुके आगमनसँगे हमार यात्रा बर्दियासे कैलाली कंचनपुर ओ बाँकेसमके लाग तय हुइल रहे । रुपन्देही जिल्ला देवदह नगरपालिका वडा नम्बर ११ शंकरपुरसे आभुषण बचत तथा ऋण सहकारी संस्था लिमिटेडके शेयर सदस्यहुकनके अध्ययन भ्रमणहे सहजीकरण करना मोर जिम्मेवारी रहे । यी जिम्मेवारी मोर लाग खास बने पुगल ।
यात्राके पात्रहुकनमध्ये आभुषण बचत तथा ऋण सहकारी संस्था लिमिटेडके अध्यक्ष बासुदेव थारू ओ बाँकेके एकजाने सामाजिक अभियन्ता भाइ सुरेश ऋषि थारू खास रहिंट ।
मोर दैनिक योजना अत्यन्त व्यस्त रहे । दिर्ग भाइ दुई हप्ता पहिलेसे महाशिवरात्रिके दिन दिर्ग भाइके खास योजनामे लेखक तथा नाटककार सुशील दाजु, कलाकार प्रणव आकाश, कथाकार शेखर दहित, दिर्ग भाइहे मै बर्दियाके डल्ला होमस्टेमे बिन्दास तरिकासे रमाइलो करना योजना बनैले रहि ।


यीबीचमे मित्र शेखरजी अपन डोसर कृति ‘गयर्वा बुडुक खिस्सा ठाँह्रा’ फागुन २६ गतेके दिन कोहलपुरमे विमोचन हुइना हुइल ओरसे उ कार्यक्रमके लाग आमन्त्रण करलैं । उहाँक लेखनशैली, कथा वस्तु, शब्द संयोजन, मौलिक ओ ठेट थारू शब्दके प्रयोगसे मै अत्यन्त प्रभावित हुइल बटुँ । साथे, पूर्णिमा साहित्य प्रतिष्ठान साहित्य क्षेत्रमे एक नेतृत्वदायी भूमिकामे आइल संस्थासे यी जिम्मेवारी बहन करलमे मै उहाँ जैसिक हुइलेसे फेन उपस्थित हुइना वाचा करनु । मै उहाँ पुगटसम सुशील दाजु, शेखर दहित, सागर गैरे, दिर्ग भाइ ओ अन्य विशिष्ट साहित्यकारहुक्रे पहिलेसे साहित्यिक माहोलमे गफगैल रहिंट ।
कथाकार माया ठकुरी सम्मानित तथा पुरष्कृत हुइना उ कार्यक्रममे प्राज्ञ सदस्यहुक्रे डा. योगेन्द्र यादव, डा. उषा ठाकुर ओ कथाकार सनत रेग्मीजीके सामिप्यता पाके अत्यन्त खुसी लागल । साहित्यके विकास ओ खास करके अनुवाद साहित्यके विषयमे मै ढेर सिख्ना अवसर पैनु । कार्यक्रममे आधा प्रतिशत जत्रा थारू साहित्यमे केन्द्रित रहल ओरसे हम्रे कमसेकम अत्रा करे सेक्ले बटी जस्टे लागल ।
कार्यक्रम पश्चात मै, सुशील दाजु, मित्र शेखर दहित ओ भाइ दिगके टोली मित्र कृष्ण चौधरीके गाभर भ्याली होमस्टेओर लग्ली । कार्यक्रमके समीक्षाके साथे उहिनसे हुइल सिकाईके बारे एकआपसमे आदानप्रदान हुइल । शेखरजी अपन कारुणीक जीवन भोगाई, बाबासंगके सिकाई, अपन दादासँगके मैंयाके बारेमे बटाइबेर मै भावुक हुइनु । उहाँ मोर साहित्यिक ओ पत्रकारितामे करल संघर्षबारे स्मरण करैलैं । २०६२ ओर हो, टेंस ओ सरासर पत्रिकासे हाँठ नैकिरलेसे मोर दुनु आँखी निकारडेना अज्ञात नामसे पत्र मार्फत धम्की आइल रहे । दिर्ग भाइ अपन रुची करल संगीतके पह्राइ आर्थिक समस्यासे स्थगित करल ओ पाछेक् संघर्षके यात्रा कम्ता कारुणीक नैरहे । उहाँ औपचारीकरुपमे उच्च शिक्षा लेहे नैपैलेसे फेन विश्वके ढेर नेताके बारेमे ओ विश्वके ढेर देशके बारेमे मजा ज्ञान बा । उहाँक मिजाशिलो व्यवहार ओ मेहनतसे महिनहे एकडम प्रभावित परले बा ।


रुपन्देहीसे अइटीकरल आभूषण बचत तथा ऋण सहकारी संस्था लिमिटेडके अध्ययन भ्रमण मै सहजीकरण करेपरना हुइल ओरसे दिर्ग भाइके अनुरोध पुरा करे नैसेक्नु । मै बिहाने गाभर भ्यालीसे बर्दियाके लाग निकरनु । मोर गोसिनिया आरतीहे कोहलपुरसमके लाग धम्बोझीमे पुगाके मै बर्दिया डौरनु । बिचबिचमे रुपन्देहीके टिम ओ कार्यालयके संघरियनसँग सम्पर्क करटी गैनु । रुपन्देहीके टिम कोठियाघाटमे फोटो शेशन करके भर्खर युनिक नेपालके लाग बसमे चह्रल रहिंट । मै सवा ९ मे युनिक नेपाल पुग्नु टे उहाँहुक्रे फ्रेश हुइटहिंट ।
खाना खाके, डा. गोपाल दहित अपन विद्यावारिधी करल सोधपत्र आदिवासी थारू बुद्ध ओ बुद्धिजमसंगके सम्बन्ध बारे छोटकरीमे प्रस्तुतिकरण करलैं । उहाँ आबके २०७८ के जनगणनामे थारूहुक्रे जाति थारू, भाषा थारू ओ धर्म बुद्ध लिखाइ पर्ना आग्रह करलैं । धर्मके बारेमे मै अभिन फेन पुर्णरुपमे बुद्ध लिखाइ परठ या अन्य कौनो स्पष्ट हुइ सेकल नैहँु ।
थारू समुदायके गाउँके साझा देवता रना स्थान ठन्ह्वाँ रहठ् । ठन्ह्वाँमे जगनठ्या मुख्य देवता रठैं । पाँच पाण्डवके फेन स्थान रहठ । पन्जरे डहरचन्डी रठैं । हरेक घर या कौनो गोत्रके एक घरके डिउह्रारमे थारू थर अन्सारके देवता रहठ । पाटा जैठो रलेसे फेन बीचके पाटा मुख्य मानजाइठ । आकारमे भारी ओ ओम्ने छोट उप्पर मैयाँ, खेखरी, सौंरा, बहर्नी अनिवार्य रहठ । हरेक पुजा कर्म ओहे पाटासे शुरु करजाइठ । हरेक घरके उत्तरके पाटामे थर अन्सारके माटिक घोरुवा रहठ । थर अन्सार केक्रो भेंर्वा ओ गुनी रकठ कलेसे केक्रो भेंर्वा किल फेन रहठ । यि कलेक थर अन्सारका देवता हुइँट । पाटाके दक्षिण भागमे प्रायः चुरुन्या रहठ । थारू थर अन्सार केक्रो घरके बहरीमे पस्का ओ अंगनाके बिचमे फेन देवताहे पुजा करना स्थान रहठ । जोगेठ्वा थरके थारूहुकनके पस्कामे जोगेठ्वा देवता (उहाँहुकनके अन्सार सापसहित जोगी हुइना) रना ओ ओहे स्थानसे अगनामे सापहे पुजा करना बटैठैं ।

ऐतिहासिक दस्तावेज, सामाजिक रितिरिवाज, बानी व्यवहार, प्रयोग करल भाँडाकुँडा ओ भौगोलिक अवस्थितिके अन्सार बुद्ध थारूके सन्तान रहल बाट उल्लेख करले बटैं । थारू समुदाय आदिवासी धर्तीपुत्र हुइँट कनामे केक्रो बिमती नैहो । बुद्ध जन्मनासे पहिले फेन टे थारू समुदायसे मन्ना कौनो ना कौना धर्म रहे । बुद्ध बुद्धत्व प्राप्त कर सेकलपाछे उहाँक शिक्षाहे बुद्ध धर्मके रुपमे माने लग्लैं । अब्बे बुद्ध धर्म मनुइयनमे नेपालमे खासकरके लामा, मगर ओ अधिकांश अन्य देशमे चीन, कोरिया, जापान, म्यानमार रहल बा । हम्रे अब्बे मन्ना कहे लागल बुद्ध धर्म उहाँहुकनके जस्टे हो या फरक ? यी मोर पहिल जिज्ञाशा हो । ओस्टे हो कलेसे थारूके घरमे रहल देवताहुकनके नामाकरण का करना, पूजा बिधी का करना ? बुद्धसँग व्यवहार मिलठ । नश्ल मिलठ । सबकुछ मिलठ । अइसिन कटिमे, ओहे धर्म हो कना बाट कैसिक पुष्टि करना ? कुछलोग का व्याख्या करठैं कलेसे थारू समुदायके देवताके आकृति फरक ओ पुजा विधि फरक रलेसे फेन देवताके नाम हिन्दु धर्मके पात्रसँग मिलठ ओ काव्य तथा गीत फेन हिन्दु धर्मके पात्रसँग मेल खैना हुइल ओरसे हिन्दु हो करना करठैं । नेपाल सरकार तथा राज्य सत्तासे अभिन फेन थारूहुकनहे बिना पुछ्ले हिन्दु लिख डेले बा । हम्रे थारूहुक्रे फेन हमार धर्म का हो कना अन्यौलमे रहल ओरसे कहुँकहुँ लिखेपरल या कहेपरल कना रतन्तेके आधारमे हिन्दु कटी आइल् बटी । यहाँ बिचार करेपरना का डेखाइठ कलेसे, थारू देवताके नाम हिन्दु धर्मके पात्रहुकनसँग मिल्लेसे फेन पुजा विधी ओ देवताके आकार पुर्णरुपमे फरक बा । बुद्ध कलेसे फेन ओकर बारेमे अधिकांशहुक्रे जानकार नैहुइँट । रुपन्देहीके आभुषण बचत तथा ऋण सहकारी संस्था लिमिटेडके अध्यक्ष तथा शिक्षक बासुदेव थारू यहोर ना ओकर ढुलमुल हुइनासे हम्रे बुद्ध धर्म कना उपयुक्त हो । मोर भर कुछ फरक विचारमे थारू धर्म कलेसे कैसिन हुइ ? हम्रे ढेरजैसिन प्रकृतिके पुजा करठी । प्राकृत धर्म हमार जिभ नैछुवठ । यसर्थ, थारू समुदायके थारू धर्म कहिके थारूहुकनमे एकताके माला गुठ्न उपयुक्त डेख्ठुँ ।


हमार यात्रा राजापुर बजार, टीकापुर पार्क हुइटी कैलालीके भादा होमस्टेमे बिस्रामके लाग पुगल । रातिक खाना ढिल हुइल । बिहान हमारसँग कुछ समय बचल । मै थारू थर ओ उहाँहुकनके देवताके बारेमे बुझ्ना मौका छोप्नु । भादा होमस्टे घर नम्बर ५ मे जाके । वहाँके डिउह्रारमे रहल डिउँटा हेरनु । उहाँहुक्रे अपन थर चिलरउह्वा रहल बटैलैं । उमेरसे ४० नाघल दम्पत्ति हुइही । मै उहाँहुकनहे गुर्बाबा, मैया, खेखरी, सौंरा ओ उत्तरओर रहल घोर्वा डिउँटाके नाम ओ भुमिका पुछ्नु । झोर्यामे गुर्बाबा नैरहल बटैलैं । डिउँटाके नाम टे कलैं मने उहाँहुकनके भुमिका कहे नैसेक्लैं । चिल्रउह्वा थर कैसिक हुइल यीबारे कहे नैसेक्लैं । हम्रे थारू समुदायके सबसे भारी कम्जोरी यिहे हो । हमार धर्म ओ पहिचानमे रहल सबसे भारी प्रहार यिहैं हो । हम्रे अनिवार्य नेपालीमे समावेश कराइल हिन्दु धर्मके देवी देवताके बारेमे पह्रना बाध्य हुइली । मने हम्रे अपन डिउँटाके बारेमे कहँु फेन पह्रे नैपैली । हमार आजा पुर्खाहुक्रे हमार डिउँटाहुकनहे भुट्वा बनाके हम्रिहिनहे डर डेखैलैं । पुजा कलि करना मने यि डिउँटाके भुमिका यि हो कहिके ओइनके महत्व कबु नैबुझैनै । यीकारणसे फेन हमार थारू समुदायके अपन देवता झाडीमे ओ धुलाम्य रठैं । औरेक देवतााहे पोस्टरमे चम्काके अगरबत्ती बरठैं । यी हम्रे तत्काल सुधार करेपरठ । औरक मठ मन्दिरमे ढोग लग्ना हम्रे अपन ठन्ह्वा ओ डिउह्रार ओ मर्वाके डिउँटाहे ढोग लग्ना वातावरणके सिर्जना करेपरठ ।


बिहानके खानापाछे अत्तरिया हुके दोधारा चाँदनीहे जोरना महाकाली नदीमे बनल झोलुंगे पुलके अवलोकन पश्चात कैलालीके घोडाघोडी नगरपालिका अवस्थित माघी थारू होमस्टेमे रात बैठे अइली । होमस्टेके कोठाके अवलोकनके क्रममे घर नम्बर २ मे गिनु । एकजाने दाजु पालीमे बैठके सोयबिनसँग मजासे चुस्कि डेह टहिंट । उहाँक डाइ फेन रहिन । उहाँक थरके बारेमे पुछ्नु । कट्युँ पहरिया थारू कलैं । मै पहिलचो सुनल थर हो यी । यी थरके मिथक बारे जन्ना मन लागल । उहाँ अपन पुर्खाहुक्रे कटी आइल बाट कहिना सुनैलैं । उहाँके अन्सार, पहाडमे गोठ गिल बेला एकजाने पहाडीसँग भेट हुइल । रस्सि बटे बेर दुनु जानेमे के तगडा कना प्रतिस्पर्धा चलल । रस्सि जराके उहिनहे नैटुरके जे किला ठोके सेकी उ बिद्धत हुइना प्रतिस्पर्धा चलल । पहाडी नैसेकल । मने थारू मजासे किला ठोकल । जरल रस्सि फेन नैटुटल । पहाडी कहल टुटे कट्युँ थारू होउ । उबेलासे कट्युँ पहरिया थारू थर रहल उ दाजु ओ उहाँक डाइ कलैं ।

रातके साँस्कृतिक कार्यक्रम हेर्ना कलेसे फेन मौका नैमिलल । बिहान उठके गाउँ घुमे निकरली मै ओ सुरेश ऋषि भाइ । थरसे गरर्या कुसम्या बटुइया भाइ बाबा ओ दुई भाइके नाममे समेत ऋषि जोरल बटैलैं । मने काहे जोरल बारे बटाइ नैसेक्लैं । गाउँक पश्चिमओर गिलमे मै ढकमक्क फुलल एकठो रुखवा डेख्नु । कुछ हप्ता पहिले मोर गोसिनियासँग नेगेबेर राजापुरके धोबिनपुर लग्गेक गाउँमे रहल ढकमक्क फुलल रुखवा डेखाके टेंस फुला कहिके चिन्हैले रहि । टबे साथमे क्यामरा नैरहल ओरसे औरेचो अवलोकन करे अइना मनसाय बनैनु । उ मौका माघी गाउँमे जुरल । आसपासके एकजाने महिला ओ औरे पुरुषहे पुछ्नु पर्सा फुल बटैलैं । थारू भाषामे कहु टेंस टे कहुँ पर्सा, पराँस कहिजाइठ । नेपालीमे पलाँस । लग्गे गैनु, जमिनमे झरल फूला उठैनु । रुखवामे रहल फूलक फोटु लेनु । तरे गिरल फूलक फोटु खिच्नु ।
मै यी फूलहे घन्गरसे हेरनु । अइसिन हुइनामे फेन कारण बा । यी फूलासँगके सामिप्यता ओ घनिष्ठटा छुट्टे बा । २०६२ सालओरके बाट हो । नेपालगन्जमे आदर्श उच्च माविसे १२ कक्षाके अध्ययन ओरवाके महेन्द्र बहुमुखी क्याम्पस, नेपालगन्जमे भर्ना हुइल रहुँ । देशमे ११ वर्षे जनयुद्ध अन्तिम चरणमे रहे । उहेबेला मित्र नरेश लालकुसुम्या, राजकुमार कुसुम्या, निराजन रत्गैंया, रघु थारू, बिमल चौधरीके विशेष सहयोगमे सरासर साहित्यिक त्रैमासिक पत्रिका प्रकाशनमे नन्ले रहि । मै सम्पादक रहुँ ।


टेंसके फूल महिन टेंस पत्रिकाके स्मरण कराइल । क्याम्पसमे गठित थारू विद्यार्थी परिवार माओवादीसे चलाइल सशस्त्र युद्धके कारण सुषुप्त अवस्थामे रहे । हम्रे प्रवेश हुसेकलपाछे पुनः उठाइपरल कना मनसायसे पुनजागृत करली । उबेला कोषमे ५२ रुपैया किल रहे । मैनापोखरके एकजाने मित्र ठग्गा थारूके अध्यक्षतामे थारू विद्यार्थी परिवारके पुनगर्ठन हुइल । मै उपाध्यक्ष रहुँ । द्वन्द्वके कारणसे स्थगित थारू विद्यार्थीके मुखपत्र टेंस पुनः प्रकाशन करना योजना बनैली । मै ओकर प्रधान सम्पादक बन्नु । ओहे बेला डंगौरा ओ डेसौरी थारू भाषाके हल्का बहस फेन चलल रहे । टेंसमे यी सम्बन्धि लेख फेन छापल रहे । ओहे बेला, उ दुनु पत्रिकासे हात नैनिकरलेसे दुनु आँखी निकार डेना फत्तेबहादुर थापाके नामसे बायाँ हाँठसे लिखल धम्कीपूर्ण अज्ञातपत्र आइल । देशमे द्वन्द्व चलल बेला अइसिन पत्र हाँठमे परलमे मै एकडम डराइल रहुँ । पत्रिका निकरना इच्छा मरल नैरहे । रोक्ना बारे एकचुटि फेन नैसोच्ली । मने सम्पादकके नाम बदलके प्रकाशनमे नानल करली । सरासर पत्रिका मोर गोसिनियक सम्पादकत्वमे निरन्तरता डेली कलेसे टेंस पत्रिका राजकुमार कुसुम्याके सम्पादकत्वमे निरन्तरता डेली । मै भित्रेभित्तर काम करटी रहुँ । थारू भाषा ओ साहित्यके उत्थान, विकास ओ पहिचानके लाग मोर प्रयास कबु नैरुकल ।
घोरीघोरा मन्दिर
धम्कीपूर्ण पत्र आइल बारे हालके कान्तिपुरकर्मी तथा नेपाल पत्रकार महासंघ, बाँकेके अध्यक्ष दाजु ठाकुर सिंह थारूहे जानकारी करैनु । उ बेला उहाँ त्रिभुवनचोक लग्गे कार्यालय रहल मेघराजके सम्पादकत्वमे प्रकाशन हुइटीरहल मध्यपश्चिम पत्रिकामे काम करिंट । उबेला मोर समस्या बारेमे दाजु कौनो रेस्पोन्स नैडेहलमे दुःख लागल रहे । उहाँ नेपाली भाषाके पत्रकारिता लागल रहिंट ओ मै थारू भाषा ओ साहित्यके विकास ओ उत्थानके लाग मरमेटल रहुँ । अक्षरके खेटि करना एक थारू औरे थारूहे निराश बनाइल दिन रहे उ ।

माघी होमस्टे मोर लाग अत्यन्त महत्वपूर्ण बसाइ बनल । जहाँ मै पुनः ऐतिहासिक दिनके स्मरण करे पैनु । थारू भाषा, साहित्य ओ पत्रकारिताके लाग करल संघर्षके यात्रा स्मरण करना मौका पैनु ।
बिहानके खानापाछे हम्रे घोडाघोडी मन्दिर ओ टलुवक अवलोकनके लाग नेंगली । रुपन्देहीके टिम बुद्ध धर्म प्रति ढेर आस्था रहल ओरसे घोडाघोडी मन्दिरके दर्शनमे ध्यान नैडेलैं । टलुवक अवलोकनमे समय डेलैं । मै भर, घोडाघोडी मन्दिरके खोजके लाग क्यामरा ओ माइक तयार करनु । साथमे रहिट सुरेश ऋषि भाइ । उहाँ नेप्लिज थारू युनिटी पेजके एडमिन हुइटैं काहुन । उहाँ महिन फेसबुकमे साढे तीन वर्षसे फलो करट टहैं । आभूषण सहकारीसे जुरा डेहल जम्काभेटमे उहाँ महिनहे भेटके एकडम खुसी हुइलैं ।
घोडाघोडीके थारू नाम घोरीघोरा हो । मने, नेपालीकरण करके यकर नाम घोडाघोडी करागिल । थारूके देवीदेवता (घोर्वा) किल रहल उ ठन्ह्वा हिन्दुो मन्दिर जस्टे बनागिल बा । वरपर हिन्दुके मन्दिर टमान मनल बा । थारूके धर्म ओ देवता उप्पर जबरदस्त हस्तक्षेप हुइल महशुस हुइठ । हुइना टे देवता सबके साझा हुइट यद्यपि थारूके पहिचान भर खतरामे परल डेखाइठ । मै घोडाघोडी मन्दिरके मुख्य पुजारी गुलाबुदास थारूसँग बाट करनु । उहाँ निधारके बिच भागमे लाल ओ वरपर उज्जर टीकाधारी हुइट । उहाँहे मन्दिर भित्तर रहल घोरुवक नाम ओ भूमिकाके बारेमे बटाडेना कनु । बघारी बाहेक बटाइ नैसेक्लैं । अप्ने अइसिन टीका काहे लगैठी ? मन्दिरमे घन्टी काहे अत्रा ढेर बाँधल बा कना लगायतके जिज्ञासा ढरनु । उहाँ अपनहे रामके भक्त रहल ओ राम थारूके देवता रहल बटैलैं । नेपालके तराई भुभागमे महिषपालवंशी अहिरहुकनके प्रस्थान सँगे थारू समुदायउप्पर ओइनके भारी प्रभाव रहल । ओइनहिनसे थारूहुक्रे अपन स्यावा ढ्वाग बिस्राके रामराम ओ सिताराम कहे लग्लैं । कहिजाइठ, रामायण एक काल्पनिक कथा हो जेकर पात्र राम फेन काल्पनिक । हम्रे थारूहुक्रे अत्रा भारी भ्रममे परके अपन देवता ओ धर्महे बिस्रैले बटी ।


उहाँ कठैं, अपन भाकल करल ओइसिन व्यक्ति मन्दिरमे घन्टी चह्रैठैं । जबकि थारूके ठन्ह्वा, मर्वा या डिउह्रारमे कबु घन्टी नैचह्रठ । थारूसे ढेर गैर थारूहुक्रे उ मन्दिरमे दर्शन करे जैना सकरात्मक रलेसे फेन यी मन्दिरहे ढिरेसे हिन्दुकरण करजाइटा ।
यात्रामे टमान मनकारीहुकनसँग भेट हुइल । सम्बन्ध बह्रल । सबके नाम उल्लेख करे नैसेकलमे कहँु कहँु अपुरा फेन लागल बा । यी यात्राके मौका जुरा डेहुइया युनिक नेपालके कार्यकारी अध्यक्ष आदरणीय दाजु प्रिमबहादुर थारूहे मुरीमुरी धन्यवाद डेहे चाहटुँ । यात्राहे ओजपुर्ण बना डेना ओ अध्ययनात्मक बना डेना आभुषण बचत तथा ऋण सहकारी संस्था लिमिटेड, रुपन्देहीके अध्यक्ष बासुदेव थारू लगायत सहकारीके सक्कु शेयर सदस्यप्रति आभारी बटुँ । यात्राके क्रममे मिठ मिठ खाना पकाके खुवइना दिदीहुक्रे मोर धन्यवादके पात्र हुइँट ।
बसके क्याबिनमे बोनटमे साँकिर सिटमे गोर खुम्चाके कठिन जस्टे लग्ना यात्राहे रमाइलो बना डेना उ बसके मुस्कुरैटी रना चालक मित्रहे धन्यवाद नैडेके रहे नैसेकम ।
लेखक जंग्रार साहित्यिक बखेरी, नेपालके केन्द्रिय अध्यक्ष हुइँट ।

कैलाली गोरपासुमे टेंस

सोम डेमनडौरा