साहित्यिक फँटुवामे बलगर खुँटा सागर डाडुक् सम्झ्ना

प्रबिन बौखहि
१९ जेष्ठ २०७८, बुधबार
साहित्यिक फँटुवामे बलगर खुँटा सागर डाडुक् सम्झ्ना

चिसापानी लडियासे लम्मा ओ कंञ्चन समझ्ना अइटी रहठ । अप्ने वहाँ निके-निके हुइबी कामना करटी सुखे-डुखेक बाट एक परगा डट कम मार्फट मनके बात बट्नि करे जाइटुँ ।

 थारु बस्टिके साहित्यिक क्षेत्र के बलगर डुल्हा खुँटा हुइटी डाडु सागर कुश्मी । कोरोना महामारीके चेपुवा मे सारा देश दुनिया परल बा । सब ठाउँमे लकडाउन बा । नेपालमे फेन इहे हालट बा । नेपालमे कोरोनाके डोसुर लहरमे बहुट जे इ धर्टीमातासे सडाके लक बिडा लेके गैसेक्ल बटैं । बहुट संक्रमिट हुइल बटैं।संक्रमिट ओइन बहुट डर त्रास बटिन, मै फेन अब्बा संक्रमिट बटुँ ।

कोरोना संक्रमिटके जरसे उक्ठैना मेराइक अभिनसम कौनो डवाइ बिरुवा नैबनल हो । एकर बिरुवा कलसे टाटुल पानी पिना ओ सबसे मजा डवाइ कलेक मन बल्गर बनैना आत्माबल मजबुट कर्ले रना हो । इ बात स्वास्थ्य कर्मी, न्युज ओ सागर कुस्मी डाडु लगायट बहुट संघरियन फोन करके, च्याट, म्यासेजमे सरसल्लहा डेलैं ओ डेटि बटैं।

 महिन बहुट खुशि लागठ । सागर डाडु हमार बस्टिके साहित्यक बलगर खुँटा हुइलकमे । महिन गर्व बा । अपने महिन हरडम साहित्य क्षेत्रमे कलम चलैना हौसला परगा बरह्वाडेठी । सुनसान कवाइल पटाइल का करुँ का नै करुँ ? हिटुवा जस्ते चिमचाम मनै डेख्के मनै डरैना, मनैंनसे ओलटार, डुर के बास बैठे पर्ना, इ कसिन दिन डेखे परल डाडु ? इ हे ब्याला सुनसान अनकटटार बैंरावन लग्ना समयमे अपनेक डेहल हौसल्ला, प्रेरणा आझ बैरागि मन बहलाइक् लाक साहित्य रचना करटी मन बुझाइटुँ । मन बहलाके कोरोनासे लरना क्षमता साहित्य एक मजवुट डवा हो, जिना आधार बनल  डाडु । इ अपनेक बहुट बरवार डेन हो ।

सागर डाडु अपनेक डेहल हौसला, मैंयाँके जत्रा टारिफ करके साध्य नैहो । कोरोना कहरमे मानव बस्टिके गुमनाम पात्र हुइटैं कोरोना पोजेटिभ मनैं । मानव जोके मानवसे अलग बास कटाइ पर्ना, मानव बस्टिके गुमनाम पात्र मध्री मै फेन हुइटुँ । बहुट बरवार मुटु कराइक परठ । मनैनके घृणा सहे परठ । घृणा तिरस्कारहे मन भित्रर डवाके साहित्य रचनाके टिसलोर ओ निख्खार कलमसे कोरोनाहे साहित्यक कलम मार्फट गोझटी आझ मन बहलाइटुँ । आखिरमे साहित्य जो कठिन अवस्थाके सघरिया बनल आझ ।

साहित्य उ हठियार हो जौन लाखौं करोडौंके भिरमे एक लौटी लरना हिम्मट ओ साहास डेहठ । टबेमारे आझ मै बहुट खुश बटुँ । इ बेलामे महिन प्रत्यक्ष अप्रत्यक्षरुपमे सरसल्लाह डेहुइया सक्कु जहनमे अभार व्यक्त करटुँ ओ हलिसे हलि मै कोरोनाहे परास्ट कर्ना बाचा करटुँ । लेउ टे सागर डाडु सक्कु जहनहे डिलसे सलाम मर्टी आझुक् मन बुझावन सम्झ्ना भरल चिट्ठी टिसलोर निख्खार कलम बन्ड करटुँ ।
अपनेक भाइ
प्रबिन बौखहि
बैसपुर कैलारी
(अब्बा होमआईसोलेसनमे)

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प्रबिन बौखहि