काहे ऐसिन मै पहिलबार सोंचलेले रहुँ

बलराम चौधरी
३२ जेष्ठ २०८०, बिहीबार
काहे ऐसिन मै पहिलबार सोंचलेले रहुँ

गजल
बर्हियासे बोल्कार डेलो उहिन प्यार साेंचलेले रहुँ ।
खै कनि काहे ऐसिन मै पहिलबार सोंचलेले रहुँ ।

कसमसे सोंचाइफें का का आइल बिन कामेक,
हेरोना टोहाँर घरहे अपन ससरार सोंचलेले रहुँ ।

इहे गल्ती टो आब महिनसे होगिल यार माया,
जौन टुँ सोंच्ले नाइरहो उ अगार साेंचलेले रहुँ ।

टुहिनसे बात हुइल टो ना अपने मनैहस लागल,
टोहाँर सँगसँगे रना अलग्गे संसार साेंचलेले रहुँ ।

टुँ सँघरिया मान्के बात करो महिनहे पटैनै रहे,
मै जुन सँचमे टुहिन अपन परिवार सोंचलेले रहुँ ।

बलराम चौधरी
जानकी गाउँपालिका–१ धर्मापुर, कैलाली

काहे ऐसिन मै पहिलबार सोंचलेले रहुँ

बलराम चौधरी