बतासे झरनाके सम्झना

तिलक डंगौरा
१ असार २०८०, शुक्रबार
बतासे झरनाके सम्झना

संस्मरण

बतासे झरनाके सम्झना

डसिया अइनासे पहिले कंचनपुरके बेलडाँरि ओ बतासे झरना घुमे जैना योजना बनल रहे । मने डसिया लग्गे आइगिल कहिके वहाँ जैना नाइ हुइल । मने डसिया औरैटी किल वहाँ जैना फेनसे सल्लाह हुइल । हम्रे हमार गाउँ दुर्गौलीसे निकर्ली । यहाँसे हम्रे मोटरसाइकलमे दुई जाने गैली । सक्कु जाने अतरिया जुटके वहाँसे सिढा कंचनपुरके झन्डाबोझी गाउँक बरघर हिमाली चौधरी घर गैली । पुगके सक्कु जहन राम राम करली ।

वहाँ टो पुग्टी किल बैठेक टन खटिया बिछैनै और पानी डेहे लग्नै । कठैं खैना पिना टो अस्टे टस्टे हो, कहुँ जैबो टो मजासे बोली बचन कर्ना और बैठे डेना और एक लोटा पानी डेहंै उहे सब्से बर्वार बात हो ।

एकघरीमे टो पचपचसे साँझ होगिल । कार्तिकके महिना ना कहे जाए । बतासे झरना बहुत दुर हुइलेक और्से उहे दिन वहाँ जाके लौटके आइ सेक्ना अबस्था नाइ हुइल बस नाइ गिलि । टब जाके सल्लाह कर्के आब कंचनपुरके बेलडाँरि थारु संग्राहलय जाइ कना बात हुइल ।

सक्कु जे ढिला नाइ कर्के संग्राहलय अवलोकन करे जाइ कना सल्लाह हुइल और निकरगिलि हम्रे सक्कु जाने । वहाँ बर्वार बर्वार मनै हमार अस्रा लागल रहिंट । उहे संग्रहालयके अध्यक्ष सब हमार थारु जात हिन चिहिनैना गर गहना, पुरान पुर्खौली गोरा मन घल्ना पौवा से लैके सक्कु समान बहुत मजासे ढारल बा । बहुत खुशीक बात रहे मोर लग टो । जोकि पुरान पुर्खौलि सरसमान डेखे मिलल । बुझे मिलल । कुछ सिखे मिलल । हम्रे सक्कु मजासे अवलोकन कर्के आब अन्ढारफें हुइटा कहिके घर लङ्ग जाइ । बरघर जि क घरमे भात टिना पकाटा उहंै मजासे खाब नाचगान कर्ब कैक घरे और लग्ली । अन्ढार हो चुकल रहे सुट्ना ठाउँमे मने पुग्ली ।

वहाँ एकघरी बैठके सेकके आब भात खाइ चलो कैके कहे लगनै बरघर । सक्कुजे सङ्गे लाइन लागके बैठ्लि और भात खैली । एक घची पाछे बरघर गाउँ मनिक मनैन बलाके नाच गान करि कैक खुब जोर जोर्से मन्डरा बजाइ लग्नै । और गित फें गाई लग्नै । वहाँक् मनै बरे सिपार सिपार रना । बरघर सब जहन पुरान पुरान गितके तालिमफें डेहल रहैं । उहे गाके सुनैनै बहुत मजा लागे महिन टो । झन झन रात उहे झन झन मजा लागे सागर दाजु एक छिन टो खुब नच्नै । आहा हेर्टी मजा लग्ना । ढिरे ढिरे बहुत रात हुइ लागल आब सुटि कैह्के सुटना कोन्टिम गैली और सुट्ली । काहे कि डोसर बिहान टो हम्रहन बतासे झरना हाली जिना रहे बस हाली सुटगैली ।

डोसर बिहान हम्रे सक्कु जाने हाँठ मुह ढोके नास्ता पानी कर्के बिहन्नी चल गिलि बतासे झरना अवलोकन करे । बतासे झरना बहुत दुर हुलेक और्से डग्रे मन चाउचाउ भुजा लेलि । और निकरपर्ली पाहारे पाहार बतासे झरना ओर । हँस्टी बटवैटी अपन लेखल मुक्तक गजल सुनैटी संघरियन संग हुक्रहन नेंग्टी । कहु जैबो टो नेग्बो टो शरीरफें मजा रहठ । नेगे पर्ठ कना अस्टे अस्टे बात हुइटी रहे । सक्कु जाने कब आइ बतासे झरना हम्रे टो नेंग्के मिछाइ गैली कना हस बात करैं । सागर दाजु जुन सक्कु हुनसे लास्त रना । भाइ रुकि बिसाली कहैं । हम्रे जुन नेग्नै करि । काहे कि हाली पुग्ना रहे । और हाली घुम्के फें आइना रहे । मने दुई घन्टाके नेगाइ बाड बलटल पुग्ली टो सब चिल्लाइ लगनै । वाह कहिके कोइ कहटा हाँ जब पुग्ली टो बहुत मजा लागल । सक्कुजे एक छिन बिसाइ लग्नै । और फोटो ओटो खिछे लग्नै । बहुत रमणीय ठाउँ लागल महिन टो सब्से सुरुमे हम्रे पुगल रहि उ ठाउँ एक छिन पर्से टो मनै बहुत आइ लगनै । उहाँ हम्रे ढिला नाइ कर्के याडके लग ग्रुप मन फोटो खिच्ली । और लैगिल नास्ता उहै खैली । और नेग्नै कर्ली वहाँसे । वहाँसे आइना क्रममे मनै टो लाइन लागल जाइ लग्नै । एक दुई ठो नाइ १००÷२०० मनै गैनै हमार आइठ भरिम ।

डग्रेमे टब वहाँसे ढिला नाइ कर्के सिढा घरे अइलि । और भात टिना सब पाके तयार रहे । उहे खैली और घरे लङ्ग नेंग्ली काहे कि मोटरसाइकलके सफर रहे घरे पुगठ पुगठ हमार सात बज्गिल रहे । घरे पुग्के बिरि खाके ठकलके मारे मै टो सुट्िगनु निडैलक पटे नैचलल ।

तिलक डंगौरा
जानकी २ दुर्गौली कैलाली

बतासे झरनाके सम्झना

तिलक डंगौरा