महादेवके टिसरा आँखी

बिन्ति राम महतो
१५ असार २०८०, शुक्रबार
महादेवके टिसरा आँखी

महादेवके टिसरा आँखी

हरेक इलेक्ट्रोन प्रोट्रोनके कणकणमे चेतना बा । इहे इलेक्ट्रोन ओ प्रोट्रोनमे रहल चेतनाके समस्तिगत रुप आत्माके रुप धारण करठ ।

संसारहे हमार हेर्ना ओ नाइ हेर्नामे बहुत फरक परठ । हमार हेर्लेसे संसार एक मेरके रहठ ओ नाइ हेर्लेसे डोसर मेरके । इ बात आझके विज्ञान जगत सावित कैसेक्ले बाट । हमार हेराई ओ नाइ हेराइ, यी संसारहे कटरा फरक पारठ कना बात क्वान्टम भौतिकिके दुनियामे चमत्कार सावित हुइल डबल स्लिट एक्सपेरिमेन्टसे पुस्टि हुइल बा ।

अति सुक्ष्म स्तरमे परमाणु ईकाई कैसिके अपन स्वरुप बदलठ कना बात इ परीक्षणसे प्रस्ट पारगैल बा । परमाणुके द्घैध स्वरुपके यहॉ बर्णन कैगैल बाट । परमाणु अक्के समयमे वस्तु तरंग दुनु रुपमे रहठ । जव एकर जांच कैजाइठ टव यी एक स्वरुपमे देखापरठ । उहिसे पैहले यी तरंगके रुपमे सर्वव्याप्त रहठ । डबल स्लिट एक्सपेरिमेन्टमे जवजव एक ईलेक्ट्रोन कैसिके वस्तुके रुप लेहठ कैहके जाने खोज्गैल बा । टबटब उ अपन स्वरुप पार्टिकलके रुपमे देखैले बा । एक पार्टिकल कैसिके वेभके रुप धारण करठ कैहके एक डिटेक्टर (सुक्ष्म दर्शक यंत्र) मार्फत हेरेबेर यीअचम्मके व्यवहार साबित हुईलक हो । वैज्ञानिक हुक्रन्के हर बारके परीक्षणमे यी स्वरुप देखा परेबेर एकर पुस्टि कैगैल हो ।

वास्तवमे हमार हेराइसे यी संसारहे बहुत फरक परठ । हम्रे अकेली रहेबेर एकमेरके व्यवहार करठी कलेसे केक्रो आघे डोसर मेरके । हम्रे अकेली रहेबेर स्वतन्त्र रहठी कलेसे औरे जहन्के सामु एक किसिमके बन्धन महशुस करठी । औरेक सामु अपन स्वतन्त्र इच्छा चाहना दबाके, नुकाके व्यवहार करठी । सबके सामने हमार बोलीचाली हाउभाउ सव बदलजाइठ । सवके सामने रहेबेर हमार मनमे मेर मेरके विचार उठठ जस्तेकी लोक लाज, आदर्श, सामाजिक मुल्यमान्यता, नीतिनियम, सहीगलत आदिआदि जिहिन क्वान्टम भौतिकिके दुनियामे कगउभचउयकष्तष्यल के स्वरुपसे तुलना करेसेक्बी । उ सव विचार मन्से केवल एकही विचार हम्रे प्रकट कर्ठी जिहिन हम्रे सही मन्ठी । ठीक उहे तरह जैसे डबल स्लिट एक्सपेरिमेन्टमे देख परठ । डुनु स्वरुपमे रहना एटम केवल एक अवस्थामे प्रकट हुइठ । कोई हम्रहन हेरटा अथवा जांच करेक खोजटा कना बात पटा पैटी कि उ अपन व्यवहार बडल लेहठ यानि कि एक निश्चित स्वरुपके चुनाव करठ । यी एक चेतनाके गुण प्रदर्शित करठ । आधुनिक विज्ञान जगतमे यी बहुतही रहस्यमयी बनल बा ।

बास्तवमे हमार हेराइ ओ ब्रेनके गहिरा सम्बन्ध रहल बा जैसिन लागठ । हम्रे केक्रो हेराइसे ओकर इच्छा चाहना बुझडरठी । गुस्सा चिन्ता सुख दुख ओकर मुहमंडल हेर्के जान डरठी । रिस्साइल बेला एकमेरके हेराइ रहठ, कलेसे खुशीके बेला डोसर मेरके रहठ । एक गलत इच्छा चाहनासे हेरल हेराइहे कानुनफें दण्डनीय मानठ । इ मिहिन गलत हेराइसे हेरल कैहके उजुरी कर्लेसे कटनौ देशमे टो सजायकेफें व्यवस्था बा ।

पैहले पैहले हमार पुर्खाहुक्रे सोनचांदीक रुपिया पैसा जमिन टरे गारके ढारैं । चोरी डकैटी नाहोए कैहके किहिनो नाइ डेख्ना हिसाबसे जमिनके टरे गारके ढारैं । किहिनोफें नाइ डेखैना ओ नाइ बटैना करैं । कोइ डेख लेहल कलेसे उहिन अन्टे सार डेना करंै । कबुकाल हुक्रन्के अकस्मात मौत हो जाए कलेसे उ पैसा वेवारिसे बनजावै । ऐसिन पैसा अभिनफें कबोकाल फेला परल सुनमिलठ । यी सब हमार डेखना ओ नाइ डेखनाके करामत हो ।

एक चोर बदमास अकेली रहल बेला काकानै करठ मने उहे चोर बदमास सबके सामने बहुत आदर्श नीतिनियम ओ मुल्यमान्यताके बात करे लागठ । उहिन पता रहठिस की सही गलत काहो कैहके फिरभी उ ओइसिन काम करठ । उहिन सामाजिक मुल्यमान्यताके कोइ मतलव नाइ रहठिस । जव उहिन ओइसिन हर्कत करट कोइ डेख लेहल कलेसे उ अपन बात सपारे लागठ अथवा बात नाइ सपरल कलेसे उ अनैतिक व्यवहार कर्नामे उटरजाइठ । उहिन डुरवैना, ढम्कैना लोभ लालच डेखैना लगायतके काम करे लागठ । यहाँ टक की उ ज्यानमर्ना समेतके ढम्की डेहे लागठ । ऐसिके केक्रो डेखना ओ नाइ डेखनासे हमार व्यवहार फरक परे लागठ ।

एक फेरा हमार गाउँक कुछ मनै शहर घुमे काठमाण्डौ जाइलग्नै । हमार गाउक एक भलाद्मी मनै हुक्रन अपनसंग काठमाण्डौ घुमाइ लैजिम कनै । उहाँ कहनै कि टुहरे घुमे टो जैबो मनै टुहरन टरे पैन्ट लगाइ भर परी । योजना मुताविक सबके लग एक एकठो पैन्ट खरिद डेनै उहाँ ।

उहिमे एकजे लैपरनफें रहंै । उ स्वभावसे बहुतही लज्जालु मेरके रहंै । लैपरन पैहलीबार पैन्ट लगाइ लगनै । उहाँ घरे भिटर खोब मिलामिला लगैनै । आघेपाछे उलिट विलिट धुमधुमके खोब हेरनै । कवु खुशी लागेहस करिन टो कबु बरे अनकुस्साह लागेहस करिन । जबरै सबरै पैन्ट लगाके सेकनै । आब हुकहिन घरसे बाहेर निकर्ना कर्रा । कोइ डेख ना लेहे । डुवारके केवारै केवारै नुक्टीझक्टी ठरभिटवै ठरभिटवै चपटले चपटले निकरट रहंै । उ सब हुकार डाइ डेखट रहिन ओ कलिन भैया बर्का सोहाइल बा । टबजाके लैपरनके हिम्मत पर्लिन बाहेर निकर्ना । उहर हुकार संघरियैह बराबेरसे हुकार आश लाग्के बैठल रहंै । जब उहाँ पुगनै टब हुकार संघरियैह हांसेहस करके कनै अरे लैपरन संघारी बरा सोहाइल डेखाइटी आझ । अटरा कहटी कि लैपरन लाजसे मुहबिगारके दांत गिजरा लेहनै । एसिके औरे जहन्के नजर पर्टि कि हमार बानी व्यवहार बदल जाइठ ।

हम्रे विश्णु पुराणके एक अध्यायमे महादेव भगवान काम देवताहे अपन एक नजरसे भश्म करल बात सुन्ठी । महादेवके टिसरा नेत्र खुल्के ओकर रोशनीक सामनेक नजरवाला सवचीज भश्म हुइल बात धार्मिक ग्रन्थमे सुन्जाइठ । फेर उहे नजरसे भश्म हुइल चीजहे पैहले जस्टे जसके टस बनाइल बात यहाँ विज्ञान जगतके यी खोजसे मिल्दा जुल्दा बिल्गठ । यहाँ आखीक नजर एक तरंगके वेभ काम करठ ओ उ तरंग एक चिटाइल स्वरुपधारण करठ । भगवानके टिसरा आखीक प्रकाशके तरंगसे कामदेव भश्म होके खरानीक स्वरुप लेहठ । यी खरानी एक वस्तुके रुप लेहठ । ऐसिके हमार हेराइसे संसार प्रभावित हुइल बिल्गठ ।

एक लोक कहानीमे एक साधना प्राप्त ऋषि वरदान डैके एक सुगुवाहे कोइ कामके लग पठाइठ ओ कहठ कि टंै काम कैके आइ लगबे टो उलिटके पाछे नाइ हेरिस । जा जैसिन बाध्यता आए टंै पाछे उलिटके ना हेरिस । नै टो टंै पत्थर बनजैबे ओ टोर सारा शक्ति हेराजाइ ।

महाभारतके युद्धमे एक कहानी महारानी गान्धारी जीके रहल बात जौन दृश्टिसे सम्बन्धित बा । महारानी गान्धारी अपन ठरुवा महाराज धृतराष्ट अन्धा हुइलेक कारण अपन आंखीमे पट्टी बांध लैनै अपन पत्नी धरमके कारण । महाभारतके लडाइ बर्हटी गैल । साराके सारा खानदानी भाइ भारदार एक एक करके मुए लगनै । यी सब सुन्के महारानी गान्धारी बहुत दुखी हुइनै ओ अपन छावा युधिष्ठीरहे बचैना उपाय लगैनै ओ कनै छावा युधिष्ठीर मै टुहिन रक्षा कवच पहिर्याइ सेकम मने टुहिन अपन नग्न स्वरुपमे मोर आघे आइक परी जस्टे जन्मले ओस्टे रुपमे बिन एक सुट कपडा पहिरले । युधिष्ठीर अपन रक्षाके लग उ करेकफें टयार होगिल । युधिष्ठीर सोंचल जवान मनै अपन लाज छोपे भरिक पुट्ठासे टरे जांघसम छोपलिउ ओ जाउ । उ पुट्ठासे जांघसम केराक पटटासे अपन शरीर छोपलेहल ओ गैल ।

गान्धारी अपन पट्टी खोल्ली ओ अपन नजर युधिष्ठीरके उपर डरली । जहाँसम हुकार नजर परल उहाँसम युधिष्ठीरके शरीर फलाम बराबर मजबुत होगील ओ छोपल भाग भर कमजोर जेकर कारण युधिष्ठीरहे मृत्युवरण करे पर्लिन लडाइमे ।

महाभारतमे दृश्टिके शक्ति कतरासम बा कना बात हमार पुरातन ग्रन्थमे कैगैल पाजाइठ । हुक्रन पटा रहिन की हमार हेराइसे संसारहे बहुत फरक परठ कैहके । वास्तवमे इ संसार हेर्ना ओ नाइ हेर्ना बीचके खेल हो । हर प्राणीन्के आंखी इसलिए बनागील बा कि उ यी संसारहे हेरे ओ बुझे । हमार दृश्टिसे यी संसारके हरचीजके स्वरुपके पटा चलठ । आंखीक माध्यमसे हम्रे कोइ चीजके सुचना ग्रहण करठी ओ उहे अन्सार व्यवहार करठी । कोइ खतराके आभाष पैटि की अपन सुरक्षामे दुरेसे भागजैठी । दृश्टि विना हमार यी संसार अधुरा जैसिन बा ।

कोइ दृश्टिविहिनहे प्रकाशके अर्थ का पटा । प्रकाशके कारणही यी दृश्य ब्रम्हाण्डके महत्व बा । कल्पना करी एक ऐसिन दुनियाके जहाँक प्राणी अन्धारमे रहठैं । हुक्रन दृश्य जगतके कोइ अनुभव नाइ हो । हुक्रन दृश्य जगतके बारेमन कुछ पटा नाइ हो । ऐसिनमे कोइ दृश्य जगतके बात बटुवाइ टो हुक्रन सपनाहस लगहिन । रंगीविरंगी संसारके बात सुन्के हुक्रे दंग रैहजिहि । बाहेर लालपियर उज्जर मेरमेरिक रंगीविरंगी दुनियाफें बात कैहके कहेबेर हुक्रन विश्वास नाइ लगहिन । मनैया झुठ बोलटा कनाहस लगहिन ।

अस्टे हालत हम्रे धर्ती बासीन्केफें बा । हमार चेतना सीमित बा । हम्रे चेतनाके एक निश्चित घेरामे बँढल बाटी । हमार चेतनासे बाहेर बहुत कुछ बा । हम्रे जौन जौन चीजसे बनल बाटी, ओकर अनुभव लेहठी ओ जौन जौन चीजसे नाई बनलहुइ उ चीजके अनुभव हम्रे कैसिके लेहे सेकब । हमार चेतना यहाँक वातावरण अन्सार बनल बा । उहे मारे यी दुनियाके बात पटा पाइसेक्ठी । शायद एक डोसर संसार जहांक संसार यी दुनियासे बहुत फरक बात, उ संसारहे हम्रे कैसिके जाने सेकब । शायद भुतप्रेत देवी देवता भगवानके एक अलग्गे संसार हुइसेकठ । हुक्रे एक अलग्गे ताकत क्षमता हुइल प्राणी हुइसेकठैं । हुक्रे हमार चेतनासे बाहेरके चीजसे बनल हुइसेकठैं । उहेमारे हम्रे हुक्रन बुझे नाइसेकठी ओ डेखे नाइसेकठी । हुइसेकठ हुक्रे हमार चेतनासे कैयांै गुणा उप्परके चेतनास्तर हुइल प्राणी हुइ सेकठैं जिहिन हम्रे डेखे बुझे नाइसेकठी ।

बिन्ति राम महतो
जानकी २ खर्गौली कैलाली

महादेवके टिसरा आँखी

बिन्ति राम महतो