सुख खोजत खोजत प्रदेशी भुमिम छिरनु डाइ

सुशील दहित
३० जेष्ठ २०७८, आईतवार
सुख खोजत खोजत प्रदेशी भुमिम छिरनु डाइ

गजल
सुख खोजत खोजत प्रदेशी भुमिम छिरनु डाइ ।
ऋण सावाँ व्याज सब थोक यहैंसे टिरनु डाइ ।

भुखे पियासे निंडे मुके कमाई टु प्रदेशी भुमिमे,
अइसिन ढुप्पन घाममे हिम्मत कसके भिरनु डाइ ।

प्रदेशीनके डस्या ना डेवारी टिहुहार मनाई मिले,
जन्मभुमि सम्झती ठेस लागके बेल्चम् गिरनु डाइ ।

सपना बोक्के आइल रहुँ झुप्रिहे महल घर बनैना,
बकेट गिरल गोरम् ज्यान बचाइ गोर चिरनु डाइ ।

डाइक् बोलल् बोली सुन्के घर सम्झके रोइठुँ,
जोस जाँगर रहटसम बिदेशीमे फिरनु डाइ ।
बैजनाथ गा.पा.८ फत्तेनगर बाँके
हाल मलेसिया

सुख खोजत खोजत प्रदेशी भुमिम छिरनु डाइ

सुशील दहित