गजल
नेतनके नाहि आब जनतनके सरकार चाहल ।
गाउँगाउँमे बिकास घरघरमे रोजगार चाहल ।
सत्ता और कुर्सीक लाग लर्ना फटाहा नेतन टे,
गाउँ गाउँके जनतनसे रखेड्ना बिचार चाहल ।
भ्रष्टाचारीहे सजाय बलात्कारीहे फाँसी डेहना,
न्यायप्रेमी डेसके जवान यहाँ होसियार चाहल ।
पञ्चायत, प्रजातन्त्र हुइटी गणतन्त्र आइल डेसमे,
बिदेसीबादी दलालीन करयइना कारागार चाहल ।
दिन का दिन नारा जुलुससे कुछ नैउँखरी आब,
फुरेसे सर्बहारा बर्गनके यहाँ अलग आधार चाहल ।
संगम कुस्मी
कैलारी-८ कैलाली