श्रावस्तीक् थारुन्के अवस्था

सागर कुस्मी
४ असार २०७८, शुक्रबार
श्रावस्तीक् थारुन्के अवस्था

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श्रावस्तीक् थारुन्के अवस्था
विषय प्रवेश

अगहन खोप मचल रहे । अहगनके १५ ओ १६ गते २०७५ । (दिसेम्बर १ ओ २ टारिख २०१८) थारु महासम्मेलन कार्यक्रम हुइटा कहिके फेसबुकसे नेंउटा पैले रहुँ । ओहेबेर छोट्मोट अनुसन्धन कैना मौका मिलल रहे । पाछे थप अनुसन्धान कैना मौका जुरल बैसाख १३ ओ १४ गते यनेकि बजयानि २६ ओ २७ अप्रिल २०१९ गते । ओहे अनुसन्धान मे कैलक् कुछ बात इ आलेख मे सांैपे जाइटुँ ।

छारा
भारत नेपालके सिमानासे जोरल डेस हो । नेपालके उ डख्खिन, पुरुब ओ ओ पस्छिउ ओर भारत परठ । भारतमे फेन ढेर ठाँउमे थारुन्के बैठाइ बा । भारतके लखिमपुर, श्रावस्ती, बहराइच, बलरामपुर इ चार जिल्लामे थारु गाउँ बा । ओस्टेके अझ्कल लखनउ मे फेन थारुन्के बस्ती मिलठ । भारतके कुल जनसंख्या मध्य एक चौथाई थारुन्के जनसंख्या रहल वहाँक् थारुन्के डाबी बटिन ।

अट्रा ढेर थारु लोग हुइटि हुइटि अभिन फेन भारत सरकार थारुन्हे सुचिकृत नैकैले हो । थारुन्हे अब्बे आदिवासी कोटामे ढैले बा । भारतमे थारुन्के बसाइ उत्तर प्रदेसमे किल बा । भारतके थारु लोग नेपालके दाङ डेउखरसे छारा कैके गैल हुँइट् । दाङमे जब गैर थारु लोग सटाइ लग्लिन टब अन्याय, अत्याचार, सोसन, दमन सहे नैसेक्के गैलक् बात अभिन फेन वहाँक् थारु लोग बटैठैं । जब दाङमे जिन्डारि शासन हुइ लागल टे थारु लोग बहुट डुख पैलैं । सारा घर डुवार छोरके राटिराट कोइ बुर्हान टे कोइ भारत ओर लग्नैं । जे जस्टे सेकल ओस्टे भागल दाङसे छारा कैके । नेपालके घोराही, लमहि, बाँकेके बैजापुर, बिनौना, फत्तेपुर, सुइया लगायत ठाँउसे गैल हुँइट् ।

बोलिबचन ओ स्वागत सैलि
हमार नेपालमे कोइ पहुना अइलेसे खटियामे सटरंग गोंडरि बिछैना चलन बा । पानी संग बिस्कुट, मिठाइ, नम्किन, कुछ ना कुछ डेना इ चलन लावा लागल । बोलि चालि अभिनफे डेउखरिया लवज अइठिन् । कैलारिक् लवजमे बात हुइठिन् । भारतके राष्ट्रिय भासा हिन्दी हुइलेक मारे बोलेबेर हिन्दी लवज जेडा अइठिन् ।
कला/संस्कृति
नेपालमे अभिन फेन लंहगा, बिलोज, अँगुछ्छा घल्ना चलन बा । लेकिन भारतमे अइसिन लगाम ढिरे ढिरे हेरा सेकल बा । वहाँक् मनै अझ्कल हिन्दी लगाम ढेर लगैठैँ । कबुकाल टरटिहुवारमे या नाचगान करेबेर लौंडी लर्का लंहंगा बिलोज लगैठैं । पहिले पहिले खोब नाच करिंट । लकिन अझ्कल वहाँक् मनैं सखिया, झुमरा, हुरडुंगुवा, मघौटा नाच नै नाचके हेराइ लागल बा । डसिया डेवारिम् भर झुमरा नाच भर नच्ठैं । थारु लोकगित , लोककथा, लोकसंस्कृति हेराइ लागल बा ।

शिक्षा/रोजगार
भारत सरकार थारुन्हे आदिवासी कोटामे ढरले बा । अझ्कल आदिवासी कोटा फेन घटा डेले बा । जेकर कारण सरकारी नोकरि खैना अझ्कल कठिन बटिन । पहिले कुछ सजिल रहिन । घरक् एक ना एक जे सरकारी नोकरिमे लागल भेटाजाइठ् । वहाँक् मनै खाली बैठल नैरठैं । कुछ ना कुछ कामेम् लागल बटैं । जेडासे टेक्निकल लाइन ओर बटैं । अझ्कलके पर्हल लिखल युवा सरकारी जागिर पाइक लाग लोग सेवाके तयारीमे लागल बिल्गठैं ।

साकाहारी खाना
नेपालके मनैंन्के खानपिन हेर्ना हो कलेसे मांसाहारी ढेर बटैं । नेपालमे ढेर जसिन साँझ बिहान भन्सामे सरसिकार माछ मछ्छि ढेर पाकठ । लकिन भारतमे हेर्ना हो कलेसे साकाहारी खाना जेडा मन परैठैं । साँझके जेडा हस् रोटी खैठैं । सरसिकार, माछ मच्छी कमे खैठैं । ओस्टेके जार डारु फेन बहुट कम पिठैं । भारत सरकार फेन डारु बेच्ना नियम बहुट कररा कैले बा । कौनो फेन कार्यक्रममे साकाहारी खाना खवैना चलन बा । ओहेक्मारे भारतके ढेर जसिन थारु साकाहारि जिबन गुजरटि बटैं ।

शिक्षामे जोर
नेपालके तुलनामे भारतके युबनके शिक्षाके अवस्था अभिन कम्जोर बटिन । लकिन अझ्कल युबा लोग फेन आब ढिरे ढिरे सरकारी जागिर ओर छिर सेक्ले बटैं । हरेक कार्यक्रम होए या कचेहरी शिक्षाहे विशेष जोर डेटि रहल डेख्जाइठ । पहिलेकले अझकल कुछ युबा लोग सरकारी जागिर खैटि बटैं ।

कर्मवीर चौधरी
श्रावस्तीके भचकाहीमे जन्मल कर्मवीर चौधरी सामाजिक काममे सबसे सक्रिय युबा हुँइट् । उहाँ भारतके पहिल थारु कलाकार फेन हुँइट् । कर्मवीर भारतके पहिल थारु भिडियो निकर्लैं । उहाँ स्थानीय मन्त्री फेन बन सेक्ले बटैं । उहाँ दैनिक जागरण पत्रिकामेमे सम्वाददाताके रुपमे काम कैसेक्ले बटैं । अझ्कल उहाँ सरकारी स्कुलमे शिक्षण कर्टि बटैं कलेसे गजल, मुक्तक, कबितामे फेन कलम डौरैटि बटैं ।

आशिष चौधरी
श्रावस्ती जिल्लाक् भच्काहीके आशिष चौधरी अझ्कल थारु गीतमे मोडेलमे खेल्टि बटैं । उहाँ जैसिन युवा लगायत औरे युवाफें कलाकारिता क्षेत्रमे लागके थारु भासा, कला, संस्कृटिके जगेर्ना करना जरुरि बा ।

थारु पत्रपत्रिकाके आभाव
भारतके श्रावस्ती, बहराइच, बलरामपुर, लखिमपुर थारुनके वस्ती रहल जिल्ला हो । यहाँके भासा साहित्य, संस्कृति गीतबाँस संरक्षण कैके लिखित दस्ताबेज ढैना जरुरी बा । यहाँके युबा लोग भासा साहित्य सम्बन्धि पोस्टा निकारे पर्ना जरुरी बा । लकिन अभिन सम भारतसे थारु भासक किताब ओ पत्रिका निक्रल नैडेख्जाइठ् ।

सांस्कृतिक कार्यक्रम
आदिवासी जनजाति उत्थान मन्चके आयोजनामे भचकाही, रनियापुर, चन्दनचौकी लगायत ठाँउमे बृहट सांस्कृतिक कार्यक्रम हुइल बा । जहाँ नेपालके टमान साहित्यकार, गायक लोग अपन अपन कला डेखैना मौका पैलैं । सांस्कृतिक कार्यक्रम ढेर हुइलेसे फेन विशुद्ध साहित्यिक कार्यक्रम कबि गोष्ठी हुइना बाँकी बा । युबा लोगनहे कबिता गजल लेखन तालिम डेना जरुरि बा ।

रनियाँपुर
अगहन १५ ओ १६ गते २०७५ सालमे श्रावस्तीके रनियाँपुरमे थारु महासम्मेलन हुइल बा । जहाँ नेपाल ओ भारतके संयों कलाकार ओ साहित्यकार लोगनके सहभागिता हुइल रहे । थारु भासा साहित्य संस्कृतिके संरक्षण कैना, सक्कु थारु एक हुइना जोर लगैले रहिंट ।

चन्दनचौकी
२०७५ साल पुस २९ ओ ३० गते इन्डियन् १३ ओर १४ जनवरी २०१९ मे लखिमपुर जिल्लाके चन्दनचौकीमे बरवार सांस्कृतिक ओ साहित्यिक कार्यक्रम हुइल रहे । जहाँ नेपालके एक डर्जन गायक गायिका, साहित्यकार लोगनके सैगर सहभागिता हुइल रहे । ओहे कार्यक्रममे बलरामपुरके लठ्ठी नाच, श्रावस्तीके झुम्रा नाच डेखागैल रहे ।

बचलकुचल
अझकल जौन अभियान या सांस्कृतिक कार्यक्रम नेपालमे चलटा, हुइटि बा । ओहे अभियान भारतके बस्टी बस्टीमे कैना एकडम जरुरि बा । भारतके बुढापाका लोगनसे पुरान गीतबाँस बट्कुहि अनुसन्ढान कैके प्रकासन कैना जरुरि बा । आझुक् युबा संस्कृति संरक्षण कैनामे जोर लगैसे हमार थारुनके संस्कृति बचाइ सेक्जाइ । हमार घर अंगना चम्पन कैनामे चलि गोचाली आब टे उँक्वारभेंट करि ओ हमार परगा आघे बर्हाइ ।
सागर कुस्मी
(लेखक कैलालीके धनगढी कैलालीसे प्रकासित हरचाली साहित्यिक त्रैमासिक पत्रिकाके प्रकासक ओ प्रधान सम्पादक हुइँट् ।)

श्रावस्तीक् थारुन्के अवस्था

सागर कुस्मी

सागर कुस्मी–थारु भासा, साहित्य, कला, संस्कृति ओ खोजमुलक विषयमे कलम चलैठैं ।