सामाजिक सञ्जाल ओ थारु साहित्य

शत्रुघन चौधरी
६ असार २०७८, आईतवार
सामाजिक सञ्जाल ओ थारु साहित्य

सामाजिक सञ्जाल ओ थारु साहित्य
एक स्थानके डोसर स्थानसम सुचना सम्प्रेषण कैना अथवा पहुँच पुगैना विद्युतीय माध्यमहे सुचना प्रविधि कहे सेक्जाइठ । जस्टे की मोबाईल फोन, वायलेस, इन्टरनेट, वेवसाइट, इमेल सुचना सम्पे्रषणके माध्यम हो । विगत एक दशकमे सुचना प्रविधिक विकास बहुट दू्रत गतिसे आगे बह्रटी जाइटा । सुचना प्रविधिक विकासले अझ विश्व एक गाउँ जैसिन बनल बा । सुचना प्रबिधिक विश्व भरीक मनैनहे नेटवर्क मार्फत सहजिलसे जोडना काम कैले बा । विश्वक एक कोन्वासे डोसर कोन्वक मनै अटना लग्गु हुईल अनुभव कैठाँ की एक कोन्टीक मनै डोसर कोन्टीक मनैनसे बाट करेअस लागठ । अपन इष्ट मित्र नातागोतासे प्रत्यक्ष अनुहार हरेटी बट्वाई सेक्ना अवस्था बा । अझ प्रविधिक विकासले विश्वक समाचार, घटना एक क्लिकके भरमे हमे्र जाने पाइटी । यी मानेमे पुस्ता बहुट भाग्यमानी बटी ।

हमे्र जानके वा नैजानके फेन बडलटी रलक प्रविाधिहे आत्मासाथ कैटी बटी । आझसे दश वरष पहिले मोबाइल फोन सर्वसाधारणके लग महा दुरके बाट रहे लेकिन आझ सबके हाँठमे मोबाइल बा । मोबाईलसे बाट बटवइना बाहेक अपन दैनिक जीवनमे काम लग्ना मेर मेरिक सुचना, जानकारी लेहे सेक्ठी । ईन्टरनेट, ईमेल, फेसबुक, कलेजके रिजल्ट, दैनिक समाचर, टेलिभिजन, बैंकके स्टेटमेण्ट, बिजलीक बिल टिर्ना काम, बजारमे सामान खरिद कैना चिजके सुविधा आझ हम्रे अपन हाँठमे रलक मोबाईलसे पाइसेक्ठी । यहाँसम की अपन बिदेशमे बैठलक आफन्तसे मोबाईलमे बिना पैसक घण्टौं एक डोसर जनहनके मुहार हेरटी बट्वइना सविधा मोबाईल फोनमे आराखल । सूचना सञ्चार प्रविधिक विकासले आझ हमार हरेक काम सहज ओ हाली बन्टी गैल बा । सूचना संचार प्रविधिक माध्यमसे आझ अपन घरे बैठले डिग्री हासिल करे सेक्ना अवस्था बा । घरही बैठके अमेरिका लगयत विश्वके बरे बरे विश्वविद्यालयके पुस्तकालयमे रलक किताब पह्रे फेन सेक्ना सम्भव हुइल बा ।

सूचना प्रविधि अटना जल्दी विकास हुइटा की उही आत्मासाथ विना कैले कौनो गुन्जाइस नै हो । सूचना प्रविधिक विकास संगे संगे हम्रे फेन अपनहे बडल्टी जैना आवश्यक बा । यदि समय सापेक्ष चले नैसेकब कलेस अपनहे पाछे पर्ना निश्चित बा । आझुक युवा जमाट बडल्टी रलक सूचना प्रविधिहे बहुट सचेत विल्गठाँ । लावा लावा प्रविधिहे तुरुन्त आत्मासाथ कैल विल्गठाँ । यी आझुक अवाश्वकता फेन हो । यी सुच्।ना प्रविधिहे अपन क्षेत्रमे अपन समुदायक लाग महत्वपूर्ण भुमिका खेले सेकी ।

सुचना ओ संचार प्रविधिमे अझकल सामाजिक सञ्जालके फेन प्रयोग दिन प्रतिदिन बह्रटी जाइटा । सामाजिक संञ्जल कलक संचार सम्पे्रषण कैना विद्युतीय सामाजिक औजार हो, जहाँ डोहोर अन्तरक्तिया हुईठ । रेडियो, टेलिभिजन पत्रिकामे एकोहोरो किल समाचार पह्रे मिलठ, सुने मिलठ लेकिन सामाजिक सञ्जालके माध्यमसे विचार सुचनाके बारेम डोहोरो अन्तरक्रिया करे सेक्जाइठ । समाचार वा सुचना प्रति अपन प्रतिक्तिया तुरुन्त डेहे मिलठ सामाजिक सञ्जाल ढेर मेरीक बा फेसबुक, हाइफाइव लिंकदेन, क्लासमेट, युटुब आदि । लेकिन विश्वमे सबसे ज्यादा चल्लक सामाजिक सञ्जाल फेसबुक जो हो । आझके दिनसम विश्वमे फेसबुक चलूइया मनै ५ सौ करोड बटाँ ।

फेसबुक डेरुकटप, ल्यापटप, मोबाईलसे सजिलसे चलाई सेक्ना सामाजिक सञ्जाल हो । अझकल हरेक युवनके मोबाईलमे फेसबुकके पहुँच बा । फेसबुकके माध्यमसे अपन गतिविधि, अपन भावना, अपन रचनात्मक काम, क्षण क्षणमे सम्पे्रषण करे मिलठ । सृुचना प्रविधि ओ सामाजिक सञ्जाल हरेक व्यक्ति समुदायक लाग अपरिहार्य आवश्यकता बनल बा यम्हे थारु समुदायक युवा फेन पाछे नै परल हुइट । अझकल थारु युवा अपन पहिचानके लाग जत्रे सचेट बटाँ । ओत्रे लावा प्रविधिहे फेन आत्मासाथ कैटी जाइटाँ । जागरुक थारु युवा सामाजिक सञ्जालके मध्यमसे अझ थारु भाषा, साहितयहे मलजल कैटी बटाँ ।

थारु समुदायक लाग थारुन्के आथिक, राजनीतिक, सामाजिक, सांस्कृतिक हरेक पक्षके प्रचार प्रसारके लाग थारु कम्युनीटिक फेसबुक पेज अग्रतिमे आइठ । यी थारु कम्युनीटि फेसबुक पेज २०७१ असोज ३ गते सम ६३ हजार ५ सय ६२ हजार ५ सय ६२ हजार मनै मन पराइल विल्गठाँ । अस्टके थारुन्के गतिविधिहे लक्षित कैके बनैलक थारु समुदायमे प्रख्यातहे वेवसाइट थारुवान डटकम फेन थारुन्के भाषा सात्यिहे ओत्रे प्राथमिकता डेहल बल्गठँ । यी वेवसाइट हेरुइयनके संख्याफे कम नै हो । थारुवान डटकमके एडमिन मदन चौधरीके अनुसार सबसे ढेर हेरलक ११ हजार बा । औषतमे दैनिक एक हजार मनै यी वेवसाइट लाग आन कैठाँ । उहेक मोर सामाजिक सञ्जालहे सही सदुपयोग करे सेक्लेसे यी प्रविधि मार्फत् हमार भाषा, संस्कृतिहे जोगैना ओ प्रचार प्रसार कैना विश्व सामु चिन्हैना हमार लाग सुवर्ण अवसर बनल बा ।

अझकाल थारु भाषाक् पत्रपत्रिका प्रकाशनमे वृद्वि हुइल बा । थारु भाषा साहित्यमे रुचि लेहुइया मनैनके संख्या फेन बह्रटी गैल पाजाइठ । थारु साहित्य हालसम पत्रपत्रिका, पुस्तकमे संग्रहित आइलरहे । ओ एकर बिकास क्रम छापामे किल डेखे ओ पह्रे मिले । लेकिन अझकलिक् युवा पुस्ता सुचना प्रविधिक माध्यमसे फेन थारु साहित्यहे ढिरे ढिरे आगे बह्रैटी बटँ । यी थारुन्के भाषा, साहित्य, कला संस्कृति संरक्षण सम्वद्र्वन कैना ओ प्रचार प्रसार कैना ओ काममे एकठो लावा आयाम उपल बा ।

मनैनके दैनिक जीवन अट्ना व्यस्त बन्टी जाइटा की पत्रपत्रिका पह्रना फुर्सद फेन नै मिल्ठीन । मनै बहुट सौखिन हुरख्लाँ, मनै हरेक क्षेत्रमे छनौट विकल्प खोज्टीरठाँ । यी कारण फेन अझ सामाजिक सञ्जाल, सुचना प्रविधिहे आत्मसाथ कैना जरुरी बा । यिहे बाट मध्यनजर कैके अझकल युवा पुस्ता सामाजिक सञ्जाल फेसबुकमे मेरमेरक साहित्य पस्कल विल्गठ । मैया प्रेमके भाव, अपन अनुभुति, थारु भाषा संस्कुतिक बाट, थारुन्के पहिचानके बाट आइल विल्गठाँ ।

भौगर्भिक ईन्जिनियर अनिल चौधरी (हाल मुस्ताङ) थारुनके पहिचानके प्रति चिन्तित विल्गठाँ । उहाँ फेसबुकमे अपन कविता मार्फत सुटल समाजहे अइसिक झक्झोठाँ । अपन भाषाहे छातीमे लगुइयन, अपन अंगनाहे डेउना बेब्रीसे सजुइयन, कौन गल्लीमे नुकल बटो, कौन कान्टीम खुस्टल बटो, दिन महिन विटगैल, आझ टोहार पहिचान फेन मेट गैल ।

जब कोइ थारुन्के पहिचान धावा बोले लागठ टे युवा पुस्ता फेसबुक मार्फत् विरोधीनहे टिसलार टिसलार शब्दारुपी बाँण मारल विल्गठ । पहिले घर छोके बाहर जाइट टे अपन सन्देश चिठीमार्फत पठैना एक्केठो माध्यम रहे हुलाक । लेकिन अब सुचना प्रविधि बहुट सहज बना डेले बा । विदेश गैल युवा लोग अपन प्राण प्यारीहे फेसबुक मार्फत् सम्झैटी कहठँ जैसिक टैसिक घरबार चलाउ । मै महा डुर बटुँ । दुःख जहाँ फे करे परठ । अस्टे अस्टे मैया प्रेम, अनुभुति, सामाजिक विकृति विसंगतिके वयंग्य, पचिानके निशानी अझकाल सामाजिक सञ्जाल मार्फत घनके पह्रे मिलठ । साहित्यकार छविलाल कोपिला अपन फेसबुक मार्फत थारुनके मूख्य मूख्य चार्डपर्वके बारेम जानकारी डेके थारुन्के बारेम थप जानकारी लेहक चहुइयनहे सह जबनैना काम कैडेले बटँ ।
अस्टके विदेशमे बैठल युवन्हे साहित्य सृजनाके लग प्रेरणके श्रोत बनलबटँ सोम डेमनडौरा । सोमजी थारु साहियहे जोरदार रुपसे आगे बहुइया एक सशक्त युवा हुइट । थारु भाषक् गजल, कविता, मुक्तक, कथा जंगा्रर साहित्यिक बखेरी मार्फत स्काइसे विश्वके कोन्वा कोन्वामे रलक साहित्यकारके सबसे पहिले जुटौला कैके कहुट रचनात्मक भुमिका खेल्लेबटँ । स्वदेश होइ या विदेश फेसबुक माफर्त जटृना फेन साहित्य आइटा

एकर सुत्रधार सोम डेमनडौरा हुइट कलेसे फरक नै परी । थारु साहित्यहे सुचना प्रविधि मार्फत आगे बह्रैना काममे सबसे भारी योगदान सोम डेमनडौरा करलेबटँ । जंग्रार साहित्यिक बदेखेरी शाखा विदेशमे मलेसिया, दुबाइ, साउदी, अरेयिबा, कतार, भारतमे खुलल समाचार मिलल बा । यी फेन जंग्रारके कामहे पुष्टि करठ ।

असिक हेर्लेसे साहित्य प्रति रुचि रहूइयनके लग फेसबुक एकठो सशक्त माध्यम बनल बा । थारु भाषक् किताब पत्रपत्रिका छपाके हरेक पाठक समक्ष पुगैना सम्भब नै हो । लेकिन अनलाईन, इन्टरनेट समाजिक संजाल मार्फत अझ उ काम सम्भव बनल बा । अझ विश्वभरके रुचि रहुइया पाठकके सामुन्ने हम्रे हमार रचना पस्के सेक्ना अवस्था बनल बा । एक टे थारु भाषक् छापा वाला बजार कम बा । यदि कौइ अपन सृजना ५ सय प्रति छापल टे उ बजारमे विकैना हम्मे हम्मे परठ । मानलि ५ सय विकगैल टे उ किताब जम्मा एक हजार पाठक पर्हे पैलँ । लेकिन उहे सृजना थारु कम्युनीटी जैसिन फेसबुक मार्फत् सम्प्रेषण कैलेसे छोट समयमे एकर कैयौं गुण ढेर पाठक लाग पहे्र पैही । थारु साहित्य बारे जन्ना बूभm्ना मौका पैही । हमार भाषा संस्कृती आउर फरक हुइ ,बल्गर हूइ ।

सामाजिक सञ्जाल कलक विचार, अपन भावना, सार्वजनिक कैना थलो हो । यदि एकचो सम्पे्रषण कैली कलेसे क्षणभरमे फैल्जाइठ । उहे मारे स्रक्ष्टा लाग एकदम सोच समभके विचार पुगाके अपन सिर्जना वा विचार ढारे परठ् । सामाजिक सञ्जाल मार्पmत् किहुहे होच्यइना, प्रतिशोधके भावना व्यक्त कैना, निच बनैना जैसिन विकृति फेन डेखा परठ । खास कैके थारु साहित्यक बाट कैना हो कलेसे कबु अश्ली सामग्री फेन आइल विल्गठ । उहेक मारे प्रयोग कर्ता फेन सचेत हुइना जरुरी बा ।
शत्रुघन चौधरी
डेउखर दाङ

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शत्रुघन चौधरी