पैंरक झुक्का

अर्जुन थारु
६ असार २०७८, आईतवार
पैंरक झुक्का

पैंरक झुक्का
बेल्सा गाउं भरिम् बरा मिहनेती किसनवाँ रहे । हरेक बरस धान, गहुं, मकै, आउरे किसनवँन भरिम् ढेर उब्जालेहे । गाउँक् मनैंफे ओकर मिहनेत डेख्के डंग परजाइ ।

बेल्सक् एकठो बरा बरवार डिहवाफें रहिस उ डिहवम् हरेक साल जैसिन इ साल फेर मकै लगैना सोंच बनाइल । डोसर बिहान बर्डनसे खेटुवा जोटजाटके मकै लगाढारल । बेल्सा ढेर मिहनेती हुइलेक ओरसे मकैफे हली बार्हगिलिस । डिहवामे मकै जमकल डेख्के सुग्गाफे बरा जोरसे परे लागल रहैं । अपन मिहनेत करल फसल खाइट डेख्के बेल्साहिन बरा रिस लागिस । सुग्गा भगैना कोसिस ढेर करे मने बगाल भर सुग्गनके आघे ओकर कोसिस बेकार हुइजाइस् ।

एकदिन बेल्साहिन मन मरले बैठल डेख्के सटघरान मोहना उहिन एकठो उपाय बटाइल । बेल्सा डाजु टोहाँर मकैमे सुग्गा ढेर परटैं । मोर कहल एकठो बाट मनबो कलेसे मकैमे सुग्गा नाइ परहीं । बेल्सा बटाउ भाइ कुछ उपाय हुइटो । मोहना कहल पैंरक् झुक्का बनाउँ उहिन फाटल चिठल झुलुवा घलाके डिहवामे गारडेउ ।

औरे दिन मोहनक कहल अनुसार बेल्सा पैंरक् झुक्का बनाके डिहवम् गारडेहल । उ दिनसे डिहवम् सुग्गा लग नाइ परे लग्नै ।
अर्जुन थारु
बारबर्दिया नगरपालीका–५ बन्घुस्री बर्दिया

पैंरक झुक्का

अर्जुन थारु