मोर छातीक् घाउ

सागर कुश्मी
७ असार २०७८, सोमबार
मोर छातीक् घाउ

मोर छातीक् घाउ

ना टे निन परठ
ना टे भुख लागठ
ना टे मनमे चयन हो
ना टे खैले खा जाइठ
ना टे आछट पाटीसे निक हुइठ
ना टे डाक्टारके दवाइ लागठ ।

आँस पोंछटी
दिन बिटल
अँठवार बिटल
महिना बिटल
पुरा साल बिटल
टब्बो पर
नैआइल मनमे उमंग
नैछाइल तनमे रंग
छावक् अस्रे अस्रामे ।

कसिक कहुँ मै
अपन मनके बात
किहि सुनाउँ मै
अपन दिलके बेदना
किहि पुकारुँ मै
किहिसे मद्दत माँगु
मै आझ ।

आझ मोर छावक्
पहिचान खोज्लक
कैयो बरस होगैल
कसिक जिएटा
का खाइटा
का लगाइटा
किहिसे बट्वाइटा
कसिक बिटाइटा बन्दी जीवन
कारागार भित्तर ।

आँखिक् आँस सुखागैल
मनके उमंग हेरागैल
दिलके चयन लुट्गैल
मोर पहिचान मेट्गैल
मोर डेंहँक् सारा खुन सुखागैल
टीकापुर समझके
चरचरैटी बा हरदम
मोर छातीक् घाउ ।
मोर छातीक् घाउ ।

सागर कुश्मी

मोर छातीक् घाउ

सागर कुश्मी