गजल
बिना डरैले हम्रे छाइ घरसे बाहेर जैबी कहिया ।
हम्रे फेन अक्केली डुकेली नेंगे घुमे पैबी कहिया ।
कठैं ना जा छाइ स्कुल डगरा मे बन्वाँ परठ,
अब्बा रुकजाब टे सपना सकार कैबी कहिया ।
कोइ लवन्डिन पर दुर व्यवहार करि कलेसे,
हिम्मतके साठ उहिन साइड लगैबी कहिया ।
हिंसामे पर्लेसे मोर साठ डेहुइया बटैं सोच्के,
अपन पिर समाजके आघे हम्रे ढैबी कहिया ।
रोइठ जिउ नारीन्हे यौन हिंसामे परल डेख्के,
पुरुषनके पापी सोच हम्रे जरसे हटैबी कहिया ।
प्रतिक्षा चौधरी
जानकी गाउँपालिका–५ पठरहिया कैलाली