यात्रा चिसापानीक्

संगम कुस्मी
१३ असार २०७८, आईतवार
यात्रा चिसापानीक्

यात्रा चिसापानीक्
जिन्गीम नेंगाइ भोगाइ, सुखदुख, घामसिट मेरमेरिक सहयात्रा कर्ना मध्यमे सैंटल बात यात्रा फेन हो जिन्गीक् । जहाँ रहर, सौक अपन मन भिट्टर ठह्रियाइल पहार फेन उँचयाइ सेकजाइठ । ओहे समय, परिस्थिति, सौक ओ रहरहे गाँठी पारल याद मोरिक मनभिट्टरके कुलबुलैटी रहल अतित बनके अभिनसम झस्कैटी रहठ ।

बात २०५२ सालके हो । जौन समयमे मै श्री दिपेन्द्र माध्यमिक विद्यालय हसुलिया कक्षा आठ मे पर्हुं । टबे हम्रे छे जाने संघरियन सल्लाह कैके चिसापनी पुल हेरे जैना बिचार कर्ली । एक दिन सब संघरियन अपन अपन सँइकिल लेके निकर फेन डेली । भर्री गाउँसे दिनेश ’संगम’, राजु, महेन्दर, टेंह्री गाउँसे मै संगम ओ लोहरपुर गाउँसे कलिराम ओ बलिचरण रहिंट । भर्री गाउँसे सकर्ही निक्रल संघरियन मोर घर पुग्लैं । अपन घरसे मै फेन अपन ढोक्री पोक्री उठैलुँ । पुरान पुरान ठोठ्रा सँइकिल मच्यइलुँ मने कल्वा भर पृथ्बीपुर गाउँके बिस्टान घर बबेन्दर गोचाके घर बनल रहे । वहाँ कल्वा खाखुके सब संघरियन अपन अपन सँइकिल डोर्यइली ओ निकरडेली ।

डसियक् सिजन काहुन डगरके आँजर पाँजर खेट्वम् धान फेन सब ओर फुट्ना सिजन हुइल रहे । कहुँ हड्यारे पाकल बिल्गे टे कहुँ अभिन कच्चे हरयर सोहावन डेखपरे । हम्रे अपन अपन रफ्तारमे बह्रे लागल रहि । जाइट् जाइट् बहुत लडिया फेन मिलल । मने उ समयमे मुरा, चुहा, गुलरामे लडियम् पुल बनल नैरहे । जाँघ समसम पानी नाघ्के गैली । चिसापानी पुल हेरासक मारे खुसीक् सिमा नाघल हस् लागे । सिहरा फेन एक्को नैलागे काहुन । हुइना टे कहकुट बा सौकके आघे मुडार का चिज हो । बस हमार यात्रा आघे बर्हटी बा सरसर सरसर ।

जाइट् जाइट हम्रे तीन बजे ओर लम्की बजार पुग्ली । उ समयमे लम्की बजारम १४÷१५ ठो किल खोंकम् ढारल डोकान बिल्गे । लम्की बजारसे पुरुब बन्वाँमे पहिले डगर पिच नैहुइल रहे । बरेबरे पठ्रा बिछाइल ग्राइभिल ना कहे । जाइट् जाइट् बलतल साँझके चार बजे ओर चिसापानी पुल पुग्ली । हरयाइल वातावरणसे सजल सौन्दर्य आँजर पाँजर पहार, बिच्चेमे कर्णाली लडिया । ओम्हें एक्के खुँटक् खोब लोभलग्टिक पुल बरा सोहावन डेखाए ।

हुइना टे हो लावा ठाउँ, लावा मनै पर्ली हम्रे । वहाँक् ठाउँ छोर्के अइना मन टे नै रहे । टब फेन का कर्ना हो सबचिज सोंचलहस कहल हस् कहाँ मिलठ टे यहाँ । मनमे सन्तुष्टी ढारके चित्त बुझइहि परठ । हमार ठन समय कम रहे । घुम्के घरे पुग्ना फेन रहे । लगभग दुई घण्टासम रमैली राहरंगी कर्ली । मेरमेराइक पुरान जबानक क्यामरासे फोटु फेन खिचैली । फोटु फेन टे सोगा सोगा खिचाइ परे । उ समयमे पहिले क्यामरम् रिल डारके खिच्ना सिस्टम रहे । टब फेन टे दुई रिल टे ओर्वा फेन डर्ली ।

सोंचल चाहल हस् कहाँ हुइठ जे जिन्गीम यहाँ चाहके फेन हम्रिहिन । उ कर्णाली लडियक् चिसापनी पुल छोरके आइ पर्ना हुइल । आइट् आइट् उहे बनुवाँँमे बर्का भारी भारी पठ्रम कुडाके मोर सँइकिल पिन्चर होगैल । साँझके झोल्पट हुइल पचपच पचपच अन्ढार हुइटि रहे । काकरुँ आब डर फेन लागे । संघरियनके पाछे पाछे पिन्चर सँइकिल ढिरे ढिरे चलैटी रहुँ । बलटल लम्की बजार पुग्ली टे सँइकिल ग्यारिजमे जाके कलुँ, सँइकिलके पिन्चर जोर डि संघारी । मने उ मिस्टरिया पिन्चर नैजोर डेलैं । जोर्हिं फेन कैसिक रात अन्ढार होसेकल रहे । जैसिक टैसिक काम चलाउ सँइकिलमे हावा भर्लुं । हम्रिहिन सब जनहन भुख फेन लागे । टब ओहंै मनै परट दुइ दुइठो चाउचाउ लेली । कच्चे सुख्ले पानी संग खाके पेट पुजा फेन कर्ली ।

रातीक् आठ फेन बजगैल रहे । हम्रे ढिरे ढिरे लम्की बजारसे अइटि रहि । मै फेन पिन्चर सँइकिल संघरियनके पाछे पाछे चलैटि रहुँ । अन्ढरिया रात कुइयाँकुचिल । अन्ढार रोडे रोडे चल्टी रहि । डसियक् समय काहुन रोडके आँजर पाँजर गाउँ ओर मन्डरौहुवा नाच खोब जम्कल चम्पन चैनार सुनमिले । एक ओर टे मन सोंच्टि रहे नाचे ओर चलजाइ कि का । टब फेन संघरियन कुछ नैकहिके अपन भोहर मन लेले संगे संगे जइटि रहुँ । आब टे लगभग १२ फेन बजगैल रहे । घरे पुग्ना फेन टे वहुत दुर रहे अभिन । का करि का नैकरि समस्यामे परगैली । आनक अपरिचित गाउँ नाटपाँट नैरहिंट । किहिसे बास मँग्ना हो कोनो जुगार नैलाग । टब हम्रे सब संघरियन सल्लाह कैके ओहैं अझकल बर्दगोरियाके निमुवाँबोझी पर्ना गाउँमे एकठो मन्दिर रहे । ओहंै आमक् रुख्वातिर आमक् पटिया टुर टुर बिछाके रातभर रातिक बास कटैली । बिहान हडर बडर उठ्ली वहाँसे अन्गुट्टी घरे ओर सोझरली । जिन्गीम् आइ परल सब चिजहे सामना कर्टि घाम, जार, सुख दुख सहके बिटैहि परठ । टबमारे कबु कबु कर्णाली लडियक् चिसापानी पुलके नाउँ सुन्टि किल एकदम ओहे अतितके याद साटो घलैना हस् झस्कैटि रहठ । झस्कैटि रहठ ।
संगम कुस्मी
कैलारी–८ डख्खिन टेंह्री, कैलाली

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संगम कुस्मी