दार्जिलिङ हेर्ना पहिल मौका

शिवहरि चौधरी
१३ असार २०७८, आईतवार
दार्जिलिङ हेर्ना पहिल मौका

दार्जिलिङ हेर्ना पहिल मौका
जौन समय जिन्गीक पहिल फेरा आइरन गेट (एसएलसी) परीक्षामे कन्टक लाग गैल रहे । टबसे मोर क्याम्पस पहर््ना सपना टुक्रा–टुक्रा हुइगैल रहे । मनमे ढेर सोच्लुँ । आब यी जिन्गीहे पार लगैना का कैजैइ कैह्के अपन सोंच ओ घर सल्लाहसे प्राविधिक विषय पह्र्ना हुइलुँ । निर्माण अन्तर्गत सिभिल सबओभरसियर पह्र्ना मौका मिलल् । २०५७ सालसे फागुन एक गते राप्ती प्राविधिक शिक्षालय लालमटियामे प्रशिक्षार्थीके रुपमे भर्ना हुइलुँ ।

लेकिन टेक्निकल पर्हके क्याम्पस पर्हल्हस् लागल् २ बरससम् । ओम्हें फेन सौभाग्य मिलल् रहे । दार्जिलिङ एक हप्ते शैक्षिक भ्रमण । मै सुन्ले रहुँ कि सुन्दर पहारमे अवस्थित दार्जिलिङ एक सुन्दर बजार हो । ओसिक टे दार्जिलिङ सहर पहिले नेपाल रहे । अंग्रेज लोगनसे लराइमे हारके आब उ भारतमे परठ् ।

दोस्रो बरस ओराइट् दार्जिलिङ भ्रमण जैना हुइली २०५९ अग्हन १९ गते । जिन्गीक पहिलबार भ्रमण जागैल रहे । उ समय नेपालमे सरकार ओ माओबादीबीच जनयुद्ध मचल रहे । रातबिरात नेंगे नैपैना, ठाउँ ठाँउमे सुरक्षा जाँच बरा कर्रा, सुरक्षा जाँच रहे । शिक्षालयसे आदेश फेन आइल रहे कि संकटकालमे भ्रमण नाजाउ कैह्के । टब्बोपर हम्रे आपन जिड्याइ कैके दार्जिलिङ भ्रमण जैना हुइली । भ्रमण जैना स्कुलसे फेन सिफारिस बनैली । जाइबेर बिसर्गैल । आक्रे कारण दुई घण्टा फेन ढिल हुगैल ।

ओहोंर भ्रमणके गारी कब नेंगी कैह्के मन कुल्बुलाए । संघरियन क्याबिनके सिटमे बैठक लाग टैं–टंै, मै–मै करिंट । सन्झा डेउखरे बिट्रख्ले रहे । गाडी अपन रफ्तारमे मचल । बुटवल सात बजे ओर पुग्ली । रात मकवानपुर मनहरीमे बैठके बिहान ६ बजे सिरहाके लहान पुग्ली । चिया नास्ता खाके खाना खाइ सुनसरीक भण्टाबारी पुग्ली ।

खाना खाके ओहांँसे हम्रे सुनसरीके मोरङ–सुनसरी सिचाई योजना चटरा पुगल रही । ओकरबाद बराहक्षेत्र हुइटी धरान पुग्ली । ओहोंरसे घुमके फेन रातके खानासंगे बास इटहरीमे हुइल । बिहान ओहाँसे बिर्तामोड झापा हुइटी इलाम पुग्ली । इलाम चियाके लग नैजाडी ठाउँ हो । हम्रे चिया बगान हेर्ली, लोभ लग्टिक लागल् । पशुपतिनगर पुगेबेर ११ बजल रहे ।

दार्जिलिङ जाइक लग भारतीय गाडी प्रयोग कैली । नेपाली गाडी जाइ नैपैलक कारण हम्रे भारतीय गाडी प्रयोग कैलक हुइ । नागपोखरीके घुम सहर हुइटी, बतासे पुुल, शहीद स्मारक जौन एक १९४७ के यौद्ध कैलक बरवार शहीद लोगनके स्मृतिमे स्तम्भ बा । यिहे ठाउँमे रेलवाइ इन्जिनिरिङ नमुना डेख्जाइठ् । लोभ लग्टिक ठाउँक् फोटो खिचैना मन रहे । लेकिन उझुक–उझुक अइना कुहिराले छेंक जाए । हमार मनके इच्छा ओस्टे हेराजाए । टब्बोपर कुछ फोटो टे हम्रे खिचैना सफल फेन हुइली । शहीद स्मारक ठनसे दार्जिलिङसे ५ किलोमिटर परठ् । ओस्टक नन्हें, चिडियाखाना घुमगैल् । चिडियाखानामे एडमन हिलारी, पासाङ ल्हामु शेर्पाके सगरमाथा हिमाल चौर्हलक् कुछ आकृति ओ प्रयोग कैलक सामान फेन बा । वहाँ गहिंर रुपसे अवलोकन कैगैल् ।

ओस्टक नन्हें तेङ्जिङ रकमे पग्हाले नेंगगैल रहे । संगे कफी सपमे पुगल फेन रहि । ओकरवाद दार्जिलिङ लेने हिसाबसे बजार फेन कैजागैल् । साँझ पर्टी रहे । घुम्ना तयारी फेन करे लग्ली । ७ बजे साँझ पशुपतिनगर घुम्ली । वहाँक् मौसम जुर, पानी ढेरहस बर्सटी रना रहलेसे फेन उ समय पानी टे परल लेकिन खोब पाला परे । आझुक बास आहें रहल् ।

बिहान पच्छिउँ लग्ना हुइल । साँझ बाराके धल्केबार बास बैठ्ली ओ बिहान नारायणघाट हुइटी पोखरा लग्ली । खाना फेन पोखरे हुइल । पोखराके बेगनस ताल, फेवा ताल, पताले छाँगा, महेन्द्र गुफा, चमेरे गुफा घुम्गैल ।

यी भ्रमण करेबेर खास कैके जत्रे पुरुब जाउँ, ओत्रे विकास हुइल डेख परे । जौन कि हमार पच्छिउँ ओर ओसिन विकास कमे बिल्गाइठ् । मरुभुमि पहाडमे फेन वहाँक् वातावरण सोहैना चिया बगाल बा कलेसे हमार चुरे पर्वतवा उजाड बिल्गाइठ् । ‘भोजसे पहिले दार्जिलिङ डेखो, मर्नासे पहले श्रीनगर डेखो’ कना कहाइ सुन्ले रहुँ । दार्जिलिङ हेर्के फुरे ओस्टे लागल् । अपन ठेन कमाही नैरलक कारण अपन खुशी फजुल खर्च करे नैमिलल् । जत्रे रहे ओम्हेमे सीमित रैह्के भ्रमण कैना सौक पुरा कैगैल् । डोस्राबेर मनेम् सोच्ल्ँ । कमाही कैके अपन परिवार सगे फेन दार्जिलिङके भ्रमण कैना इच्छा बावइ । जिन्गी रहि टे जरुर एक दिन परिवार संगे दार्जिलिङ हेने सपना पुरा हुइ ।
शिवहरि चौधरी
पिपरी, डेउखर दांग

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शिवहरि चौधरी