दार्जिलिङ हेर्ना पहिल मौका
जौन समय जिन्गीक पहिल फेरा आइरन गेट (एसएलसी) परीक्षामे कन्टक लाग गैल रहे । टबसे मोर क्याम्पस पहर््ना सपना टुक्रा–टुक्रा हुइगैल रहे । मनमे ढेर सोच्लुँ । आब यी जिन्गीहे पार लगैना का कैजैइ कैह्के अपन सोंच ओ घर सल्लाहसे प्राविधिक विषय पह्र्ना हुइलुँ । निर्माण अन्तर्गत सिभिल सबओभरसियर पह्र्ना मौका मिलल् । २०५७ सालसे फागुन एक गते राप्ती प्राविधिक शिक्षालय लालमटियामे प्रशिक्षार्थीके रुपमे भर्ना हुइलुँ ।
लेकिन टेक्निकल पर्हके क्याम्पस पर्हल्हस् लागल् २ बरससम् । ओम्हें फेन सौभाग्य मिलल् रहे । दार्जिलिङ एक हप्ते शैक्षिक भ्रमण । मै सुन्ले रहुँ कि सुन्दर पहारमे अवस्थित दार्जिलिङ एक सुन्दर बजार हो । ओसिक टे दार्जिलिङ सहर पहिले नेपाल रहे । अंग्रेज लोगनसे लराइमे हारके आब उ भारतमे परठ् ।
दोस्रो बरस ओराइट् दार्जिलिङ भ्रमण जैना हुइली २०५९ अग्हन १९ गते । जिन्गीक पहिलबार भ्रमण जागैल रहे । उ समय नेपालमे सरकार ओ माओबादीबीच जनयुद्ध मचल रहे । रातबिरात नेंगे नैपैना, ठाउँ ठाँउमे सुरक्षा जाँच बरा कर्रा, सुरक्षा जाँच रहे । शिक्षालयसे आदेश फेन आइल रहे कि संकटकालमे भ्रमण नाजाउ कैह्के । टब्बोपर हम्रे आपन जिड्याइ कैके दार्जिलिङ भ्रमण जैना हुइली । भ्रमण जैना स्कुलसे फेन सिफारिस बनैली । जाइबेर बिसर्गैल । आक्रे कारण दुई घण्टा फेन ढिल हुगैल ।
ओहोंर भ्रमणके गारी कब नेंगी कैह्के मन कुल्बुलाए । संघरियन क्याबिनके सिटमे बैठक लाग टैं–टंै, मै–मै करिंट । सन्झा डेउखरे बिट्रख्ले रहे । गाडी अपन रफ्तारमे मचल । बुटवल सात बजे ओर पुग्ली । रात मकवानपुर मनहरीमे बैठके बिहान ६ बजे सिरहाके लहान पुग्ली । चिया नास्ता खाके खाना खाइ सुनसरीक भण्टाबारी पुग्ली ।
खाना खाके ओहांँसे हम्रे सुनसरीके मोरङ–सुनसरी सिचाई योजना चटरा पुगल रही । ओकरबाद बराहक्षेत्र हुइटी धरान पुग्ली । ओहोंरसे घुमके फेन रातके खानासंगे बास इटहरीमे हुइल । बिहान ओहाँसे बिर्तामोड झापा हुइटी इलाम पुग्ली । इलाम चियाके लग नैजाडी ठाउँ हो । हम्रे चिया बगान हेर्ली, लोभ लग्टिक लागल् । पशुपतिनगर पुगेबेर ११ बजल रहे ।
दार्जिलिङ जाइक लग भारतीय गाडी प्रयोग कैली । नेपाली गाडी जाइ नैपैलक कारण हम्रे भारतीय गाडी प्रयोग कैलक हुइ । नागपोखरीके घुम सहर हुइटी, बतासे पुुल, शहीद स्मारक जौन एक १९४७ के यौद्ध कैलक बरवार शहीद लोगनके स्मृतिमे स्तम्भ बा । यिहे ठाउँमे रेलवाइ इन्जिनिरिङ नमुना डेख्जाइठ् । लोभ लग्टिक ठाउँक् फोटो खिचैना मन रहे । लेकिन उझुक–उझुक अइना कुहिराले छेंक जाए । हमार मनके इच्छा ओस्टे हेराजाए । टब्बोपर कुछ फोटो टे हम्रे खिचैना सफल फेन हुइली । शहीद स्मारक ठनसे दार्जिलिङसे ५ किलोमिटर परठ् । ओस्टक नन्हें, चिडियाखाना घुमगैल् । चिडियाखानामे एडमन हिलारी, पासाङ ल्हामु शेर्पाके सगरमाथा हिमाल चौर्हलक् कुछ आकृति ओ प्रयोग कैलक सामान फेन बा । वहाँ गहिंर रुपसे अवलोकन कैगैल् ।
ओस्टक नन्हें तेङ्जिङ रकमे पग्हाले नेंगगैल रहे । संगे कफी सपमे पुगल फेन रहि । ओकरवाद दार्जिलिङ लेने हिसाबसे बजार फेन कैजागैल् । साँझ पर्टी रहे । घुम्ना तयारी फेन करे लग्ली । ७ बजे साँझ पशुपतिनगर घुम्ली । वहाँक् मौसम जुर, पानी ढेरहस बर्सटी रना रहलेसे फेन उ समय पानी टे परल लेकिन खोब पाला परे । आझुक बास आहें रहल् ।
बिहान पच्छिउँ लग्ना हुइल । साँझ बाराके धल्केबार बास बैठ्ली ओ बिहान नारायणघाट हुइटी पोखरा लग्ली । खाना फेन पोखरे हुइल । पोखराके बेगनस ताल, फेवा ताल, पताले छाँगा, महेन्द्र गुफा, चमेरे गुफा घुम्गैल ।
यी भ्रमण करेबेर खास कैके जत्रे पुरुब जाउँ, ओत्रे विकास हुइल डेख परे । जौन कि हमार पच्छिउँ ओर ओसिन विकास कमे बिल्गाइठ् । मरुभुमि पहाडमे फेन वहाँक् वातावरण सोहैना चिया बगाल बा कलेसे हमार चुरे पर्वतवा उजाड बिल्गाइठ् । ‘भोजसे पहिले दार्जिलिङ डेखो, मर्नासे पहले श्रीनगर डेखो’ कना कहाइ सुन्ले रहुँ । दार्जिलिङ हेर्के फुरे ओस्टे लागल् । अपन ठेन कमाही नैरलक कारण अपन खुशी फजुल खर्च करे नैमिलल् । जत्रे रहे ओम्हेमे सीमित रैह्के भ्रमण कैना सौक पुरा कैगैल् । डोस्राबेर मनेम् सोच्ल्ँ । कमाही कैके अपन परिवार सगे फेन दार्जिलिङके भ्रमण कैना इच्छा बावइ । जिन्गी रहि टे जरुर एक दिन परिवार संगे दार्जिलिङ हेने सपना पुरा हुइ ।
शिवहरि चौधरी
पिपरी, डेउखर दांग