नेपालके ताजमहल पुगेबेर

लक्की चौधरी
१४ असार २०७८, सोमबार
नेपालके ताजमहल पुगेबेर

नेपालके ताजमहल पुगेबेर
‘पाल्पा’ अपनहीं प्रकृतिसे सजल सुन्दर बगियाहस बा । अइसिन लागठ कि प्रकृतिहे डेहे पर्ना सक्कु सुन्दरता पुरा उँजरा भर लानके वहाँ ढारडेले बा । टबे टे ‘पाल्पा’ मनोरम ओ प्राकृतिक छाँहीले भरिभराउ बा । प्राकृतिक शित्तर मनैंनके लाग कबु नैमेट्ना प्यास हो । शरीरहे पानीके लागेहस हरियालीके प्यास मनैंनहे लगटी रहठ । काठमाडौं जसिन भीरभार, उकुसमुकुस, ठेलमठेल ओ प्रदूषणयुक्त शहरके परिवेशमे बैठ्ना हरेक नेपालीहे शित्तरके प्यास हुइठ । ओहे मेटैना वातावरण डेहठ पाल्पाके हरियाली । वहाँ पुग्ना जे फेन दृश्यप्यास नैमेटट्सम प्राकृतिक हरियालीसँगे राहरंगी करे पैठैं । पाल्पाके प्राकृतिक सुन्दरता मध्येके एकठो अनुपमस्थल हो ‘रानीमहल’ अर्थात् नेपाली ‘ताजमहल’ । हाँ टो ताजमहल मानवनिर्मित, मने लागठ प्रकृतिके उपहार हो । चारुओर पहारसे घेरल कालीगण्डकी ओ बराङ्दी लडियाके संगमस्थलमे अवस्थित बा रानीमहल । लडियक् ढिकुवा बनल ऊ नेपाली ताजमहल भारतके आग्राके ताजमहलसे कैयौंगुणा अनुपम लागठ । कमी बा टो केवल प्रचारप्रसारके ।

तजमहलमे आधादिन
नेपाल पत्रकार महासंघके दशौं केन्द्रीय पूर्णबैठक भदौ २९ गते सुन्दरनगरी रानीमहलमे बैठल रहे । पाल्पा तानसेनसे करिब चारकोस दुर रानीमहलके पहिला बार अवलोकन कैना अवसर ओहे दिन जुरल । पाल्पाके बतासे डाँडाके जुर बतासके शीतलता टो यीसहसे पहिले जो बारबार महुशस कैगैल रहे । मने रानीमहलके दृश्यपान करे नैमिलल रहे । बैठक ऊ फेन अवसर जुराडेहल । वहाँ पुगली टो महासंघ पाल्पाके पूर्वअध्यक्ष भगवान भण्डारी ओ वर्तमान अध्यक्ष राजेश अर्यालसहितके बगाल स्वागतके लाग हाजिर रहिंट । रानीमहलमे फूलक्माला, पल्पाली ढाकाटोपी ओ इष्टकोटके स्वागतसे मनहे फुरुङ्गै बनाक्ष्ल । लागल, कौनौबेला राणाके जर्नेल खड्ग शमशेर ओस्टके जो रानी तेजकुमारीहे कौनो महलमे स्वागत करले रहल हुइहीं । मने दुर्भाग्य ! खड्ग शमशेर नेपाली ताजमहल टो बनैलैं, ओम्ने रानीहे स्वागत करे नैपंलैं । रानीके सम्झनामे ऊ रानीमहल वि.सं. १९५० सालमे बनैले रहिंट । रानीके स्वर्गबासके बाद भावविह्वल रहल खड्ग शमशेर ऊ महल बनाके अपन मनके पीडा ओ उकुसमुकुसहे शान्त परले रहिंट ।

नेपाली ताजमहलके नामसे परिचित रानीमहलमे पहिरो जाके कुरुप बनाइल समाचार नेपाली सञ्चारमाध्यममे प्रकाशन प्रशारण हुइल रहे । समाचारसे मनहे ठनिक् झुर बनैले रहे । वहाँ पुगेबेर ओइसिन नैडेख्गैल । महलके पूरुब ओ पस्छिउँके डाँडामे भारी पहिरो गइल रहे । ओकरे दृश्य देखाके रानीमहल भँठल मिथ्या समाचार आइल रहे । पाल्पा पुगेबेर स्थानीयसंग पहिलो जिज्ञासा रहे । ‘रानीमहल भँठरगैल हो टो ?’ बहुत जे जान नैजानके ‘समाचार ओस्टे फुँकठ’ कलैं बहसत जे ‘नैगैल हो पटा नैहो’ कलैं । मनमे आउर खुलदुल मचल । तस्विरमे रानीमहल देखलेसे फेन प्रत्यक्ष ओहैं जाके अवलोकन करल नैरहे । ओहेमारे कैसिन हुइ कहिके नेपाली ताजमहल ? कसिन हुइ खड्ग शमशेरके रानीमहल ? जिज्ञासाके पोका मनभर रहे । रानीमहलके प्रत्यक्ष अवलोकन करे पैलकमे जिज्ञासाके भारी हल्लुक हुइल । दृश्यप्यास नैमेटट्सम करिब छ घण्टासम ओहैं महलमे बिटल । उल्टाबिल्टाके क्यामेरामे मेरमेरिक तस्विर कैद कैगैल । क्यामेराके मेमोरी नैओराइटसम सेल्फी लेगैल ।

ताजमहलके राज
धीर शमशेरके १७ भाइ छोरामध्येके वीर शमशेरके प्रधानमन्त्रीत्वकालमे खड्ग शमशेर कमाण्ड ईन चिफ तोकगैलैं । अठारा महिनाके बाद उहाँ पदच्यूत हुइलैं । निर्वासित जीवन जिएक लाग पाल्पा गैलैं । पाछे उहाँहे वि.सं. १९४५ मे पश्चिम नेपालके रुपन्देही, कपिलवस्तु, बाग्लुङ ओ पर्वतके जिम्मेवारीके साथ पाल्पाके गौंडामे पश्चिम कमाण्डरके पुनः जिम्मा डेगैल । ओहेबेला वि.सं. १९४९ मे रानी तेजकुमारीके कालगतिसे मौत हुइलिन् । मौतके अन्तिमक्षणमे खड्ग शमशेर रानीहे हुँकान सम्झनामे भारतके आग्राजस्ते ताजमहल बनाके स्मृतिहे ताज ढर्ना वचन डेले रहिंट । वचनअनुसार उहाँ बेलायतसे इन्जिनियर बलाके रानीमहल बनाइ लगैलैं । अइसिक बनल ‘रानीमहल’ अर्थात् नेपाली ताजमहल । करिब साढेपाँच रोपनी क्षेत्रफलमे बनल रानीमहल पाल्पाके तानसेन बजारसे १३ कि.मि. किल दुर बा ।

रानीमहलमे २४ कोठा, २ पोखरी, मन्दिर, बगिचा, पाटी, घोड–तबेला ओ भक्तनके बैठ्ना कुट्टी समेत बनाइल बा । मानववस्तीसो दुर रहल रानीमहलभिट्ेटर बहुमुल्य सामान रलेसेफेन संरक्षणके अभावमे अहिले बहुमुल्य सामान चोरी होसेकल बा । रानीमहलके तरेसे कलकल बहना कालीगण्डकीके पवित्र पानी छसलेसे किल पवित्र होजाइठ कना कहाइ बा । बौघागुम्हा २, पाल्पामे पर्ना रानीमहलके हेरालु आमप्रसाद भट्टराईके अनुसार पहिले वहाँ बहुमुल्य भाँरा ओ श्रृङ्गारके सामान रहे । पाछे सुसार नैहोके सामान चोरी होगैल । बहुत सामान फुट्गैल बहुत गल गैल ।

संरक्षण आवश्यक
रानीमहल पर्यटकीय हिसावसे सम्भावनै सम्भावनाले भरल बा । मने महलके पुनरनिर्माण ओ संरक्षणके अभावसे दिनदिने कुरुप हुइटी जाइटा । रानीमहलके हेरालु भट्टराईके अनुसार दैनिक एकसयसे डेढसय जाने आन्तरिक तथा बाह्य पर्यटक ताजमहल पुग्ठैं । प्रायः प्रेमजोडीके मनजोरना रोजाइ स्थलकेरुपमो रानीमहल बा । छोट जीप ओ मोटरबाइकसे घण्टाभरमे सजिलसे पुगेसेक्ना रानीमहलके सौन्दर्य ओ वहाँको प्राकृतिक मनोरमसे युगलजोडी ओ पर्यटकके मनहे सजिलसे लोभ्याइठ । अइसिन सुन्दर ठाउँके दृश्यावलोकनके लाग राज्यसे उचित प्रबन्ध ओ महलके संरक्षण भर हुइ नैसेकल हो ।

रानीमहलक भित्ता चिरकल बा । ०७२ सालके भूँइचालके झट्का महलमे बहुत जोरसे लागल । महल हेरालु भट्टराईके अनुसार भक्त ओ भक्तनीनके भागाभाग हुइल । भूँइचालके झट्कासे कुछ युगलजोडी ओ आन्तरिक पर्यटकनके भागाभाग हुइल रहे । मने महलहे भूँइचालके खासे नोक्सान नैकरल । भित्ताके ठाउँ–ठाउँमे भट्कल बा । उप्पर सिलिङ्मे विछइल कठुवाके पट्रा ओ प्लाइउड उभुक्गैल बा । भित्ता ओ खम्बामे चिरा परल बा । मने ओकर पुनःनिर्माण हुइल नैहो । ओहेमारे महलके रौनकता घटल बा । महल जीर्ण बनाइल बा । महलमे परल डरारसे बर्खाके पानी आउर दाग लगाडेले बा । महलके सौन्दर्य घटल बा । पुनःनिर्माण ओ श्रृङ्गारमे राज्यके स्थानीय निकायके ध्यान पुगल नैहो ।

रानीमहलके जिर्णोद्वारसे रानीके सम्झनाहे फेनसे ताजा पर्ना आवश्यक छ । महलके आँजरपाँजर जामल झारके सरसफाई, हरिरे बोटविरुवा, फूला लगाके महलहे आउर सुन्दर पारे सेक्जाइ । महल परिसरमे बनल दुईठो पोखरीके सरसफाई हुइ नैसेकल हो । मजासे सफाई पोखरीके सौन्दर्यहे पुनरताजगी बनाइ सेक्जाइ । महल हेरालु उचित प्रबन्ध हुइ नैसक्ना, सरकारके लगानी नैहुइना ओ ऊ क्षेत्रहे पर्यटकीय स्थलकेरुपमे विकास करे नैसेक्ना राज्यके कमजोरी हो । ऐतिहासिक क्षेत्रहे जोगैना ओ पर्यटकीय स्थलकेरुपमे विकास कैके राज्यके आम्दानीके स्रोतकेरुपमे परिचालन करे सेक्जाइ । ओकरलाग महलके उचित संरक्षण ओ जीर्णोद्वारके आवश्यकता बा ।

रानीमहल पुग्ना साँसट
पाल्पाके तानसेन बजारसे रानीमहल खासे दुर नैहो । मने वहाँ पुगक लाग बहुत साँसट भोगे परठ । बर्खामे टो ठाउँ ठाउँमे पहिरो, हिल्ला ओ खटहीखटहा आउ। समस्या रहठ । बर्खामे बहुटत कमे मनैं जैठैं वहाँ । डगर ग्राभेल फेन नैहोके ओ कच्ची डगर होके छोट गाडी, मोटरबाइक घनीघनी फँसठ् । गाडीमे सवार अप्नही ढक्का मारके रानीमहल पुगे पर्ना बाध्यता बा । ठाउँ–ठाउँमे झरना ओ छोट छोट पानीके मुहानसे डगर पुरा हिल्ले किल रहठ् । पानीके सही निकास नैहो । बर्खामे बड्री हेरटी रानीमहलके अवलोकन करे पर्ना बाध्यता बा । पैदल गैलेसे करिब तीनघण्टा लागठ ओ गाडीमे करिब डेढ घण्टा लागठ ।

रानीमहल पुग्ना डगरके स्त्तरोन्नति करेसेक्लेसे वहाँँ पुग्ना यात्रुनहे थप सहज हुइसेकी । रानीमहलसम पुग्ना डोसर उपाय केबलकार निर्माण हो । ओहेमारे सौन्दर्यहे थप सुन्दर बनाइसेकी । पर्यटकहे लोभ्याइ । राज्यके ध्यान ओहोंर पुग्लेसे पाल्पाके थप पर्यटकीय विकास सम्भव हुइ ।
लक्की चौधरी
लेखक गोरखापत्र दैनिकके उपसम्पादक हुँइट् ।

नेपालके ताजमहल पुगेबेर

लक्की चौधरी

लेखक गोरखापत्र दैनिकके उपसम्पादक हुँइट् ।