हम्रे थारु हुइटी चाहल हमहिनफे अढिकार

एच एम परिश्रमी
२४ असार २०७८, बिहीबार
हम्रे थारु हुइटी चाहल हमहिनफे अढिकार

गजल
हम्रे थारु हुइटी चाहल हमहिनफे अढिकार ।
बचाब इ पहिचान रीति संस्कृति मैगर मौलार ।

बारी बेंउरा घर अंगना चम्पन बा हमार बस्टी,
ज्यानके बाजी सहि करब पहरेदार बारबार ।

बुझेपर्ना बा जानेपर्ना बा हम्रे सक्कु जे यहाँ,
आझ टीकापुर जरल काल्ह पहिचान हमार ।

औरेक इसारम् नेंगना बान आझीसे छोरेपरी,
घुम्के हेरो बस्टीमे बहुट बर्हगिल अत्याचार ।

आइ कसम खाइ हाँठ मिलाके इ एकपरगामे,
नैसोहाइ आब घर्के बाघ बन्वँक् बन्के गिडार ।

कानुन, संविधान बनल थारुनके करिया दिन,
उहे कानुन, संविधानके हुइना चाहि चिरफार ।

खबरदार जनता बुझगिलैं इ सरकारके रबैया,
सावधान नैरुकि आब थरुहट युद्धके बौछार ।

डबैनासम डबाइल सरकार अभिन डबैटी बा,
हेर्टी जाइ काल्ह बस्टी बस्टीमे करि गिरफ्टार ।

कुहि थुनामे पारसेकल कुहि बेपट्टा इ हत्यारा,
चिपाइल नैबनि ज्या बा उहिन्से करि प्रहार ।
एच एम परिश्रमी
कैलारी गाउँपालिका– ४ के गाउँ, कैलाली

हम्रे थारु हुइटी चाहल हमहिनफे अढिकार

एच एम परिश्रमी