मनके बहमे बहेबेर

सागर कुस्मी
२९ असार २०७८, मंगलवार
मनके बहमे बहेबेर

मनके बहमे बहेबेर
समय परिस्थिती ओ जिन्गिक् डौराइ संगे आझ हम्रे अपन जिन्गि गुजरटि बटि । इहे क्रममे कैलाली, कञ्चनपुर, बर्दिया, बाँके, दाङ्ग के स्रस्टा लोगनके बाँढल पोक्रि हे बिट्कोर्ना क्रममे बटी । पुनाराम करियाबरिक्काके सम्पादन मे रहल मनके बह मे कुछ लिख्ना मौका मिलल् बा महिन । इ जिम्मेवारी ओ मौकामे सक्कु स्रस्टा लोगनके मुक्टक पहर्ना अबसर जुरल ओ कुछ लिख्ना मौका मिलल् ।

मनके बह मुक्तक संग्रहमे ४१ जहनके मुक्तकके बख्खारी हो । संग्रहमे सिमोटल मुक्टकके विषय बस्तु ओ भाव ढेर जसिन बिदेशके पिर व्यथा भोगाइके बात खिचगैल बावै । सिंगारिक भावमे लिखल मुक्टक ढेर पाजाइट् । लेखनके दृष्टिकोणसे भोगाइके दाइरा अभिन चाक्कर हुइना जरुरी बा । संरचनागत रुपमे रचनाके अध्ययन हुइना जरुरी बा । अपन डेखल बुझल ओ भोगल बातहे इ संग्रहमे उटार गैल बा । जेकर नमुना मक्तक हेरि यहाँ ।

टुहाँर याडम हरेक पल बहल बा टन ।
सोक सुर्टाम भटभट डहल बा झन ।
टँु बिना हरेक क्षण बिटैना मुस्किल बा फेन ।
कसिक बाँचु जिन्गि कैख कहल बा मन ।

परदेशमे बैठल अनुभबके अनुभुतिक् पोक्रीक् कहानी भरल बावै यमने । कहुँ बेरोजगारके कथा, समस्या, अभाव, दुःखके बिम्ब फेन झलकल बावै । इ संग्रह युवा लोगनके निरासापन ओ बेचैनके डुम्मासे सिर्जल पोस्टा हो इ मुक्तक संग्रह । हमार समाजके वास्तविकता ,सत्यता इमान्दारिताके बिम्बहे चित्रण कैगैल बा । यहाँ चार पंटिमे बहुट ढेर कहानी अटाइल बा । हेरि इ मुक्तक फेन ।

हेरैटि बा थारु संस्कृति मिलके बचाइ सक्कुजे ।
बिग्र भिरल हमार गाउँ समाज सजाइ सक्कुजे ।
हमार थारुनके टिहुवारम नच्नाफेन हेरा सेकल ।
जुटि डाडु भैया मिलक नचाइ सक्कुजे ।

इ संग्रहके सम्पादक पुनाराम करियाबरिक्काके जलम करम दाङ रलेसे फेन राजधानीमे बैठके साहित्यिक क्षेत्रमे बहुट योगदान पुगैटी आइल बटैं । हुँकार गेहसे इ संगह्रके जलम हुइल हो इ संग्रह । देशके हालट, देशके चिन्ता ब्यक्त कर्ले बटाँ यहाँ । इ देशके सत्तामे बैठल राष्ट्रघाटी लोगनहे कसके चेताबनी फेन डेले बटाँ ।

गरिबके झोपरी घरम आगि बर्ना ढौ बा ।
का लगाउँ का खाउँ बख्खारी भर्ना ढौ बा ।
कबु आँढी कबु बार्ह पहिरो सटाइठ ।
कहाँ जाइ काकरी बसाइ सर्ना ढौ बा ।

समय अन्सार इ जबाना फेन बडल्टी गैल बा । ओहे अन्सार अपन भासा संस्कृति साहित्यिक उत्थान करे परठ कना चेत फेन लगैले बटाँ । युवा मुक्तककार लोग गितबाँसहे बचाके ढारब कलेसे टबकिल हमार थारुनके पहिचान झल्की कना बाट फेन बिटोर गैल बा यम्ने ।

काठमाडौ सदादिन हाँसता टिकापुरहे रुवइले सरकार ।
भाइ भाइ हे लराके कुकरीक माँठ मुवइले सरकार ।
डाइ बाबनके अस्मिता लुटके गरिब बस्तीमे आगि लगाके ।
मेरमेरीक रुप बनाके बनौरी आँस चुवइले सरकार ।

बिदेशमे रहल बेला अपन गाउँ ठाउँके बयान फेन कहाँ छुटैहि लावा युबा स्रस्टा लोग । अपन डाइ बाबा घर परिवार अपन जहानहे फेन बरा सिङ्गारिक रसिके स्वाद भरल बिल्गाइठ । कहुँ कहँु मैयाँ प्यारके बाटहे अपन प्रेमि पे्रमिका लोगन हे सम्झल मुक्टक फेन बावै इ पोस्टा भिट्टर । नारी समाजके गहना हँुइट, नारी फेन कुच करे सेक्ठाँ टमान ठाउँमे नारीन्के बहुट भारी भारी योगदानफे हुइल बावै । अस्टे भाव बोकल इ मुक्टक हेरि यहाँ ।

घर अंगना खेट्वा बारी के बाट करी ।
भात भन्सा कर्ना नारी के बाट करी ।
अबसरके जरुरट बा हमार समाजमे ।
चलि सखि समझडारीके बाट करी ।

जागि युबा हम्रे कलम लेके जागी ।
अपन हाँठमे मल्हम लेके जागी ।
एक दिन जरुर हुइ पुरा माग फेन ।
आहे मारे लक्ष्य हरदम लेके जागी ।

समाजके दायित्व ओ जिम्मेवारी फेन युवा लोगनके हो । आब युवा लोग जागे पर्ना बावै । मुक्तक मार्फत फेन समाजमे जन जागरण करे सेक्जाइठ कना मुक्तक फेन बावै इ संग्रहमे । इ बेला युवन्के साहित्यिक रचना मार्फत समाज परिवर्तन कर्ना समय हो ।

आइल लौव जोस जाँगर लेख मनके बह ।
महोत्या छोक्रा गित माँगर लेख मनके बह ।
इच्छा चाहना पुरा होए स्वाच सक्कुहनक ।
मन मनम खुशिक सागर लेख मनके बह ।

अझकलके युवा लोगनके लेखन के अध्ध्यन अभिन गहिर हुइ पर्ना बा । हम्रे अपन रचना करेबेर अध्ययन कर्ना बानी बहुट कम बा एकठो मुक्टक लिखक् लाग २० ठो मुक्तक अध्ययन कर्ना जरुरी बा । एकचो लिखल मुक्तकहे १० चो हेर्के किल प्रकासनमे लाने परठ कना मोर मान्यता हो । देश समय ओ परिस्थिती हेरके रचना कर सेक्लेसे टबकिल हमार लिखाइ उचाइमे पुगाइ सेक्जाइठ । ओकर लाग पहिले अध्ययन चाहठ । ओहेमारे हम्रे पहिले संरचनाके बारेमे अध्ययन कैके कलम डौरैना हमार जिम्मेवारी हो ।

जिन्गिक डगर बडलके नेंगटुँ मै ।
नेंगना सफर बडलके नेंगटुँ मै ।
सफलताके शिखर चुमम कैह्के ।
टबेटे रहर बडलके नेंगटँु मै ।

ओ जैटि जैटि आब हम्रे कैसिन मेरके साहित्य लिखे परठ कना चिन्तन ओ बहस कैना बेला आइल बा । जब सम मनैन्के दिलमे चोट ओ अठोट नै हुइठ टब सम सफल हुइ नै सेक्जाइठ । ओकर लाग साढना हुइ परठ् ।

समयके बाबजुड फेन महिन इ मुक्तक संग्रहके लाग भुमिका लिख्ना मौका डेलकमे सम्पादक पुनाराम करियाबरिक्का ओ सक्कु स्रस्टनहे बधाइ ओ शुभकामना । संगे संगे डोसर कृतिके लाग हलि लगन जुरे ।
सागर कुस्मी
धनगढी कैलाली

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सागर कुस्मी