गुरु ओ चेलाके कहानी

दुर्जन कुमार चौधरी
३१ असार २०७८, बिहीबार
गुरु ओ चेलाके कहानी

गुरु ओ चेलाके कहानी
पहिलेक जमानामे बहुट झंखारा रहल पिपरा रुख्वक टरे गुरु अपन शिष्यहे पाठ पह्राइँट् । ज्ञानगुणके बाट सिखाइँट । जहाँ सुन्दर शाान्त वातावरण रहट ओहैं अपन चेला ओ शिष्यन अपन ज्ञान सिखाइँट । कहाँ मजा हुइ जस्टे बन्वाँ लग्गे कुट्टी बनाके हुइट् कि, कि खोब मजा छाँही रना रुख्वा टरे बैठ्के हुइट् अस्टे अस्टे ठाउँमे अपन चेलनहे गुरु लोग पाठ सिखैना काम करिंट । उ जबानामे चेला अपन गुरुनके लाग खैना सरसामान लैजाके अपन गुरुके आदर सम्मान करिंट । गुरुनके बातहे कबु नाइ कहे नैमिल्ना । अपन गुरुक् आदेश मन्ही परना । गुरु लोग अपन शिष्यनके परीक्षा गजब लेना । अस्टेअस्टे करटी समय बडल्टी गैल । टब जाके चेला गुरुके कुट्टीमे आके विद्या प्राप्त करे लग्नैं ।

विद्या सिख्ना काम जम्मा गुरुजीके आश्रममे हुइ लग्लिन । गुरुजी जा बात कलेसे फेन माने परना स्थिति रहे । गुरुजीके लाग अपन घरसे खैना चिज लैजा डेना । समय समयमे गुरु अपन चेलनके परीक्षा लेना काम होए । यी प्रक्रिया अभिन सुचारु बा कहे परल । कुछ बात अपन शिष्यहे सिखाके परीक्षा लेना । अस्टे बात एक गुरु आउर चेलनके रहे । गुरु अपन शिष्यहे ज्ञानगुण सिखैना काम अपन कुट्टीमे बलाके करे लागल । गुरु आउर चेलनके सम्बन्ध गुरु चेला जैसिन खोब मजा रठिन । गुरुक कहल बात चेला रोज करटी जैना । अपन गुरुहे आदर सम्मानके साथ मन्टी जैना । गुरुके स्याहार सुसार रोज दिन खोब मजासे करना । एकदम मजासे गुरु अपन शिष्यहे जट्ना चिज सिखैना रठिस खोब मजासे सिखाइल । अपनठन जट्ना ज्ञानगुण रहिस सबचिज सिखाइल । ढिरे ढिरे ज्ञान डेटी गैल । जौन चिज नैजाने उ फेन मजासे सिखा डेहे, बारबार बुझा डेहे । अस्टे करट करट अपन ठन रहल जानल बुझल ज्ञान जम्मा अपन चेलाहे डे डारिंट ।

एक दिन गुरु आपन चेलक परीक्षा लेना सोंचट । अट्रा ढेर दिन होगिलिस मोर चेलक मोर यहाँ रहट । आब अपन चेलक परीक्षा लेहे परल कहिके गुरु सोंचट । मोर चेला कट्रा जन्नाहा बा । मोर चेला कुछ जानट कि नैजानट, पाछे जाके कुछ करे सेकी कि नैसेकी कना बारे चिन्ता हुइ लग्ठिस । कुछ दिन रहिके गुरु अपन चेलाहे परीक्षा लेना विचार करल । अट्रा ढेर दिन सिखैनु कुछ दिमागमे ढरले बा कि नैढरले हो । कि खाली एक कानसे सुनके डोसर कान उरा डरले बा कि कना बात गुरु मनमे खेलैटी रहट । जब डोसर दिन हुइट टब जाके गुरु अपन चेलाहे कहट– ले बेटा यी तीन रुप्या । इ तीन रुप्यक तीन चिज नानिस एक एक रुप्यक आउर कुछ रुप्य घुमा लन्हो ।’ टब चेला कहट–बाबा काका नानम । टब गुरु कठिस । टो बेटा टँु जाउ बजार । बजार जाके इ तीन रुप्यक तीन सामान लन्हो आउर बचल रुप्या घुमा लन्हो । एक रुप्यक एक सामान किन्हो । जौन बचल रहि उ सब रुप्या टँु घुमाके घरे लान लेहो । टब चेला कहट– हाँ बाबा, ठिक बा । मै तीन रुप्यक तीन सामान लानम कहट । टबजाके ओठ्ठक रामपरोस मनै कठंै कि सारे इ मनैयाँ अन्ध्रा बा कि का । तीन रुप्या डेहटा आउर तीन रुप्या मनसे एक÷एक रुप्यक तीन सामान लाने कहटा । आउर रुप्या घुमा लानिस कहटा । आँढर बा किका इ मनैयाँ । कहुँ तीन रुप्या मनसे एक÷एक रुप्यक एक÷एक सामान लन्लेसे कहुँ अक्को रुप्या बचि । टब चेल्वा चल डेहट बजार ।

चेल्वा अपन गुरुक ठनसे बहुट कुछ सिख्ले रहट मने कुछ बात आउर जहनसे फेन सिख्ले रहट । जलम डेहुइया डाइबाबासे कुछ बात सिख्ले रहट आउर कुछ बात संघरियनसे । जहाँ जाइट वहाँ अइरे गैरेनसे फेन कुछ बात सिख्ले रहट । जब उठबो टबसे कुछ ना कुछ बात सिख्टी रबो । ओस्टके उ फेन बहुट बात डोसर जहनसे सिख्ले रहट । टब चेल्वा बजार जाके एक रुप्यक अपका किनट । अपका कलक मिठाइ किनट । अपका कलक अब्बेहे खैना पिना आउर अब्बेहे ओरा जिना । टब जाके बचल दुइ रुप्या । चेल्वा कुछ दुर आउर बजार जाइट टे उहाँ जाके अपका न टपका किन लेहेट । अपका न टपका कलक एक रुप्यक रन्डीबाजी कैलेहेट । उ ना अब्बक हो ना टब्बक । टब मारे उहि कठै अपका ना टपका । आब दुई रुप्या टे ओरागिल जसिक टसिक । आब बचल एक रुपया । उ बजारसे घुमके आइ लागट टे बजार हिटकले एकठो मन्दिरमे सत्यनारायण पुजा हुइट डेखट । उ मन्दिरमे सत्यनारायण पुजाके संगसंगे भजन किर्तन हुइट् रहे । वहाँ दान पेटी फेन ढारल रहे । उ वहाँ मन्दिरमे जाके का करु का करु करट । टब उ एक रुपया मन्दिरके दान पेटीमे डार डेहट । उ अपन रुपयक् टपका किनट । आउर चल याइट आपन गुरुक ठन ।

टब गुरु कठिस कि–बेटा चेला बजारसे टे अइलो काका चिज खरिदके नन्लो । मै टोहार हाँठम कुछ फेन नडेखठँु । टब चेल्वा कहट अपन गुरुहे बाबा मै एक रुपयक अपका किन्नु । (एक रुपयक मिठाइ खा लेनु ।) टो बेटा एक रुपयक टे अपका किन्लो । आउर डोसर रुपयक का करलो । डोसर रुपयक अपका ना टपका किन्नु । (एक रुपयक कुछ रन्डीबाजी करलेनु ।) टो बेटा डोसर रुपयक टे अपका ना टपका किन्लो । बचल एक रुपया आउर उ एक रुपयक का करलो । उ कहट कि–बाबा मै एक रुपयक आइबेर मन्दिरमे सत्य नारायणके पुजा हुइट् रहे । भजन किर्तन हुइट् रहे । वहाँ जाके मै एक रुपया दान पेटीका मे दार देनु । उ बचल रुपयक मै टपका किन्नु । (टपका कलक (अस्टके बिटल करल बात सक्कु अपन गुरुक ठन बटाइल ।) टब गुरु कठिस–स्यावस चेला । टुँ बहुट ज्ञानी हुगील बटो । आउर रुपयक टुँ चहाँ जा करलो । लेकिन आइबेर टँु बहुट रुपया बचाके लन्लो । लाखौं करौडौंके टु पुण्य कमाके अइलो । टबमारे मै टुहिन कले रहुँ कि कुछ रुपया बचाके लनहो । गुरु कहट टु परीक्षामे पास हुगीलो । बेटा टु ज्ञान प्राप्त कर दरलो । आजसे टु मोर सच्चा चेला हुइटो । आब टु जहाँ जाकेफे रहे सेकठो, आपन गुजारा आब टुँ अपनही करे सेकबो । कुछ चिजमे निर्णय लेना क्षमता टोहाँर हुगील बा । जिन्गी मजासे कटाइ सेकबो । (चेला कुछ दिन अपन गुरुकसंग बैठट ओ अपन गन्तव्य ओर लागट ।)

(अभिन गुरु ओइने अपन शिष्यन ज्ञान डेना प्रचलन सुरु बा । ज्ञानगुणके बात सिख्के परीक्षा लेनाफें काम सुचारु बा । पहिले कौनो रुख्वा टरे ज्ञान सिखीट, कौनो कुट्टीमे जाके सिखीट, आब समय अनुसार बडल्टी जाके सिलोटसे कालोपाटी करट करट सेतोपाटीमे आगील बा । ओस्टके अनलाइन सिस्टम आगील बा । आपन घरही अध्ययन करे लग्लैं । आब आधुनिक जमाना आगील बा । आधुनिक जमानामे आधुनिक पह्राइ हुइटा । सब जाने पैंसक पाछे डौरल बटै । जबाना कहाँसे कहाँ पुग्गील । समय अनुसार ज्ञानगुण लेहे परना जरुरी बा । समय अनुसार चले परना बा । अपन गोरामे अपनही ठहरयाइ सेके परना हुगील बा । आबक जबानामे शिक्षा सबकुछ होगिल बा ।)
हँसिया लेबो कि बेंट ? बेंट । टोहाँर आउर मोर सदादिन भेंट ।
धन्यवाद ।
दुर्जन कुमार चौधरी
कैलारी ६ कैलाली

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दुर्जन कुमार चौधरी