रेकर्ड खराब

दुर्जन कुमार चौधरी
४ श्रावण २०७८, सोमबार
रेकर्ड खराब

रेकर्ड खराब
एक देशमे राजा आउर रानी रहिंट । राजा ओ रानीक एकठो छाइके रुपमे सन्तान रठिन । उ छाइक् नाउँ ढरले रहंै राजरानी । राजरानी बहुट मजा रहठ । अपन डाइ बाबाके जस्टे एकदम मिलनसार बटी । बाबाफें अपन देशके जनतनके बहुट सहयोग करनाहा रठिस । सायद ओहे गुण छाइक्मे सरल बटिन । राजरानीक एकठो संघरिया रठिन । उ संघरियक नाउँ हुइन रजनी । रजनी बहुट गरीब, दुखी परिवारके रठि । ओहकान डाइ बाबा एकदम औरेक काम करके किल पेट पल्ना काम करठिन । रजनी फेन खाली समय रहल बेला अपन डाइबाबक संग काममे सहयोग करठी । रजनी भरपुर सहनशील ओ सहयोगी बटी । उ फेन राजरानी अपन गोहिक् जस्टे ज्ञानी बटी । राजरानी ओ रजनीके मिलनसार स्वभाव डेख्के राजा रानीफें अपन छाइहस् रजनीहे मन्ठैं । रजनीफें अपन सग्गे डाइबाबाहस् मानठ राजारानीहे ।

रजनी गरीब रलेसे फेन उ धनी मनैन जस्टे लगाइ नैखोज्ठी काहे कि रजनीहे पटा बटीन कि जिही मै छुए नैसेकम ओकर अस्रा काहे लग्ना । टबमारे अपन सेकट सम कमाके जा लगाइ सेकठी ओहे कपरा लुगा फाटा लगैठी । राजरानी कबुकाल्ह अपन कपरा अपन गोही रजनीहे लगालेउ, घाललेउ कहिके सहयोग करठी । रजनी नैलगाइक मन करठिन् मने राजरानी गोहि कठिन कि जौन मै लगाइटुँ उ फें टे टोहाँर हो । जौन टुँ लगाइटो उ मोर हो । का अपन लगाइल कपरा महिन लगाइ नैडेबो ? राजरानी कहठ अपन संघरिया रजनीहे । रजनी कठि लगालेउ ना । मै कब कले बटुँ कि टँु मोर कपरा ना लगाउ कहिके । टोहाँर कपरा मजा बा, लावा फें बा । मने मोर कपरा पुरान बा । सफा रलेसे फें टोहाँरमे मोर घालल कपरा नैसुहाइ कहिके रजनी अपन संघरिया राजरानीहे कठि । मने राजरानी नैमन्ठी । मै टोहाँर कपरा लगैम, काहे कि महिन टोहाँर कपरा मन परल बा । टुँ मोर कपरा लगाउ । डुनु जाने साटीक्साटा एकदम जस्टे कपरा लगैठैं । ओकर कपरा कबु उ लगैना टे कबु उ ।

डुनु जे स्कूल जैना स्कूलसे संगे अइना काम करठंै । उ डुनु संघरिया छोट्टेसे लँगोट्या यारके रुपमे रठैं । छोट्टेसे चिनजान हुइलक कारण उ दुई बीच एकदम घनिष्ठ मैयाँ रठिन । डुनु गोहिन अपन दुनियाँमे रमैठंै । समय संगे जवान हुइटी गैलंै । समाजके रीतिसंस्कृति बुझे लग्लंै । गाउँगाउँमे चेतना जगाइ लग्लैं । उ डुनुहुनके बीच कोइ बाधा बन्के नैअइलिन । डुनु जे अपन मन परल काम करटी रनै । पह्राइमे निरन्तर लगनशील, मेहनती, इमान्दार, साहित्यप्रेमी, खेलप्रेमी रठंै । स्कूलके सब हिस्सामे भाग लेना । जस्टे कि हाइ जम्प, लङ जम्प, सियो धागो, कबड्डी, हाजिरीजवाफ, गुल्ली डन्डा हर खेलके हर भागमे हिस्सा डुनु जे लेठैं । असल विद्यार्थीमे हुइ परना गुण डुनु जहनमे रठिन ।

छरछिमेकमे परल सुख दुखमे भाग लेना काम करठंै । समाजके अग्रपंक्तिमे नाउँ अइठिन राजरानी ओ रजनीके । राजा ओ नोकरके बीच बहुट फरक रहट मने जहाँ दोस्ती बा कलेसे राजा रहे या नोकर । कौनो चिजमे कुछ फरक नैपरट । काम ढन्ढा कबुकाल्ह अलग हुइ सेकठ मने जिउ ज्यान अक्के बा कलेसे के कही । ओहे फरक डुनु जहनमे रठिन मने समय संगे उ दुई संघरियन बीच कबु डरार नैपरलिन । बरु एक डोसर बीच सहयोगके भावनासे नाता आउर गाह्र हुइटी गैलिी.न । राजरानी राज परिवारके एकलौटी छाइ रलेसे फेन ओहकान अलग जातपात, रहनसहन ओ चालचलन राजा अनुसार सबके अलग्गे रहिन । ओस्टके रजनीक फेन अपन जात, भाषा, संस्कृति, धर्म, कर्म, चालचलन, रितिरिवाज, रहनसहन बिल्कुल फरक रठिन । मने उ दुई बीच एक चिज कमन रठिन । एकठो रगत सक्कुहुनके लाल रहठ कना भावना उ दुई जहनके बीच जर गार सेक्ले रठिन । डोसर उ दुईके बीच भावनात्मक नाता एकदम बल्गर रठिन । टबमारे दुनु जे निःस्वार्थ भावना लेके समाजसेवा करठंै । एक डोसरके जातपात, रीतिसंस्कृति, रहनसहन, भाषा, संस्कृति, चालचलन साटासाट करठंै । उ ओकर घर जाके टिहुवार मनैना काम करठंै कलेसे उ डोसर घर जाके टिहुवार मनैना काम करठंै । डुनु जे एक डोसर जात, रीतिसंस्कृति प्रति अत्रा घुलमिल होगैल रठिन कि भाषासे लेके एक डोसर जातके पूरा इतिहास पटा होगिल रठिन ।

समयके खेल संगे डुनु जे राजरानी ओ रजनी सयान हुगिलैं । डुनु जे लक्काजवान, एकदम सुन्दरी बिल्गाइ लग्लैं । डेख्टीकिल मोहनेइना मेराइक लोभलग्टीक हुगैल रहिंट । आब दुनु जे समाजमे चलन अनुसार टरटिहुवार मनाइ लग्लैं ।
समय बिट्टी गैल । सबके घर अंगनामे टरटिहुवारके रौनक् छाइगिलिन । अष्टिम्की टिहुवार आइल । राजा कहल कि जा छाइ बजारसे कुछ सामान नान्ले । राजरानी अक्केली बजार जैना मन नैकरट । टब राजा अपन संघरिया रजनीहे फेन लैजा । रजनीक फेन अष्टिमकिहा सामान किन्ना हुइहिस । राजरानी खुशीसे अपन संघरियाहे सामान किने जाइक लाग सल्लाह करे जाइट । सल्लाह करके डुनु जे सामान किने चल जिठैं । सामान किन्के नन्ठैं ओ अपन अपन घरओर लग्ठैं । गाउँमे अष्टिम्कीके रौनक आउर बह्र जाइट । आब ब्रत बैठ्ना हुइलिन । राजरानी ओ रजनीफें सुन्ले रठंै कि आजापाजा ओ बुडी बुडुुनसे । ब्रत बैठ्लेसे मजा गोस्या (ठरवा) मिल्ठैं कना । कृष्ण जस्टे बुद्धिमानी मिल्ठैं कहिके सुन्ले रठंै । राजरानी फेन अपन गोही या संघरियक संगे डुनु जे ब्रत बैठ्लैं । रजनी ओ राजरानी मजासे अष्टिम्कीमे ब्रत बैठ्लैं । ओस्टके हर मंगरके या शनिच्चरके एकदम ब्रत बैठे लग्लंै । भगवानके अराधना करे लग्लैं ।

एक दिन राजरानी ओ ओहकान गोही (संघरिया) रजनी ब्रत बैठल रहिंट । रजनी कुवाँमे पानी भरे गैलिन । ओहंै अपन संघरिया राजरानीहे भेट हुगिली । भेट होके गफगाफ करे लग्लैं । सब पनभरनिन पानी भरके अपन घरक फटरड्ड बट्वाके गैगिलंै । मने उ दुई संघरियनके बात ओराइल नैरहिन । राजरानी कहिन कि रजनी होइ महिन टे ब्रत बैठलमे फेन पेट गपसलसह लागठ । पेट भरलहस लागठ । उकुसमुकुस लग्टी रहट । टाकि मै भुख्ले नै हँु कनाहस लागठ । एकदम ब्रत बैठ्ना मने पेट भरलहस लग्ना राजरानीहे । मने रजनी भर कहे महि टे गजब भुख लागठ होइ, ब्रत नैबैठल रठँुु टब फें ब्रत बैठलहस लागठ । रातदिन भुख लग्टी रहट । मने खोइ काहे टुहिन भर भुख नैलागठ । मै टे नै जाने सेक्नु होइ राजरानी गोहि टोहाँर बात । अपन बात टुँ अपनही जन्बो कहिके ठिल्यक पानी उठाइट ओ चलजाइट आपन घरे ओर । राजरानीफें अपन राजमहल ओर लग्ठी ।

एक दिनके बात हो । कहाँटक पह्रना किल हो । कबुकाल्ह घुमे परठ कहिके डुनुजे शनिच्चरके दिन अपन गोहिन घर खेले जाइ लग्ठंै । जाइटजाइट झोंरियामे पुग्लैं टे पानी खोब जोरसे पानी आइ लग्लिन । पानी परे लागलमे कहाँ जाइ कहाँ जाइ करलैं । एकठो रुख्वाटिर पानीसे बचे लग्लैं । पानी निम्सल टे अपन संघरियन घर चल गिलैं । उहाँ खोब मजासे हाँस खेल करलंै, राहरंगी करलैं । शनिच्चरके दिन फुर्सदके समयहे हाँस खेलके बिटैलैं । जिन्गी जिना क्रममे देशमे औलोके महामारी फैले लागल । महामारीसे टमान जहनके ज्यान चलगिल । औलोके प्रकोपमे डुनु गोहि राजरानी ओ रजनी फेन परजिठैं । लाख कोशिस करठंै मने उ डुनु संघरियनहे बचाइ नैसेक्ठैं । डुनु संघरियनके आत्मा यमराजके हाँठमे परजिठिन ।

राजरानी ओ रजनी डुनुजे संगे यमलोक पुग्ठंै । यमलोकमे दुईठो डुवार रहे । एकठो रहे स्वर्ग लोक ओ डोसर नर्क लोक । मुअल मनैन लाइन लागल रठंै । यमराज सबके कर्मके फल अनुसार किहु स्वर्ग लोक ओ किहुहे नर्क लोक पठाइट । लाइन लागल क्रममे रजनी ओ राजरानीके पाला अइठिन । रजनीक पाला अइठीन टे रजनीहे स्वर्गलोकमे पठैठिन । रजनी पालाके पाछे राजरानीके पाला अइठिन टे उहकिनहे नर्क लोक पठैठिन । टब डुनु जे एक्के सवाल करठंै । रात दिन हम्रे संगे रहि, चाहे जौन काम करली संगे करली । पाप पुण्य संगे करली मने एक जहनहे स्वर्ग लोक ओ डोसर जहनहे नर्क लोक काहे ? टब यमराज राजरानीहे कहट कि–‘टै ब्रत बैठ्ना टे बैठ्ले मने पूरा ब्रत नैबैठ्ले, मजासे नैबैठ्ले । सबजे टुहिन पुछिट कि टुहिन भुख लागटा कि नै होइ कहिंट टे टंै का कहिस कि मोर पेट टे भरल हस लागटा, पेट गपसल हस लागटा, बिल्कुल भरखर भात खाइल हस लागटा कहिस । टुहिन कबु भुखे नैलागल टे टोर ब्रत बैठलक का फाइदा । टोर संघरियाहे रजनीहे एकदम भँुख लागिस । ब्रत नैबैठलमे फेन भुँख लागिस । ओकर भगवान प्रति ढेर श्रद्धा भाव रहिस मने टंै भगवानके भजन किर्तन टे करिस मने टोर ध्यान, मन औरे ओर रहे । कबु भगवान प्रति टोर श्रद्धा भाव नैरहे । टबमारे टुहिहे नर्कमे जाइ परि । टोर पहिलेसे रेकर्ड खराब रहे ।’

टबमारे संघरियो चाहे राजा रहे चाहे रानी या राजपरिवारके रहे । मौट ओ रोज किहुहे नैचिनठ । सबजहन मनसे एक दिन जिहिफें लागे सेकी । एक दिन जिन्गीमे मुना निश्चित बा । चाहे जत्रा धनी या गरीब रहे मौत किहु नैछोरट । उ चाहे जौन परिवारके रहे । राजरानी राजपरिवारके रहलेसे फेन आखिरमे उहिहे नर्क लोक जाइ परलिस । टरे जत्रा भेदभाव रहलेसे फेन उप्पर किहुहे भेदभाव नैरहठ । जिन्गी जिना बा टे मस्तसे जिओ । हाँसखेल करके । बल्कि उ किहु दुःख डेके नाही । सेक्बी कलेसे मित्रताके हाँठ आघे बह्राइ, सत्रुताके हाँठ पाछे हटाइ । सबके जय जयकार होए जिन्गीमे । हँसिया लेबो कि बेट ? बेंट, टोहाँर ओ मोर सदा दिन भेंट । धन्यवाद ।
दुर्जन कुमार चौधरी
कैलारी गाउँपालिका–६ कैलाली

रेकर्ड खराब

दुर्जन कुमार चौधरी