हंसा

दुर्जन कुमार चौधरी
५ श्रावण २०७८, मंगलवार
हंसा

कथा
हंसा

एकठो गाउँमे लोहरा रहे । उ लोहरा बिचारा बहुट गरीब रहे । लोहरा आपन गोसिनियाँके संग एकठो अपांग छावा लेले अपन जिन्गी गुजारा चलाइट् । लोहार जात बरा छोट जात हुइँट् कहिके गाउँक् मनै गजब हिवाइस् । लोहरा बिचारक बहुट कररा होजिठिस अपन परिवार पल्ना फें । घरम खैना पिनाफें नैरठिस । गाउँक् मनै बहुट आफट डेख्के लोहरक् घर बन्वाँ किनारे ऐलानी जग्गामे सुनसान ठाउँमे बनाडेठिस । लोहरा टबसे ओहैं बैठे लागठ । लोहरिन्यँक अपन अपांग बच्चक् स्याहार सुसार करटी दिन बिटजिठिस । लोहरक् ठन गाउँक् मनै छोटछोट काम लेके जाइट टे ओकर गुजारा चल जाइस् । लोहरा काम नै ्आइल बेला गाउँ घरमे जाके माँगके फेन आपन गुजारा चला लेहे । ओस्टे करट करट सक्कुहुनसे माँगट् माँगट् ओकर गुजारा मजासे चले लग्लिस । मांग्के खाइ परना अवस्था नैरहिगिलिस । ठोरचुन ठोरचुन करट करट ओकर घरमे औरे जहनके घरसे फेन ज्यादा सम्पत्ति होगिलिस । उ अपन गुजारा औरे जहन नन्हे सामान्य रुपमे अपन काम गुजारा चलाइ लागल ।

बैशाख छेंक रहे । एकठो डोसर गाउँके किसन्वाँ अपन डिहुवा जोटट् रहसे बैशाखी मकै बोइक लाग । डिहुवा जोट्टी जोट्टी ओकर हर बिगर गैलिस । आब उ अपन घर बिग्रल फार लेके आगिल । घरे आके कलुवा खाइल । कलुवा खाके एघचिक आराम करल ओ कुइला हरक फार एकठो छिट्वामे उठाइल ओ चल डेहल ओहे लोहरक् ठन । लोहरक् ठन पुगट टे लोहरा ओहे किसन्वँक काम करे लागट ।

डुपहरके समय हुइल रहठ । एक टे बैशाखके छेंक । किसन्वाँ कहठ् एघचिक आराम करलिउँ । किसन्वाँ आराम पाइठ टे खुट्वाँमे ओंगठ् जाइठ । सिहरल जिउ किसन्वाँ खुट्वामे ओंग्ठटी किल नाक बोले लग्ठिस, निंडा जाइठ । लोहरा अपन काम चिमचाम करटी रहठ । डुपहर घाम हुइलक कारण गाउँफे सुनसान होजाइठ । सबकेउ अपन काममे व्यस्त रठंै । डुपहरिया घामम् किहु नैबाहर निकरना मन नैलग्नक कारण गाउँ सुन होगिल रहठ् । किसन्वाँ अपन ढुनमे निंडाइल रहठ् । लोहरा अपन मनका काम करटी बा । ओहर किसन्वाँ निंडाइल बा । लोहरा किसन्वँक् नाक बोलट सुनके किसन्वाँहेफें हेर लेहेटा ओ अपन काम फें करटा । किसन्वाँ एक्के घचिम सपनाइ लागल । ओकर हंसा (आत्मा) चिरैयाँ बन्के निकरलिस । चिरैयाँ खोब एक ठाउँमे जाके माटीहे अपन ठोरसे खोब खिटकोरटा ओ ओट्ठेंहे फुड्रुक फुड्रुक उलरउलर खोब खेल्टा । लोहरा खोबसुन उ चिरैयक् खिडाह हेरटी बा । चिरैयाँ ओकर ठन पुग्टीकिल ओहे किसन्वँक शरिरमे प्रवेश कर लेहेट ।

टब किसन्वाँ जाग जाइट । किसन्वाँ जागट टब कहट वाह खोबसुन निडागिल रहुँ । निडैटीकिल फें सपनाइ लागल रहुँ । टब अपन सपनाइल बात बट्वाइ लागठ । एकठो ठाउँमे गैल रहुँ । ओहंै गग्रीमे बहुट सोना चाँदी गारल भेटैले रहुँ । सपनामे पैलक् बात बट्वैटी रहे । जब बट्वाके सेकल टे लोहरा किसन्वँक् काम करके सेक डरले रहे । किसन्वाँ अपन काम ओराइल ओरसे उ अपन हरक फार लेके अपन घर चलगिल । टब लोहरा किसन्वँक हंसा जहाँ चिरैयाँ बन्के ठोरसे खिट्कोरले रहे ओहैं लोहरा खोडल । खोडल टे सोना चाँदी भेटाइल एक गग्री । जस्टे किसन्वाँ कले रहे कि सोन चाँदी भेटैले रहुँ ओस्टके लोहरा फें उ ठाउँमे खोडल टे किसन्वँक कहल हस् भेटाइठ् । टबसे लोहरक् जिन्गी पहिलेसे बहुट बह्रिया होगिलिस । बहुट धनी होगैल ।

कुछ दिनके बाडमे लोहरक् सात बरसके अपाड्ड वाला छावा मरजिठिस । गोसिन्याँ बहुट सुसार करलिस मने छावक् हंसा आखिरमे उरके चलिगैलिस । टब उ हंसा या डोसर गाउँके एकठो परिवारमे फेनसे ओहे छावक रुप लेके जन्म लेहेल । मने वहाँ फें ग्रहणके डाबल अपांग जलम हुइल । लौन्डक जलम लेहेल पर पाँच÷छ बरस बिटल । वहाँ फें ओकर डाइ खोब स्याहार सुसार कर्लिस । मने वहाँ ठीक होगिल । लौन्डा जब सात बरसके हुइल, लोहरिन्याँ ट्यापकसे ओहे गाउँ पुग्गील नेंगट घुमट । जब उ गाउँ पुगल टे लोहरिन्यासे काम करैलक लोहरिन्याहे सब केउ चिन्लेह रना । टब उ लौन्डक डाइ कलिस कि डिडी आउ पानी पिलेउ टब जिहो ।

लोहरिन्या फें पानी पिए गैगिल । लोहरिन्यक् लाग अङ्नम् खटिया बिछाके बैठे डेलिस । टब लोहरिन्याँ खटियम् बैठल । पानी पियल । लौन्डा जुन अंगनामे खेल्टा ओ ओहे लोहरिन्याँहे गजब हेरटा । टब लोहरिन्या कहल भैया टंै महिन खोबसुन टंै काहे हेरटे ?’ टब लौन्डा कहल कि टोर नाउँ यी उ हो । टब लोहरिन्या कहल हाँ यी नाउँ टे मोर हो । टब लौन्डा कहल कि टैं मोर डाइ हुइटे । टब लोहरिन्याँ कहल हेर भैया मै टोर डाइ नै हुइटुँ । मै आझ भरखर यी गाउँमे आइलटुँ । मै कैसिक टोर डाइ रहम । टोर डाइ टे यी हो । जहाँ टै खेल्टे, बैठल बटे । टब फेन लौन्डा कहट नै टंै मोर डाइ हुइटे, टोर यी उ नाउँक छावा रहे कि नै ? टब लोहरिन्याँ कहल हाँ रहे । टोर छावा अपांग रहे कि नै । टब फेन कहल लोहरिन्याँ हाँ रहे । लोहरिन्याँ अचम्म मान जाइठ, ओ ओकर डाइ फें अचम्म मन्ठिस । यी बात टे हमरिहिनहे फें पता नैहो टे यी लौन्डाहे कैसिक पटा बटिस । टब लोहरिन्याँ कहल जट्रा कले टैं उ बात जम्मा ठीक हो मने टै कैसिक जन्ले ? टब फेन लौन्डा कहट मै पहिले टोर छावा रहुँ । टब वहाँ मोर मौत हुइल टब मै यहाँ जन्म लेनु । मोर हंसा (आत्मा) यहाँ आके फेन जन्म लेहल । यी डाइक् छावक् रुपमे । टब लोहरिन्याँ रुइ लागल । लौन्डा सम्झाइ लागल कि ना रो डाइ, यि टे भगवानके लिला हो । कबु कोइ कहाँ जलम लेहट टे कबु कोइ कहाँ । अक्के ठन कैयो जिन्गी बाँचु कना नै रहठ । टब लोहरिन्याँ रुइट रुइट अपन घर चलजाइठ । धन्यवाद । हँसिया लेबो कि बेंट ? बेट । टोहाँर ओ मोर सदादिन जिन्गी भर भेंट ।
दुर्जन कुमार चौधरी
कैलारी ६ कैलाली

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दुर्जन कुमार चौधरी