पुरख्यानी गहना

असिराम डंगौरा
६ श्रावण २०७८, बुधबार
पुरख्यानी गहना

लघुकथा
पुरख्यानी गहना

डाइ डाइ करटी रीता डौरटी अइठिन । रीतक् डाइ फुलरानी का हुइटा रि बघुवाइल हस् करटे । इच्छुक मनसे रीता पुछ्ली डाइ पुरान गहना का का बा परौं गुर्हि हो मोर सखिनके सबकोइ गुर्हि असराइ जाब कहटंै । डाइ कहलिन अत्रा बरस बेगर गहनक् गुर्हि असराइ टिहिस असौं काहे चाहल । रीता जिड करटी डाइसे पुरान गहना का का बा डेखा मोर सक्कु सखिनके अपन अपन डाइनके पुरान गहना घालके गुर्हि असराइ जाइटंै, मै कुछ नै महिन लाज नाइ लागि ?

छाइक् जिडसे उ अपन भौका मन्से भोज्हा ४ रवाक फोंफी, बुलाका ओ झुम्का निकर्लिन । रीता अटरै कटि फुस्सर ढेवर लगैलिन । फुलरानी कलि सबकुछ रहे छाइ टोर बाबा बिगार डरनै । यी टो टोर लग बिलारीक गुह हस् नुक्वाके बचल बा एकर कारण कट्रा मार गारि पैनु । चाँदीक गहना टोर बाबा बेच डरनै । भर्खर अझकल टोर बाबा सुढरल बटंै । बरा हुके पक्का मंगबे कहिके बचैले आटुँ ।

यी काकरुँ सबकोइ पुरान चाँदीक गहना घल्ठैं, मै इहि चाटुँ, घघोट्के रीता कलि । फुलरानीे सम्झैटी कहलिन टोरलग बचैले आटुँ, टंै मन नाइ पराइठुइस काल्ह सोलरक डुकानमे जाब । मोर चिन्ह बचैम अजकल कोइ फोंफी बुलाका लगैबे नाइकरठैं यिहिन बेंचके पैसा ठापके टुहिन जा चाहि चाँदीक लैडेम ।

पुख्र्यानी गहना सेकलसम बचाइक् परि, टोर बाबा अझकल खोब पस्टैठैं । बुद्धि बिगरल । गहना बेंच डर्नु, आब ढिरेढिरे सब जोरम् कठैं । जा अपन सखिन् संगकरे काल्ह बजार जाब । रीता खुस हुइटी अपन सखिन बजार जैना संगकरे जैठिन ।
असिराम डंगौरा
जोशीपुर ५ कैलाली

पुरख्यानी गहना

असिराम डंगौरा