बर्डिवा सोमैयाँ

शत्रुघन चौधरी
२१ असार २०७८, सोमबार
बर्डिवा सोमैयाँ

बर्डिवा सोमैयाँ
बाहेर कैंयाँकुच्चील अंढार बा । रातीसे झाउझाउ झाउझाउ पानी परटी बा । बाहेरके मौसम फेन जुरार बा । घरसे बाहेर निकर्ना केकरो हिम्मत नैहो । सावन, भदौक् महिना । चारुओर डिहवामे मकै अरराइल बा । सोमैयाँ भिन्सारे उठ्के घारीक् गोरुनहे बुसा डारके सुटल रहठ । ओकर खास नाउँ टे सोमैयाँ रठिस । लेकिन सक्कुजाने उही मैगर मानके सोमै कठिस् । खेट्जोट्नी ओराके सब भिटरियन फुर्सडमे रठाँ । लेकिन सोमैक् काम आब शुरु हुइल रठिस । सोमैंक् बिहान अन्गुट्टे गोरु छोरना रठिस । बरखामे गौह्री फेन भिज्लक् कारण गोरु गोठाइ कोइनै लैजैठाँ । सक्कु बर्डिवन घारीमसे सोझे गोरु चह्राइ बन्वाँ लैजैठाँ ।

आझ सोमंैक् मन अगुन मन छगुन करटीस । सब मनै घरेम भुजल भुजा भरठर मसर मसर परटी बैठल रठाँ । घरक् छरनेटिर पानी भरक लग भाँरा डोगले रहठ । भिटरियन बर्खक् ओरसे बाहेर काम करे जाइ नैबनके घर बैठल कोइ खटिया भाँगठ, टे कोइ खर्रा बिनठ, कोइ जाल बिनठ, सब अपन अपन हरचाली लेके बैठल रठाँ । लेकिन सौमैंक् बाध्यता गोरु छोरही परना । काकरे कि उ जिमडारके बर्डिवा बा । गैया, बर्ढा, बछरु कुल मिलाके तीन दर्जन गोरुनके डेखभाल कैना जिम्मा बटिस । हुइना टे सोमै वहाँ भरखर लग्लक टे नैहो । ओकर बाबा पहिलेसे जिम्डारके घर कमैयाँ बैठ्लक ओरसे छोटहींसे उ जिम्डारके छेग्री चर्हाए । मने आब बर हुके भोज फें कैराखल ओ रोइना नाउँ हुइलक ओकर एकठो छावा फेन बटिस । पहिले जरावर पर किल छेग्री चर्हाए, लेकिन आब टे उ बरस भरीक् छत्तीस मन तौला मसुरा खैना लायक हुराखल । एक खाँरा छेउटी फेन टे पैले बा । इहीसे लटरपटर अपन परिवारके निर्बाह चलाइठ । ओकर अत्रेमे सन्तोष बटिस । उ अपन जिन्गी खुशीसे जियटा ।

तीन दर्जन गोरु डेखभाल कैना किल नैकी आउर बहुट ढेर जिम्मेवारी फेन बटिस सोमंैक् । बर्खामे छटरी बिन्ना, हेल्का बिन्ना, सुटरी कट्ना, सिकहर बनैना, हरचाली रठिस । भन्सरियनलग नम्हरैनके पटिया टुरना, मिल्लेसे सुखाइल काठी लानडेना, जिम्डरवक् लरकनलग खेलौना खरखरिया बनैना लगायत काम फेन करहीं परठिस । अपन परिवार लर्कापर्का पालनपोषण कैना टे पर्ली बा । लेकिन अपन परिवारसे ज्याडा मालिकके घरक् टन्टा कैटी ठिक्के रठिस । मल्कानहे खुशी पर्ना उ अपन ढरम सम्झठ ओ गर्वके महसुस करठ ।

उ दिन घारीक् सब गोरु अक्टाइल रठाँ । बाहेर निकरक् लग छटपट छटपट करटी रठाँ । उहे समय सोमै खँखरटी घरक भिट्टर पंैठठ् । ओकर चाल सुनके गोरु कान ठारह पारके सुन्ठाँ, टकपक टकपक चिटाइ लग्ठाँ । सोमैंक् सब गोरुनसे बराबर आत्मीयता रठिस । गोरुनके फेन सोमंैक् पर बहुट भरोसा रठिन् । काकरे की उ सकभर सबके पेट भरल नैभरल ख्याल करठ । सबके डेखभाल करठ । ओकरलग सब बराबर रठिस । ओहेकमारे उहीहे छोट का बर गोरु सब मालिकहस् मन्लेरठिस । कौनो गैया या बर्ढकमे कुछ हुजाइ टे खरपटोर बिरुवा फेन करे जन्ले बा उ ।

ठोर ठोर पानी फटियाइठ, बडरी उघरठ् । सोमंै भटौर खाके भुजा, अडुवक् चट्नी, गोलरामे छबुवा जाँरक् मिझनी बोक्के छटरी ओह्रले घारीओर गोरु छोरे नामठ् । घारीक् गोरु छोरठ, गोरु छट्कटी निकरठाँ । बन्वाँ जैना डगरेम लडिया बाह्रले भरल रहठ । रातभर पानी बरसलक् ओरसे लडियम् डुम डुम बार्ह आइल रहठ । डुनु डिउँ छल्कटी रहठ बिच्चे बिच्चे डेहरीहस बरे उप्पर उप्पर डुम्मा उल्रटी रहठ । गाउँक् मनै फेन बार्ह हेरे निकरल रठाँ । कोइ ढोँगवा मच्छी मरनामे व्यस्त रठाँ । कौनो गोरु लडियम् पैठना हिम्मन करे नैसेक्ठाँ । एकघचिक् बाड बार्ह कुछ कम हुइठ टे सबसे पहिले लर्हयौना बर्ढाहे सोमै आघे लगाइठ । अपने अपन लुग्गा लगायत जबियक् सामान कपारीम बाँढठ्, एक हाँठमे अपन लाठी ओ मिझनी लेहठ डोसर हाँठमे छटरी, बसराठी लेले अपनेफेन पाछे पाछे लडियामे कुड परठ । सब गोरु एक पाछे डोसर झ्वाम, झ्वाम कुड्ठाँ । लडिया पार कैके सब गोरु बन्वाँ पुग्ठाँ । पानी दिनभर सिमसिम सिमसिम परटी रहठ । गोरु मास, डाससे बचकलग झाला पाटा खैटी बनुवँक् टिकरा पर्वट्वाओर लग्ठाँ । उप्पर पर्वट्वामे फरछवार फेन रहठ । बन्वाँमे गोरु छोरके सोमै अपन हरचालीमे लाग्जाइठ । सोमै भन्सरियनके डुलारु रहठ । काकरे की उ भन्सरियनलग पाटक् टु्ट्टा परे नैडेहठ । ओहेकमारे भन्सरियनफें मजा मन्ठिस । ओकर कलक जुन भटौर तयार कैडेठाँ । आझ फेन ओकर पाटा टुरना रहिस । गोरु अपन सुरमे चहुँरे भिरल रठाँ । घनमन घनमन घन्टक् बोल ओनैटी एक बेंर्री नम्हरैनके पाटा टुरठ् । अस्टके एकठो पियारुक खरखरिया फेन बनाइठ । छटरी बनाइक्लाग एक मुठ्ठा खेझरीक डाँठ फेन काटठ् । अत्राले ओकर भरुवा पुग्जैठिस । कुछ डुर जाइठ टे संयोग बस जरहनियाँ भेम्टी फेन भेटाइठ, उहो पोकरी पारठ ।

सोमैंक्लग बनुवँक जीवन रसडार रठिस । उही घरसे बन्वाँ जो चैनार लग्ठिस । बन्वाँमे जाके अपन हरचालीक् संगसंगे काठी करुइया बठिन्याँ या जन्नीनकेलाग काठी चिरडेना, बोझा बनाडेना, भरुवा उचिया डेना, संगसंगे गफ लरैना डिल्लगी कैना ओकर दिनचर्या रठिस । उहेकमारे टे उ सब कठेहरीनके डुलारु बा । हरडम काठी करौनी चुक्की खाइबेर बठिन्यँन उही अनिवार्य बलैठिस । ओकर जबियामे बसिया कब्बो नैछुट्ठीस । बसिया बजैनम् फेन महा सिपार बा सोमै । भिट्टर बन्वाँमे जब सजनक् ढुनमे बरे लम्माके पिलिलिलि बसिया बजाइठ टे सब कठेहरी बठिन्यँन बसियक् ढुन सुनके ओकर पर मोहित होजैठाँ । अझकल अपनसंगे रलक परिवारफेन ओस्टे मोहित कैके भोज कैलक टे हुइस ।

आझ वर्खक मारे ओकर डेँह जुरार हुरख्लेरठिस । ओकर जिउमे जारक् मारे काँटा फुलल रठिस । ठोर ठोर लगलग्गी फेन पकरले रठिस । ढुंगापर बैठ्के अपन जबियम्से झुला ओ लाइटर, माखुर निकारठ । सखुवक् पटियक् खोँपी बनाइठ । एक बिंरा माखुर मेठके भरठ ओ झुलक् आगीले सुगाँके धुवाँ फुर्र फुर्र उराइ लागठ । जुराइल जिउ कुछ डन्डुर हुइल महसुस हुइठिस सोमैहे ।

साँझ हुइठ । घण्टा टरे बोलठ । घण्टक् बोलके सरने सरने सोमै अपन सरसामान लेले टरे ओल्हाइठ । उ बन्वँमसे निकरजाइठ, जहाँ गोरु आके गौरह्यैठाँ । उ ठाउँपर सारा गोरु आजैठाँ । लेकिन एकठो गैया अइना ढिला करठ । गोरुनहे घरक डगर लगाके सोमै गैया खोज्टी फेन बन्वाँओर टिकरा लागठ । सोमै अपन भाषामे से ..से…से… करटी जोरसे गैया बलाइठ । गैया सोमैक् बोल विचार लेहठ । ओहोरसे गैयक आवाज आइठ बाँ..बाँ….। सोमै ढुक्क हुइठ । वहाँ गैया बच्चा पैले रहठ । सोमै खुशीसे गडगड हुइठ । हुइना टे सोमैहे मनेम शंका टे लागल रहिस लेकिन कहिया बियाइ कना पटा नैरहिस । पुगठ टे गैया अपन बच्चाहे चाटके सेक्ले रहठ । बच्चा लडबड लडबड लेके ढिरे ढिरे टरे अइटी रहठ । झोल्पट हुइटी रहठ । बन्वँक् सब गोरु निकर सेक्ठाँ । सोमै बछरुवाहे कन्ढामे लप्पसे उठालेहठ ओ पाछेपाछे गैयाहे लेले घरेओर लागठ । सोमैक् बछरुनपर अटना मैयाँ बटिस कि सायद सोमै ओटना टे अपन लर्काहे मैयाँ नैकरठुइ । अपन हरचालीक् भरुवा ओ बछरुवा बोक्ले उकुस मुकुस कैटी सोमै कुछ रात घर पुगठ । घारीम् सारा गोरुन हेरठ सब गोरु आइल रठाँ लेकिन हरहट्वा बर्ढा गायप रहठ । सोमै जान लेहठ पक्का हाइ खाइ टे गैल हुइ कहिके । रात छिप्टी जाइठ । सोमै गोरु करियाके अपन घरओर लागठ ।

सोमैक बुर्हिया अपन घर जिम्डरवक् घरसे बेरी लैजारख्ठीस । सोमै जबसे बर्डिवा हुइल ओ भोज कैल टबसे साँझके अपन घर खाना बोक्के खाइठ । हुइना फेन हो दिनभरीक सिहरल जिउ आराम फेन करेक परल । साँझके एकघचिक हुइलेसे अपन परिवारके संगे खाना खैना ओ दुःखना सुखना बात कैके मनहे बहलाहइ फें टे परल । ओहेकमारे उही बेरी अपने घर खाइ जैना मजा लग्ठीस । खानपिन कैके सब परिवार सुट्ठाँ । लेकिन ओकर निन्ड नैपरठिस । सुर्टा हरहट्वा बर्ढकमे लागल रठिस । उ जानठ की मजा हुइलेसे सब मलिक्वक् लग्ना ओ कुछु बिगरगैलेसे अपन उप्पर डोष अइना हो । भिन्सारे हुइठ टे उठके एकचो घारीओर हेरे जाइठ लेकिन बर्ढा नैआइल रहठ । आउर दिन टे हाइ खाके ससन मसन आजाए । लेकिन उ दिन रातभर नैआइल ।

बिहान हुइठ । सब मनै चाल पालेठाँ । गाउँमे हल्लीखल्ली मचजाइठ । साराओर उहे चर्चा चले लागठ । सोमैक् बर्ढा गरढुरान डिहुवक् मकै सब खाडारल । ढानी मोछ आइल मकै बर्बाड कैल कैहके गरढुरिया डम्कठ । गरढुरान बरकवा गरढुरिया बिहाने हाँक पराइठ ओ जुटौला कराइठ । बिचारा सोमै ओहोर गोरु छोरना हटार रठिस । डट्करल बिहाने कचेहरीम जाइठ । गाउँक् जिम्डार बैठल रठाँ । सबजे उही डोष लगैठिस । काकरे लापरवाही कैठे ? सबजे ओकरेपर अंगरी डेखैठिस । लेकिन सोमै उ दिनके सारा वृत्तान्त्र सुनाइठ । टब्बो पर ओकर बात सुनुइया कोइनै रठिस । सबजे उही डोषी डेखैठिस । ओकर जिम्डरुवा अक्केली ओकर ओरसे लग्ठीस । ढेर जानेनके आघे ओइनके कुछु नैलग्ठीन । आखिरमे कचेहरीमसे पाँच सौ रुपियाँ खारा मरना निर्णय कैठाँ । उ फेन आधा जिम्डरुवा, आधा सोमै सहे परी कर्ना सहमति कैठाँ । विचारा अपन काम इमान्डारीसे कैटी कैटी फेन निरीह हुके जिम्डारसे ऋण कैके अपन बखरा खारा टिरे परठिस । सोमै कचेहरीसे उठके मनमरले फेन उहे अपन दिचर्यामे लागठ ।

उ दिन दिनभर ओकर दिमाग खराब रठिस । मनमे अनेक बात खेलाइठ । एक मन टे कठिस की बर्डिवा छोरके आब इन्डिया लाहुर खाइ भाग जाउँ । लेकिन गाउँक नियम फेन कडा रहठ । लग्लेसे सित्तीमित्ती छोरे नैपैना । नियम सम्झठ, उ अपन रोइना छावा सम्झठ, अपन जन्नी सम्झठ । सक्कु गैया, बर्ढा, बछरु सम्झठ । भागके गैलेसे सबके विचल्ली हुइ कना सोंचठ । जौन परि परि कहिके ढिर्खा बाँढके अपन मन सम्हाँरठ । दुःख सुख कुछ साल उहें काम कैना निर्णय लेहठ । ओ अपन पुराने दैनिकी अनसार दिन ढकेलठ् । असिके सोमैयाँहस् टमान गौप्रानी समयमे बिद्रोह नैकरे सेकल ओर्से टमान मुक्त कमैयँनके मुक्ति बरा ढिला हुइलिन । हो कि नै पाठक बृन्द ?
शत्रुघन चौधरी
सिसनियाँ डेउखर दांग

बर्डिवा सोमैयाँ

शत्रुघन चौधरी