बन्जरिया : थारु समुडायके सैचिन

छविलाल कोपिला
२१ असार २०७८, सोमबार
बन्जरिया : थारु समुडायके सैचिन

बन्जरिया : थारु समुडायके सैचिन
जब बिहनियाँ घाम झुल्के लागठ् यहोंर बिहान बहुट सुन्डर लागठ् । लल्छौंर सोनहरा केरनि, सिटके बुँडा ओ फटिक् जोजन् । उहेसे यहजुन महिहे अभिन सुन्डर लागठ् । काट्टिक महिना ठोरचे घाम ठोरचे जार महिना । किसानके लग ढान कट्ना, बोक्ना, डैंना ओ ओसा फटकमे डेहरि भर्ना महिना । यिहे ओरसे फेन किसानके लग मन चम्पन हुइना महिना । यिहे महिनामे डसिया–डेवारि फेन परठ् । डसिया–डेवारि राहरंगिट कैना महिना फेन हो । नाट–नट्कुर भेटघाट हुइना ओ सुख–डुखके बाट बट्वाके मन बह्लैना मौका जुरा डेहठ् डसिया–डेवारि । यिहे चम्पन मौकामे कुछ डिन पहिले कंचनपुर जिल्लाके कृष्णपुर गाउँपालिका वडा नम्बर ६ बन्जरियामे हुइल कार्यक्रममे जैना मौका मिलल् । आझ उहे बन्जरिया ओ कार्यक्रमके बारेमे कुछ मनके पोक्रि बिठ्कोर्ना मन लागल् ।

हर लेखनके अपन पहिचान रहठ् । जेकर प्रभावके कारण लेखकमे मन लुटठ् । बन्जरिया हर किहुक मन लुटे सेक्ना सुगम गाउँ नुक्नार ठाउँ हो । जेकर खासा अन्हार मनैनमे पुगे नैसेकल हो । यि सन्चारके जुग हो । हाँठ, हाँठमे मोबाइल बा, घर घरमे रेडु बा । उहेसे एक डोसरसे चिन्ह पहिचान कैना ओ डुर–डुरके बाट् लिरौसिले जानकारि लेहे डेहे सेक्जाइठ् । मुले, बन्जरिया यि बाट्से डुर बा । का करे कि बन्जरिया अपन गोरामे ठर्हियाके अपन सुखढाममे जियटा । कुहिसे हाँठ नफाइ नै जाइठो, कुहिसे ढोग, सलाम कैके कुछ माँगक् फेन नै चाहठो । उ बन्जरिया हो । बन्जरिया बनके जियक चाहटा ओ बन्जरिया रैह्के जियक चाहटा ।

बन्जरिया एकर ऐतिहासिक पृस्ठभुमि खास का हो । खोजके बिसय हुइ सेकठ् । बन जरके बनल् गाउँ बन्जरिया हुइसेकठ् या गोरु बेंचुइया बन्जारा बैठल गाउँ हुइसेकठ् । किसानन् बर्डा बेंचे आइबेर उहे गाउँ डेरा बैठ्ना हुइना ओरसे बन्जरिया हुइसेकठ् । जा रहले फेन बन्जरियाके अपन ऐतिहासिक खिस्सा बटिस ओ अपन पहिचान फेन । बन्जरिया डुइठो बा । छुट्कि बन्जरिया ओ बर्का बन्जरिया । यि घर कुरिया गनके ठोर ढेर या कहि छोट भारि पुर्वा हुइलक मारे छुट्कि बन्जरिया ओ बर्का बन्जरिया हुइल् हुइ । जारलेसे फेन यि डुनु बन्जरियक मेल डेख्के लोभ लागठ् । के उ गाउँक, के यि गाउँक भेउ पैना मुस्किल । सक्कु जाने अक्के गाउँक हस् लग्ना । उ गाउँक बोलि सिट्टर, व्यवहार अभिन सिट्टर । लागठ् यि सक्कु अक्के घरक हुइट् । संगे मिलके काम, टुँ उ करो, मैं यि काम करटँु । सायड उ जवाना बरे–बरे परियार रहे । सयौं जाने अक्के घरेम् रैहके फेन रिसावाडि कम ओ झगरा फेन कम खेल्ना थारुनके अपन स्वभाव रहिन् । संयुक्ट परियार आब नैहो । उ अवस्ठा नैहो । आब छोट परियारमे जियक सिख रख्लि उहेसे संयुक्ट परियारके कल्पना करे नैसेक्जाइ ।

समयसंगे हर समुडाय अपन पहिचानसे ढेर उप्पर उठ सेकल । थारु समुडायमे फेन ढेर उप्पर आसेकल । ओसिक टे समयक्रम संगे हर बाट्मे बडलाउ आइठ् ओ हुइना जरुरि बा । प्रकृटि फेन हरेक परानिनहे मोर कहल अन्सार चलो कहठ् । उहसे स्वभाविक हो बडलाउ । मुले बडलाउमे मौलिकटा रहना जरुरि बा । मौलिकटा हेरागइल कलेसे ओकर अस्टिट्वा फेन ओराजाइठ् । यि प्राकृटिक नियम फेन हो । माटि माटिके मौलिकटा टेक्के अपन पहिचानमे रहठ् पानि पानिके मौलिकटाके रहठ् टब्बे टे माटि, पानि आउर आउर चिज फेन अपन पहिचानमे रठाँ । ओस्टक नन्हें मनै फेन अपन मौलिकटा रहना जो अपन पहिचानमे रहना हो ।

विश्वमे हजारौं जाट समुडायके मनैं बटाँ । हरेक समुडायके अपन अपन पहिचान बटिन् । अपन मौलिक कला संस्कृटि बटिन् ओ जिनगि जिना अपन सैलि बटिन् । नेपालमे फेन एक सयसे ढेर जाट समुडायक मनैके बसोबास् बा । सक्हुन्के भुगोल, हावा पानि अन्सारके लवाइ खवाइ, पहिरन, चालचलन बटिन् । ओइने अपन ठाउँके अनुकुलटा अन्सारके अपन कला संस्कृटिके विकास कैले बटाँ ओ अपनपनमे राहरंगिट कैटि आइल बटाँ । थारु समुडायक नेपालके २४ जिल्लामे बसोवास बा । यि सक्कु जिल्लक थारुनमे सांस्कृटिक एक रुपटा नैहो । सक्कु जिल्लामे हस् कुछ ना कुछ अलग पहिचान, अलग संस्कृटि बटिन् । मने कुछ थारुनके साझा संस्कृटि फेन बा । जौन थारुनके जाटिय पहिचान हो ।

बन्जरिया पच्छिउँहा थारु गाउँ हो । जो दाङ, बाँके, बर्दिया, सुर्खेत, कैलाली, कंचनपुर, कपिलवस्तु ओ कुछ हडसम रुपन्देही ओ नवलपरासीके साझा सांस्कृटिक प्रटिनिढिट्व करठ् । उप्परके सक्कुहस जिल्लाके ढेरहस् संस्कृटि ओ भासामे एक रुपटा बा । उहेसे पच्छिउहाँ थारुनमे मौलिक पहिचानके बन्जरिया एक नमुना बनेसेकठ् । का करे कि बन्जरिया अभिन फेन थारुनके पुरान कला संस्कृटि सजोग लगाके बचैले बा । यि बाट् काट्टिक १७ गते हुइल बट्कुही सुन्ना, सुनैना कार्यक्रमसे प्रमानिट कै सेक्ले बा ।

लावा पुस्टा अपन संस्कृटि ओर ओट्रा ढियान नैहुइन् । पुरान पुस्टा अपन उमेरसंगे मर हरके अपनसंगे रहल सिख्खा लेके चल्जैठाँ । यिहेसे संस्कृटि ओ सिख्खा ओराजाइठ् । बन्जरिया, जहाँ अभिन पुरान पुस्टा ओ मझौला पुस्टासम अपन मौलिकटा बचाइल बिल्गाइठ् मुले लावा पुस्टासम आके बहुट काम हुसेक्लक डेखजाइठ् ।

थारु संस्कृटि अपनेमे बहुट ढनि हो सुसंस्कृट मान जाइठ् । भेट हुइलेसे सेवा भेट कैना, उँकवारभेट कैना, मानमर्जाड कर्ना, राहरंगिट कैना अपन अपन सैलि अपन चलन बा । मुले आझ यि चलन हेरैटि गइल बा । विस्व संचार, एक डोसरके संस्कृटिको प्रभावके कारण संस्कृटिमे फेन खिस्मोर्वा संस्कृटिके विकास हुइटि गइल बा ओट्रेकिल नाहि ढेरहस् अपन संस्कृटि टे लोप हुसेकल । पहिलक हस हाँठले बजैना, अप्नहें गैना ओ नच्ना जवाना नैहो । मड्रा, झाल, कस्टार, बसिया, घुम्ना खोज्ना ओ गिट मुखग्रे सिख्ना झन्झट कैनासे बन्लिक बनाउ बाजा गिटके सुविस्टा होगइल बा । जेहिसे आझक मनै गैना बजैना झन्झन कैना अल्स्याह होसेकल बटाँ । उहेक मारे अपन कला, संस्कृटिमे ओट्रा जिम्मेवार हुइना टयार नैहुइँट् ।

लेकिन बन्जरियाके कार्यक्रम एक नमुना बनल् । पहुनन्हे लेहे लेल्हार जैना चलन । डुरसे अइलक पहुनन् भुखे, पियारे हुइहि कैह्के करुवामे पानि डेहे जैना ओ अँट्यावन, मिच्छाइल, सिहरल जिउहे डुख–सुखके बाट् बट्वइटि अइना, ढेर जाने रहलेसे गिटबाँस गैटि अइना पुरान रिटभाट हो । जिहिसे पहुनन्हे डेखाइल् मान ओ आट्मविस्वास बर्हठ् । ओट्रेकिल नै घरे नान्के गाेंडरि, हुइलेसे सटरंग गोंडरि, डरि डुलैचा या खटियापर बैठाके पानि डेना, हाँठगोरा ढोइना, माखुर पिउयनहे हुक्का चर्हाके डेना चलन बा । घरक गर्ढुरिया पहुना सहेर्ना, भन्सरिया भाटभन्सा हेर्ना ओ कोन्टिमै बैठके खैना खवइना चलन फेन बा । जो बन्जरिया यहाँसमके अपन रिटभाटमे जिम्मेवारि पुरा कैल् ।

पहुनन्के मानमर्जाडके लाग, मच्छि मर्ना, मुस मर्ना, गेंक्टा कह्र्ना, घोंघी–सुटहि कह्र्ना अलक पहिचान ओ मौलिकटा बा थारु समुडायमे । जब खैना जुन हुइ टे कोन्टिमे बैठके नम्हरैनिक पटियक् डोनामे टिना डेना चलन बा । नम्हरैनिक पटिया थारु समुडायके अलग पहिचान हो । आउर समुडायके मनै सखुवक पटिया बेल्सठाँ मुले थारु ज्याडासे नम्हरैनिक पटियक् डोना छेड्जाइठ् । डोना फेन कैयौं मेरके रहठ् । भेंठियाहा डोना, डैनाहा डोना (टुँर्याहाँ डोना) टुँर्हि टुरल डोना, डोस्टि टोना । भेठियाहा डोना झोट्नि बनाके टँगाइक लग छेड्जाइठ् । टँुर्याहाँ डोना डेउटनहे छाँके ढँरकैना, टुँर्हि टुरल डोना टिना खैना ओ डोस्टि डोना जाँर, मड पियक लग रहठ् । असिक मेरमेरिक डोनक अलग अलग काममे बेलसजाइठ् थारु समुडायमे । जौन आउर समुडायमे अइसिन चलन नैहो । उहेसे यि फेन थारु समाजके कोल्काहि पहिचान हो । बन्जरियामे टुँर्हि टुरल डोनामे मेरमेरिक टिना ओ डोस्टि डोना मड आइल । नम्हरैनिक पटियक् डोना किल नाहि टेपरि ओ पटरि फेन छेड जाइठ् । ओस्टक छटरि छैंनामे फेन काम लागठ् । बन्जरियामे नम्हरैनले छाँइल छटरि ओ पटरि नै बिल्गाइल् मने टेपरिमे रोटि चलाइल डेख्गइल् ।

बन्जरिया गिटबाँस नाचकोरमे फेन आघे बा । सखिया नाच, हुर्डुङ्ग्वा नाच, झुम्रा नाच ओ सोंग अभिन छुटल नैहो । नाचकोरमे लावा पुस्टा आढुनिक नाच ओ डिजेमे नच्ना चलन बहर्टि रहल समयमे बन्जरियक ठाँरिया बठिनियनके सौक लोभ लक्टिक बा । ओइनके नाचेम् सौक, एकरुपटा ओ क्रियासिलटा जो चम्मन बना डेहठ् । पुरान पुस्टाके साठ सहयोग अभिन सम्झना लायक बा । गिटबाँसमे फेन एकसे एक लोक गायक बटाँ जे पुरान पुरान गिट सुनाके मन सिट्टर बनाइ सेक्ना हैसियट ढैठाँ । माँगर, ढमारढुमरु, मैना, सजना सखिया, मघौटा लगाके गिट राग राग गाइसेक्ठाँ बन्जरियक असलि लोक कलाकार । ओस्टक समय जुगसंगे पहिरन, कुसाबमे फेन लावा चलन बडल गइल् बा । बन्जरिया फेन यि मामलामे चुकल नैहो मने जब कौनो कार्यक्रम आइठ् या कहि टरटिउहुवार आइठ् ढेरहस जन्नि बठिनियन अपन मौलिक पहिरन लगैठाँ । यि फेन बन्जरियाके एकठो विसेसटा हो ।

असिके बन्जरियाहे एकमुठ हरेबेर फुरेसे थारु सम्ुडायके एकठो सैचिन हो । यहाँ हरेक पुरानसे पुरान कला संस्कृटि बचाके ढैले बा । जे थारु किल नाहि आम नेपालिनके लग गर्वके विसय फेन हो । नेपाल मेरमेरिक फुलक एक सुन्डर फुलरिया हो जहाँ मेरमेरिक जाट समुडायके मनै बैठ्ठाँ । टराइके सक्कुहस जिल्लामे बैठटि आइल थारु जाट फेन एकठो फुला हो । यिहे फुलाहे सुन्डर बनैमे बन्जरिया गाउँ फेन लागल बा । बन्जरिया अप्नेमे सुन्डर बा । मुले यिहिहे अभिन सुन्डर बनैना अभिन बाँकि बा । बन्जरिया होमस्टेके लग बहुट सम्भावना बोकल गाउँ हो । जेकर लग उप्परके पुर्वढार काफि बा । लर्हियामे सयर कैना, जंगल सफारि लगाके किस्टा योजना फेन बनाइ सेक्जाइठ् । जेकर कारण पर्यटक लोगनमे एक आकर्सन ओ आम्डानिक डग्गर बनेसेकठ् । ओस्टक लावा पुस्टा पुरान पुस्टासे कुछ सिख्ना ओ पुरान पुस्टा लावा पुस्टाहे सिखैना जरुरि बा । ओट्रेकिल नै समयसंगे कुछ बाट्मे बडलाउ, आढुनिकिकरण कैना फेन जरुरि बा । सडाडिन उहे पुराने चिज डेख्नौस नै हुइसेकठ् उहेसे समय सोहैना ओ अपन मौलिकटा फेन नै हेरैना मेरके लावा संस्कृटिके विकास कैना जरुरि बा ।

बन्जरिया सांस्कृटिक छेट्रामे आघे रहलेसे फेन साहिट्यिक छेट्रामे पाछे बा कना बाट् बन्जरिया साहिट्यिक कार्यक्रम बटाइठ् । कार्यक्रममे बर्बट्टिसे डुइ जाने किल सहभागि हुइ सेक्लाँ । यि सोंचहिँ पर्ना बाट् हो । सिर्जना कैना साँसट बाट् हो । मुले मेहनट ओ साढनासे सम्भव फेन बा । साहिट्य बौड्ढिक काम हो । उहेसे मानसिक अभ्यास जरुरि परठ् । कला, सिल्प ओ साढनासे जौन सिर्जना सुन्डर बनठ् । जेकर प्रभाव समाजमे परठ ओ समाज परिवर्टनमे जोर डेहठ् । उहेसे यकर भुमिका समाज बडल्ना फेन हो । अस्रा बा । अइना दिनमे बन्जरिया साहिट्य छेट्रामे आघे बर्हे ओ सुन्डर सिर्जना सुने मिले । साहिट्यिक कार्यक्रमसे चिर निडमे सुटल बन्जरिया जागल् बा । आब लल्छौंर केरनिसंगे ओज्रार बनके चम्के । बन्जरियामे नुकल थारु समुडायक सैचिन सक्कु जाने डेखे सेकिट् । यि अभियानमे लागक् लग सक्हुन बन्जरिया बासिनहे अरजि बा ।
छविलाल कोपिला
लेखक् छविलाल कोपिला डेउखरसे प्रकासित लावा डग्गर त्रैमासिक पत्रिकाके प्रधानसम्पादक हुइँट् ।

बन्जरिया : थारु समुडायके सैचिन

छविलाल कोपिला

लेखक् छविलाल कोपिला डेउखरसे प्रकासित लावा डग्गर त्रैमासिक पत्रिकाके प्रधानसम्पादक हुइँट् ।