भुलवा

ओमप्रकाश गोंइजिहार
२२ असार २०७८, मंगलवार
भुलवा

भुलवा
कै बरसके डबल भरास आझ एकचोट्टे बँढुवा फुटेहस बहे लागल रहे । डाइ ना रही, अपन लर्कक् मैयाँ किहिन नैलागी । मुर्छा खा खा बिलख बिलख रोइट रही । सब गाउँक् मनै मौन रहैं । बाबा मनैयाँ फेन कुछ दुखी टो डेखाइट रहे । मनो रोइ नाइ सेकल रहे । कैसिक रोइट, कौन मुह लैके रोइट । जिन्गी भर टो दुखेकिल डेले रहे । कबु मजा मुहसे बोलट नाइ सुन मिलल् रहे । कि टो बोल्बे नैकरे जब बोले टो गारियै निकरिस । आझ उहिन फेन अपन करल व्यवहार प्रति दुख रहिस सायद । टबेमारे टो रैह रैह आँखीमे आँश डबडबा जाइस टो ढिरेसे पोंछ लेहे ।

रान परोसके मनै सब कुछ जानै । टबेमारे डबल आवाजमे कहट रहै । चलो बह्रिया हुइल, मुक्ति मिल गैलिस । नैटो आउर दुख पाइट बपरा । केउ कहट रहे । भगवान जोन कुछ करठंै मजै करठैं । बवाल ओरा गैल । कलवा जुन होगैल रहे । सब किसनवन जुट गैल रहंै । चन्डोल बनल चह्रके चल डेहल भुलवा । ना लैजाउ मोर लर्कै । एक चोट आउर हेरे डेउ महिन मोर लालहे । किसनवन मुस्किलसे हाँठ छुरैनै । चलडेनै समसान ओर । अक्के घचिम भुलवा माटिम मिल गैल । सब कुछ जरके भसम होगैल रहे काम क्रिया करके निपट गैल । घर सुनसान लागिन । कहाँ कहाँ भुलवक् याद घरभरिक मनैन सटाइट रहिन । डाइ मनैयँक् आँस बहुत दिन टक जबेटबे भुलवक् यादमे बहटी रहिन । कबु टो पुरान अतितमे हेराके घण्टांै चुपचाप आँस बहैटी रही । आझ पाख भर होगैल रहे भुलवक् मुलेक, सब घरेक मनै लगभग सामान्य होगैल रहैं । मनो डाइ मनैयाँ आझ कुछ ज्यादै गहिरसे सोचे लागल रही ।

टब उ खोब जवान बठिन्याँ रही । एक नजरमे सबजाने लल्चा जाइ । कम चन्चल नाइ रही । मुहेम माछी नैबैठे डी । सबके नजर रुपनीक् पर रहिन । जस्टे नाउँ ओस्टे रुप डेले रहैं भगवान । जिहिन एक नजर हेरडी टो समझो हर लवन्डा यिहे समझे कि रुपनी महिन चहठी, प्यार करठी । आँखीयै ऐसिन रहिन कि हर कोइ घायल होजाए । भरखर चौडा, पन्ध्र सालके टो हुइल रही । हजारौं रहे उहिन चहुइया । टबे एकदिन रुपनी पहुनी खाइ अपन डिडीक् घर गैलीन । कब कब डिडीक् गोटियार घरेक अपन भाटुसे नजर मिल गैलिन । खेलवारे खेलवारे सब कुछ डैढरली । बस यहै भुल होगैल रहिन रुपनीक् । टबे कहाँ पटा रहिन कि बाट् यहाँ टक पुग जाइ । उ टो ३÷४ महिना महिनावारी नाइ हुइली ओ पेट फेन बह्रे लगलिन टब पटब चलल् कि अपन भाटुक् ढिंर बोकलेली कैहके । घिनाहुन बात कहाँ रुकठ ।

आगी फैलेहस् रुपनीक् ससरार पुग जैठिन । रुपनी जब १२ बरसके रही, टबही लगाढरले रहैं । असांै भोज फेन हुइना रहिन । मनो अइसिन खबर सुनके भला कोन डुल्हा मानी ।
यहोंर रुपनीक् घरेम् मनैनके कर्रा परठिन । हटरपटर रुपनीक् बाबा रुपनीक ससुरार पुग गैनै । बीस हजार रुप्या अपन डमाडके हाँठेमे ढैडेनै ओ कनै डमाड हाँठ जोरटँु हमार इज्जत बचालेउ । डुल्हा लवन्डा बहुट असमझमे परगैल । कबु रुपया हेरे टो कबु रुपनीहे समझे । रुपनीक् रुपसे टो उहो मोहित रहे । रुपनीहे छोरना फेन नै चाहट रहे । बहुत सोंच बिचारके बाद डुल्हा हाँ कैहिडेहठ । हटरपटर भनमन पर्छौटी खवैठंंै । पर्छलक् दुइ महिना पाछे रुपनी एकठो भैया लर्का पैठी । भुलसे हुइलेक कारण हुइ । ओकर नाउँ फेन भुलवा ढैडेठै । नाउँ साइट डोसर फेन ढरटी रुपनी । मनो घरहींक् मनै सब जाने भुलवा कहे लगनै । पाछे नावै भुलवा पर गैलिस । लर्का फेन सायद तकदिरसे सम्झौता करके आइल रहे काहुन । महा सुढ रहे । दिन भर बिना लर्का खेलुइयक् फेन खेलटी रहे । असर्हवामे अघरानके बहलामे सुटाडी । लर्का दिनभर खेलटी रही जाए । डाइ छोरके मुस्किलसे डोसर मनै हाँठ लगैठैं । जेकर केउ नैरहठ ओकर भगवान रठंै । मुस्किलसे दुःख बेराम फेन परे ।

दुई बरस पाछे रुपनी एक ठो आउर छावा पैली । टबसे टो भुलवा आउर ज्यादा हेलहा होगैल । जाने जुकुर हुइल टबसे । भुलवा एकर, भुलवा ओकर । लवन्डा फेन बिना ना नुकुरके सेकल हर काम कर ढारे । कभु केउ पुचकारके बट्वाँइट् नाइ सुनले रहे । मिठ खैना चिज फेन मुस्किलसे पाए । कबु कबु डाइ मनैया नुकुवाके बँचाडी । टबे भलुवाहे खाइट डेखके सोग लागे । कत्रा बचा बचा खाए । जस्टे हली ओरा जाइ टो कहाँ पैम कनाहस । एक चोट सक्कु मुहेम जँकाके फेन सक्कु निकारके अक्के चुटी हप्के । घण्टौं स्वाद लैलै खाए । यिहे बानी पर कभु कभु अपन डाइसे गारी फेन पाए । डाइक् मन टो एकान्तमे अपन लर्कै समोटके रोउँ, खोब रोउँ । मनो फेन साेंची लर्कक् कारण अपनही ना हेलहा हो जाउँ । कइ चोट बाट फेन सुन सेकल रही ठरवैसे । भुलवाहे डेखके अपन भाटुक् खुब याद आइठुइ ना री । आब रुपनी का जवाफ डेटी । जिन्गीमे कभु नैमेटना भुल जो कैले रही । कबु टो मर फेन जैनास लागिन । आब टक रुपनी २ छावा ओ एक छाइ आउर पा सेकले रही ।

भुलवा अभिन ११ बरसके हुइल रहे । टबहि घरेक हर काम अपन कन्ढम् उठा लेले रहे । घरे आउर भेवन स्कूल पह्रे जाइ । स्कूलसे आके मजासे खेलैं । भुलवा कबु खेले नाइ पैले रहे । हाँ कबु कबु खेलट् जरुर हेरे । खेलटी खेलटी केउ गिर परे टो महा जोरके ठोपरी बजाके हाँस डेहे । अपनही भर सायद कबु खेलना इच्छा नाइ हुइलिस । दिन भरिक कामसे ठकल रात अनगुट्टी सुट जाए । कत्रा सोग लगटिक डेखाए निडाइलमे । सबके आँखी बचाके कबुकबु रुपनी अपन लर्कै सुहरा आइ । प्यार भरल स्पर्श पाके लर्का कुलमुलाके सिकुर जाए । १४ बरस पुगट पुगट भुलवा एकदम जवान डेखाइ लागल रहे । एक दिन काठी फँरचाइ बेर कुरहारले गोरेम ठपक् मारठ् । डवाइ बिरुवक् नाउँसे जरल चिरकुट ओ मट्टीटेल लगाडेठंै । दुइ तीन दिन टब उठे नैसेकल । डाइ छोरके केउ सहानुभुति नै डेखाए । चार पाँच दिन परसे कुछ ठिक हस हुइलस । बाबा गरियाइस । एक चुटि घाउ का होगैलिस कोह्रियक् बाहाना बन गैलिस । डाइ टो हुइस मसट्वइले बटिस । कहाँ टक सहटी रुपनी फेन ।

एक दिन टो लर परल रही अपन ठरुवैसे । रोइटी कहे लागल रही । लर्कक अत्रा भारी घाउ बटीस । टोेहाँर लाग बहाना करठुइ । डवाइ बिरुवा करवाइक् टो कटी गैल रात दिन एकरे जिउ खैटि रना । टब रिसैटी ठरुवा कैही डेलै रहिन । हाँ हाँ चुपाइल रोह टोर भाटुक् चिन्हा नाहो । मैयाँ टो लग्बे करी टुहिन । आब आगे रुपनी कहे फेन का सेकटी, बस रो डेले रही । भुलवा सबकुछ बुझे । उ सेकके चाहे नाइ सेकके नगर नंगरघेच कर्टि काम करे । साहीजुन रोज जुरी आजाइस । रुपनी कहाँ कहाँसे डवाइ बुटी खोजके नानी । कोइ फाइदा नैहोए । कुछ दिन परसे टो भुलवा उठे फेन नाइ सेके लागल । खटियम् हेगे, खटियम मुटे । सब घरक मनै छिछि दुरदुर करैं । डाइ छोरके केउ लग नैपरे । डाइक् मन टरप उठिन । कुछ करो, लर्कक् दिन दिने हालत खराब हुइटी जाइटा कही । घरेक मनै ज्यादासे ज्यादा गुरुवा बला डेंइ । गुरुवन गुरैपाटी कैके चलजाएइँ । कुछ फाइदा नैहोए । ६÷७ दिनमे लर्का एकदम कमजोर होगैल । रुपनीक् अपन हाँठक् कुछ नैरहिन् । सातवा दिन के रात भुला तीन चार चोट डाइ डाइ कहल । रुपनी उठके भुलवक् ठन जैठी । भुलवा जिउ अँइठट् रहे, छटपटाइट रहे ।

रुपनी भुलवक् मुन्टा अपन कोनुम ढैलेली । का हुइटा छावा का हुइटा मोर लालहे घरेक आउर मनै फेन जुट गैल रहैं । रुपनी आँखी भर आँश लेले कबु अपन माउँ, कबु अपन ठरवै हेरटी कहट रही । हाली माउँ, हाली कुछ करो लर्का कैसिन कैसिन करटा । एक घचिक टरपके भुलवा आब शान्त होगैल रहे । रुपनी जब टरे हेरठी टो भुलवा जा चुकल रहे । अन्तिम समयमे सबके आँखीम आँस आगैल । रुपनी रात भर आँश बहैटी रली । बिहान कैडेले रहे । टबहीं रुपनीक् छोट्की छावा आके कहठीन डाइ का हुइटा, डाडाहे समझके रोइलो ? रुपनी अपन छुट्की छावाहे समोटके एक चोट और रोडेली । टब आँस पाेंछ्टि नम्मा साँस लेटि बरबरा उठली । जोन कुछ हुइल ठिके हुइल ।

यी एकठो कोनो ठाउँक् वास्तविक घटना हो । खोज्बी कलेसे गाउँघर ओर अइसिन टमान भुलवा मिल जैहि । जौन जवानीक् भुलके कारण कुवाँरी लवन्डी चाहे भोज करल जन्नीनके कोखसे पैडा हुइठैं । ओइसिन बच्चा ना परिवारमे ना समाजमे मान सम्मान पैठंै । आखिर का दोष बटिन उ बच्चाके ? दोषी टो ओइनके डाइ ओ थारु मनै हाेंइ । जेकर नाजायज सम्बन्धसे ओइने पैडा हुइल रठंै । मनो दुख बच्चा पैठैं । उहेमारे सचेत हुइना बा, हमार डिडी बहिन्यन, जवानीक भुलके कारण कहुँ भुलवा ना पैडा होजाए ।
ओमप्रकाश गोंइजिहार
जानकी गाउँपालिका–१ धर्मापुर कैलाली

भुलवा

ओमप्रकाश गोंइजिहार