लिखल जो टरठ

लाहुराम चौधरी
२२ असार २०७८, मंगलवार
लिखल जो टरठ

कथा
लिखल जो टरठ
समय २०५६ सालके हो । एसएलसीके रिजल्ट सेकेन्ड डिभिजनसे पास हुइल रहुँ । असारके महिना खेट्वामे पुगल रठुँ । किहकोसे भेट (सालु) हुइल । जौन बर्खाहा पानी जैसिन साँन्झ बिहान बरसटी रहठ । सायड मोर मन लरजाइठ । जिहकासे भेट पहिलही होसेकल रहठ ।

भजनी क्याम्पस नैहोके डुर जैना होजाइठ । डिन डौरटी रहठ । पहलवान गाउँ छोरना ओ धनगढी क्याम्पस परहे जैना टयारी हुइठ् । बिहानके समय अमौहवा घटवा पुगल का रठँ,ु सालु हाँठ पकरके रोइ लगठी ।

कैसिक सोच्ठुँ महिन घुम्नास् लागठ । मै डोढारमे परजैठुँ मनो पैला नैरुकठ । एकबार घरहे सोच्ठँु । बसके सवारी धनगढी बसपार्क ओ डेराके खोजीमे । जल्डी अइहो सालुके आवाज कानमे गुन्जटी रहठ् ओ धनगढी गाउँमे डेरा रहे । मोर मैयाँ सगरमाथासे फेन उप्पर उरजाइठ । कहठुँ आब कबु नैटुटी । डेंह धनगढी मन पहलवान रहठ् । याड सटइटी रहठ भेटके पर्खाइमे । चिठीके किटाब भरजाइठ् । डगरा नैहोके भिट्रे नुकल रहठ् । पुगबे नैकरठ ।

डुइ महिना बिटठ् एक बरसहस् लागठ । बल्टल डसैहाँ छुट्टी मिलठ् । डौरटी ओहे डिन अपन गाउँ पहलवान पुगजैठुँ । मैयाँ कैके ओजरिया राट बिटइठी । डोसरके लजरमे जस्टे रलेसेफें मोर लजरमे सालु सयमे एक रहठैं । जिन्गीमे एक होके संगे जिना मुना कसम फेन झोरभाटहस् खासेक्ले रठी ।

का पटा भिटरे भिटरे किरा परजैठैं । जहर, महिन संगे लैजाउ । इसारा करठिन । मनो परहे गइल मनै डोसरबारके असरा । खबर डेना ना फोन, ना मोबाइल, ना टो कौनो साधन । कबुकबु सालु खेलवार करठिन । उ डिन उ महिना अइटी रहठ । मनो जहर टुँ ना बडल्हो ।

सनिच्चरके डिन रहठ् । कबकब सालु आके जहर, टुँ धनगढी कहिया जैबो ? डुइचार डिन पाछे जइम । कुछ ? नाइ नाइ जहर, बिचार करहो मोर डाइबाबा पटा पासेक्ले बटैं । अपन घरे फेन कहे नैसेक्नु । समय आजाइठ । सालुहे सिखाके धनगढी पुगठुँ । आघेपाछे बन्डुक सोझर्ले पुलिसन डेखठुँ डर लागठ । माँकचिक्ने ठारू माओवाडी कहके सोझे गारी पइठुँ । भाग छिटो यहाँबाट । सुन्ठँु डेराओर टाप ।

राटभर निन्ड भाग जाइठ् । ओहे कहल कानम् बज्टी रहिजाइठ् । बिहान जब क्याम्पस पुगठुँ टब पटा चलठ् डुइ माओवाडी हुकन मार डेहनै । बरा हाली सालु पटा पाजैठै । किहकोसे हाल पुगैठंै । घरे जैसिक फेन अइहीं कहिके । याड जट्ना अइलेसे परहे गइल मै कैसिक जल्डी आइ सेकम । माघमे जइना कहठुँ । माघ २ गतेसे परिक्षा डेना होजाइठ् । सारा योजना चौपट । लावा बरस माघ १ गतेक् गाउँमे कुछ रमझम रहठ् । सखिय हो माघक् पिली गुरी गुरी जाँर ।

माघ ओराइठ् । फागुन १२ गते ढुरहेरी मनाइ गाउँ पहलवान पुग्टीकिल सालुक् घरक् आघे टुटल भोजहा गेट डेखठुँ । पुछठँु मनो मोर संघरिया कहठैं अरे छोरी उ सब, ज्या हुइना रहे होसेकल । याड सटाइठ् डेखनास लागठ सालुहे । मनो मोर संघरिया महिन ५÷६ डिनके लाग बाहेर लैजाइठ । कहठंै भाग्यमे लिखल रहठ टो बारबार, नैटो एकबार टो भेट जरुर हुइठ् ।

मै भागके घरे आइबर सुखड बिजुलिया कुँरी पुगल का रहठुँ । चमकन्हाँ लाल सारीम् सालुहे डेखके घुमेहस् डेखठुँ । कहठैं जहर जी, आब टो मै डोसरके होगैनु । महिन माफ करहो । मोर जिउ नैमानठ् । खाइल कसम कहाँ गइल । काहे अटना जल्डी ? धन सम्पति हेरके मोर बाबा माघ २ गते मोर भोज कर्वा डेहल । टोहाँर बात उठैनु टो मारे छुटल टबे डोसरके हुइ परल आझ ।

मै जहाँ जाउँ जहर जिन्गीभर याड रही । समयके खेल हो सायड । लडिया नंघ्टी नंघ्टी बिच्चेम रुक जैठु । सालु पौर्हके नांघ जैठैं । एक साल नैपुगल रहठ् । सालुक् जिन्गिक् संघरिया मोटरसे गिरके सडाके उप्पर चलजैठिन ।

घरके लाग कना हो कि अपन लाग कना हो क्याम्पस मन लगाके पर्हठुँ । साँन्झ होसेकल रहठ । डेरा मन्से निकरके डगरा पुगल रहठुँ । सालुपर लजर परजाइठ । जहर मै टोहाने याडमे, टुहिने खोजटहँु, टोहाने डेरम रहम कहठैं । औरक् अमानट कैसिक सँगे लैजाइ सेकम सोंच्ठुँ । मनो बाध्यता होजाइठ । घरक सक्कु जनहन, गाउँक् रिट सोंच्ठुँ । सँगे जिना टो मोर बा सोंच्ठुँ । गाँठ पारके धनगढी गाउँक् मन्डिरमे भोज कर लेठुँ । सही हो जौन चिज भाग्यमे लिखल रहठ । जट्ना डुर हुइलेसे एकडिन मिलन होजाइठ, भागयमे जो लिखल रहठ कलेसे ।
लाहुराम चौधरी
भजनी ९ पहलवान कैलाली

लिखल जो टरठ

लाहुराम चौधरी