बर्कान आजा

तिलक डंगौरा
२२ असार २०७८, मंगलवार
बर्कान आजा

कथा
बर्कान आजा
बरे कर्रा बा रे आजा । का हुइल आजा बरा भिट्टरसे बरे कर्रा बा कहटे । हेर टो हेर पानी चर्हाइ जाउँ कनु टो खुल्वम् पानीए नाइ हो । उप्परसे घाम असिन जेडा । का बटाउँ ना पानी परठ । अस्टे करि टो असांै धान ओन कुछ नाइ हुइ । का कर्बे टो लडियामेफें पानीए नाइ हो । बाँढल बन्ढुवा फोर डेठैं मछ्छी मरुइयन । आझी टो चिरकिया जनाइ टेहे कुल्वा जैना बावै कैहके । काल्ह झालीझाला, मुन्निमुन्ना भरुवा सब लैके जैना बा ।

हाँ आब जाइक टो परि काहुन रे आजा । का कर्बे नाइ जिबो टो डाँर लैलेठंै । पानी जुन मिल्बो नाइ करठ । सब उपरका मनै किल खेलैठंै । टरे टो एक्को पानीए नाइ आइठ । खौवा हुँकरे उपरका बैठल अत्रा ढेर बरस हुइगैल । लर्कनके भोजकाज होके नाति पनाति हुइगैनै । कब बनि इ नहर । आब बनि आब किल कठंै । बनि का बनि हेर ना समयमे खाटमल मिले रे आजा । अस्टे टो आजा आवाज उठैबो टो धम्की डेहे लगठैं । आवाज डबाइ लग्ठैं । एकजे बोल्के कुछ नाइ हुइठ रे आजा । सक्कुजे जुन एक मुस्टे बोल्बो नाइ कर्ठैं । किसाननके पीडा पुछ डेहठ् नेपाल सरकार टो कानै । का कर्बे एक्कल्ही बोल्बो, बोल्बो बस चिमा जिबे ।

हाँ रे आजा सहि कले निका । टैं सक्कुजे एकजुट होके बोल्टी आवाज उठैटी टो अभिनसम बनगैल रहठ कि । नहर ओ खाटमलफें समयमे मिलट । टबसे टो पानी आइल करठ बरोमास । हाँ बन टो गैलरहठ निका रे आजा । बस मरमर खेट्वा लगाउ टभुन मजासे साल भर खाइ कबु पुगठ कबु नाइ पुगठ । खेट्वा नाइ लगाउ टो का खाउ का नाइ खाउ हुइ जाइठ । अस्टे टो हो रे आजा का कर्बे करो खाउ करो खाउ टो बावै । ना धन सम्पत्ति जोरे सेक्जाइठ् । यकरे कारण अस्टे बट्वैटी साँझ हुइजाइठ हमार । हाँ लेटो ना आजा मै जाइटुँ । खेट्वा ओर साँझफे होराखल । खल्हुवा खल्हुवा उँइरामे पानी बावै । बन्द करआउँ कहटुँ भागटा कि का । लेले आजा जा टो महँु जाइटँु । गोरु भैसिनके लाग सानिबुसा लगैना बा मोरफें ।
तिलक डंगौरा
जानकी १ डुर्गौली कैलाली

बर्कान आजा

तिलक डंगौरा