ना लडियक् वार ना पारमे बा जिन्गी

संगम कुस्मी
२४ असार २०७८, बिहीबार
ना लडियक् वार ना पारमे बा जिन्गी

गजल
ना लडियक् वार ना पारमे बा जिन्गी ।
नाघे नैसेक्ना बिच धारमे बा जिन्गी ।

सपनक् सगरासे आझ बुह्रे मुवाइ कलेसे,
रुकल ढरकन आब किनारमे बा जिन्गी ।

कहाँ मर्लेसे चोट लागठ पटा बा महिन,
टबफेन टिस्लोर टिरके प्रहारमे बा जिन्गी ।

अरे, भाउटाउ करल बा यहाँ रकट पस्नक,
गने नैसेक्ना दुखक् बजारमे बा जिन्गी ।

मेरमेरिक संघर्षके डगरिम् उस्टट् यहाँ,
सिहरल जिउ मृत्युके संघारमे बा जिन्गी ।
संगम कुस्मी
कैलारी ८ डख्खिन टेंह्री, कैलाली

ना लडियक् वार ना पारमे बा जिन्गी

संगम कुस्मी