थारुनके प्रथाजन्य कानुन बरघरिया प्रणाली ओ राज्यमे यकर अवस्था

सिताराम थारु
१८ श्रावण २०७८, सोमबार
थारुनके प्रथाजन्य कानुन बरघरिया प्रणाली ओ राज्यमे यकर अवस्था

थारुनके प्रथाजन्य कानुन बरघरिया प्रणाली ओ राज्यमे यकर अवस्था

थारु जातिके परिचय
थारु जाति नेपालके मूलवासी तथा तराईके भूमिपुत्र हुइँट् । यी समुदायके मुख्य पेशा नै कृषि हो । नेपाल अधिराज्यके पूरुब मेचिसे पश्छिउ महाकालीसम तराई तथा भित्री मधेशके समतल फाँटमे प्राचिनकालसे बसोबास करटी आइल बटैं । थारु जातिके प्रमुख विशेषता कहलक सोझोपन ओ इमान्दारिता हो । यिने जालझेल करे नाइ जन्ठंै । थारु जाति मेहनती रहल ओरसे अपन बहुबलमे विश्वास करठैं । ओक्रे फलस्वरुप नेपालके तराई तथा भित्रि मधेशके हरियर फँटुवामे प्राचिनकालसे अन्न उत्पादन कैके देशके आर्थिक मेरुडण्दमे महत्वपूर्ण योगदान पुगैटी आइल बटैं ।

टमान विद्धानके अनुसार
इतिहासकार शिरमोनी बाबुराम आचार्य (२०१०) थारु जातिके मूलघर कहाँ ? नेपाल सांस्कृतिक परिषद् पत्रिका, वर्ष २, अंक २ के अनुसार–थारुहुँक्रे नेपालके आदिवासी हुइँट् । उहाँहुक्रनके उत्पत्ति नेपालमे हुइल हो ।

मिस्टर ब्राईन होड्सन (ब्अअभकक यल तजभ बिलनगबनभ, ीष्तभचबतगचभ बलम च्भष्निष्यलक या ल्भउब ित्ष्ददभत ) के अनुसार–थारुहुक्रनके रगत (डी. एन. ए) परिक्षणके आधारमे थारु औलो निरोधक जाति हुइट ओ निरोधक क्षमता (क्ष्mmगलष्तथ) प्राप्त करक लाग कम्तिमे ३ हजार बरस औंलो युक्त बैठे परल कना कठन उहाँके बा ।

गोपाल गुरुङ्ग अनुसार–बुद्धदेव जन्मल शाक्य वंशके अवशेष आजके तराईबासी थारु हुइट उहाँहुक्रे आर्य नाइ हुइट ।

थारु जाति नेपाल अधिराज्यके चौंठा बरवार जाति हो । २०६८ सालके जनगणना अनुसार नेपाल अधिराज्यभर थारुनके जनसंख्या १७ लाख, ३७ हजार ४ सय सत्तरी रहल बा । मने थारु कल्याणकारणी सभा ओ टमान संस्थाके अनुसार ४० लाखसे ढेर थारुनके जनसंख्या रहल दाबी बा ।
थारु जातिके टमान प्रथाजन्य कानुन (ऋगकतयmबचथ ीबध) बावै मने उ मध्येमे बरघरिया प्रणाली (द्यबचनजबचष्थब क्थकतझ) एक प्रमुख हो ।

रघरीया प्रणाली
गाउँके प्रमुख अगुवाहे बरघरिया कहिजाइठ् । ठाउँ अनुसार यिहीहे फरक फरक नाउँसे सम्बोधन करजाइठ् जस्टे कैलाली ओर भलमन्सा, दाङ्ग ओर महटावाँ, बर्दिया ओर बरघरिया कना चलन बा । थारु जातिके महानपर्व माघ ओराइल कुछ दिनके बाद बरघरिया चुनजाइठ् । माघ थारु जातिके लावा बरस हो । यी दिनसे थारु जाति आपन लावा योजना बनैना ओ लावा कामके सुरुवात करठै । बरघरियाके अवधि १ बरस किल रहठ् । बरघरिया छनौट करेबर गाउँके सक्कु घरधुरी किसानहे भेलामे बलाजाइठ् । बरषौंदिन करल कामके प्रगति उन्नतीके बारेम समिक्षा करजाइठ् । बरघर लगायत सहायक बरघर, चौकीदार, गुरुवाके फेन समिक्षा करजाइठ् । उहे दिन भेलासे कामके मूल्याकंन का कैसिन हुइल ? गम्भीर समिक्षा कैके फेरसे पूराने बरघरहे निरन्तरता डेना की लावा बरघर चुन्न कहिके छलफल कैके गाउँके नेतृत्व करे सेक्ना ब्यक्तिहे बरघर चुन्ठंै । यदि पुरान बरघर चितबुझ्ना मेरके नेतृत्व करले बा कलेसे पुराने बरघरहे निरन्तरता डेठंै । नाइ टे लावा बरघर खोज्ठंै । बरघर छनौट करेबर सक्कु जाने मन्टी आइल गाउँके जान्न बुभ्न ब्यक्तिहे बरघर चुन्ना करठै । अब्बे सजिलके लाग साहायक बरघर फेन चुन्ना करठै कलेसे लेखापढीके लाग एकठो सचिव फेन रख्न चनल चल्तीमे आसेकल बा ।

सहायक बरघरिया
बरघरियाके अनुपस्थितिमे ओ उहाँहे परल बेला सहयोगके लाग सहयोगीके काम करुइया ब्यक्तिहे सहायक बरघरिया कहठैं । यिनके चयन फेन बरघरियाके जस्टे हुइठ् । सहायक बरघरके ब्यवस्था सक्कु गाउँमे करल नैपाजाँठ् । प्राय जैसिन बरवार गाउँमे सहायक बरघर रख्न करठैं ।

चौकीदार
चिठ्ठी पत्र लन्ना पुगैना, भेलाके लाग गाउँके जनताहे बोलैना, तथा गाउके रातदिन रेखदेख करुइया ब्यक्तिहे चौकीदार कहिजाइठ् । यी बरघरके दाहिन हात हुइट । सक्कु सूचना पुगैना काम चौकीदार करठंै ।

गुरुवा
गाउँके पाठपुजा तथा टमान रोगब्याधि लागल विरामीहे झारफुक कैना, गाउँके ब्यक्तिहे गुरुवा (झाँक्री) कहिजाइठ् । साँस्कृतिक लगायत धार्मिक क्षेत्रमे गुरुवाके अहम् भुमिका रहठ् । थारु जाति जत्राफेन जन्मसे मृत्युसमके धार्मिक प्रक्रिया बा यि सक्कु विधि प्रक्रिया गुरुवाके सहयोग बिना पुरा नैहुइठ् । यी सक्कु धार्मिक प्रक्रिया गुरुवा जो पुरा कैना करठंै ।

केसौका
गुरुवाके सहयोगी भुमिका खेलुइया ब्यक्तिहे केसौका कहिजाइठ् । गाउँके देवी देवता पाठ पुजामे छाँकी बुँडा दुध ढरकैना काम केसौका करठंै । गुरुवाके अनुपस्थितिमे सक्कु काम केसौका करठै । गाउँमे सहयोग करल बापत कुछ रासनपानी केसौका फेन लेठैं ।

राज्यमे पहुँच तथा कानुनी अवस्था ः
प्राचिनकालसे आधुनिक नेपालके एकिकरणसम भुमिपुत्रके रुपमे स्थापित थारु वर्तमानकालमे भुमिहिन सुकुम्बासीके रुपमे परिणत हुइटी गैल बटैं । जेकर फलस्वरुप अधिकांस थारु जातिहे गरिबिमे बाँचे परल बा । ढेर जैसिन अतिनिम्न गरिबीके रेखामे रहल बावै । जिहीसे उहाँहुक्रनहे नारकिय जिवन बिटैना बाँध्य हुइ परल बा । अति निम्न गरिबीके रेखाटरे रहल थारु जातिके मनैनहे कमैया कमलहरी शब्दसे विभुषित करल पाजाइठ् । नेपाल सरकारसे कमैया कमलहरीहे मुक्त घोषणा करलेसे फेन आभिनसम यिनके उचित ब्यवस्थापन करे सेकल नैहो ।

थारु जातिके आर्थिक, सामाजिक, साँस्कृतिक, शैक्षिक ओ राजनितिक स्थिति कमजोर कैना करैना राज्यसक्ताके अगुवा जिम्मेवार रहल बटंै । जिहीसे आपनहे जनताके सेवक् ठन्ठै उहाँहुक्रे जो आझ थारु जातिहे प्रयोग किल करलंै, उहाँहुक्रनके वास्तविक समस्या गम्भीर रुपसे बुझे नैचाहलैं । पहारसे झरल पहाडी तराईमे तराईके धरतीपुत्रहुक्रनउपर राज्यके स्रोत, साधन ओ बल दुरुपयोग कैके शोषण करटी रहल बटंै । यिहीसे तराईबासी प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष राज्यके शोषण ओ असमान ब्यवहारके सिकार हुइटी रहल बटंै । जेकर कारण थारु लगायत तराईबासीहके भाषा, साहित्य, संस्कृति, भेषभुषा, रहनसहन लवाइ खवाइ मौलिक पहिचान लोपहुइना क्रममे रहल बा ।

माओवादीके ससस्त्र द्धन्द्ध पाछे बरघर प्रणाली ढेर ढरापमे परल । माओवादी ओ सरकार डुनुु पक्षसे ढेर दुख्ख कष्ट बरघरहँुक्रे झेले परल । आझसम गाउँमे ओकर असर बा । उहे कारणसे थारु जातिके ढेर सम्मानित पद अत्रा धरापमे परल की गाउँमे कोइ बरघर बन्ना तयार नैहुइट । अइसीक बरघर बन्ना कोइ तयार नैहुइल ओरसे गाउँलेहुक्रे चिठ्ठा प्रणाली मार्फत बरघर चुने लग्लैं । यी प्रणाली ओत्रा प्रभावकारी नैडेखगैल काहेकि चिठ्ठा प्रणाली मार्फत बरघर चुनेबर कमजोर नेतृत्वमे फेन चिठ्ठा पर्ना हुइल ओरसे गाउँमे प्रभावकारी नेतृत्व हुइ नैसेकल । अब्बे ढिरेसे देशके शान्तिपूर्ण वातावरणसे फेरसे कुछ परिवर्तन आसेकल बा । पहिले पहिले बरघरले सेवा करल वापत एक दुई दिनके बेगारी (घरके सहयोग) गाउँके सक्कु किसानसे लेना करिट । आझकाल्ह उ चलन पहिलेसे कम बा । अब्बे गाउँमे बरघर सेवा करल बापत सामन्य खर्च डेना चलन आसेकल बा । मने सक्कु गाउँमे यी चलन लागु हुइल नैहो ।

२०६५ साल भदौं १९ गते नेपाल सरकार अन्तराष्ट्रिय श्रम संगठन महासन्धि नं. १६९ अनुमोदनके बाड राष्ट्रिय कानुन सरह लागु हुइना प्रावधान सन्धि ऐन २०४७ के धारा ९ अुनसार ब्यवस्था बा । मने आब १० बरस अवधि पुरा होसेकल ओरसे यी व्यवस्था खारेजीके प्रक्रियामे बा । थारुहुक्रनके प्रथाजन्य कानुन बरघर प्रणाली लगायत आदिवासी जनजातिहुक्रनके प्रथाजन्य कानुन (ऋगकतयmबचथ ीबध) हे बैधानिक रुपमे सुनिश्चित्तता कैना बरवार सम्भावना बोकल अन्तराष्ट्रिय श्रम संगठन महासन्धि नं. १६९ आज अपनहे खारेजीके प्रक्रियामे बा । परम्परासे चल्टी आइल बरघर प्रणालीहे संस्थागत रुपमे स्थापित कैना उद्देश्यसे २०६७ साल पुष २ गतेसे ४ गतेसम भौंरा टप्पा घोषणा पत्र २०६७ बरघर÷भलमन्सा÷महटांवा सम्मलेन हुइल रहे । यी सम्मेलनके मूल उद्देश्य सदियौंसे थारु समुदायमे विकास निर्माण, शान्ति सुरक्षा, न्याय निसाफ करटी स्थानिय स्तरमे कार्यपालिका, न्यायपालिका, ब्यवस्थापिकाके रुपमे बरघर÷भलमन्सा÷महटांवासे कार्य करटी आइल यिहीहे राज्यसे बैधानिक रुपमे सुनिश्चित्ता करे पर्ना भेलाके मुख्य उद्देश्य रहे । सम्मेलनसे २० बुँदे घोषणा पत्र समेत जारी करल रहे । मने आज उ घोषणा पत्र घोषणा पत्रमे सिमित रहल ।

आदिवासी थारुहुक्रनके प्रथाजन्य कानुनके विषयमे थरुहट तराई पार्टी नेपालके सांसद डा. गोपाल दहित संविधान सभा हाउसमे ढेर आवाज उठैना करल बटंै । थारु लगायत आदिवासी जनजातिहुक्रनके जत्राफेन प्रथाजन्य कानुन बावै राज्यसे वैधानिक रुपसे सुनिश्चित्तता करे पर्ना उहाँके जोरदार माग बा । संविधान सभाके हाउसमे घनी घनी आवाज उठैटी रहल डा. दहित लिखित दस्तावेज ओ राज्य गम्भीर नैहुइल कारण आदिवासीहुक्रनके प्रथाजन्य कानुनहे बैधानिक रुपमे सुनिश्चितत्ता करे नैसेकल दुख व्यक्त करठैं । समयमे हम्रे यकर लिखित दस्तावेजीकरण कैके संस्थागत करे नैसेकब कलेसे पाछे यी प्रथा लोप हुइना प्रवल सम्भावना रहल उहाँके विश्लेषण बा । यसर्थ सक्कु जाने गम्भीर रुपमे यी विषयहे लेके आदिवासीहुक्रनके प्रथाजन्य कानुनहे राज्यसे बैधानिकता डेहुवाके संस्थागत सुनिश्चित्तता करे पर्ना बा ।

निष्कर्षमे,
थारु नेपालके आदिबासी हुइँट् । उहाँहुक्रनके समाज संचालन कैना अपने मौलिक संगठन रहल बा । समुदायके साँस्कृतीक निरन्तरता, समाजिक न्याय, प्राकृतिक श्रोत व्यवस्थापन ओ भौतिक बिकास निर्माणके काम संगठन मार्फत हुइना करठ् । विगत बर्षके कामके समिक्षा ओ लावा बरसके लाग योजना बनैना काम थारुहुक्रनके लावा बरस माघमे बखेरी (बार्षीक सभा) बैठट् । बखेरीसे बिगत बरसके आर्थिक लेखाजोखा, न्यायीक ओ साँस्कृतिक कार्यके समिक्षा करटी लौव रीतीथिति बनाइठ् । अगुवाहुक्रनके फेन कामके समिक्षा कैके लावा कामकाजी अगुवा छन्ठैं ओ एक बरसके लाग योजना कार्यान्वयन कैना जिम्मा अगुवाहुक्रनहे लगैठैं । उ कामकाजी अगुवामे मटावाँ/बरघर/भलमन्सा, अग्वा, लिखन्डार, चौकीदार, चिरक्या, गुर्वा ओ लोहार हुइना करठंै । अइसीक थारु समुदाय अपनहे रीतीथिति बनैना न्याय निसाफ कैना, योजना बनैना ओ कार्यान्वयन कैना परम्परा सदियौंसे चल्टी आइल बा । उहाँहुक्रनके यी अभ्यास सरकारी तथा गैरसरकारी निकायसे अलग रहल बा । अइसीक गाउँके विकास योजनासे लेके प्रसाशनिक, न्यायिक, साँस्कृतिक, धार्मिक निर्माणके कार्य बरघरीया प्रणाली मार्फत हुइलेसे फेन वैधानिक रुपमे यिहीहे राज्यसे संस्थागत करे नैसेकल सरकारी तथा गैरसरकारी संस्था प्रयोग रुपमे किल लेटी रहल बटंै । मूलुक संघीय प्रणालीमे जासेकल अवस्थामे राज्यसे यी प्रणालीहे गम्भीर रुपमे लेके आदिवासी जनजातिहुक्रनके प्रथाजन्य कानुन (ऋगकतयmबचथ ीबध) हे वैधानकिता डेके संस्थागत करे सेक्लेसे स्थानिय सुसाशन बलगर हुइनाके साथे दिगो विकासमे ढेर टेवा पुग्ना बा । जेकर कारण देश राष्ट्रके ऐतिहासिक सम्पदा बिलिन हुइनासे बँच्ना बा ।

सन्दर्भ सामग्री ः
आचार्य ईतिहासकार शिरमोनी बाबुराम (नेपाल सांस्कृतिक परिषद् पत्रिका, वर्ष २, अंक २)
होड्सन मिस्टर ब्राईन-Access on the language, Literature and Religions of Nepal Tibbet _
दहित मा. डा. गोपाल, । थारु संस्कृति संक्षिप्त परिचय–२०६२ ।
थारु सिताराम, “खै थारु” थारुवान डट कम अनलाईन मिडिया सेन्टर
चौधरी सुसिल, “महटाँवा प्रणाली ः वैधानिकतकप्रश्न”– । विहान पत्रीका । वर्ष २०, अंक १३, २०६५ कुँवार
थारु अनुसन्धानमूलक जर्नल “गुर्वावा”, । थारु बौद्धिक राष्ट्रिय अनुसन्धान केन्द्र ।
भौरा टप्पा घोषणा पत्र २०७२, । बरघर÷भलमन्सा÷महटांवा सम्मेलन।
सोम डेमनदौरा, अनुसन्धानकर्ता– । प्राचिन सिर्जनसिल आदिवासी समाज बर्दिया ।

सिताराम थारु
लेखक–बर्दियाली थारु विकास मञ्च काठमाडौं नेपालके अध्यक्ष हुइँट् ।

थारुनके प्रथाजन्य कानुन बरघरिया प्रणाली ओ राज्यमे यकर अवस्था

सिताराम थारु