बुद्वि

दुर्जन कुमार चौधरी
१९ श्रावण २०७८, मंगलवार
बुद्वि

खिस्सा
बुद्वि

एकठो डेसमे राजा ओ रानी रहिंट । राजा बहुट सहनसील, धैर्य ओ बहादुर रहठ । राजा सहयोगी ओ मिलनसार फें रहठ । राजा जनताप्रेमी ओ सहयोगीके भावना रलक कारण जनता राजाहे बहुट मजा मन्ठैं । राजा फेन अपन प्रजाहुकन सेक्नासम सहयोग करटी रहठ । राजाके ठन धन सम्पट अठाह रठिस । कौनो चिजके कमी नैरठिस । मानलेउ कुबेरके ठन रहल सारा सम्पट राजाके ठन बा । मने का करी राजा जट्रा ढेर धन सम्पट रलेसे फेन राजा धनी होके फेन बहुट दुःखी रहठ । काहे कि राजाके ठन उ धन सम्पट हेर डेहुइया, समहाँर डेहुइया, खर्च करडेहुइया कौनो बारिस (लरका बच्चा) नैरठिस । ओहेक मारे राजा रानी बहुट दुखी रठंै । अट्ना ढेर धन डौलत हमार का कामके । जब कि हमार मनमे शान्ति नैहो कलेसे हमरे यी धन डौलत का करब । मने जनताके आघे भर खुशीके नाटक करटी जीवन गुजारा करटी रठंै । भिट्रे भिट्रे मन गजब रुइठिन ।

राजारानी डाक्टरसे लेके पण्डित्वाहे जम्मा जहन डेखैनै । ब्रत बैठ्नासे लेके पुजापाठ जम्मा करलैं । मने लरका अक्को नैहुइलिन । लरका नैहुइलक ओरसे दुखी टे रहिंट मने हार नैमन्ले रठंै । ओस्टे करटे करटे भगवानके डुवासे रानी एक दिन अन्सही हुजिठिन । राजा बहुट खुशी रहट । आब हमार अंगनामे फेन गुलाबके फुला खेली । हमार जीवनमे बसन्तके बहार आइ । आब हमार कोनु फें सुनसान नैरही । राजाक खुशीके सिमा नैरठिस । जब नौ महिना पुगट । राजाके अंगनामे एकठो सुन्दर बच्चाके जन्म हुइठ् । रानी राजकुमारीहे जनम डेली कहिके हल्ला हुइठ् । राजा बहुट खुशी रहठ । राजकुमारीके जन्म हुइलक उपलक्ष्यमे राजा जनतनहे खुशी साठ पैंसा, सारी, ढोटी, हरेक चिज लुटाइट् । अपन राजदरबारमे बलाके उपहार डेहट । सारा राज्यमे खुशीके रौनक् छाइल रठिन । राजकुमारीक् मुहार एकडम हँसिला रठिन । मानो देवी धर्तीमे उटरगैल बटी कनाहस् ।

ढिरेढिरे राजकुमारी जवान हुइटी गैल । ओस्टके राजकुमारीक सुन्दरता आउर बह्रटी गैलिन । राजकुमारी स्वर्गलोकके परीहस बिल्गाइ लग्ली । सबके नजर राजकुमारीक् उपर जाइ लग्लिन । सबकोइ राजकुमारीहे आँखी लगाइ लग्लैं । राजकुमारीक ओरसे राजदरबारमे आउर जोरसे खुशीक बहार छैटी गैल । राजकुमारीके इच्छा अनुसार चाहल सब चिज राजा पुगैटी जैठंै । राजकुमारी जस्टे जस्टे सयान हुइटी गैली । राजाके चिन्ता बह्रटी गैलिस । जब राजकुमारीक भोज कैना उमेर पुग्लीस टब राजाहे आउर चिन्ता सटाइ लग्लिस । राजकुमारीक भोज करडेम टे राजदरबार फेनसे सुनसान होजाइ । मोर बंशके आघे बह्रा डी ? कना सोचसे चिन्तित रहठ । टबफें राजा रानीके भोज कैना ऐलान करठ । जौन राजकुमार मोर डम्डा बनी ओहे मोर सरसम्पटी लेहे पाइ कहिके सारा ओर ऐलान करठ । सारा डेशके राजकुमार पटा पाजैठैं कि इ देशके राजकुमारी बहुट सुन्दर ओ सुशील बटी कना । सब डेशके राजकुमार हौसल्ले राजकुमारीक् राजदरबारमे पालीकपाला राजकुमारीसे भोज करक लाग हेरे आइ लग्लैं ।

सब डेशके राजकुमार अइलैं । राजकुमारीसे सबकोइ भोजबियाह कैना चाहल मने घर डमड्वा बन्ना भर कोइफें मन नैकरल । राजा परिसान होगैल । कोइ बर नैपाके । अइरे गैरे मनैनसे भोज करडीउँ कलेसे धन सम्पट के हेरडी । महिन टे राजदरबारके संगसंगे अपन राज्य चलैना मनै चाहल बा । अइरे गैरे मनै जुन बहुट जे भोज करुइया तयार रठंै । मने राजदरबार सम्हाँरे सेक्ना मेराइक कोइ मनै नैरठैं ।

एक दिनके बात हो । ओहे डेशमे एकठो गाउँमे गरिब दुखी परिवारके बापपुत किल रठैं । डुनु जाने छोटमोट कुछ ना कुछ व्यापार करके अपन गुजारा चलैठंै । एक दिन लौंन्डाहे बाबा भेंरी बेचे पठैलिस । छावा रे । टब छावा कठिस–‘का कहटे बाबा ?’ टब बाबा कठिस–‘छावा रे मै एकडम बजार जैठुँ । आझ टैं जा । महिन अक्को नैजैनास लाग्ठो । बहुट मिच्छाइल लागटा ।’ टब लौंन्डा कहट–‘जैना टे जैम बाबा । मने का लेके जाउँ । आझ कुछ टे बेचे जैनाहस् डेखट नैहुँ ।’ अरे का लेके जैबे रे छावा । यहे एकठो भेंरया बा । यिहयइ लैजा बेंचे । मने यहे भेंरयइ बेंचके यहे भेंरयकमे नोन लाडके लानिस । रुप्याफें नैहो । नैटे रुप्यासे किनके लान लेटे ।

लौंन्डा अपन बाबक् बात फेकाइ नैसेक्के चलडेहट एकठो भेंरयाहे लेके बजार । ओहे भेंरयकमे बैठल बजार भर घुमटा ओ सोचटा–‘कैसिक बेंचु इ भेंरयाहे ? यी भेंरयाहे बेंचडेम कलेसे कैसिक यहे भेंरयकमे नोन लाडके लैजिम ? अगर नोन किल लैजिम टे बाबा महिन टे मारडारी । भेंरयाहे घुमाके लैजाउँ कलेसे नोन कैसिक लैजिम ? एक टे अपन ठन अक्को आना रुप्या फें नैहो । रुप्या रहट टे रुप्यासे किनके लैजिटुँ । आझ बाबा महिन बरा समस्यामे पार डेले बा ।’ अस्टे करटी भेरयाहे लेले बजार घुम्टी बा ओ सोंच्टी बा । राजकुमारी जुन अपन राजदरबार मनसे ओहे लौंंन्डाहे हेरटी बा । लौंन्डा जुन भेंरया लेले घामे घामे यहोर ओहोर बजारे बजार घुमटा । जब साँझ हुइल लौण्डक डिमागमे कने कहाँसे जुक्ति अइलिस । नौवक् ठन गैल भेंरयक भुट्ला कटाइल । ओहे भेरयक भुट्ला बेंच डेहल बजारमे । टब ओहे भेंरयक भुट्ला बेंचल रुप्यासे नोन लेके घरे चलडेहल ।

घरे पुगट टे बाबा कठीस–‘छावा नोन लेके अइले ।’ टब लौंन्डा कहट–‘हाँ बाबा, लेके अइनु’ टब बाबा कठिस ‘लेके अइना टे अइले । भेंरया खोइ टे ?’ टब लौंन्डा अपन बाबाहे जवाफ डेहट–‘बाबा अब्बा टे भेंरयाहे घारीमे बाँन्ढके अइनु । नैडेख्ले का बाँढल ?’ बाबा कठिस ‘बुह्रागिल बटुँ रे छावा । आँखीफें छिपगिल बा । कुछ फेन डुर टक डेख्बे नैकरठुँ । बरा कररा बा रे छावा जिना । छावा रे एक बात आउर पुछु ?’ छावा कठिस ‘पुछ ना बाबा । का बात हो ?’ फेनसे बाबा कठिस–‘छावा रे कैसिक नोन ओ भेंरया लेके अइले महिन बटा टे ? मै फें टे जानु । बिना भेंरयइ बेंच्ले कैसिक नोन लेके अइले ?’ टब छावा कलिस–‘बाबा टंै का अपन छावाहे गन्जाहा समझठे ? मै फेन टे टोर नन्हे चलाक ओ बुद्धिमानी बटुँ झे । भेंरयक् भुट्ला बेंच्के नोन लेके अइनु हेर बाबा । टोर कहलहस् । भेंरयइ बेंच्के भेंरयकमे नोन लाडके लन्नु हेर बाबा ।’ बाबा कठिस– ‘स्याबास छावा । यी हुइल ना बात ।

लौंन्डक् बाबा लौन्डाहे सम्झाइ लग्ठिस–‘व्यापारीक छावा होके अट्रा चलाक टे हुइही परट । नैटे इ दुनियाँमे कैसिक करबे व्यापार । यी दुनियाँ बहुट बेइमान बा हेर । मजासे किहु जिए नैडेहट । व्यापारीक छावा हुइस हेर व्यापारीहस् करे परट । व्यापार करबे टे सब कुछमे नाफा या घाटा हुइट । मने व्यापार व्यापार हो । जौन चिजमे फेन व्यापार करे सेक्बे । इमानदारसे करल व्यापारमे कबु घाटा नैहुइट । घाटा हुइलेसे फें उ फाइदा होवइ । ओहे घाटा एकदिन टुहि फाइदा करटी उप्पर टक पुगाइ । व्यापारमे नाफा घाटा चल्टी रहठ । यहे व्यापारसे टंै डुनियक् मनैन चिन्ह्बे । व्यापार करबे टे के कैसिन बा कना सबचिज पटा पाजिबे । टबमारे व्यापारमे सबकुछ जायज रहट हेर छावा । सब चिज करक लाग बुद्वि चाहट, बुद्विसे बरा कोइ नैहो ।’ टबमारे छावा जिन्गी जिना अब्बेहेसे सिख्ना बा टुहि । आब मै बहुट बुह्रागिल बटुँ हेर छावा । आब सब कुछ टहिं करबे । मोर टे जाँगर नैचलठ । व्यापार फें टहिं हेरबे । मै टे हेर बजार जैही नैसेकठुँ ।’ टब जाके लौंन्डा कहट– ठीक बा बाबा । मै अपन कैना काम कर्तव्य पुरा करम बाबा ।

डोसर दिन फेनसे लौंन्डा बजार जाइठ नोन लेके । ओहे भेंरयक भुट्ला बेंच्के लानल नोन बेंचे । फेनसे राजकुमारी ओहे लौंन्डाहे डेख लेहेट । लौंन्डा बजारके चौराहामे बोरा बिछाके नोन बेंचे लागठ ओ कहट–‘लैलेउ नोन लैलेउ नोन, एक आनाके तीन डाना, नुनाइन नहि टो फिर्ता ले आना ।’ बजार मनिक मनै बहुट जे नोन किन्ठंै ओ पुछठंै सँचमे फिर्ता लेबे का । टब लौंन्डा कहट–‘हाँ सँचमे फिर्ता लेम । अगर नोन नुनाइन नैहुइ टे जरुर लेम’ कहट । उ दिन फेन लौंन्डा सब नोन बेंच्के चलगिल । उ दिन फे बिटल ।

टेसर दिन फेन बिहान हुइल । लौंन्डा अपन काममे फेनसे बजार गैल । टब एकठो मनैयँक् घर नोन पल्ली रहिस । जनेवाँ गरयैलिस टे नोन घुमाइ चल डेहल । लौंन्डाहे भेट होके कहल ‘ले अपन नोन । मै टोर नोन नैलेम ।’ लौंन्डा नोनहे चाटल टे नुनाइल लग्लिस । उ मनैयाँहे कहल कि मै यी नोन फिर्ता लेहे नैसेकम । काहे कि यी नोन टे नुनाइन बा । मै टे नुनाइन नैरहि टबकिल फिर्ता लेम कले रहुँ । उ मनैयाँ बिचारा लाजे सरमे फेनसे नोन लेके अपन घर चलजाइठ । ओस्टके व्यापार करटे करटे लौंन्डक् बाबक् आउर बुह्रापा छाँगिलिस । एक दिन लौंन्डा बजारसे घर आइल टो अपन बाबाहे भगवानके प्यारा हुइल डेखल ।

लौंन्डा अपन बाबा बिना अक्केली हुगिल । उहि टे व्यापार कैना मनफें नैलागे लग्लिस । कुछ दिनके बाडमे अपन बाबक् काजक्रिया करके बैठल रहे । कुछ दिन बाबक् याड सटैलिस । टबसे फेनसे कुछ दिनके बाडमे लौंन्डा आपन व्यापार सुरु कर डेहल । लावा सामानके लावा टरिकासे व्यापार करे लागल ।

ओस्टके रोज दिन लावालावा तरिकासे लौंन्डाहे रोज व्यापार करट डेख्के राजकुमारी अपन मनमे बैठा रख्ले रहे । राजकुमारीक नजरमे लौंन्डा दिवाना बनगिल रहे । टब राजकुमारी सोचल कि इ टो हमार धनडौलट टे का, पूरा राज्य चलैना मेराइक डिमाग बटिस । असिन डिमाग रहल टे कौनो राजकुमार नैहुइँट् । आब यिहीसे भोज करे परल कहिके अपन बाबक् ठन बात ढारल । राजा अपन राजदरबारके राजदूतहुकनहे ओहे व्यापार करुइया लौंन्डक् ठन पठाइल ओ लेके लन्हो कना आदेश डेहल ।

राजदूतहुक्रे उ लौंन्डाहे इज्जतके साथ राजाके राजदरबार पुगैठंै । लौंन्डाहे राजा अपन छाइक् राजकुमारीसे भोज कैना इच्छा जाहेर करट । लौंन्डा इ बात सुन्के अचम्म परजाइठ । टब राजाहे कहट–‘राजा जी अपनेहे पटा हुइ । मै व्यापारी मनै । मै व्यापार करके खैना मनै । मोरठन कुछ नैहो । मै बहुट गरीब बटुँ । एक दिन व्यापार नैकरठुँ टे मोर घरके चुल्हा नैबरट । मै अपन इच्छा पूरा करे नैसेक्ना मनै । मै राजकुमारीक् इच्छा कहाँ पूरा करे सेकम । बरु अपने कौनो राजकुमारसे राजकुमारीक् भोज करडी, कहिके राजाहे कहट । राजा फेनसे लौंन्डाहे सम्झाइट टभु पर लौंन्डा राजी नैहुइठ् । रानी सम्झाइठ् टबफें बात नैओनाइठ । टब जाके राजकुमारी अपनही सम्झाइ आइठ् । टब लौंन्डा राजकुमारीहे डेखट । राजकुमारीहे डेखट टे लौंन्डाहे राजकुमारी मने परजिठीस ।

टबफें चिपाइल रहठ । राजकुमारी अपन मुखारबिन्दुसे लौंन्डाहे सम्झाइ लग्ठी । सम्झाइट सम्झाइट लौंन्डा सोंच्ना बाध्य होजाइट । टबजाके सोंच्के बटैम कहिके अपन घरे आजाइठ् । घरे आके सोंचे लागठ–‘मै अब्बा अक्केली बटँु । मोर आघे पाछे कोइ नैहो । अगर मै दुख बेराम परजिम कलेसे के मोर हेरचाह करडी । मै टे मरिजिम । ओ मै गरिब्वा मनैयाँसे के भोज करी । मोर बंश टे ओस्टे नास होजाइ । मोर भिखारी बन्ना समयमे महि राजकुमार बन्ना अफर मिल्टा कलेसे मै काहे पाछे हटुँ । डुनियँक् मनै भोज करक लाग आइल रहिंट । भोज कर नैपैलै । महिन टो खुड राजदरबारके मनै लेहे आइल रहिंट । मै काहे नैभोज करना । मै जरुर भोज करम पक्का होजाइठ ।’ कब बिहान हुइ कहिके रातभर करोट लेहटा, निंड नैपरठुइस् । जब भिन्सारे हुइल । मुर्गी बोल्ना समयमे उठके लाहाखोरके राजदरबार ओर चलपरठ ।

बिहानके समयमे ठिक्के पुगठ् । टब राजाहे कहट–‘आझ टक सबके बात मन्टी आइल बटुँ । राजा जी अपनेक बात कैसिक नैकहिडिउँ । मनैनके कहल मनै मन्ठंै, भुटनके कहल भुट । अपने हमार डेशके अन्नडाटा हुइटी । अपनेक कहल बात मै नैकहम टे महिन बहुट पाप लागी राजा जी । टबमारेसे मै भोज कैना तयार बटुँ ।

अट्रा बात सुन्टीकिल राजारानी ओ राजकुमारी खुशी होजैठैं । भोजके तयारी ढु्मढामके साठ हुइ लागठ । सबजहनहे नेंउटा बाँटके राजी खुशीके साठ भोज करडेठंै । टबसे राजदरबारमे फेनसे पहिलेक नन्हे रौनक् आजाइठ । हाँसी खुशीसे जिन्गी बिटाइ लग्ठंै ।
(टबमारेसे कठैं आपन काम करो । डुनियँक् चिजमे आँखी नालगाउ । अगर मिल्ना रहि कलेसे उ खुद चल्के अपन ठन आइ । अपन काममे विश्वास करो ।)
दुर्जन कुमार चौधरी
कैलारी–६ कैलाली

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दुर्जन कुमार चौधरी