जौन दिन मै उ कमुइयनके वस्तीमे पुग्लुँ

छविलाल कोपिला
२० श्रावण २०७८, बुधबार
जौन दिन मै उ कमुइयनके वस्तीमे पुग्लुँ

जौन दिन मै उ कमुइयनके वस्तीमे पुग्लुँ

उ दिन जब मै बर्दियाके एक गाउँमे पुग्लुँ । वहाँ पट्निक पहाँटके बनाइल बुकरा । जहाँ हजारौं कमुइयनके बास । उ ठाउँ हेरेबेर मेला लगैना झोंपरा हो कि कनाहस लागे । मुले उ मेला लगैना झोपरा नैरहे । उटे भर्खर मुक्त हुइल कमुइयनके बनाइल झोंपरी रहे उ । क्याम्पसके डँरवामे करमवँक् झाेंपरी, वहाँ मुक्त कमुइयनके बाल–बच्चा, जन्नी, थारु सक्कु मेरिक मनैनके उपस्थिति रहे । हमार आगमन जब वहाँ पुगल् सक्हुनके लजर हमार ओर सोझर गैलिन । हम्रहिनहे वहाँ पैँठेबेर लागे हमार मान मर्जाद करेकलग तयार बटाँ ओइने । ओइनहे फेन हम्रहिनहे कुछ डेहे आइटटाँ कैह्के लग्लिन काहुन टब्बेटे सक्कु जाने हमार ओर हेरे भिरल रहिंट ।

यी बाट् २०५७ सालके हो । जौन समय सरकार भर्खर कमुइयनहे मुक्त हुइल घोषणा कैले रहे । स्थानीय भाषामे कमुइयाँ कलक काम कैना मनै हो । पाछे आके यी शब्द बाँधा बैठल कृषि मजदुर वा घरके काम कैना मनैनहे बुझे लग्लाँ । सामान्यतः कमुइयाँ बैठ्ना चलन करार हस हो । हरेक माघमे काम करक लग बैठुइया ओ लेहुइया बीच करार बनठ् । करार मौखिक कैजाइठ । आर्थिक ओ सामाजिक बाध्यतामे कमुइयन जिम्डारके शर्तमे काम करे बैठल ओरसे पारिश्रमिक बहुट कम रठिन । मै यिहे मुक्त कमुइयनके बारेमे बहुट सुनले रहुँ । पत्रपत्रिकामे बहुट पर्हले फेन रहुँ । मोर मनमे बहुट मेरके सौक रहे मुक्त कमुइयनमे बारेमे जन्ना । आझ मै ओइनेके वस्तीमे पुगल बटुँ । मोरसंगे साहित्यकार ओ पत्रकार कृष्णराज सर्वहारी फेन बटाँ । हम्रे डुनु जाने उ वस्तीमे पुग्ली । जब वहाँक् झोपरी–झपरीमे पैँठके ओइनके बारेम बुझ्ना सुरु हुइल । ढेर जाने हमार बाट् सुने हुइ सायद जुट्गैलाँ । हम्रहिन अभिन लिरौसी हुइल ओइनसे बाट् पुछ्ना ओ बुझ्ना । सर्वहारीजी बाट्के ओरवा टर्लाँ, वहाँक् कमुइयनमे बारे बुझ्ना । टब हम्रहिन डोसुर जुग, डोर संसारमे रहल हस लागे लागल कमुइयनके बाट् सुनके ।

कमुइयनके आन्दोलन ओत्रा लिरौसीसे हुइल नैरहिन । सयौं बरस जिम्डारिनके घरमे दास–दासीके रुपमे जीवन गुजर्टी अइलक कमुइयनहे, आन्दोलन कौन चिरैंयँक् नाउँ हो कैके फेन पटा नैरहिन । मुले आन्दोलनके आगी एक्फाले डम्कल जेकर आँचसे तत्कालिन सरकार अपन शीर लिहुराइ पर्लिस । २०५७ साल सावन २ गते सक्कु कमुइयनहे मुक्त हुइल घोषणा कैल । कमुइयन मुक्त हुइल खुशीयालीसे बहुट ठाउँमे विजय जुलुस, नारा, भाषण शुरु हुइल । आन्दोलनके जस लेहुइयन आघे–आघे करे लग्लाँ । राजनीतिक दल, सरकारी, गैर–सरकारी संघ÷संस्थाके मनै अपन होँर कमुइयन टानक् लग अपन जोर जुलुम करे लग्लाँ । नेपालके दाङ, लावा मुलुक कैह्के चिन्ह जैना बाँके, बर्दिया, कैलाली ओ कञ्चनपुर बहुट चर्चाके विषय बनल यि मामलामे । यहोँर राजनीतिक दल लोग आन्दोलनहे ढेर सहयोग कैलक धाक लगैलाँ । मुले ढेर जिम्डार फेन राजनीतिक कार्यकर्ता रहल ओरसे अपन बचाउक् लग कमुइयनके आन्दोलनहे मन्ठर पर्ना काम फेन कैलक सुनैलाँ कमुइयन उ समय । नेपाली कांग्रेस ओ एमालेक नेता लोग यी गैरसरकारी संस्था लोगनके उस्कावटमे उठल कमुइयनके आन्दोलन हो कैह्के फेन सुने मिलल । दुःखके विषय यिहे रहल उ समयमे । जे देशके गरीव, निमुखा जनतनके लग आन्दोलन कर्टी आइल बटी कहुइयन जो कमुइयनके गोर पकर–पकर टानल सुन्के ।

ओसिक टे यकर चिट्गिन कैलालीके गेटा गाविसमे फैलट–फैलट वहाँसम् पुगल हो । बहुट शोषण, उत्पीडन सहके मिच्छाइल १९ ठो कमुइयनके साहासिक कामसे अभिन जोँजा बन्टी देशभर फैलल । उ १९ ठो कमुइयनहे ओत्रा भारी काम कैना लिरौसी जरुर नैरहे । ओम्हेँ कोइ पर्हल, लिखल मनै कोइनै रहिंट । यहोँर टेँहोर कैके बाट् बुझल मनै फेन नैरहिंट । ना टे ठगी कैके ठगुइया मनै रहिंट ओइने । ओइने टे सोझ, इमान्दार, बरसांैसे जिम्डारके इसारामे हेग कलेसे हेग्ना, मुट कलेसे मुटुइया मेरके मनै हुइँट् । मुले ढिर्खा ढेर दिन नैरुक्लिन ओइनके गुलामीमे । जिन्गीमे कैयो उत्पीडन, शोषण, दमन, अत्याचार, बलात्कार सह्के । सयौं बिगहा जग्गा आवाद कैलाँ, ओइनके आवाद कैल जग्गा बहुट बहानामे जिम्डार अपन नाउँमे कैलाँ । साँप, गोजरसे लरटी उर्ठाह जमीन उर्बर भूमि बनुइयाँ उ महान आवादकर्ता लोगनके अपन कौनो जग्गा नैहुइन । रात दिन पसना चुहैठाँ रातके ओट लग्ना एक्ठो झोंपरी नैहुइन । बाल बच्चा पार्ह (शिक्षा) का हो ? कैह्के अभिन नैजन्ले हुइँट् । टब्बे टे जिम्डार अपन मनका मनोमानी करटी रलाँ ओइन उप्पर । जब उ अत्याचार चरमचुलीमे पुगल्, कमुइयनके जूर रगत उट्राइ लग्लिन टाटुल–टाटुल हुइटी । यिहे मौकाहे गैर–सरकारी संघ÷संस्था मौका छोपल । ओ उस्काइल उ निंडाइल कमुइयनहे । कमुइयन जाग उठलाँ । जोस, जाँगर ओ उत्साह लेके । कमुइयन बाँधापनसे मुक्त पैना, सौंकी मिनाह हुइ पर्ना, सरकारके टोकल ज्याला पाइ पर्ना, घरवासके व्यवस्था हुइ पर्ना, शान्ति सुरक्षाके ग्यारेन्टी हुइ पर्ना लगायतके माग सहित जिल्ला प्रशासन कार्यालय कैलालीमे निवेदन डेलाँ । मुले जिम्डारके पहुँचमे रहल जिल्ला प्रशासन कार्यालय कमुइयनके m निवेदन बेवास्ता कैल । ओइने धर्ना डेना शुरु कैलाँ । १४ दिनसम धर्ना डेलाँ । आन्दोलन अभिन टाटुल–टाटुल हुइटी अभिन आघे बर्हटी रहल अन्ततः सरकार झुकल कमुइयनमे आन्दोलन डेख्के ।

यी सब बाट् मै ओहेंसे पटा पैलुँ । मोर मन ओइनके आन्दोलनके पृष्ठभूमि सुनके कौनो फिलिमके कहानी हस लागे लागल मुले सही बाट् उहे रहे । उ कमुइया वस्तीमे हम्रे बहुट बाट् सुन्ली, चेली–बेटीनहे जिम्डारके अनुरोधमे ओकार पठ्रीमे बर्बट्टी सुटे जाइ पर्ना, नैगैलेसे सौंकी मग्ना, लावा भोज्ही डुल्हनियन पहिल रात जिम्डारके पठ्रिक् संघरिया बने पर्ना लगायत बहुट दर्दनाक कहानी कमुइयनके भित्री मनसे सुने मिलल् । आझ फेन मोर दिमागमे ओइनके कहल सक्कु बाट् ओइने बोल्टि रहल, मै सुन्टि रहलहस् लागठ ।

समय आझ बहुट बडल सेकल । कमुइयन मुक्त हुइल फेन आझ २१ बरस पुगे लागल । मुक्त हुइल कमुइयनके दशा अभिन ओस्टे बटिन । जिम्डारी राज अभिन नेपालमे बा कना बहुट घटनाक्रमसे फेन पुष्टी हुइठ ।

कमुइयन अपन मागन आघे सारके बहुट आन्दोलन कैटी आइल बटाँ । कमुइयनके मुक्ति आन्दोलन खास कैके कमुइयनके हक स्थापित कैना हो । मुले उ हक परोपकारी भावनासे पाइल आशिर्वाद ओ निगाहके रुपमे घोषणामे जाके ओराइल । आझुक् अवस्था जैसिन बल्गर प्रतिवद्धता जनैलेसे फेन कमुइयन पाइ पर्ना हकसे ओइनहे विचलित ओ विस्थापित करैले बा । मुक्तिके घोषणासे पहिले निश्चित करे पर्ना ओइनके तथ्यांक, जोटाहाके जमीन उप्परके हक कानूनी मान्यता, बुकरा उप्परके अधिकार, रोजगारी, शिक्षा, स्वास्थ्य जैसिन आधारभूत आवश्यकताके न्युनतम मापदण्ड ओ ओइनके श्रम, पसना ओ रगत बहाके लगाइल बालिक उत्पादन ओइने खाइ पाइ पर्ना अधिकार अँछोर गैल बा । कठेक् कमुइयन रहिंट ? या बटाँ । ओइने कहाँ बटाँ ओ का कैठाँ ? घोषणा पाछे का कैना ओ कर्वइना ? घोषणासे उठल परिणाम का हुइ सेकी ? पहिले अध्ययन ओ तयारी करे पर्ना बिल्गाइठ ।

आझ मै सम्झटँु कमुइयनके उ साहासिक आन्दोलन । २१ बरसमे कैयौठो सरकार फेरल । कमुइयनके नाउँमे कैयौ सहमति, सम्झौता कागजहे रंगाइल । कैयौं नेता कमुइयनके मागहे बाध्यता कैह्के बोल्लाँ टे कैयौं अपन स्वार्थके लग कैयौं भूmठ बोल्लाँ । कमुइयनके आन्दोलनहे मन्ठर पर्ना कैयौं आश्वासन बँट्लाँ । मुले सब झुठ ठहर हुइल बिल्गाइठ । ओइनके अवस्था अभिन बहुट दयनीय बटिन । अइना दिनमे अइसिन अवस्था नाआए, कमुइयन हलिसे निकास पाइँट्, मानवीय जिन्गी काटक् पाइँट् यिहे कामना बा मोर ।

छविलाल कोपिला
लमही ६ उत्तर मजगाँवाँ डेउखर दांग

जौन दिन मै उ कमुइयनके वस्तीमे पुग्लुँ

छविलाल कोपिला